Uttar Pradesh

StateCommission

A/237/2019

Dakshinachal Vidyut Vitran Nigam Ltd - Complainant(s)

Versus

Smt. Siyarani - Opp.Party(s)

Deepak Mehrotra

29 Sep 2020

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/237/2019
( Date of Filing : 20 Feb 2019 )
(Arisen out of Order Dated 21/12/2018 in Case No. C/107/2013 of District Mahoba)
 
1. Dakshinachal Vidyut Vitran Nigam Ltd
Mahoba
...........Appellant(s)
Versus
1. Smt. Siyarani
Mahoba
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 HON'BLE MR. Rajendra Singh JUDICIAL MEMBER
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 29 Sep 2020
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(सुरक्षित)                                                                                  

अपील संख्‍या:-237/2019

(जिला फोरम, महोबा द्धारा परिवाद सं0-107/2013 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 21.12.2018 के विरूद्ध)

Dakshinanchal Vidyut Vitran Nigam Ltd., through its Executive Engineer, Vidyut Vitran Khand, Mohaba, District Mahoba.

                                              ........... Appellant/ Opp. Party

Versus    

Smt. Siya Rani, W/o Late Krishna Kant Patriya, R/o Village Urwara, Post Office Atrar, Tehsil and District Mahoba.

       …….. Respondent/ Complainant

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष

मा0 श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य

मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य              

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता      :- श्री दीपक मेहरोत्रा

प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता      :- श्री नवीन तिवारी

दिनांक:-14-10-2020

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय   

परिवाद संख्‍या-107/2013 श्रीमती सियारानी बनाम दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड में जिला फोरम, महोबा द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 21.12.2018 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्‍तर्गत राज्‍य आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गई है।

आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

-2-

“परिवादिनी द्वारा विपक्षी के विरूद्ध प्रस्‍तुत यह उपभोक्‍ता परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी विद्युत विभाग को आदेशित किया जाता है कि वह इस निर्णय की तिथि से 30 दिन के अन्‍दर परिवादिनी के स्‍व0 पति कृष्‍णकांत पटैरिया की विद्युत स्‍पर्शाघात से हुई मृत्‍यु के फलस्‍वरूप क्षतिपूर्ति धनराशि मु0 7,68,000.00 रू0 (सात लाख अरसठ हजार रू0) तथा इस राशि पर परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि 01.11.2013 से वास्‍तविक भुगतान होने तक 07 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज की दर से ब्‍याज सहित अदा करें। साथ ही साथ विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह उपरोक्‍त अवधि के अन्‍तर्गत परिवादिनी को मानसिक संताप के मद में मु0 5,000.00 रू0 (पॉच हजार रू0) एवं परिवाद व्‍यय के मद में मु0 5,000.00 रू0 (पॉच हजार रू0) अदा करें।”

जिला फोरम के निर्णय और आदेश से क्षुब्‍ध होकर परिवाद के विपक्षी ने यह अपील प्रस्‍तुत की है।

अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री दीपक मेहरोत्रा उपस्थित आये है। प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री नवीन तिवारी उपस्थित आये है।

हमने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।

अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षी के

-3-

विरूद्ध इस कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है कि ग्राम उरवारा, तहसील व जिला महोबा स्थित उसके आवासीय मकान में अपीलार्थी/विद्युत विभाग द्वारा निरीक्षण कर विद्युत वायरिंग आदि मानक के अनुरूप पाये जाने पर नया विद्युत कनेक्‍शन सं0-000433 उसके पति स्‍व0 कृष्‍णकान्‍त पटैरिया के नाम से जारी किया गया, जिसका उपभोग एवं उपयोग स्‍व0 कृष्‍णकान्‍त पटैरिया अपने जीवनकाल में करते रहे है तथा वर्तमान में प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी उक्‍त विद्युत कनेक्‍शन का उपभोग एवं उपयोग करके विद्युत बिलों का भुगतान कर रही है।

परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी का कथन है कि 25.7.2013 को दोपहर में उसके पति महोबा जाने के लिये घर से मोटर साइकिल निकाल रहे थे तभी विद्युत विभाग के कर्मचारियों की लापरवाही एवं जीर्ण-शीर्ण विद्युत उपकरणों के कारण प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के घर में स्‍थापित विद्युत कनेक्‍शन में हाईबोल्‍टेज विद्युत प्रवाह होने लगा और अचानक आये हाईबोल्‍टेज करेंट के कारण घर का तार, टी0वी0 पंखे एवं अन्‍य उपकरण जलने लगे। अत: प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के पति घर में आग लगने की आशंका तथा जल रहे विद्युत उपकरणों को बचाने के उद्देश्‍य से अपने आवासीय मकान की गैलरी में स्‍थापित विद्युत मीटर के पास स्थित मेन विद्युत स्विच को बन्‍द करने के उद्देश्‍य से जैसे ही स्‍पर्श किया विद्युत पोल से मीटर तक अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा खींची गई विद्युत वायर जल कर ऊपर गिर गई और हाईबोल्‍टेज विद्युत प्रवाह के सम्‍पर्क मे उसके पति आ गये और मौके पर ही वह गिर गये। तदोपरांत

-4-

दिनांक 25.7.2013 को ही उसके पति की जिला चिकित्‍सालय महोबा में विद्युत स्‍पर्शाघात में आयी चोटों के कारण मृत्‍यु हो गई। तब उनके शव का पंचनामा तैयार किया गया व पोस्‍टमार्टम कराया गया। परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के पति की आयु करीब 40 वर्ष थी और वह रिष्‍ट-पुष्‍ट नवजवान व्‍यक्ति थे। अपने पिता के नाम दर्ज कृषि भूमि में कृषि कार्य करके करीब 10,000.00 रू0 मासिक आय प्राप्‍त करते थे और वह अपना व अपने परिवार का भरण-पोषण करते थे।

परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी का कथन है कि उपरोक्‍त दुर्घटना में उसके पति की मृत्‍यु होने की मौखिक/लिखित सूचना अपीलार्थी/विपक्षी के महोबा स्थित कार्यालय में दुर्घटना के एक-दो दिन बाद प्राप्‍त करायी गई लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की गई। तब दिनांक 08.10.2013 को सम्‍पूर्ण औपचारिकतायें पूरी कर पुन: क्‍लेम आवेदन पत्र रजिस्‍टर्ड डाक से अपीलार्थी/विपक्षी को व अन्‍य अधिकारियों को प्रेषित किया गया, परन्‍तु दिनांक 17.10.2013 को अपीलार्थी/विपक्षी ने किसी प्रकार की क्षतिपूर्ति देने से स्‍पष्‍ट रूप से मना कर दिया, जिससे प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को मानसिक कष्‍ट हुआ। अत: क्षुब्‍ध होकर उसने परिवाद जिला फोरम के मसक्ष प्रस्‍तुत कर निम्‍न अनुतोष चाहा है:-

........परिवादिया के पति की हाईबोल्‍टेज विद्युत स्‍पर्शाघात से हुई दुर्घटना मृत्‍यु की क्षति स्‍वरूप मु0 10,00,000 (दस हजार रूपये) दुघर्टना की तिथि से 18 प्रतिशत ब्‍याज सहित व मानसिक क्षति की राशि दाह संस्‍कार के व्‍यय की राशि व दाम्‍पत्‍य सुख से वंचित की राशि सहित

-5-

परिवाद व्‍यय की राशि विपक्षी से वसूलकर परिवादिया को प्राप्‍त करायी जाये व अन्‍य अनुतोष जो वहक परिवादिया मा0 फोरम उचित समझे परिवादिया को विपक्षी से प्रदान कराये जाने की कृपा की जाये।

जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षी ने लिखित कथन प्रस्‍तुत किया है और कहा है कि उसका विद्युत विभाग उ0प्र0 शासन का विद्युत उत्‍पादन, वितरण, पारेषण एवं अनुरक्षण आदि का अनुज्ञप्तिधारक है। उसके द्वारा विद्युत सर्विस लाइन, खम्‍भों तथा उपकरणों आदि का अनुरक्षण किया जाता है। अपीलार्थी/विपक्षी के विभाग का दायित्‍व विद्युत सर्विस लाइन से मीटर तक विद्युत सर्विस लाइन के अनुरक्षण एवं देखरेख का है। जबकि मीटर से घर की फिटिंग की देखभाल व अनुरक्षण का दायित्‍व स्‍वयं उपभोक्‍ता का है।

लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से कहा गया है कि परिवाद पत्र में कथित दुर्घटना प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के पति की स्‍वयं की लापरवाही के कारण घटित हुई है, क्‍योंकि विद्युत संयोजन कराने के उपरांत नियमों के विरूद्ध उपभोक्‍ता ने स्‍वयं अस्‍थाई जीर्ण-शीर्ण विद्युत लाइन अलग से अपने निवास में खींचा था और घर के अन्‍दर विद्युत कार्य करते समय दुर्घटना उसी अस्‍थाई त्रुटिपूर्ण खींचीं गई विद्युत लाइन के सम्‍पर्क में आने के कारण हुई है जिससे उसकी मृत्‍यु हुई है। प्रश्‍नगत दुर्घटना का कारण अपीलार्थी/विपक्षी के विद्युत विभाग की लापरवाही या कमी नहीं है।

 

-6-

अपीलार्थी/विपक्षी ने लिखित कथन में कहा है कि विद्युत विभाग द्वारा उपनिदेशक विद्युत सुरक्षा से दुर्घटना की जॉच कराई गई, तो इस तथ्‍य की पुष्टि हुई है कि अस्‍थाई त्रुटिपूर्ण खींची विद्युत लाइन का प्रयोग सुरक्षायुक्तियों के बिना किया गया है, जिससे विद्युत स्‍पर्शाघात हुआ है और प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के पति की दुर्घटना घटित हुई है। लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी ने कहा है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी का यह कथन पूरी तरह असत्‍य है कि हाईबोल्‍टेज विद्युत प्रवाह के कारण उपरोक्‍त दुर्घटना घटित हुई थी। जॉच के दौरान इस तथ्‍य की पुष्टि हुई है कि मेन लाइन से मीटर तथा मीटर से मेन स्विच को गई केबिल पूरी तरह सही थी और मीटर कार्यशील था। विद्युत सीलें यथास्‍थान लगी थी। इस प्रकार विपक्षी/विद्युत विभाग द्वारा न तो सेवा में काई त्रुटि की गई है और न ही कदाचरण किया गया है।

लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से कहा गया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने क्षतिपूर्ति के सम्‍बन्‍ध में काल्‍पनिक तौर पर आंकलन प्रस्‍तुत किया है। वह कोई अनुतोष पाने की अधिकारी नहीं है।

जिला फोरम ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों पर विचार करने के उपरांत परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए आक्षेपित आदेश पारित किया है जो ऊपर अंकित है।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश तथ्‍य और विधि के विरूद्ध है। प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी व उसके पति स्‍वयं अस्‍थाई लाइन खींच कर विद्युत

-7-

का उपभोग कर रहे थे। प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के पति की दुर्घटना उस समय हुई है जब वह अपने घर के अन्‍दर उक्‍त तारों से कुछ इलेक्ट्रिकल वर्क कर रहे थे।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि मीटर की सील और तार ठीक पाये गये है जिससे यह स्‍पष्‍ट है कि हाईबोल्‍टेज की बात गलत है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि मीटर सील खोले बिना उसके केबिल को नहीं बदला जा सकता है, जबकि मीटर की सील निरीक्षण के समय खोली नहीं पायी गई है और उसमें केबिल लगा पाया गया है।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि अपीलार्थी/विपक्षी के विभाग की लापरवाही के कारण यह दुर्घटना घटित नहीं हुई है। यह दुर्घटना स्‍वयं प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी व उसके पति की लापरवाही का परिणाम है। जिला फोरम का निर्णय तथ्‍य और साक्ष्‍य के विरूद्ध है और दोषपूर्ण है। अपील स्‍वीकार कर जिला फोरम का निर्णय अपास्‍त किया जाना और परिवाद निरस्‍त किया जाना आवश्‍यक है।

प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय तथ्‍य, साक्ष्‍य और विधि के अनुकूल है। अपीलार्थी/विपक्षी के विद्युत विभाग की लापरवाही के कारण हाईबोल्‍टेज आने से यह दुर्घटना घटित हुई है और प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के पति को करेंट लगा है, जिससे उनकी मृत्‍यु हुई है। अपील बलरहित और निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

-8-

हमने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।

कृते निदेशक विद्युत सुरक्षा उ0प्र0 शासन, लखनऊ द्वारा प्रकरण की जॉच की गई है और जॉच रिपोर्ट प्रस्‍तुत की गई है, जिसमें निदेशक विद्युत सुरक्षा ने निम्‍न विवरण एवं निष्‍कर्ष अंकित किया है:-

" (ग) अनुसंधान की संक्षिप्‍त रिपोर्ट:- अनुसंधान एवं प्राप्‍त बयानों से ज्ञात होता है कि 33/11 के0वी0 विद्युत उपकेन्‍द्र श्रीनगर से 11 के0वी0 नरौरा फीडर निकलता है, जो ग्राम उरवारा के बाहर से होते हुए कर पहडिया को जाती है। उक्‍त फीडर पर ग्राम उरवारा के बाहर 100 के0वी0ए0 क्षमता का डबल पोल माउन्‍टेड ट्रान्‍सफार्मर लगाकर गॉव को विद्युत आपूर्ति प्रदान करने हेतु एल0टी0ओवर हेड लाइन निकाली गई है। जॉच के समय पीडित परिवार से पॅूछताछ करने पर उनके द्वारा बताया गया कि घटना तिथि को मीटर से मेन स्विच को गई केबिल जल रही थी उसी समय मेन स्विच को बन्‍द करते समय श्री कृष्‍ण कान्‍त पटैरिया का सम्‍पर्क मीटर से मेन स्विच को गई केबिल से हो जाने के कारण करेंट लगने से श्रीकृष्‍ण कान्‍त पटैरिया मृत अवस्‍था में पडे थे। जबकि सम्‍बन्धित अवर अभियंता द्वारा अपने बयान में कहा गया है कि श्री कृष्‍ण पटैरिया द्वारा अपने घर के अन्‍दर विद्युत कार्य करते समय अस्‍थाई/त्रुटिपूर्ण खीची गई तार के सम्‍पर्क में आ जाने के कारण करेंट लगने से उनकी मृत्‍यु हो गई। जॉच के समय पीडित व्‍यक्ति के परिवार से मीटर से मेन स्विच को गई क्षतिग्रस्‍त केबिल को ठीक कराने के सम्‍बन्‍ध में पॅूछे जाने पर उनके द्वारा बताया गया कि मिस्‍त्री द्वारा

-9-

केबिल ठीक कराया गया है जो कि यहॉ नहीं रहता है। उक्‍त से प्रतीत होता है कि पीडित व्‍यक्ति द्वारा वास्‍तविक तथ्‍यों को छिपाया जा रहा है तथा घटना के बारे में स्‍पष्‍ट जानकारी नहीं दी जा रही है। क्‍योंकि यदि मीटर से मेन स्विच को गई केबिल क्षतिग्रस्‍त होने के कारण घटना घटित हुई होती तो बिना मीटर के सील खोले उक्‍त क्षतिग्रस्‍त केबिल को बदला जाना सम्‍भव नहीं है। सम्‍बन्धित अवर अभियंता द्वारा बताया गया कि न ही मीटर के मेन स्विच को गई केबिल क्षतिग्रस्‍त हुई थी और न ही निगम द्वारा मीटर खोल कर उक्‍त क्षतिग्रस्‍त केबिल को बदला गया है क्‍योंकि यदि ऐसा किया जाता तो मीटर खोलकर केबिल बदलने के उपरांत नई सील लगाई जाती जो कि निगम द्वारा नहीं किया गया है।

अत: उक्‍त से स्‍पष्‍ट होता है कि उक्‍त दुर्घटना श्री कृष्‍ण कान्‍त पटैरिया द्वारा असुरक्षित तरीके से बिना सुरक्षा युक्तियों के अपने घर के अन्‍दर विद्युत का कार्य करते समय भारतीय विद्युत नियमावली 1956 के नियम 29 एवं 36 (1) के फलस्‍वरूप घटित हुई है। जिसके लिए श्री कृष्‍ण कान्‍त पटैरिया स्‍वयं जिम्‍मेदार है। "

जिला फोरम ने आक्षेपित निर्णय और आदेश में कृते निदेशक की जॉच आख्‍या पर विचार किया है और यह उल्‍लेख किया है कि घटना के लगभग एक वर्ष बाद यह जॉच की गई है। जिला फोरम ने अपने निर्णय में यह भी उल्‍लेख किया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने शपथपत्र में स्‍पष्‍ट रूप से कहा है कि यह आख्‍या कार्यालय में बैठकर तैयार की गई है। जिला फोरम ने अपने निर्णय में यह भी उल्‍लेख किया है कि जॉच आख्‍या

-10-

के सम्‍बन्‍ध में विद्युत सुरक्षा के सम्‍बन्धित अधिकारी का न कोई शपथपत्र प्रस्‍तुत किया गया है न ही किसी स्‍वतंत्र साक्षी, जिनके सामने जॉच की गई है, का शपथपत्र प्रस्‍तुत किया गया है। अत: जिला फोरम ने कृते निदेशक विद्युत सुरक्षा की उपरोक्‍त आख्‍या को विश्‍वास योग्‍य नहीं माना है।

निदेशक विद्युत सुरक्षा की उपरोक्‍त आख्‍या के अनुसार प्रश्‍नगत दुर्घटना की सूचना दिनांक 27.4.2014 को प्राप्‍त हुई है और उसी दिन जॉच स्‍थल पर जॉच की गई है। परिवाद पत्र में प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने निदेशक विद्युत सुरक्षा को दुर्घटना की सूचना दिये जाने का उल्‍लेख नहीं किया है। परिवाद पत्र में प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने अपने पति की मृत्‍यु होने की मौखिक/लिखित सूचना अपीलार्थी/विपक्षी के महोबा स्थित कार्यालय में एक-दो दिन बाद प्राप्‍त कराये जाने का उल्‍लेख किया है, परन्‍तु उसे प्रमाणित नहीं किया है। परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने दिनांक 08.10.2013 को सम्‍पूर्ण औपचारिकतायें पूरी करने के उपरांत क्‍लेम दिनांक 08.10.2013 को विद्युत विभाग को रजिस्‍टर्ड डाक से प्रेषित किया है, परन्‍तु उन्‍होंने कोई क्षतिपूर्ति अदा नहीं की तब दिनांक 17.10.2013 को परिवाद प्रस्‍तुत किया है।

निदेशक विद्युत सुरक्षा ने जॉच परिवाद पत्र प्रस्‍तुत किये जाने के बाद दुर्घटना के काफी दिन बाद की है। परन्‍तु निदेशक विद्युत सुरक्षा की रिपोर्ट में यह उल्‍लेख है कि यदि मीटर से मेन स्विच को गई केबिल क्षतिग्रस्‍त होने के कारण घटना घटित हुई होती तो बिना मीटर के सील

-11-

खोले उक्‍त क्षतिग्रस्‍त केबिल को बदला जाना सम्‍भव नहीं है जबकि सम्‍बन्धित अवर अभियंता द्वारा बताया गया कि न ही मीटर के मेन स्विच की गई केबिल क्षतिग्रस्‍त हुई थी और न ही निगम द्वारा मीटर खोल कर उक्‍त क्षतिग्रस्‍त केबिल को बदला गया है। उल्‍लेखनीय है कि परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के घर में स्‍थापित विद्युत कनेक्‍शन में हाईबोल्‍टेल विद्युत प्रवाह होने लगा और अचानक आये हाईबोल्‍टेज करेंट के कारण तार, टी0बी0 पंखे व अन्‍य उपकरण जलने लगे। अत: उसके के पति घर में आग लगने की आशंका तथा जल रहे विद्युत उपकरणों को बचाने के उद्देश्‍य से अपने आवासीय मकान की गैलरी में स्‍थापित विद्युत मीटर के पास स्थित मेन विद्युत स्विच को बन्‍द करने के उद्देश्‍य से जैसे ही स्‍पर्श किया विद्युत पोल से मीटर तक अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा खींची गई विद्युत वायर जल कर उनके ऊपर गिर गई। प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी की ओर से कथित रूप से जल कर ऊपर से गिरी विद्युत वायर अथवा कथित रूप से जले अपने अन्‍य उपकरणों को जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत नहीं किया गया है और न ही कथित रूप से जले वायर को ठीक करने एवं टी0वी0, पंखे व अन्‍य उपकरणों के जले पार्टस् को बदलने हेतु किसी विद्युत मैकेनिक का प्रमाण पत्र या साक्ष्‍य प्रस्‍तुत किया है। कथित दुर्घटना के समय विद्युत पोल से मीटर तक खींचा गया विद्युत वायर जल कर ऊपर से गिरना बताया गया है। उस वायर को किसने ठीक किया यह प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने स्‍पष्‍ट नहीं किया है न ही उसे ठीक करने वाले व्‍यक्ति का शपथपत्र प्रस्‍तुत किया गया है।

-12-

यह साबित करने का भार प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी पर है कि अपीलार्थी/विपक्षी के विद्युत विभाग की सेवा में कमी के कारण हाईबोल्‍टेज विद्युत प्रवाह होने लगा और जिससे उसके घर के तार, टी0वी0 पंखे व अन्‍य उपकरण जलने लगे और उसके पति द्वारा विद्युत उपकरणों को जलने से बचाने के उद्देश्‍य से जब मेन विद्युत स्विच को बन्‍द करने का प्रयत्‍न किया गया तभी विद्युत पोल से मीटर तक अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा खींची गई विद्युत वायर जल कर उनके ऊपर गिर गई और करेंट लगने से उनकी मृत्‍यु हो गई। परन्‍तु उपरोक्‍त विवरण से स्‍पष्‍ट है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने न तो कथित रूप से जले हुए तार, टी0वी0 पंखे व अन्‍य उपकरण जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत किये है न ही उनके सम्‍बन्‍ध में किसी मैकेनिक या उनको ठीक करने वाले व्‍यक्ति का प्रमाण पत्र, आख्‍या या शपथपत्र प्रस्‍तुत किया है। विद्युत वायर जिसके जल कर गिरने से करेंट प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के पति को लगा और उसकी मृत्‍यु होना बताया गया है वह जला हुआ वायर प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के कथन को साबित करने हेतु बहुत महत्‍वपूर्ण साक्ष्‍य था, परन्‍तु उसे प्रस्‍तुत नहीं किया गया है और उक्‍त तार जल कर गिरना साबित नहीं किया गया है। इसके विपरीत अपीलार्थी ने प्रत्‍यर्थी के विद्युत संयोजन के मीटर की फोटो दिखायी है और अपील की पत्रावली में संलग्‍न किया है जिसमें मीटर में सील व केबिल यथावत दिखाई देता है।

पत्रावली पर उपलब्‍ध सम्‍पूर्ण साक्ष्‍यों पर विचार करने के उपरांत हम इस मत के हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी यह साबित करने में असफल रही है

-13-

कि अपीलार्थी/विपक्षी के विद्युत विभाग की लापरवाही से उसके द्वारा खींचा गया विद्युत वायर जल कर उसके पति के ऊपर गिरा है, जिससे उसके पति की करेंट लगने से मृत्‍यु हुई है। पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍यों के आधार पर अपीलार्थी/विपक्षी की सेवा में कमी मानने हेतु उचित आधार नहीं है।

उपरोक्‍त सम्‍पूर्ण विवेचना एवं सम्‍पूर्ण तथ्‍यों व परिस्थितियों पर विचार करने के उपरांत हम इस मत के हैं कि जिला फोरम ने जो अपीलार्थी/विपक्षी विद्युत विभाग की सेवा में कमी के कारण प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के पति को करेंट लगना माना है वह तथ्‍य, साक्ष्‍य और विधि के अनुकूल नहीं है। अत: अपील स्‍वीकार कर जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश अपास्‍त किया जाना आवश्‍यक है।

    प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता ने प्रथम अपील सं0-1707 वर्ष 2016 पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड बनाम संदीप कुमार दि्ववेदी आदि में उ0प्र0 राज्‍य आयोग द्वारा पारित निर्णय दिनांक 25.01.2017 और उससे सम्‍बन्धित सिविल अपील सं0-6101 वर्ष 2019(Arising out of SLP (C) No.2395/2018) Sandeep K. Dwivedi & Ors. Vs. Purvanchal Vidyut Vitran Nigam Ltd. में मा0 सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा पारित निर्णय दिनांक 05.8.2019 संदर्भित किया है। परन्‍तु वर्तमान अपील के तथ्‍य भिन्‍न होने के कारण उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर इन निर्णयों का कोई लाभ प्रत्‍यर्थी को वर्तमान अपील में नहीं दिया जा सकता है।

-14-

उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर अपील स्‍वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश अपास्‍त करते हुए परिवाद निरस्‍त किया जाता है।   

अपील में उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं बहन करेंगे।

धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्‍तर्गत अपील में जमा धनराशि 25,000.00 रू0 अर्जित ब्‍याज सहित अपीलार्थी को वापस की जाये।

 

   (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)     (राजेन्‍द्र सिंह)    (सुशील कुमार)             

            अध्‍यक्ष                 सदस्‍य           सदस्‍य      

 

हरीश आशु.,

कोर्ट सं0-1

   

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
JUDICIAL MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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