(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील सं0 :- 1129/2015
(जिला उपभोक्ता आयोग, औरैया द्वारा परिवाद सं0-190/2014 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 22/04/2015 के विरूद्ध)
Adhishasi Abhiyanta Dakshidanchal Vidyut Vitran Nigam Ltd. Vidyut Vitran Khand, Auraiya.
- Appellant/Opp. No. 1
Versus
- Smt. Shiv Rani wife of Late Krishna Murari, R/O Villagee Poorva Saktu, Tehsil Bidhuna, District Auraiya.
- Shivam aged about 9 years
- Satyam aged about 2years
Respondent/claimant No. 2 and 3 are minors and under the custody of real mother Smt. Shiv rani.
……… Respondent/complainants
- Sahayak Nideshak vidyut Surakshi, Uttar Pradesh Shasan, Etawah Zone, Etawah
…………Respondent/Opp.No. 2
समक्ष
- मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य
- मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य
उपस्थिति:
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता:- श्री मनोज कुमार
प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता:- श्री संजय कुमार वर्मा
दिनांक:-27.01.2023
माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
- जिला उपभोक्ता आयोग, औरैया द्वारा परिवाद सं0 190/2014 श्रीमती शिवरानी व अन्य बनाम अधिशाषी अभियंता दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लि0 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 22.04.2015 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गयी है। जिला उपभोक्ता मंच ने प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादीगण के पिता की मृत्यु बिजली के टूटे हुए तार के सम्पर्क में आने के कारण अंकन 2,00,000/- रूपये क्षतिपूर्ति का आदेश दिया है।
- इस निर्णय एवं आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गयी है कि जिला उपभोक्ता मंच ने तथ्य एवं साक्ष्य के विपरीत निर्णय पारित किया है। स्वयं मृतक द्वारा अत्यधिक लापरवाही बरती गयी। परिवादीगण द्वारा कोई शुल्क प्रदान नहीं किया गया है इसलिए वह उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है।
- अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता एवं प्रत्यर्थी के विद्धान अधिवक्ता को सुना गया। पत्रावली का अवलोकन किया गया।
- अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का यह तर्क है कि परिवादी उनका उपभोक्ता नहीं है। परिवाद के तथ्यों के अनुसार दुर्घटना उस समय घटित हुई, जब परिवादीगण के पिता खेत में काम कर रहे थे। बिजली का तार खेत में टूटा हुआ था। किसी अन्य उपभोक्ताओं को विद्युत कनेक्शन प्रदान करने के उद्देश्य से यदि परिवादीगण के खेत में विद्युत खम्भा गाड़ा गया है और उसमें से तार प्रवाहित हुआ है तब परिवादीगण के पिता को भी अपीलार्थी/विपक्षीगण का उपभोक्ता ही माना जायेगा, इसलिए जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है। तदनुसार अपील खारिज होने योग्य है।
-
अपील खारिज की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश की पुष्टि की जाती है।
उभय पक्ष अपीलीय वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(विकास सक्सेना)(सुशील कुमार)
संदीप आशु0कोर्ट नं0 2