राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील संख्या-2149/2000
(जिला उपभोक्ता फोरम, द्वितीय लखनऊ द्वारा परिवाद संख्या-1137/99 में पारित निर्णय दिनांक 27.07.2000 के विरूद्ध)
केनरा बैंक इदिरा नगर ब्रांच द्वारा मैनेजर। .........अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम्
श्रीमती शिखा रस्तोगी निवासी बी-717 सेक्टर सी महानगर
लखनऊ ........प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. मा0 श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्य।
2. मा0 श्री राज कमल गुप्ता, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री नितिन खन्ना, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित :कोई नहीं।
दिनांक 01.09.16
मा0 श्री राज कमल गुप्ता, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह अपील जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम द्वितीय लखनऊ द्वारा परिवाद संख्या 1137/99 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दि. 27.07.2000 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई है। जिला मंच द्वारा निम्न आदेश पारित किया गया:-
'' विपक्षी संख्या 1 व 2 को निर्देश दिया जाता है कि वह परिवादिनी को तीन माह में देय धनराशि और परिपक्वता तिथि से उस पर 15 प्रतिशत वार्षिक ब्याज तथा रू. 3000/- अदा कर दें अन्यथा इस समस्त धनराशि पर 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज देय होगा।
विपक्षी संख्या 3 को निर्देश दिया जाता है कि वह परिवादिनी को रू. 3000/- अनुतोष के रूप में तीन माह में दें और इस फर्जी भुगतान के आपराधिक कृत्य हेतु जांच कर उत्तरदायित्व निर्धारित करते हुए संबंधित व्यक्ति के विरूद्ध भारतीय दण्ड संहिता के अंतर्गत विधिक कार्यवाही करें तथा संबंधित धनराशि विपक्षी संख्या 1 व 2 को 15 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित वापस कर दें।''
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी ने दि. 15.04.91 को अपने पुत्र के नाम पर एमआईएसजी 91 योजना के तहत रू. 20000/- की 2000 यूनिट्स क्रय की थी। विपक्षी द्वारा यह वादा किया गया था कि परिपक्वता अवधि के बाद वह इन यूनिट्स को दुबारा स्वयं क्रय कर लेंगे। इन यूनिट्स की परिपक्वता अवधि दि.01.07.98 थी। जब विपक्षी द्वारा
-2-
परिवादी को री-परचेज के बारे में कोई सूचना नहीं प्राप्त हुई तो उनके द्वारा पत्र लिखे गए। दि. 08.09.98 का एक पत्र विपक्षी का उन्हें प्राप्त हुआ, जिससे उन्हें यह ज्ञात हुआ कि विपक्षी ने रू. 20000/- का चेक दि. 24.06.98 को पंजीकृत डाक से भेज दिया गया था। परिवादी को जब यह चेक नहीं प्राप्त हुआ तब विपक्षी ने परिवादी को कहा कि वह इनडेमिनिटी बान्ड भेजे जिससे डुप्लीकेट चेक जारी किया जा सके। परिवादी ने दि. 22.12.98 को इनडेमिनिटी बान्ड भेज दिया। दि. 08.02.99 को विपक्षी संख्या 1 से यह पत्र प्राप्त हुआ कि उनके द्वारा भेजे गए पूर्व में चेक किसी फर्जी व्यक्ति ने केनरा बैंक इंदिरा नगर ब्रांच से कैश कर लिया है। परिवादी ने गाजीपुर पुलिस स्टेशन में इस आशय की प्रथम सूचना रिपोर्ट अंकित कराई गई। दि. 05.06.99 को केनरा बैंक ने सूचित किया कि अभियुक्त को गिरफ्तार कर लिया गया है, लेकिन उनके द्वारा इस प्रकरण में लंबित धनराशि को देने से मना कर दिया। परिवादी का कोई खाता बैंक में नहीं था और न ही उसके द्वारा चेक का भुगतान प्राप्त किया गया। जिला मंच के समक्ष विपक्षी संख्या 3/अपीलार्थी ने यह कहा कि बैंक परिवादी का उपभोक्ता नहीं है और उसके अनुसार परिवादी को दी जाने वाली किसी प्रकार की सेवा में त्रुटि नहीं की है और बैंक गलत ढंग से इस केस में सम्मिलित किया गया है।
पीठ ने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता की बहस सुनी एवं पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का भलीभांति परिशीलन किया गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
अपीलार्थी का कथन है कि परिवादी/प्रत्यर्थी अपीलार्थी का उपभोक्ता नहीं है। केनरा बैंक में जो खाता खोला गया था वह सामान्य जांचों के उपरांत खोला गया था और जो सामान्य सावधानियां हो सकती थीं उनको लेते हुए नया खाता खोला गया था। जालसाज व्यक्ति के संबंध में पुलिस की जांच अभी जारी है। जिला मंच ने यूटीआई को यह निर्देश दिया है कि वह चेक का भुगतान ब्याज सहित करे, लेकिन अनावश्यक रूप से अपीलार्थी को रू. 3000/- क्षतिपूर्ति के रूप में आदेश किया गया है, जो विधिनुसार नहीं है।
जिला मंच के निर्णय से स्पष्ट है कि यूनिट्स की परिपक्वता धनराशि के भुगतान का आदेश ब्याज सहित यूटीआई के लिए किया गया है। इस प्रकार समस्त धनराशि जो परिवादी की थी उसका भुगतान यूटीआई द्वारा किया जाना है। जिला मंच ने रू. 3000/- का जो अनुतोष परिवादी को अपीलार्थी केनरा बैंक से दिलवाया है उसका जिला मंच ने कोई
-3-
प्रभावशाली व अकाट्य कारण नहीं दिया है। प्रथमत: परिवादी का अपीलार्थी बैंक में कोई खाता नहीं था। जिस व्यक्ति द्वारा जालसाजी करके बैंक में खाता खोला गया और चेक को कैश किया गया उसके संबंध में बैंक ने क्या असावधानी बरती इसका कोई साक्ष्य पत्रावली पर नहीं है, जबकि बैंक द्वारा कहा गया है कि उन्हें बैंक का खाता खोलने में जो सावधानी बरती जाती है उनका पालन किया है और एक एकाउन्ट होल्डर द्वारा नये खाताधारक को प्रस्तावित किया था। पत्रावली पर उपलब्ध अभिकथनों व जिला मंच के निर्णय से यह स्पष्ट है कि जालसाजी करने वाले व्यक्ति को पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया है और इस संबंध में पुलिस द्वारा कार्यवाही की जा रही है। परिवादी को अपीलार्थी का उपभोक्ता नहीं कहा जा सकता है और न ही अपीलार्थी की कोई सेवा में त्रुटि ही सिद्ध होती है। इसके अतिरिक्त जिला मंच ने अपीलार्थी को जो अपराधिक कृत्य हेतु जांच हेतु उत्तरदायित्व निर्धारण करने व विधिक कार्यवाही के जो निर्देश दिए हैं वह जिला मंच के क्षेत्राधिकार से बाहर है। जिला मंच धारा 14 उ0सं0 अधिनियम में प्रावधानित अनुतोष ही परिवादी को प्रदान कर सकता है। अत: अपील आंशिक रूप से स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला मंच के आदेश के निम्न अंश '' विपक्षी संख्या 3 को निर्देश दिया जाता है कि वह परिवादिनी को रू. 3000/- अनुतोष के रूप में तीन माह में दें और इस फर्जी भुगतान के आपराधिक कृत्य हेतु जांच कर उत्तरदायित्व निर्धारित करते हुए संबंधित व्यक्ति के विरूद्ध भारतीय दण्ड संहिता के अंतर्गत विधिक कार्यवाही करें तथा संबंधित धनराशि विपक्षी संख्या 1 व 2 को 15 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित वापस कर दें।'' जो कि विपक्षी संख्या 3/अपीलार्थी केनरा बैंक के विरूद्ध किया गया है उसे अपास्त किया जाता है।
पक्षकार अपना अपीलीय व्यय स्वयं वहन करेंगे।
(राम चरन चौधरी) (राज कमल गुप्ता)
पीठासीन सदस्य सदस्य
राकेश, आशुलिपिक
कोर्ट-2