(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1010/2009
The New India Assurance Company Ltd.
Versus
Smt. Sharda Srivastava W/O Late Bhagwati Prasad Srivastava
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री जफर अजीज, विद्धान अधिवक्ता
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: कोई नहीं
दिनांक :27.02.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
- परिवाद संख्या-194/2000, शारदा श्रीवास्तव बनाम न्यू इंडिया एश्योरेंस कं0लि0 में विद्वान जिला आयोग, मीरजापुर द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 02.02.2008 एवं 01.05.2009 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता के तर्क को सुना गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
- जिला उपभोक्ता मंच ने मेडिक्लेम प्राप्त करने के लिए प्रस्तुत किया गया परिवाद इस आधार पर निरस्त किया है कि पॉलिसी दिनांक 12.03.1999 को ली गयी और दिनांक 28.03.1999 से ह्दय रोग का उपचार प्रारंभ किया और ऑपरेशन कराया इसलिए पॉलिसी की शर्तों के अनुसार बीमा कम्पनी अपने दायित्व से मुक्त हो चुकी है। अत: आयोग के अध्यक्ष द्वारा परिवाद खारिज किया गया है तथा एक सदस्य द्वारा निर्णय लिखाते हुए बीमा क्लेम स्वीकार किया गया तथा 01.05.2009 को पुष्ट किया गया है, जबकि सदस्य द्वारा अपना निर्णय दिनांक 02.02.2008 को पारित किया गया था, परंतु यह आदेश इस आयोग के पत्र के आधार पर तीसरे सदस्य द्वारा पारित किया गया गया है। अत: गुणदोष पर विचार किया जाता है।
- परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी द्वारा दिनांक 12.03.1999 को मेडिक्लेम पॉलिसी प्राप्त की गयी, जो दिनांक 12.03.1999 से 11.03.2000 तक वैध थी। इसके बाद दिनांक 25.04.1999 को परिवादी द्वारा इलाज कराया गया। जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष द्वारा पॉलिसी की शर्तों को विचार मे लिया गया। पॉलिसी की शर्त सं0 4 (2) के अनुसार यदि पॉलिसी धारक पॉलिसी लेने की तिथि से प्रथम 30 दिन के अंदर किसी बीमारी से ग्रसित होकर उपचार कराता है तब बीमा कम्पनी बीमा क्लेम अदा करने के लिए बाध्य नहीं होगी। परिवादी द्वारा इस शर्त के विपरीत 12.03.1999 को पॉलिसी लेकर दिनांक 28.03.1999 से ह्दय रोग का इलाज प्रारंभ किया है। अत: जिला उपभोक्ता मंच के अध्यक्ष द्वारा पारित निर्णय पॉलिसी की शर्तों के अनुरूप है, जबकि 2 सदस्यों द्वारा पारित निर्णय में इस शर्त का उल्लेख केवल एक सदस्य द्वारा किया गया है, परंतु इस शर्त की कोई व्याख्या नहीं की गयी, केवल यह उल्लेख कर दिया गया कि इस प्रकार का नियम बीमे की मूल आत्मा को नष्ट कर देता है। पक्षकारों के मध्य निर्मित संविदा को परिवर्तित करने का किसी पीठ या इस आयोग को कोई अधिकार नहीं है जब तक कि उस शर्त को शून्य घोषित न कर दिया जाए, इसलिए केवल अपने भाव व्यक्त कर देने मात्र से बीमा पॉलिसी में मौजूद शर्त को शून्य नहीं माना जा सकता, इसलिए जिला उपभोक्ता आयोग के सदस्य द्वारा पारित आदेश अपास्त होने योग्य है।
आदेश
अपील स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच के सदस्य द्वारा पारित निर्णय/आदेश अपास्त किया जाता है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 3