Uttar Pradesh

StateCommission

A/2005/177

L I C - Complainant(s)

Versus

Smt. Shanti Singh - Opp.Party(s)

V S Bisaria

05 Jul 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2005/177
( Date of Filing : 03 Feb 2005 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. L I C
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Smt. Shanti Singh
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 05 Jul 2024
Final Order / Judgement

                                              (सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-177/2005

(जिला आयोग, सुलतानपुर द्वारा परिवाद संख्‍या-13/2004 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 30.12.2004 के विरूद्ध)

                                 

ब्रांच मैनेजर, लाइफ इंश्‍योरेंस कारपोरेशन आफ इण्डिया, ब्रांच 221 सूपर मार्केट सुलतानपुर।

अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम

1. श्रीमती शान्ति सिंह (मृतक) पत्‍नी दलजीत सिंह, स्‍थायी निवास मलवल पहाड़पुर, पोस्‍ट पहाड़पुर (भीकमपुर) जिला सुलतानपुर, वर्तमान निवास केयर आफ श्री एस.के. शर्मा, रॉयल टाकीज के पीछे, थाना कोतवाली शहर व जिला सुलतानपुर।

1/1. दलजीत सिंह पुत्र एस.एल. राम कलप, केयर आफ श्री एस.के. शर्मा, रॉयल के पीछे, थाना कोतवाली जिला सुलतानपुर।

       प्रत्‍यर्थीगण/परिवादी

समक्ष:-                         

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित       : श्री वी.एस. बिसारिया।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित        : श्री अमि‍त कुमार सिंह।

दिनांक:  05.07.2024

माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य  द्वारा उद्घोषित                                                 

निर्णय

      विद्वान जिला आयोग, सुलतानपुर द्वारा परिवाद संख्‍या-13/2004, श्रीमती शान्ति सिंह बनाम भारतीय जीवन बीमा निगम में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 30.12.2004 के विरूद्ध यह अपील प्रस्‍तुत की गई है।

          परिवाद के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादिनी के अवयस्‍क पुत्र अरूण कुमार सिंह, 15 वर्षीय के लिए जीवन सुरभि पालिसी (दुर्घटना सहित) दिनांक 28.1.1997 को ली गई थी। बीमाधारक की ओर से बीमा किस्‍तें बराबर जमा होती रहीं। बीमाधारक अक्‍टूबर 2002 में वयस्‍क हो गया, उसकी आकस्मिक मृत्‍यु एक सड़क दुर्घटना में दिनांक 10.01.2003 को हो गई, जिस पर परिवादिनी ने बीमा दावा बीमा निगम के समक्ष प्रस्‍तुत किया, जिस पर बीमा निगम ने बीमित धनराशि अंकन 1,84,700/-रू0 अदा की, परन्‍तु दुर्घटना लाभ अंकन 1,00,000/-रू0 अदा नहीं किया, जिसका कारण यह लिखा कि बीमाधारक ने वयस्‍कता प्राप्‍त होने के बाद अतिरिक्‍त प्रीमियम अंकन 1.00 रूपये प्रति हजार की दर से अदा नहीं किया। इस कारण उसे दुर्घटना लाभ नहीं दिया जा सकता।

          बीमा निगम को विद्वान जिला आयोग द्वारा पंजीकृत डाक के माध्‍यम से नोटिस भेजी गई, परन्‍तु वह उपस्थित नहीं हुए और न ही कोई जवाब प्रस्‍तुत किया। इस प्रकार उन पर तामील पर्याप्‍त मानते हुए निम्‍नलिखित आदेश पारित किया गया :-

          '' परिवाद एक पक्षीय रूप में स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि परिवादिनी को 50,000/-रू0 मय 9 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित दावा दायर करने के दिनांक 14.1.2004 से अदायगी तक एक माह के अन्‍दर अदा करें। खर्च मुकदमा परिवादिनी स्‍वंय वहन करेगी। ''

          अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता तथा प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता की बहस सुनी गई तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।

          अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का कथन है कि उनके द्वारा प्रत्‍यर्थी को अंकन 1,00,000/-रू0 (एक लाख रूपये) सम एश्‍योर्ड + अंकन 50,000/-रू0 (पचास हजार रूपये) अडिशनल अमाउण्‍ट अंडर स्‍पेशल प्रोविजन + अंकन 34,700/-रू0 (चौतिस हजार सात सौ रूपये) बोनस की मद में इस प्रकार कुल 1,84,700/-रू0 फुल एण्‍ड फाइनल सेटलमेंट के रूप में भुगतान कर दिया गया था, परन्‍तु दुर्घटना लाभ के लिए कोई धनराशि देय नहीं है। अपीलार्थी का कथन है कि बीमाधारक वयस्‍क हो जाने के बाद यदि दुर्घटना हित लाभ लेना चाहता था तो अतिरिक्‍त प्रीमियम देकर यह सुविधा प्राप्‍त कर सकता था। प्रस्‍तुत प्रकरण में बीमाधारक द्वारा वर्ष 2002 में वयस्‍क होने पर यह सुविधा नहीं अपनाई गई। अपीलार्थी ने अपने तर्क के समर्थन में नजीर, राजेन्‍द्र कुमार रस्‍तोगी बनाम एलआईसी आफ इण्डिया आर.पी. नं0-3232/2006 प्रस्‍तुत की।

          इस अपील में बीमा होना, अंकन 1,84,700/-रू0 परिवादिनी (मृतक) द्वारा उत्‍तराधिकारी को प्राप्‍त होना निर्विवादित है। बीमाधारक अक्‍टूबर 2002 में वयस्‍क हो गया तथा उसकी आकस्मिक मृत्‍यु दिनांक 10.01.2003 को हो गई, अर्थात् वयस्‍क होने के लगभग 3 माह बाद उसकी मृत्‍यु हुई है। बीमा की अगली किश्‍त 28 जनवरी को देय थी। देय तिथि को प्रीमि‍यम के साथ अंकन 1.00 रू0 प्रति हजार की दर से अतिरिक्‍त प्रीमियम प्रदान करके दुर्घटना हित लाभ की सुविधा प्राप्‍त करता, उसके पूर्व ही उसकी मृत्‍यु हो गई, इस कारण उसकी वयस्‍कता पर अतिरिक्‍त प्रीमियम धनराशि जमा करने का समय नहीं आया। बीमा निगम ऐसा कोई नियम/शर्त दिखाने में असफल रहे हैं कि वयस्‍कता प्राप्‍त करने पर तुरन्‍त ही प्रीमियम अदा करना अनिवार्य था, अन्‍यथा लाभ प्राप्‍त नहीं होगा। विद्वान जिला आयोग द्वारा उचित प्रकार से एवं तथ्‍यों को विश्‍लेषित करते हुए आदेश पारित किया गया है, जिसमें कोई अवैधानिकता नहीं है। तद्नुसार प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त होने योग्‍य है।

आदेश

          प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

          प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

          आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

 

   (सुधा उपाध्‍याय)                         (सुशील कुमार)

    सदस्‍य                                 सदस्‍य

 

 

लक्ष्‍मन, आशु0,

    कोर्ट-2

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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