Uttar Pradesh

StateCommission

A/624/2019

Dakshinachal Vidyut Vitran Nigam Ltd - Complainant(s)

Versus

Smt. Savita - Opp.Party(s)

Isar Husain

03 Jan 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/624/2019
( Date of Filing : 10 May 2019 )
(Arisen out of Order Dated 24/04/2019 in Case No. C/58/2015 of District Mahoba)
 
1. Dakshinachal Vidyut Vitran Nigam Ltd
Mahoba
...........Appellant(s)
Versus
1. Smt. Savita
Mahoba
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 03 Jan 2023
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(मौखिक)                                                                                  

अपील संख्‍या:-624/2019

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, महोबा द्धारा परिवाद सं0-58/2015 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 24.4.2019 के विरूद्ध)

1-    दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड द्वारा अधिशासी अभियंता, इलैक्ट्रिसिटी डिस्‍ट्रीब्‍यूशन डिवीजन, महोबा।

2-    मैनेजिंग डायरेक्‍टर, दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, उर्जा भवन, 220 के. वी. सब स्‍टेशन, सिकन्‍दरा, आगरा (उ0प्र0)

3-    चीफ इंजीनियर डिस्‍ट्रीब्‍यूशन बॉदा क्षेत्र, 132 के0वी0 उपकेन्‍द्र, निकट चिल्‍ला रोड, जिला बॉदा।

                                              ........... अपीलार्थी/विपक्षीगण

बनाम              

1-    श्रीमती सविता पत्‍नी स्‍व0 श्री कमलेश यादव

2-    अरेन्‍द्र यादव (नाबालिग) पुत्र स्‍व0 श्री कमलेश यादव, द्वारा संरक्षिका मॉ श्रीमती सविता पत्‍नी स्‍व0 श्री कमलेश यादव, निवासीगण ग्राम बगरौन थाना व तहसील चरखारी जनपद महोबा उ0प्र0।

…….. प्रत्‍यर्थी/परिवादीगण

3-    जिलाधिकारी, महोबा उत्‍तर प्रदेश।

…….. प्रत्‍यर्थी/विपक्षी

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष              

अपीलार्थीगण के अधिवक्‍ता      : श्री इसार हुसैन

प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता           : श्री कुलदीप सिंह

दिनांक :- 03.01.2022

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, अपीलार्थीगण/ दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड द्वारा इस आयोग के सम्‍मुख धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्‍तर्गत जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, महोबा द्वारा परिवाद सं0-58/2015 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 24.4.2019 के विरूद्ध योजित की गई है।

 

-2-

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी सं0-1 के पति व प्रत्‍यर्थी/परिवादी सं0-2 के पिता स्‍व0 कमलेश यादव अपने अन्‍य भाइयों के साथ संयुक्‍त परिवार में रहते थे एवं दिनांक 18.01.2015 को करीब 6.00-7.00 बजे शाम कमलेश यादव अपने दरवाजे के बाहर बने चबूतरे पर बैठे थे कि उसी समय उसके पास से निकली 11000 वोल्‍ट विद्युत लाइन का तार अचानक टूटकर कमलेश यादव के ऊपर गिर गया, जिससे वह विद्युत करेंट की चपेट में आ गया और घटनास्‍थल पर ही उसकी मृत्‍यु हो गई तथा कमलेश यादव को जिला अस्‍पताल महोबा लाया गया, जहॉ पर चिकित्‍सकों द्वारा उसे मृत घोषित कर दिया गया, तत्‍पश्‍चात मृतक के मृत्‍यु की सूचना थाना कोतवाली महोबा को जिला अस्‍पताल के डॉक्‍टर द्वारा दी गई एवं मृतक के शव का पंचनामा व पोस्‍टमार्टम कराया गया एवं जिलाधिकारी महोबा एवं अधिशासी अभियंता विद्युत वितरण खण्‍ड महोबा द्वारा जॉचोपरांत घटना को सत्‍य पाया गया तथा अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को आश्‍वासन दिया गया कि शासन से क्‍लेम धनराशि यथाशीघ्र प्राप्‍त हो जायेगी तथा उसका क्‍लेम फार्म भरकर शासन को भेजा जा रहा है। परन्‍तु आश्‍वासन के बावजूद भी कोई धनराशि प्रदान नहीं की गई एवं न ही कोई कार्यवाही की गई। अत: उपरोक्‍त दुर्घटना में मृतक की मृत्‍यु अपीलार्थी/विपक्षीगण की लापरवाही के कारण विद्युत स्‍पर्शाघात से हुई है, जो कि अपीलार्थी/विपक्षीगण की सेवा में घोर त्रुटि व व्‍यापारिक कदाचरण है अत्एव प्रत्‍यर्थी/परिवादीगण द्वारा अपीलार्थी/विपक्षीगण की लापरवाही से मृत्‍यु होने के फलस्‍वरूप क्षतिपूर्ति का अनुतोष दिलाये जाने हेतु जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख परिवाद प्रस्‍तुत किया गया है। 

अपीलार्थी/विपक्षीगण की ओर से जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत कर परिवाद पत्र के कथनों का विरोध किया गया एवं परिवाद को निरस्‍त करने की प्रार्थना की गई है।

 

 

-3-

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍य पर विचार करने के उपरांत परिवाद को आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया गया:-

''परिवादीगण द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध प्रस्‍तुत यह उपभोक्‍ता परिवाद विपक्षी सं0-1, 2 व 3 के विरूद्ध आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है तथा विपक्षी सं0-4 के विरूद्ध खारिज किया जाता है।

विपक्षी सं0-1, 2 व 3 को आदेशित किया जाता है कि वह इस निर्णय की तिथि से 30 दिन के अन्‍दर परिवादिनी सं0-1 के पति एवं परिवादी सं0-2 के पिता स्‍व0 कमलेश यादव की विद्युत दुर्घटना में मृत्‍यु के फलस्‍वरूप क्षतिपूर्ति की धनराशि मु0 6,12,000.00 रू0 (छ: लाख बारह हजार रू0) परिवादी सं0-1 के पति सुख एवं परिवादी सं0-2 के पिता के स्‍नेह से वंचित होने के मद में 60,000.00 रू0 (साठ हजार रू0) एवं दाह संस्‍कार के मद में 10,000.00 रू0 (दस हजार रू0) तथा मानसिक संताप के मद में मु0 15,000.00 रू0 (पंद्रह हजार रू0) व परिवाद व्‍यय के मद में मु0 3,000.00 रू0 (तीन हजार रू0) अदा करें। उपरोक्‍त अवधि में अदायगी न करने पर परिवादीगण उपरोक्‍त विपक्षीगण से सम्‍पूर्ण धनराशि पर परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि 12.5.2015 से वास्‍तविक भुगतान की तिथि तक 07 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्‍याज की दर से ब्‍याज भी पाने के हकदार होंगे।

उपरोक्‍त सम्‍पूर्ण धनराशि में से आधी धनराशि मृतक के अवयस्‍क पुत्र अरेन्‍द्र यादवके नाम किसी राष्‍ट्रीकृत बैंक की सर्वाधिक लाभकारी योजना के अन्‍तर्गत उसकी माता श्रीमती सविता की संरक्षकता में उसके वयस्‍क होने तक जमा की जायेगी जिसे वह वयस्‍क होने पर मय ब्‍याज पाने का हकदार होगा।''

जिला उपभोक्‍ता आयोग के प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश से क्षुब्‍ध होकर अपीलार्थीगण/ दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड व अन्‍य द्वारा प्रस्‍तुत अपील योजित की गई है।

 

-4-

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा कथन किया गया कि जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पूर्णत: तथ्‍य और विधि के विरूद्ध है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह भी कथन किया गया कि जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा मात्र प्रत्‍यर्थी/परिवादी के अभिकथनों पर विचार करते निर्णय पारित किया गया है, जो कि अनुचित है। यह भी कथन किया गया कि अपीलार्थी द्वारा सेवा में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं की गई है।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा अपने कथन के समर्थन में इस राज्‍य उपभोक्‍ता आयोग द्वारा अपील सं0-418/2021 एक्‍जीक्‍यूटिव इंजीनियर इलेक्ट्रिकसिटी डिस्‍ट्रीब्‍यूशन डिवीजन बनाम किरनवती में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 03.8.2022 पर बल दिया।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता की ओर से यह भी कथन किया गया कि जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा अपने प्रश्‍नगत आदेश में जो ब्‍याज दिलाया गया है, वह बहुत अधिक है एवं शारीरिक, मानसिक क्षति हेतु प्रदान की गई धनराशि भी बहुत अधिक है, अत्एव उसे समाप्‍त किये जाने की प्रार्थना की गई है।

प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का कथन है कि जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पूर्णत: विधि अनुकूल है और उसमें किसी प्रकार के हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है।

मेरे द्वारा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं समस्‍त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।

प्रस्‍तुत मामले में अपीलार्थी की ओर से प्रस्‍तुत अपील सं0-418/2021 में पारित निर्णय/आदेश के तथ्‍य प्रस्‍तुत अपील के तथ्‍यों से भिन्‍न पाये जाते हैं अत: उपरोक्‍त अपील में पारित निर्णय/आदेश का लाभ वर्तमान अपील में अपीलार्थी को प्रदान किया जाना उचित नहीं प्रतीत होता है। 

मेरे द्वारा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त अभिलेखों के परिशीलनोंपरांत यह

-5-

पाया गया कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश विधि अनुकूल है, परन्‍तु जहॉ तक प्रश्‍नगत आदेश में स्‍नेह से वंचित होने के मद में 60,000.00 रू0 एवं दाह संस्‍कार के मद में 10,000.00 रू0 तथा मानसिक संताप के मद में मु0 15,000.00 रू0 व परिवाद व्‍यय के मद में मु0 3,000.00 रू0 की देयता निर्धारित की गई हैं, वह वाद के तथ्‍यों एवं परिस्थितियों तथा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता के कथन को दृष्टिगत रखते हुए उसे स्‍नेह से वंचित होने के मद में 30,000.00 रू0 एवं दाह संस्‍कार के मद में 5,000.00 रू0 तथा मानसिक संताप के मद में मु0 5,000.00 रू0 व परिवाद व्‍यय के मद में मु0 2,000.00 रू0 में परिवर्तित किया जाना समुचित पाया जाता है, तद्नुसार उपरोक्‍तानुसार धनराशि देय है।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा जो 07 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज की देयता हेतु आदेश पारित किया गया है वह भी अधिक प्रतीत होता है, अत्एव उसे वाद के तथ्‍यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए 06 प्रतिशत के रूप में संशोधित किया जाता है। निर्णय/आदेश का शेष भाग यथावत कायम रहेगा। तद्नुसार प्रस्‍तुत अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है।

      अपीलार्थी को आदेशित किया जाता है कि वह उपरोक्‍त निर्णय/आदेश का अनुपालन 30 दिन की अवधि में किया जाना सुनिश्चित करें।

उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्‍तर्गत अपील में जमा धनराशि मय अर्जित ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला उपभोक्‍ता आयोग को नियमानुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जावे।

आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

                                       (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                   

                                         अध्‍यक्ष                                                                                                                     

हरीश सिंह, वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2.,कोर्ट नं0-1

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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