Chhattisgarh

StateCommission

FA/14/581

State Bank Of India through Branch Manager - Complainant(s)

Versus

Smt. Rinku Upadhyay & Anr. - Opp.Party(s)

Shri N.K. Shrivastava

24 Feb 2015

ORDER

Chhattisgarh State Consumer Disputes Redressal Commission Raipur
Final Order
 
First Appeal No. FA/14/581
(Arisen out of Order Dated 30/07/2014 in Case No. CC/13/219 of District Raipur)
 
1. State Bank Of India through Branch Manager
New Shanti Nagar Branch Raipur
Raipur
Chhattisgarh
...........Appellant(s)
Versus
1. Smt. Rinku Upadhyay & Anr.
C-17,Sector-1,Shankar Nagar, Raipur
Raipur
Chhattisgarh
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HONABLE MR. JUSTICE R.S.Sharma PRESIDENT
 HONABLE MS. Heena Thakkar MEMBER
 HONABLE MR. Dharmendra Kumar Poddar MEMBER
 
For the Appellant:Shri N.K. Shrivastava, Advocate
For the Respondent: Shri Sanjay Dadsena, Advocate
ORDER

छत्तीसगढ़ राज्य

उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग, पण्डरी, रायपुर

 

अपील क्रमांकः FA/14/577

             संस्थित दिनांकः 25.08.14

आई. डी. बी. आई. बैंक,

द्वाराः शाखा प्रबंधक, सिविल लाईन रायपुर,

रायपुर (छ.ग.)                                                                                                                                        .....अपीलार्थी

विरूद्ध

1. श्रीमती रिंकू उपाध्याय,

सी.-17, सेक्टर 1, शंकरनगर

रायपुर (छ.ग.) 492 007

 

2. शाखा प्रबंधक,

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया,

न्यू शांतिनगर रायपुर

रायपुर (छ.ग.)                                                                                                                                 .....उत्तरवादीगण

 

अपील क्रमांकः FA/14/581

संस्थित दिनांकः 26.08.14

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया,

द्वाराः शाखा प्रबंधक, न्यू शांतिनगर शाखा

रायपुर (छ.ग.)                                                       .....अपीलार्थी

विरूद्ध

1. श्रीमती रिंकू उपाध्याय, पति स्व. श्री राजन उपाध्याय

निवासीः सी.-17, सेक्टर 1, शंकरनगर

रायपुर (छ.ग.)

 

2. शाखा प्रबंधक,

आई. डी. बी. आई. बैंक,

सिविल लाईन,

रायपुर (छ.ग.)                                                 .....उत्तरवादीगण

 

समक्षः

माननीय न्यायमूर्ति श्री आर. एस. शर्मा, अध्यक्ष

माननीय सुश्री हीना ठक्कर, सदस्या

माननीय श्री डी. के. पोद्दार, सदस्य

 

दोनों अपीलों में पक्षकारों के अधिवक्ता

परिवादिनी, श्रीमती रिंकू उपाध्याय की ओर से श्री संजय डड़सेना, अधिवक्ता।

वि.प. क्र.1.शाखा प्रबंधक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, की ओर से श्री एन.के.श्रीवास्तव, अधिवक्ता।

वि.प. क्र.2..शाखा प्रबंधक, आई. डी. बी. आई. बैंक, की ओर से श्री हितेन्द्र तिवारी, अधिवक्ता।

 

आदेश

दिनांकः24/02/2015

द्वाराः माननीय सुश्री हीना ठक्कर, सदस्या

 

उपरोक्त दोनों अपीलें दोनों ही वि.प.गण द्वारा जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, रायपुर (छ.ग.) (जिसे आगे संक्षिप्त में ’’जिला फोरम’’ संबोधित किया जाएगा) द्वारा प्रकरण क्रमांक 219/2013 ’’श्रीमती रिंकू उपाध्याय विरूद्ध शाखा प्रबंधक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया एवं अन्य’’ में पारित आदेश दिनांक 30.07.2014 से क्षुब्ध होकर वि.प.क्र.2 आई.डी.बी.आई. बैंक द्वारा अपील क्र. FA/14/577 एवं वि.प.क्र.1 स्टेट बैंक ऑफ इंडिया द्वारा अपील क्र. FA/14/581 प्रस्तुत की गई है। जिला फोरम द्वारा परिवाद को स्वीकार कर दोनों ही वि.प.गण को निर्देश दिया कि आदेश दिनांक से एक माह की अवधि के भीतर अनाहरित रकम रू 4,000/-, मानसिक कष्ट हेतु क्षतिपूर्ति रू 50,000/-, वादव्यय रू 10,000/- एवं एक माह की अवधि के भीतर क्षतिपूर्ति की रकम व अनाहरित रकम का भुगतान न किए जाने पर 9% वार्षिक की दर से ब्याज भी देय होगा। चूंकि दोनों ही अपीलें एक ही आलोच्य आदेश से उद्भूत हुए हैं एवं दोनों ही अपीलों में सामान्य विधि के प्रश्न हैं। अतः दोनों अपीलों का निराकरण इस सामान्य आदेश द्वारा किया जा रहा है। आदेश में पक्षकारों को उनकी मौलिक प्रस्थिति से संबोधित किया जावेगा। यह भी निर्देशित किया जाता है कि आदेश की मूल प्रति अपील प्रकरण क्र. FA/14/577 के साथ रखी जावे एवं आदेश की छायाप्रति अपील प्रकरण क्र. FA/14/581 के साथ संलग्न की जावे।

 

2.            परिवादिनी की परिवाद जिला फोरम के समक्ष इस प्रकार थी कि परिवादिनी ने इंदिरा व्यवसायिक परिसर में स्थित आई.डी.बी.आई. बैंक की ए.टी.एम. में रू 4,000/- आहरण करने हेतु ए.टी.एम. कार्ड का प्रयोग किया परन्तु रकम ए.टी.एम. से प्राप्त नहीं हुई। परिवादिनी 2-3 मिनट तक रूक कर रकम ए.टी.एम. से निकलने की प्रतीक्षा करती रही परन्तु रकम नहीं मिलने पर परिवादिनी अन्य बैंक के ए.टी.एम. में ए.टी.एम. कार्ड प्रयोग किया तब उसे पता चला कि उसके खाते से रू 4,000/- निकल चुके हैं। परिवादिनी द्वारा यह अभिकथित किया गया कि आई.डी.बी.आई. बैंक के ए.टी.एम. में यदि तकनीकी खराबी थी तो ग्राहकों को सूचित करने के लिए पटल पर सूचनापत्र चिपका देना चाहिए था, लेकिन ऐसी कोई सूचनापत्र वहां न होने से परिवादिनी ने कार्ड का प्रयोग किया एवं उसे रू 4,000/- की हानि वहन करनी पड़ी व मानसिक पीड़ा सहन करनी पड़ी। परिवादिनी द्वारा उक्त संव्यवहार की सूचना स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया, न्यू शान्ति नगर शाखा रायपुर में दिनांक 06.11.2012 को दी। स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया द्वारा परिवादिनी को पत्र दिनांक 14.11.2012 के माध्यम से सूचित किया कि कथित संव्यवहार सफल रहा है। अतः शिकायत खारिज़ की जाती है। तब परिवादिनी आई.डी.बी.आई. बैंक जाकर उक्त ए.टी.एम. मशीन के संबंध में पूछताछ की तब वहां मौजूदा कर्मचारी द्वारा बताया गया कि उक्त ए.टी.एम. मशीन खराब एवं उक्त मशीन के संबंध में पहले भी बहुत शिकायतें आ चुकी हैं हम कुछ नहीं कर सकते हैं। परिवादिनी दोनों बैंकों में बारंबार संपर्क कर लिखित शिकायत करती रही परन्तु दोनों ही बैंकों द्वारा कोई प्रत्योत्तर नहीं दिया गया। दोनों अनावेदक बैंक का कृत्य व्यवसायिक कदाचरण व सेवा में निम्नता की श्रेणी में आता है। अतः परिवादिनी द्वारा जिला फोरम के समक्ष परिवाद प्रस्तुत कर ए.टी.एम. मशीन से अनाहरित राशि रू 4,000/- एवं मानसिक संताप हेतु क्षतिपूर्ति रू 50,000/- अनावेदकगण से दिलाए जाने की याचना की गई।

 

3.            अनावेदक क्र.1 स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया द्वारा जिला फोरम के समक्ष उत्तर प्रस्तुत कर अपनी प्रतिरक्षा में कथन किया है कि अनावेंदक क्र.2 से प्राप्त दस्तावेज एवं जानकारी के अनुसार परिवादिनी द्वारा कथित रू 4,000/- की राशि का संव्यवहार सफल अंतरण था। ए.टी.एम. मशीन के जेपी लॉग रिपोर्ट के अनुसार भी परिवादिनी रू 4,000/- प्राप्त कर चुकी थी। अनावेदक क्र.2 द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार दिनांक 05.11.2012 को इंदिरा व्यवसायिक परिसर में स्थित ए.टी.एम. मशीन में कोई भी तकनीकी खराबी नहीं थी। परिवादिनी द्वारा दिनांक 06.11.2012 को शिकायत किए जाने पर तत्काल कार्यवाही की गई एवं अनावेदक क्र.2 को भी सूचित किया गया। अनावेदक क्र.2 द्वारा जांच कर दिनांक 14.11.2012 को जानकारी दी कि परिवादिनी द्वारा किया गया रू 4,000/- के आहरण का संव्यवहार सफल अंतरण था। इस संबंध में ए.टी.एम. मशीन के जेपी लॉग रिपोर्ट एवं उक्त ए.टी.एम. मशीन के शेष राशि मिलान पर भी रू 4,000/- अतिरेक शेष नहीं पाया गया। इस तथ्य की जानकारी तत्काल ही परिवादिनी को सूचित की गई इस प्रकार अनावेदक क्र.1 ने परिवादिनी के साथ सेवा में कमी नहीं की है। परिवाद निरस्त किए जाने की प्रार्थना की गई।

 

4.            अनावेदक क्र.2 द्वारा उत्तर प्रस्तुत कर खण्डन किया कि आई.डी.बी.आई. बैंक की कथित ए.टी.एम. मशीन खराब नहीं थी। उक्त ए.टी.एम. मशीन अत्याधुनिक है एवं सुचारू रूप से कार्य कर रही है। परिवादिनी अनावेदक की उपभोक्ता नहीं है न ही परिवादिनी ने अनावेदक की शाखा में आई न ही बैंक के किसी कर्मचारी ने उक्त ए.टी.एम. मशीन को खराब होना बताया न ही परिवादिनी ने किसी अधिकारी से लिखित शिकायत की। परिवादिनी द्वारा बैंकिंग लोकपाल कार्यालय में जो अभिकथित शिकायत प्रस्तुत की थी उसकी नोटिस आज तक प्राप्त नहीं हुई है। यह भी अभिकथन किया कि परिवादिनी द्वारा परिवाद पत्र में कहीं उल्लेख नहीं किया है कि उसने किस तिथि को संव्यवहार किया था। परिवाद निरस्त किए जाने की प्रार्थना की गई।

 

5.            विद्वान जिला फोरम द्वारा विनिश्चय लिया गया कि परिवादिनी की शपथपत्र व दस्तावेजों पर अविश्वास करने का कोई कारण नहीं है। एवं अनावेदकगणों में उक्त ए.टी.एम. मशीन के सिक्योरिटी गार्ड का शपथपत्र प्रस्तुत नहीं किया है, जिससे प्रमाणित होता है कि परिवादिनी ए.टी.एम. मशीन से पैसा प्राप्त होने पर भी मिथ्या दोषारोपण कर रही हो। अतः दोनों ही बैंक संयुक्ततः व पृथकतः परिवादिनी को अनाहरित रकम क्षतिपूर्ति वादव्यय देने हेतु दायित्वधीन है।

 

6.            हमारे समक्ष परिवादिनी की ओर से श्री संजय डड़सेना वि.प.क्र.1 की ओर से एन.के.श्रीवास्तव, वि.प.क्र.2 की ओर से श्री हितेन्द्र तिवारी अधिवक्ता द्वारा तर्क प्रस्तुत किए गए व अभिलेख का सूक्ष्म अध्ययन किया गया।

 

7.            वि.प.क्र.2 के विद्वान अधिवक्ता श्री हितेन्द्र तिवारी द्वारा मुख्यतः यह तर्क किया गया कि परिवाद में आहरण की तिथि समय का उल्लेख नहीं किया गया है न ही अभिलेख में प्रश्नगत ए.टी.एम. संव्यवहार की स्लिप प्रस्तुत की गई है। अनावेदक बैंक द्वारा प्रत्येक ए.टी.एम. मशीन में दैनिक संव्यवहार का खाता विवरण एवं ए.टी.एम. मशीन की राशि का मिलान किया जाता है। यदि परिवादिनी को उक्त कथित संव्यवहार की राशि प्राप्त नहीं होती तो दिनांक 05.11.2012 को ए.टी.एम. की मिलान पश्चात् शेष राशि अधिक होती परन्तु उक्त तिथि को मिलान पश्चात् न कम पाई गई, न ज्यादा, इस प्रकार परिवादिनी द्वारा किया गया संव्यवहार सफल अंतरण था। उक्त ए.टी.एम. मशीन उच्च तकनीक व आधुानिक है व उसमें ऐसे सॉफ्ट वेयर अपलोड है जिसमें किसी भी प्रकार की तकनीकी त्रुटि होने पर पटल पर सूचना दर्शित होती। यह भी तर्क किया गया कि ए.टी.एम. मशीन में बड़े बड़े अक्षरों के स्थानीय बैंक अधिकारी के टोलफ्री नंबर उल्लेखित हैं यदि परिवादिनी का संव्यवहार सफल नहीं होता तो निश्चित रूप से टोलफ्री नंबर पर फोन कर शिकायत दर्ज करती जैसा कि परिवादिनी द्वारा नहीं किया गया। जिला फोरम द्वारा उक्त समस्त तथ्यों को अनदेखा कर गंभीर त्रुटि की है। अपील स्वीकार कर आलोच्य आदेश निरस्त किए जाने की प्रार्थना की गई।

 

8.            वि.प.क्र.1 के विद्वान अधिवक्ता श्री एन.के.श्रीवास्तव द्वारा मुख्यतः यह तर्क किया गया कि परिवादिनी द्वारा विवादित ए.टी.एम. संव्यवहार वि.प. क्र.2 के ए.टी.एम. से किया गया था। वि.प. द्वारा परिवादिनी के प्रति सेवा में निम्नता नहीं की गई। जिला फोरम द्वारा इस तथ्य को विनिश्चित करने में त्रुटि की है कि ए.टी.एम. मशीन की जेपी लॉग रिपोर्ट के अनुसार परिवादिनी का कथित संव्यवहार सफल था। जिला फोरम द्वारा टाइम टेस्टेड मशीन की कार्यप्रणाली पर बिना किसी ठोस आधार के उसकी प्रमाणिकता पर प्रश्नचिन्ह लगाकर विधिक त्रुटि की है। अपील स्वीकार कर आलोच्य आदेश अपास्त करने की प्रार्थना की गई।

 

9.            परिवादिनी के अधिवक्ता श्री संजय डड़सेना द्वारा तर्क किया गया कि जिला फोरम के द्वारा उचित व न्यायसंगत आदेश पारित किया गया है अतः दोनों अपीलें निरस्त कर आदेश का यथावत् रखे जाने की प्रार्थना की गई।

 

10.          हमारे द्वारा परिवादपत्र का परिशीलन किया गया। परिवाद पत्र में   ए.टी.एम. से रू 4,000/- आहरण संव्यवहार का उल्लेख है। परन्तु उक्त संव्यवहार किस दिनांक व किस समय किया गया था, कोई उल्लेख अभिकथित नहीं है। परिवाद पत्र में मात्र यह उल्लेखित है कि दिनांक                 06.11.2012 को स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया, न्यू शांतिनगर शाखा रायपुर को संव्यवहार के संबंध में सूचना दी गई थी। परन्तु परिवादिनी द्वारा अभिलेख में शिकायत पत्र दिनांक 06.11.2012 की प्रति अभिलेख में प्रस्तुत नहीं की गई है। अपितु एक अदिनांकित शिकायतपत्र की प्रति प्रस्तुत की गई है जिसमें शाखा प्रबंधक स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया को संबोधित कर लिखा गया है कि परिवादिनी द्वारा दिनांक 06.11.2012 एवं दिनांक 20.11.2012 को भी कथित आहरण संव्यवहार के संबंध में शिकायत की गई थी परन्तु परिवादिनी द्वारा उक्त अदिनांकित पत्र में भी इस तथ्य का उल्लेख नहीं किया गया है कि परिवादिनी द्वारा कब व किस दिनांक को कथित ए.टी.एम. मशीन में आहरण हेतु ए.टी.एम कार्ड का प्रयोग कर संव्यवहार किया था। परिवादिनी द्वारा अभिलेख में ए.टी.एम. संव्यवहार की स्लिप भी प्रस्तुत नहीं है। जो कि अत्यन्त आवश्यक व महत्वपूर्ण प्रमाणक है। स्लिप में उल्लेखित संव्यवहार पहचान क्रमांक व संव्यवहार की सफलता का कोड प्रमाणित करने व साथ ही संव्यवहार की सफलता की जांच करने हेतु भी आवश्यक है। अतः बिना दिनांक व समय व बिना ए.टी.एम. स्लिप के यह जांच करना असंभव होगा कि परिवादिनी द्वारा आहरण हेतु किया गया संव्यवहार सफल हुआ था या असफल। परिवादिनी द्वारा बैंकिंग लोकपाल को दिनांक 29.11.2012 को लिखे गए पत्र में उल्‍लेखानुसार परिवादिनी द्वारा आई.डी.बी.आई. बैंक के ए.टी.एम. से रू 4,000/- आहरण करने हेतु दिनांक 05.11.2012 को दोपहर 1 से 2 बजे के बीच संव्यवहार किया था, जो कि असफल रहा। परिवादिनी द्वारा अपनी पासबुक की छाया प्रति प्रस्तुत की गई है जिसके अनुसार दिनांक 05.11.2012 को 4,000/- उसके खाते में डेबिट हुए थे एवं प्रविष्टि में ATM 23101 27.INDIRA VYAVSAIK PARI RAIPU Debit 4000.00 Balance 9100.00 उल्लेखित है। वि.प. क्र.2 द्वारा ए.टी.एम. जेपी रोल की प्रतिवेदन की प्रति प्रस्तुत की गई है, जिसके अनुसार दिनांक 05.11.2012 को 13:50:59 में कार्ड नं. 6220180723700187120 के द्वारा 4000/- की आहरण संव्यवहार सफल हुआ था।  हमारे द्वारा परिवादिनी द्वारा प्रस्तुत प्रारूपिक शिकायत विवरण से परिवादिनी का खाता क्रमांक व ए.टी.एम. का क्रमांक से जेपी लॉग का मिलान किया गया। परिवादिनी द्वारा परिवाद पत्र में ए.टी.एम. कार्ड नं. का उल्लेख नहीं किया गया है। अतः शिकायत विवरण के अनुसार हम यह सुनिश्चित कर पा रहे हैं कि जेपी लॉग रिपोर्ट के अनुसार परिवादिनी द्वारा किया गया संव्यवहार सफल था, जो कि निम्नानुसार हैः-

IDB4902_05112012-9443.txt

[0r(1)2[000p[040qe1w3h162[0r(1)2[000p[040qe1w3h162   05/11/12 

13:50:59 IDB4902 CARD NO: 6220180723700187120

9443 WITHDRAWAL SAVINGS

FR A/C

4000.00 RESP NO:0

 

                उपरोक्तानुसार RESP NO:0 है, जिसका अर्थ है कि संव्यवहार सफल था। जेपी. रोल व पासबुक के परिशीलन पश्चात् हम यह पाते हैं कि परिवादिनी द्वारा कथित आरहण संव्यवहार सफल था व परिवादिनी को 4,000/- रकम प्राप्त हो चुकी थी। परिवादिनी सम्यक साक्ष्य प्रस्तुत कर इस तथ्य को प्रमाणित करने में असफल रही है कि उसे 4,000/- रकम  ए.टी.एम. से प्राप्त नहीं हुए थे न ही उक्त दस्तावेजों के खण्डन में कोई साक्ष्य परिवादिनी द्वारा प्रस्तुत किए गए हैं।

 

11.          उपरोक्तानुसार प्रकरण के तथ्यों पर विचारविमर्श के उपरांत व दस्तावेजों के अध्ययन पश्चात् हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि दोनों ही वि.प.गणों द्वारा प्रस्तुत अपीलें उचित हैं। अतः स्वीकार की जाती है व जिला फोरम द्वारा पारित आलोच्य आदेश त्रुटिपूर्ण होने से अपास्त किया जाता है एवं परिणामस्वरूप परिवाद निरस्त की जाती है। अपील व्यय के संबंध में कोई आदेश नहीं किया जा रहा है।

 

 

(न्यायमूर्ति आर. एस. शर्मा)          (सुश्री हीना ठक्कर)           (डी. के. पोद्दार)

       अध्यक्ष                        सदस्या                    सदस्य

         /02/2015                                 /02/2015                         /02/2015

 
 
[HONABLE MR. JUSTICE R.S.Sharma]
PRESIDENT
 
[HONABLE MS. Heena Thakkar]
MEMBER
 
[HONABLE MR. Dharmendra Kumar Poddar]
MEMBER

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