Uttar Pradesh

StateCommission

A/2679/2016

N I C Ltd - Complainant(s)

Versus

Smt. Reena Begum - Opp.Party(s)

Neeraj Paliwal

25 Feb 2019

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2679/2016
( Date of Filing : 26 Oct 2016 )
(Arisen out of Order Dated 23/09/2016 in Case No. C/30/2014 of District Mainpuri)
 
1. N I C Ltd
Kshetriya Kryalay Jeevan Bhawan IInd Tal Nawal IKishor Road Hazaratganj Lucknow
...........Appellant(s)
Versus
1. Smt. Reena Begum
W/O Sri Mukim Niwasi Ghirora Tahsil and Distt. Mainpuri
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 25 Feb 2019
Final Order / Judgement

                                                  (मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

 

अपील सं0- 2679/2016

 

(जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, मैनपुरी द्वारा परिवाद सं0- 30/2014 में पारित आदेश दि0 23.09.2016 के विरूद्ध)

  1. नेशनल इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लि0 द्वारा उप प्रबंधक नेशनल इंश्‍योरेंस कं0लि0, क्षेत्रीय कार्यालय, जीवन भवन, द्वितीय तल नवल किशोर रोड, हजरतगंज लखनऊ।
  2. नेशनल इंश्‍योरेंस कं0लि0, स्‍टेशन रोड, मैनपुरी।                                                  

                                            .......अपीलार्थीगण

                       बनाम

  1. श्रीमती रीना बेगम पत्‍नी मुकीम, निवासी घिरोर, तहसील व जिला मैनपुरी (जागृति महिला समिति कन्‍ट्रोलर)।
  2. बैंक ऑफ इंडिया घिरोर, मैनपुरी।

                                              ..........प्रत्‍यर्थीगण

समक्ष:-   

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष। 

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित    : श्री नीरज पॉलीवाल,                                        

                                 विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी सं0- 1 की ओर से उपस्थित  : श्री अखिलेश त्रिवेदी,

                                 विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी सं0- 2 की ओर से उपस्थित  : कोई नहीं।

दिनांक:-  25.02.2019

                                                         

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष  द्वारा उद्घोषित                                                   

निर्णय

 

          परिवाद सं0- 30/2014 श्रीमती रीना बेगम बनाम नेशनल इंश्‍योरेंस कं0लि0 व एक अन्‍य में जिला फोरम, मैनपुरी द्वारा पारित निर्णय और आदेश दि0 23.09.2016 के विरुद्ध यह अपील धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत राज्‍य आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गई है।

          जिला फोरम ने आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा परिवाद स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

          ‘’परिवादिनी द्वारा प्रस्‍तुत परिवाद पत्र स्‍वीकार किया जाता है तथा विपक्षी सं0- 1 नेशनल इंश्‍योरेंस कं0लि0 को आदेशि‍त किया जाता है कि वह परिवादिनी को वाहन की मरम्‍मत में खर्च हुई धनराशि रू0 60,000/- (रू0 साठ हजार मात्र) मय 09 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज, जो परिवाद प्रस्‍तुत करने की दिनांक 07/03/2014 से अन्तिम भुगतान की दिनांक तक देय होगा, एक माह के अन्‍दर अदा करें।

          विपक्षी बीमा कम्‍पनी को यह भी आदेशित किया जाता है कि वह परिवादिनी को मानसिक कष्‍ट की मद में रू0 5,000/- व वाद व्‍यय के मद में रू0 5,000/- भी अदा करें तथा परिवाद विपक्षी सं0- 2 के विरुद्ध निरस्‍त किया जाता है।‘’

          जिला फोरम के उपरोक्‍त निर्णय और आदेश से क्षुब्‍ध होकर परिवाद के विपक्षी नेशनल इंश्‍योरेंस कं0लि0 ने यह अपील प्रस्‍तुत की है।      

          अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थीगण की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री नीरज पॉलीवाल और प्रत्‍यथी सं0- 1 की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री अखिलेश त्रिवेदी उपस्थित आये हैं। प्रत्‍यर्थी सं0- 2 की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।

          मैंने अपीलार्थीगण और प्रत्‍यर्थी सं0- 1 के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय व आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।   

          अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है कि उसका वाहन सं0- यू0पी0 84टी/1124 अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी से बीमाकृत था और बीमा अवधि में दुर्घटनाग्रस्‍त हो गया। तदोपरांत दुर्घटनाग्रस्‍त वाहन का सर्वे अपीलार्थी/बीमा कम्‍पनी द्वारा कराया गया और प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा वाहन की मरम्‍मत हेतु एस्‍टीमेट प्राप्‍त किया गया। परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी का कथन है कि वाहन की मरम्‍मत का आगणन एस्‍टीमेट 65,000/-रू0 प्राप्‍त हुआ, जिस पर अपीलार्थी/बीमा कम्‍पनी द्वारा उसे वाहन ठीक कराने हेतु कहा गया और मरम्‍मत में हुए व्‍यय को बाद में अदा करने को कहा गया तब उसने अपने वाहन की मरम्‍मत अपने खर्चे पर करायी, परन्‍तु अपीलार्थी/बीमा कम्‍पनी ने उसे मरम्‍मत की धनराशि अदा नहीं की। अत: प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत कर मरम्‍मत में हुए व्‍यय की धनराशि 65,000/-रू0 एवं मानसिक कष्‍ट हेतु क्षतिपूर्ति की मांग की है।

          जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी की ओर से लिखित कथन प्रस्‍तुत किया गया है और कहा गया है कि प्रश्‍नगत वाहन का रजिस्‍ट्रेशन ट्रांसपोर्ट व्‍हकिल के रूप में किया गया था। लिखित कथन में अपीलार्थी/बीमा कम्‍पनी की ओर से कहा गया है कि वाहन की मरम्‍मत के कागजात उसे प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने उपलब्‍ध नहीं कराया है। इस कारण 65,000/-रू0 वाहन की मरम्‍मत में व्‍यय होना नहीं पाया जाता है।

          लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी की ओर से कहा गया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के प्रश्‍नगत वाहन की हुई क्षति का आंकलन सर्वेयर द्वारा किया गया है। प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा वाहन में काल्‍पनिक तरीके से अधिक नुकसान होना बताया गया है। लिखित कथन में कहा गया है कि अपीलार्थी/बीमा कम्‍पनी के सर्वेयर द्वारा वाहन में हुई क्षति का आंकलन 22,663/-रू0 किया गया है। लिखित कथन में यह भी कहा गया है कि चालक का वैध ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था। लिखित कथन में यह भी कहा गया है कि परिवाद काल बाधित है।

          जिला फोरम ने उभयपक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों पर विचार करने के उपरांत यह माना है कि प्रश्‍नगत वाहन अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी से संगत अवधि में बीमाकृत था और प्रश्‍नगत दुर्घटना के समय वाहन चालक के पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस था। जिला फोरम ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत वाहन मरम्‍मत की रसीद के आधार पर यह माना है कि वाहन की मरम्‍मत में 64,545/-रू0 व्‍यय हुआ है। अत: जिला फोरम ने डेप्रीसिएशन की धनराशि काटने के बाद 60,000/-रू0 प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को वाहन की मरम्‍मत हेतु दिलाया जाना उचित माना है। इसके साथ ही जिला फोरम ने 5,000/-रू0 मानसिक कष्‍ट हेतु क्षतिपूर्ति और 5,000/-रू0 वाद व्‍यय हेतु प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को दिलाया है और तदनुसार उपरोक्‍त प्रकार से आदेश पारित किया है।

          अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम ने सर्वेयर आख्‍या पर विश्‍वास न कर और प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा प्रस्‍तुत वाहन की मरम्‍मत की रसीदों पर विश्‍वास कर गलती की है। अत: जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश संशोधित करते हुए सर्वेयर द्वारा आंकलित क्षतिपूर्ति की धनराशि दिलायी जाए।

          प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश उचित और आधार युक्‍त है। प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने वाहन की मरम्‍मत में हुए व्‍यय की वास्‍तविक रसीद प्रस्‍तुत की है, जिसे जाली या फर्जी अपीलार्थी ने जिला फोरम के समक्ष नहीं बताया है। अत: वाहन की मरम्‍मत की वास्‍तविक रसीदों पर विश्‍वास कर जिला फोरम ने कोई गलती नहीं की है। अत: अपील बल रहित है और निरस्‍त होने योग्‍य है।

          मैंने अपीलार्थीगण और प्रत्‍यर्थी सं0- 1 के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क पर विचार किया है।

          अपीलार्थी/बीमा कम्‍पनी के सर्वेयर द्वारा प्रश्‍नगत वाहन की क्षतिपूर्ति का आंकलन करते हुए क्षतिपूर्ति की धनराशि 22,663.75/-रू0 निर्धारित की गई है, परन्‍तु प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने वाहन की मरम्‍मत में व्‍यय हेतु अदा की गई वास्‍तविक धनराशि की रसीद प्रस्‍तुत की है, जिसे अपीलार्थी/बीमा कम्‍पनी ने जिला फोरम के समक्ष गलत या कूट रचित साबित नहीं किया है। अत: वाहन की मरम्‍मत हेतु किये गये वास्‍तविक भुगतान की रसीदों पर जिला फोरम ने विश्‍वास कर कोई गलती नहीं की है। अत: जिला फोरम ने वाहन की मरम्‍मत हेतु जो 60,000/-रू0 क्षतिपूर्ति प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को दिलाया है वह उचित है।

          जिला फोरम ने इस धनराशि पर 09 प्रतिशत वार्षिक की दर से परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक ब्‍याज दिया है। मेरी राय में यह ब्‍याज दर उचित प्रतीत होती है इसमें किसी हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है, परन्‍तु जिला फोरम ने जो 5,000/-रू0 मानसिक कष्‍ट हेतु क्षतिपूर्ति प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को दिलाया है वह उचित नहीं है, क्‍योंकि वाहन की मरम्‍मत में हुए व्‍यय की धनराशि पर प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को ब्‍याज दिया जा रहा है। अत: मानसिक कष्‍ट हेतु जिला फोरम द्वारा प्रदान की गई यह धनराशि अपास्‍त किये जाने योग्‍य है।

          जिला फोरम ने जो 5,000/-रू0 वाद व्‍यय प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को दिया है वह उचित है, उसमें किसी हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है।

          उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। जिला फोरम ने जो 5,000/-रू0 मानसिक कष्‍ट हेतु क्षतिपूर्ति प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को दिया है उसे अपास्‍त किया जाता है।

          जिला फोरम के निर्णय और आदेश का शेष अंश यथावत कायम रहेगा।

          अपील में उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

            अपील में धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत जमा धनराशि 25,000/-रू0 अर्जित ब्‍याज सहित इस निर्णय के अनुसार निस्‍तारण हेतु जिला फोरम को प्रेषित की जायेगी।

                  

                (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)                                                       

                                    अध्‍यक्ष                                                 

 

शेर सिंह आशु0,

कोर्ट नं0-1

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

                           

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT

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