Uttar Pradesh

StateCommission

A/1146/2022

National Insurance Co. Ltd - Complainant(s)

Versus

Smt. Ramraja and another - Opp.Party(s)

Ashok Kumar Rai

16 Aug 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1146/2022
( Date of Filing : 31 Oct 2022 )
(Arisen out of Order Dated 09/09/2022 in Case No. Complaint Case No. CC/31/2018 of District Rae Bareli)
 
1. National Insurance Co. Ltd
Lucknow
...........Appellant(s)
Versus
1. Smt. Ramraja and another
Lucknow
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 16 Aug 2024
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-1146/2022

नेशनल इंश्‍योरेस कम्‍पनी लिमिटेड, लखनऊ क्षेत्रीय कार्यालय, 5वीं मंजिल, रीजेंसी प्‍लाजा, पार्क रोड, हजरतगंज, लखनऊ द्वारा डिप्‍टी मैनेजर

बनाम

श्रीमती रमराजा पत्‍नी कंधई, निवासी ग्राम पूरेबृजवासी मजरे कोडरस परगना व तहसील सदर जिला रायबरेली व अन्‍य

दिनांक:-21.8.2024

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील इस न्‍यायालय के सम्‍मुख जिला उपभोक्‍ता आयोग, रायबरेली द्वारा परिवाद संख्‍या-31/2018 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 09.9.2022 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी है।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍य पर विस्‍तार से विचार करने के उपरांत परिवाद को आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

"परिवादिनी श्रीमती रमराजा की ओर से दाखिल परिवाद विपक्षी सं0-1 व 3 के विरूद्ध आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है और विपक्षी सं0-1 व 3 को आदेश दिया जाता है कि वह इस निर्णय की तिथि से 45 दिन के अन्दर परिवादिनी को बीमा क्लेम के रूप में 45,000/-रू0 अदा करे। यदि विपक्षी सं0-1 व 3 दी गई समय सीमा के अन्दर परिवादिनी को उक्त धनराशि अदा नहीं करते है तो परिवादिनी उक्त बीमा की धनराशि पर 07 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज की दर से निर्णय के 45 दिन बाद से ब्याज पाने की अधिकारिणी होगी।

 

-2-

विपक्षी सं0-1 व 3 को यह भी आदेश दिया जाता है कि वह परिवादिनी को वाद व्यय के मद में 2,000/-रू0 उपरोक्त समय सीमा के अन्तर्गत अदा करें।

परिवादिनी का परिवाद अन्य अनुतोष के बावत निरस्त किया जाता है।"

जिला उपभोक्‍ता आयोग के प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश से क्षुब्‍ध होकर अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी की ओर से प्रस्‍तुत अपील योजित की गई है।

मेरे द्वारा अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता श्री अशोक कुमार राय को सुना गया तथा जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश का सम्‍यक परिशीलन एवं परीक्षण किया गया।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा वर्ष-2017 में सभी आवश्यक शर्त पूरी कर दो भैंसे खरीदी गई थी ताकि उसका गुजर बसर हो सके। प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी की एक भैंस संयोगवस दिनांक 10-11-2017 को रात में समय लगभग 11.30 पी.एम. पर सर्प के काट लेने से मर गई, जिसकी सूचना विधिवत सबको दी गई। उक्त भैंस के कान में जो टैग लगा था, जिसका नम्बर एन.आई.सी.-22861 था। प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी की भैंस का पोस्टमार्टम पशु चिकित्साधिकारी अमांवा जिला रायबरेली द्वारा किया गया एवं पोस्‍टमार्टम रिपोर्ट दिनांक 11-11-2017 को विपक्षी सं०-3 को विधिवत् दी गई। उक्त सम्बन्ध में समस्त कार्यवाही विधिवत् हुई और प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को आश्वासन मिला कि उसे शीघ्र बीमा धनराशि मिल जायेगी। परन्‍तु प्रत्‍यर्थी/परिदादिनी कोई बीमा

-3-

धनराशि प्राप्‍त नहीं हुई, जिससे प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को काफी शारीरिक व मानसिक कष्ट भी हुआ और बैंक का कर्ज भी अदा नहीं हो पाया। प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को काफी दिन पश्‍चात माह मार्च, 2018 में एक पत्र अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1 का प्राप्त हुआ जिसमें लिखा था कि सत्यापन के समय भैंस के कान में लगा हुआ टैग नम्बर एन.आई.सी. 22861 नहीं पाया गया, इसलिए प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी का दावा निरस्त कर दिया गया है। अत्एव क्षुब्‍ध होकर परिवाद जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रस्‍तुत किया गया।

मेरे द्वारा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता के कथनों को सुना गया तथा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त अभिलेखों के परिशीलनोंपरांत यह पाया गया कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश विधि सम्‍मत है, परन्‍तु जहॉ तक विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा अपने प्रश्‍नगत आदेश में अपीलार्थी/बीमा कम्‍पनी के विरूद्ध प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को 45 दिन के अन्‍दर बीमा क्‍लेम की धनराशि का भुगतान न करने की दशा में बीमा की धनराशि पर 07 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज अदा करने हेतु आदेशित किया गया है, वह वाद के सम्‍पूर्ण तथ्‍यों एवं परिस्थितियों तथा अपीलार्थी के अधिवक्‍ता के कथन को दृष्टिगत रखते हुए अनुचित प्रतीत हो रही है, तद्नुसार 07 (सात) प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज की देयता को समाप्‍त किया जाना उचित पाया जाता है। प्रस्‍तुत अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। निर्णय/आदेश का शेष भाग यथावत कायम रहेगा।

-4-

अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी को आदेशित किया जाता है कि वह उपरोक्‍त आदेश का अनुपालन 06 (छ:) सप्‍ताह की अवधि में किया जाना सुनिश्चित करें। अंतरिम आदेश यदि कोई पारित हो, तो उसे समाप्‍त किया जाता है।

प्रस्‍तुत अपील को योजित करते समय यदि कोई धनराशि अपीलार्थी द्वारा जमा की गयी हो, तो उक्‍त जमा धनराशि मय अर्जित ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला उपभोक्‍ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

     आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

                                       

(न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                             

                                           अध्‍यक्ष                                                                                                                

हरीश आशु.,

कोर्ट नं0-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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