राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील सं0-७५५/२०१५
(जिला मंच, मेरठ द्वारा परिवाद वाद सं0-४६/२०११ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक १७-१०-२०१४ के विरूद्ध)
१. मै0 अन्सल हाउसिंग एण्ड कन्स्ट्रक्शन लि0, १५ यू.जी.एफ., इन्द्र प्रकाश, २१ बारहखम्भा रोड, नई दिल्ली।
२. मै0 अन्सल हाउसिंग एण्ड कन्स्ट्रक्शन लि0, निकट जटोली फाटक, बाईपास रोड, मेरठ।
उपरोक्त दोनों अपीलार्थीगण द्वारा सीनियर मैनेजर (मार्केटिंग), कार्यालय अन्सल हाउसिंग एण्ड कन्स्ट्रक्शन लि0, आर-२०७, नेहरू एन्क्लेव, गोमती नगर।
........... अपीलार्थीगण/विपक्षीगण।
बनाम
श्रीमती राजेश मलिक पत्नी स्व0 कर्नल(रिटायर्ड), ए0पी0 मलिक, निवासी-२/४१, श्रद्धापुरी फेज-प्रथम, मेरठ। ........... प्रत्यर्थी/परिवादिनी।
समक्ष:-
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री वी0एस0 बिसारिया विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री विकास अग्रवाल विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक :- ०९-१०-२०१५.
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, जिला मंच, मेरठ द्वारा परिवाद वाद सं0-४६/२०११ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक १७-१०-२०१४ के विरूद्ध योजित की गयी है।
संक्षप में तथ्य इस प्रकार हैं कि अपीलार्थीगण ने फ्लैट सं0 ए.जी.एफ.-०६ क्षेत्रफल ११२६ वर्ग फीट श्रीमती विनोद शर्मा एवं श्रीमती अन्नू गुप्ता को आबंटन पत्र दिनांकित ०७-०९-२००७ द्वारा आबंटित किया था। इस फ्लैट की कीमत १५,७६,४००/- रू० निर्धारित की। हस्तान्तरण पत्र दिनांकित ०५-११-२००७ द्वारा यह फ्लैट मूल आबंटीगण द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादिनी को हस्तान्तरित किया गया। प्रत्यर्थी/परिवादिनी के कथनानुसार उसने पक्षकारों के मध्य निष्पादित संविदा की शर्तों के अनुसार समय-समय पर धनराशि जमा की। अपीलार्थीगण द्वारा प्रथम तल पर बालकनी के नीचे कुछ लोहे के पाइप व ईंटों से कवर करके कमरों के सामने लगभग १३० वर्गफीट जगह घेरकर उसकी कीमत अंकन १४००/- रू० प्रति वर्ग फीट के हिसाब से अंकन १,८२,०००/- रू० प्रत्यर्थी/परिवादिनी से लिए गये। इस घेरी गयी सम्पत्ति से आबंटी के मकान के अन्दर बहर आने-जाने में रूकावट पैदा होगी तथा आपातकाल
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में ग्राउण्ड फ्लोर से बाहर जाने का रास्ता रोका गया है। प्रत्यर्थी/परिवादिनी का यह भी कथन है कि उस छोटे से काम का १,८२,०००/- रू० का अतिरिक्त भार पड़ा। उक्त घेरी गयी जगह मेरठ विकास प्राधिकरण से बिना पास कराये बनायी गयी है, जो अवैध है, जिसकी कीमत प्राप्त करने के लिए अपीलार्थीगण अधिकारी नहीं हैं। उक्त फ्लैट के सम्बन्ध में प्रत्यर्थी/परिवादिनी १७,११,९२८/- रू० अपीलार्थीगण को अदा कर चुकी है, जबकि वास्तविक कीमत १५,७६,४००/- रू० है। इस प्रकार प्रत्यर्थी/परिवादिनी से १,३५,५२८/- रू० अधिक लिए जा चुके हैं। सम्पूर्ण कीमत प्राप्त करने के बाबजूद भी प्रश्नगत फ्लैट का कब्जा अपीलार्थीगण द्वारा उसे नहीं दिया गया। अत: प्रत्यर्थी/परिवादिनी ने अपीलार्थीगण के विरूद्ध जिला मंच में प्रश्नगत परिवाद योजित करते हुए अनुतोष चाहा कि अपीलार्थीगण से अधिक जमा धनराशि १,३५,५२८/- रू० एवं कब्जे तक समस्त जमा धनराशि पर २१ प्रतिशत ब्याज दिलाया जाये। साथ ही मानसिक एवं शारीरिक प्रताड़ना के सम्बन्ध में क्षतिपूर्ति करायी जाये।
अपीलार्थीगण के कथनानुसार प्रत्यर्थी/परिवादिनी को आवेदन के समय ही अवगत करा दिया गया था कि यूनिट के क्षेत्रफल में घट अथवा बढ़त हो सकती है। प्रत्यर्थी/परिवादिनी को आबंटित क्षेत्रफल में १३० वर्ग फीट की बढ़ोत्तरी हुई। अत: प्रत्यर्थी/परिवादिनी को १४००/- रू० वर्गफीट के हिसाब से १,८२,०००/- रू० की धनराशि अदा करनी है। प्रत्यर्थी/परिवादिनी द्वारा कुल १७,१५,४२८/- रू० अदा किया गया है तथा उसके द्वारा १,६५,६९९/- रू० अभी तक जमा नहीं किया गया है। उससे उपरोक्त अवशेष धनराशि की मांग की गयी, किन्तु उसने कोई ध्यान नहीं दिया।
विद्वान जिला मंच ने प्रत्यर्थी/परिवादिनी का परिवाद स्वीकार करते हुए अपीलार्थीगण के विरूद्ध निम्नलिखित आदेश पारित किया :-
‘’ परिवादिनी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध स्वीकृत किया जाता है।
विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि परिवादिनी को उसके द्वारा अधिक जमा की गयी धनराशि अंकन-१,३९,०२८/- रूपये (रूपया एक लाख उनतालीस हजार अठ्ठाईस मात्र) दौरान परिवाद तावक्त बसूलयाबी आठ प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित एवं कथित फ्लैट की कीमत की मद में जमा की गयी धनराशि अंकन-१५,७६,४००/- रूपये (रूपया पन्द्रह लाख छिहत्तर हजार चार सौ मात्र) पर प्रस्तुत परिवाद योजित करने की तिथि से कब्जे की तिथि तक आठ प्रतिशत
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ब्याज एक माह में अदा करें, इसके अतिरिक्त विपक्षीगण परिवादिनी को चार हजार रूपये परिवाद व्यय अदा करे। ‘’
जिला मंच के इस आदेश से क्षुब्ध होकर अपीलार्थीगण द्वारा यह अपील योजित की गयी है।
मैने अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री वी0एस0 बिसारिया तथा प्रत्यर्थी/परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता श्री विकास अग्रवाल के तर्क विस्तारपूर्वक सुने तथा पत्रावली का भलीभांति परिशीलन किया। पक्षकारों द्वारा लिखित तर्क भी प्रस्तुत किये गये हैं।
अपीलार्थीगण द्वारा यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि फ्लैट आबंटन के सम्बन्ध में पक्षकारों के मध्य हुई संविदा की शर्तों के अनुसार आबंटित क्षेत्रफल के सम्बन्ध में घट अथवा बढ़त हो सकती है। प्रत्यर्थी/परिवादिनी को आबंटित फ्लैट के क्षेत्रफल में १३० वर्गफीट जगह की बढ़ोत्तरी हुई। अपीलार्थीगण द्वरा इस बढ़े हुए क्षेत्रफल का ही मूल्य निर्धारित दर १४००/- रू० रू० प्रति वर्ग फीट के हिसाब से अतिरिक्त मूल्य धनराशि १,८२,०००/- रू० की मांग की गयी, जिसे पक्षकारों के मध्य हुई संविदा के अन्तर्गत अपीलार्थीगण, प्रत्यर्थी/परिवादिनी से प्राप्त करने के अधिकारी हैं। प्रत्यर्थी/परिवादिनी ने प्रश्नगत फ्लैट से सम्बन्धित समस्त धनराशि अदा नहीं की। उस पर १,६५,६९९/- रू० बकाया था। प्रत्यर्थी/परिवादिनी को पत्र दिनांकित ०७-०४-२०१० द्वारा प्रश्नगत फ्लैट का कब्जा बकाया समस्त धनराशि अदा करके प्राप्त करने का प्रस्ताव भी दिया गया, किन्तु उसने समस्त बकाया धनराशि की अदायगी नहीं की। अत: अपीलार्थीगण द्वारा सेवा में कोई त्रुटि नहीं की गयी है। अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि विद्वान जिला मंच ने इस तथ्य पर ध्यान नहीं देते हुए कि प्रत्यर्थी/परिवादिनी ने समस्त बकाया धनराशि की अदायगी नहीं की है, उसके द्वारा जमा की गयी धनराशि १५,७६,४००/- रू० पर ब्याज अदा करने हेतु आदेशित करके त्रुटि की है। उनके द्वारा यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि प्रश्नगत मामले में फ्लैट के मूल्य का विवाद निहित है, जिसकी सुनवाई का क्षेत्राधिकार उपभोक्ता फोरम को नहीं प्राप्त है।
प्रत्यर्थी/परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि प्रस्तुत अपील कालबाधित है। उनके द्वारा यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि प्रत्यर्थी/परिवादिनी ने प्रश्नगत फ्लैट का निर्धारित मूल्य १५,७६,४००/- रू० अपीलार्थीगण को अदा कर दिया है। इसके बाबजूद अपीलार्थीगण ने उसे प्रश्नगत फ्लैट का कब्जा न देकर सेवा में त्रुटि की है। उनके द्वारा
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यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि पक्षकारों के मध्य हुई संविदा के विपरीत १३० वर्ग फीट कथित बढ़े हुए क्षेत्रफल का मूल्य १,८२,०००/- रू० अपीलार्थीगण मांग रहे हैं। इस कथित निर्माण की कोई अनुमति मेरठ विकास प्राधिकरण से अपीलार्थीगण द्वारा नहीं ली गयी। कथित अवैध निर्माण द्वारा घेरी गयी सम्पत्ति से आबंटी के मकान के अन्दर से बाहर आने-जाने में रूकावट पैदा होगी तथा आपातकाल में अन्दर से बाहर जाने का रास्ता रूक जायेगा।
यह तथ्य निर्विवाद है कि प्रश्नगत फ्लैट का आबंटन पत्र के अनुसार मूल रूप से क्षेत्रफल ११२६ वर्ग फीट निर्धारित किया गया था तथा इसका मूल्य १,४००/- रू० प्रति वर्ग फीट के हिसाब से १५,७६,४००/- रू० निर्धारित था। अपीलार्थीगण का कथन है कि प्रत्यर्थी/परिवादिनी द्वारा अब तक कुल १७,१५,९२८/- रू० की अदायगी की जा चुकी है। अपीलार्थीगण का यह भी कथन है कि संविदा की शर्तों के अनुसार प्रश्नगत फ्लैट के क्षेत्रफल में १३० वर्ग फीट की सम्पत्ति की वृद्धि के कारण १४००/- रू० प्रति वर्ग फीट की दर से प्रत्यर्थी/परिवादिनी अतिरिक्त धनराशि १,८२,०००/- रू० अदा करने के लिए उत्तरदायी है, जबकि उसने इस तथ्य से इन्कार किया है। ऐसी परिस्थिति में पक्षकारों के मध्यम प्रश्नगत फ्लैट के आबंटन के सम्बन्ध में निष्पादित संविदा का अवलोकन करना महत्वपूर्ण होगा। अपीलार्थीगण ने अपील के साथ आबंटन पत्र एवं उसकी शर्तें दाखिल की हैं, जिसमें शर्त सं0-१६ निम्नवत् अंकित है :-
“The allotment of the Residential Unit is provisional. The layout plans in respect of the said Group Housing/residential Unit are duly approved. However, if for any reason, layout plans are sought to be modified/amended either by the Developer or by the Sanctioning Authority or structural Engineers resulting in the change including (decrease/increase) in the area of the Residential Unit, change in the location of the Residential Unit, change in the number of the Residential Unit, change in the boundaries, no claim monetary or otherwise will be raised by the Allottee(s) or accepted by the Developer except that the aforementioned rate will be applicable on the changed area of the residential Unit for the purpose of determination of the amount to be realized or refunded as the case may be.
However, in case of any major alteration/modification resulting in more than 10% change in the area of the Unit any time prior to or upon the grant of completion/occupation certificate, the Developer shall intimate to the Allottee(s) in writing the changes thereof and the resultant change, if any, in the price of the Unit to be paid by him/her and the Allottee(s) agrees to inform the Developer in writing his/her consent or objections to the changes within thirty (30) days from the date of such notice failing which the allottee(s) shall be deemed to have accepted the changes. The Alottee(s) agrees to pay the above mentioned price for any increase in area up to 10% and previling market rate for any increase more than 10% in the area of the Unit within
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30 days of the receipt of information and demane by the Developer. If the Allottee(s) writes to the Develper within thirth (30) days of intimation by the Developer indicating his non-consent/objections to such alterations/modifications then the Developer shall try and accommodate the Allottee(s) at an alternate location.
इस प्रकार संविदा की इस शर्त के अनुसार सम्बन्धित फ्लैट में ऐसा परिवर्तन अथवा संशोधन, जिससे १० प्रतिशत से अधिक क्षेत्रफल परिवर्तित हो रहा है, के लिए डेवलपर (अपीलार्थीगण) द्वारा आबंटी को लिखित रूप से सूचित करना होगा तथा यदि ऐसे परिवर्तन से फ्लैट की कीमत, जिसका अतिरिक्त भुगतान आबंटी द्वारा किया जाना है, उसकी सूचना आबंटी को देनी होगी तथा ऐसी सूचना प्राप्त होने के ३० दिन के अन्दर आबंटी को अपनी सहमति अथवा आपत्ति डेवलपर को लिखित रूप से सूचित करनी होगी अन्यथा यह माना जायेगा कि आबंटी ने प्रस्तावित परिवर्तन को स्वीकार किया है। यदि ३० दिन के अन्दर आबंटी डेवलपर को प्रस्तावित परिवर्तन के सम्बन्ध में अपनी असहमति/आपत्ति सूचित करता है तब डेवलपर आबंटी को वैकल्पिक स्थल (लोकेशन) पर समायोजित करेगा।
जहॉं तक प्रस्तुत मामले का प्रश्न है, निर्विवाद रूप से प्रतर्थी/परिवादिनी को आबंटित फ्लैट का कुल क्षेत्रफल ११२६ वर्ग फीट था। अपीलार्थीगण द्वारा १३० वर्ग फीट अतिरिक्त निर्माण बताते हुए अतिरिक्त धनराशि १,८२,०००/- रू० की मांग की जा रही है, जो फ्लैट के कुल क्षेत्रफल के १० प्रतिश्त से अधिक है। ऐसी परिस्थिति में पक्षकारों के मध्य निष्पादित संविदा की उपरोक्त शर्त के आलोक में अपीलार्थीगण के लिए यह आवश्यक था कि वे प्रत्यर्थी/परिवादिनी को कथित परिवर्तन/संशोधन की लिखित रूप से सूचना भेजते तथा उससे लिखित सहमति प्राप्त करते, किन्तु अपीलार्थीगण का यह कथन नहीं कि कथित अतिरिक्त निर्माण से पूर्व प्रत्यर्थी/परिवादिनी को लिखित रूप से कोई सूचना भेजी गयी एवं उससे सहमति प्राप्त की गयी। अत: प्रत्यर्थी/परिवादिनी की बिना किसी लिखित सहमति के कथित अतिरिक्त निर्माण के सन्दर्भ में १,८२,०००/- रू० की अतिरिक्त धनराशि की अदायगी की अपीलार्थीगण की मांग संविदा की शर्तों के अनुरूप नहीं मानी जा सकती। तद्नुसार इस धनराशि की अदायगी न किये जाने के आधार पर अपीलार्थीगण का यह कथन कि प्रत्यर्थी/परिवादिनी ने प्रश्नगत फ्लैट से सम्बन्धित समस्त धनराशि की अदायगी नहीं की है, उचित नहीं मानी जा सकती, क्योंकि यह तथ्य निर्विवाद है कि प्रश्नगत फ्लैट का मूल्य आबंटन पत्र के अनुसार १५,७६,४००/- रू० निर्धारित किया गया और अपीलार्थीगण, प्रत्यर्थी/परिवादिनी से कुल १७,१५,४२८/- रू० प्राप्त
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करना अपने प्रतिवाद पत्र में स्वीकार कर रहे हैं। यद्यपि प्रत्यर्थी/परिवादिनी ने अपने परिवाद पत्र में १,३५,५२८/- रू० अपीलार्थीगण को अधिक अदा करना बताया है, किन्तु क्योंकि प्रतिवाद पत्र में अपीलार्थीगण ने प्रत्यर्थी/परिवादिनी द्वारा कुल १७,१५,४२८/- रू० जमा करना बताया है, अत: इसी आधार पर विद्वान जिला मंच ने अधिक जमा की गयी धनराशि १,३९,०२८/- रू० मानी है। अपीलार्थीगण ने अपील मेमो में इस तथ्य का कोई प्रतिकार नहीं किया है। इस धनराशि की प्राप्ति के बाबजूद अपीलार्थीगण द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादिनी को प्रश्नगत फ्लैट का कब्जा न दिया जाना सेवा में त्रुटि माना जायेगा। प्रस्तुत मामले में फ्लैट के मूल्य का कोई विवाद नहीं है, अत: इस सन्दर्भ में अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता के तर्क में कोई बल नहीं है।
उपरोक्त विवेचन से यह स्पष्ट है कि पक्षकारों के मध्य निष्पादित संविदा एवं मामले की परिस्थितियों में अपीलार्थीगण, प्रत्यर्थी/परिवादिनी से अतिरिक्त धनराशि प्राप्त करने के अधिकारी नहीं हैं, अत: विद्वान जिला मंच का यह निष्कर्ष कि अपीलार्थीगण जमा धनराशि १५,७६,४००/- रू० पर परिवाद योजित करने की तिथि से ब्याज प्राप्त करने की अधिकारिणी होगी, त्रुटिपूर्ण नहीं माना जा सकता। विद्वान जिला मंच ने अधिक जमा धनराशि १,३९,०२८/- रू० पर ०८ प्रतिशत ब्याज की अदायगी किये जाने हेतु अपीलार्थीगण को आदेशित किया है, मेरे विचार से ब्याज की यह दर उपयुक्त एवं न्यायोचित है। इस प्रकार अपील में कोई बल नहीं है। तद्नुसार अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है। जिला मंच, मेरठ द्वारा परिवाद वाद सं0-४६/२०११ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक १७-१०-२०१४ की पुष्टि की जाती है।
इस अपील का व्यय-भार पक्षकार अपना-अपना वहन करेंगे।
पक्षकारों को इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
(उदय शंकर अवस्थी)
पीठासीन सदस्य
प्रमोद कुमार,
वैयक्तिक सहायक ग्रेड-१,
कोर्ट नं0-१.