Uttar Pradesh

StateCommission

A/1171/2015

Ansal Housing & Construction Ltd - Complainant(s)

Versus

Smt. Rajesh Malik - Opp.Party(s)

V S Bisaria

22 Sep 2015

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1171/2015
(Arisen out of Order Dated 15/05/2015 in Case No. Ex/06/2015 of District Meerut)
 
1. Ansal Housing & Construction Ltd
Meerut
...........Appellant(s)
Versus
1. Smt. Rajesh Malik
Meerut
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Virendra Singh PRESIDENT
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।                                                                             

                                                                        सुरक्षित

अपील सं0-११७१/२०१५

(जिला मंच, मेरठ द्वारा निष्‍पादन वाद सं0-०६/२०१५ में पारित आदेश दिनांक १५-०५-२०१५ के विरूद्ध)

१. मै0 अन्‍सल हाउसिंग एण्‍ड कन्‍स्‍ट्रक्‍शन लि0, १५ यू.जी.एफ., इन्‍द्र प्रकाश, २१ बारहखम्‍भा रोड, नई दिल्‍ली।

२. मै0 अन्‍सल हाउसिंग एण्‍ड कन्‍स्‍ट्रक्‍शन लि0, निकट जटोली फाटक, बाईपास रोड, मेरठ।

   उपरोक्‍त दोनों अपीलार्थीगण द्वारा सीनियर मैनेजर (मार्केटिंग), कार्यालय अन्‍सल हाउसिंग एण्‍ड कन्‍स्‍ट्रक्‍शन लि0, आर-२०७, नेहरू एन्‍क्‍लेव, गोमती नगर।

                                        ........... अपीलार्थीगण/विपक्षीगण/निर्णीत ऋणी।

बनाम

श्रीमती राजेश मलिक पत्‍नी स्‍व0 कर्नल(रिटायर्ड), ए0पी0 मलिक, निवासी-२/४१, श्रद्धापुरी फेज-प्रथम, मेरठ।                                         ...........प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी/डिक्रीदार।

समक्ष:-

मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य।

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित  : श्री वी0एस0 बिसारिया विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित       : श्री विकास अग्रवाल विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक :-  ०९-१०-२०१५.

 

मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित

 

निर्णय

           प्रस्‍तुत अपील, जिला मंच, मेरठ द्वारा निष्‍पादन वाद सं0-०६/२०१५ में पारित आदेश दिनांक १५-०५-२०१५ के विरूद्ध उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम १९८६ की धारा-२७ (ए) के अन्‍तर्गत योजित की गयी है।

           संक्षप में तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा विद्वान जिला मंच के समक्ष अपीलार्थीगण/विपक्षीगण के विरूद्ध योजित परिवाद सं0-४६/२०११ में विद्वान जिला मंच ने दिनांक १७-१०-२०१४ को पारित आदेश द्वारा अपीलार्थीगण को आदेशित किया कि वे परिवादिनी को उसके द्वारा अधिक जमा की गयी धनराशि अंकन-१,३९,०२८/- रूपये (रूपया एक लाख उनतालीस हजार अठ्ठाईस मात्र) दौरान परिवाद तावक्‍त बसूलयाबी आठ प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित एवं कथित फ्लैट की कीमत की मद में जमा की गयी धनराशि अंकन-१५,७६,४००/- रूपये (रूपया पन्‍द्रह लाख छिहत्‍तर हजार चार सौ मात्र) पर प्रस्‍तुत परिवाद योजित करने की तिथि से कब्‍जे की तिथि तक आठ प्रतिशत ब्‍याज एक माह में अदा करें, इसके अतिरिक्‍त विपक्षीगण परिवादिनी को चार हजार रूपये परिवाद व्‍यय अदा करे।

 

-२-

इस आदेश के अनुपालन हेतु प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने विद्वान जिला मंच के समक्ष निष्‍पादन वाद योजित किया। विद्वान जिला मंच ने उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम १९८६ की धारा-२७ के अन्‍तर्गत कार्यवाही करते हुए दिनांक २५-०५-२०१५ को इस आशय का आदेश पारित किया कि विपक्षीगण को परिवाद सं0-४६/२०११ में पारित आदेश दिनांक १७-१०-२०१४ का क्रियान्‍वयन करने हेतु नोटिस पंजीकृत डाक से दिनांक ०३-०३-२०१५ को जारी किया गया, जो बिना तामील वापस प्राप्‍त नहीं हुआ। ऐसी परिस्थिति में विपक्षीगण पर नोटिस की तामीला पर्याप्‍त होना अवधारित किया गया, किन्‍तु विपक्षीगण उपस्थित नहीं हुए और न ही उनके द्वारा आदेश का अनुपालन किया गया। अत: विपक्षीगण के प्रबन्‍ध निदेशक के विरूद्ध २५,०००/- रू० का जमानती वारण्‍ट दिनांक १९-०६-२०१५ को उनकी उपस्थिति हेतु जारी किया गया। इस आदेश से क्षुब्‍ध होकर अपीलार्थीगण/विपक्षीगण/निर्णीत ऋणी द्वारा यह अपील योजित की गयी है।

           मैंने अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता श्री वी0एस0 बिसारिया तथा प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री विकास अग्रवाल के तर्क विस्‍तारपूर्वक सुने तथा पत्रावली का भलीभांति परिशीलन किया।

           अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि अपीलार्थीगण को सुनवाई का अवसर प्रदान न करते हुए प्रश्‍नगत आदेश विद्वान जिला मंच द्वारा पारित किया गया है। उनके द्वारा यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि विद्वान जिला मंच के लिए यह आवश्‍यक था कि अधिनयम की धारा-२७ के अन्‍तर्गत कार्यवाही करने से पूर्व धारा-२५ के अन्‍तर्गत कार्यवाही करते। उनके द्वारा यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि जमानती वारण्‍ट में किसी व्‍यक्ति का नाम उल्लिखित नहीं है। ऐसी परिस्थिति में प्रश्‍नगत आदेश निरस्‍त किए जाने योग्‍य है।

           जहॉं तक अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क कि विद्वान जिला मंच अधिनयम की धारा-२७ के अन्‍तर्गत कार्यवाही करने से पूर्व धारा-२५ के अन्‍तर्गत कार्यवाही करते, क्‍योंकि धारा २५ एवं धारा-२७ में जिला मंच द्वारा पारित आदेश के क्रियान्‍वयन हेतु अलग-अलग प्रक्रिया निर्धारित की गयी है। ऐसा कोई प्रतिबन्‍ध अधिनियम में नहीं है कि धारा-२७ के अन्‍तर्गत कार्यवाही करने से पूर्व धारा-२५ के अन्‍तर्गत कार्यवाही की जाय, किन्‍तु जहॉं तक धारा-२७ के अन्‍तर्गत कार्यवाही का प्रश्‍न है, इस धारा के अन्‍तर्गत कार्यवाही करने हेतु जिला मंच को

 

-३-

प्रथम श्रेणी मैजिस्‍ट्रेट की शक्तियॉं प्रदत्‍त की गयी हैं तथा कार्यवही दण्‍ड प्रक्रिया संहिता के अन्‍तर्गत वाद के संक्षिप्‍त विचारण के रूप में की जानी है। जहॉं तक प्रश्‍नगत आदेश का प्रश्‍न है, इस आदेश में अपीलार्थीगण पर सम्‍मन की तामीला, पंजीकृत डाक का लिफाफा बिना तामील प्राप्‍त न होने के कारण अवधारणा के आधार पर मानी गयी है। दण्‍ड प्रक्रिया संहिता के अन्‍तर्गत सम्‍मन तामीला की यह प्रक्रिया विधि सम्‍मत नहीं मानी जा सकती। यह तथ्‍य भी उल्‍लेखनीय है कि जमानती वारण्‍ट अपीलार्थीगण के प्रबन्‍ध निदेशक के नाम जारी किए जाने हेतु आदेश पारित किया गया है, किन्‍तु किस व्‍यक्ति के विरूद्ध यह जमानती वारण्‍ट जारी किया गया है, आदेश में उल्लिखित नहीं है। वारण्‍ट जिस व्‍यक्ति के नाम जारी किया जाना है उस व्‍यक्ति का नाम आदेश में उल्लिखित किया जाना आवश्‍यक था। ऐसी परिस्थिति में मेरे विचार से प्रश्‍नगत आदेश त्रुटिपूर्ण है। फलस्‍वरूप, अपील स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है।                                             

आदेश

           प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार की जाती है। जिला मंच, मेरठ द्वारा निष्‍पादन वाद सं0-०६/२०१५ में पारित आदेश दिनांक १५-०५-२०१५ अपास्‍त किया जाता है। अपीलार्थीगण को निर्देशित किया जाता है कि वे अपने सम्‍बधित सक्षम अधिकारी के माध्‍यम से दिनांक १४-१२-२०१५ को सम्‍बन्धित जिला मंच के समक्ष उपस्थित होकर अपनी स्थिति स्‍पष्‍ट करें।

           इस अपील का व्‍यय-भार पक्षकार अपना-अपना वहन करेंगे।

           पक्षकारों को इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाय।

 

                                               (उदय शंकर अवस्‍थी)      

                                                 पीठासीन सदस्‍य

 

 

प्रमोद कुमार, 

वैयक्तिक सहायक ग्रेड-१,

कोर्ट नं0-१.

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Virendra Singh]
PRESIDENT

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