Uttar Pradesh

StateCommission

A/270/2022

Life Insurance Corporation of India - Complainant(s)

Versus

Smt. Rajbiri - Opp.Party(s)

V.S. Bisaria

29 Nov 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/270/2022
( Date of Filing : 19 Apr 2022 )
(Arisen out of Order Dated 07/03/2022 in Case No. Complaint Case No. CC/58/2020 of District Meerut)
 
1. Life Insurance Corporation of India
Life Insurance Corporation of India through the Secretary Z.O. Legal Cell Hazratganj Lucknow
...........Appellant(s)
Versus
1. Smt. Rajbiri
Smt. Rajbiri W/o Late Lala Ram R/o 102 Yadgarpur Kila Parishitgarh Road Meerut
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 29 Nov 2022
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-270/2022

(मौखिक)

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, मेरठ द्वारा परिवाद संख्‍या 58/2020 में पारित आदेश दिनांक 07.03.2022 के विरूद्ध)

लाइफ इंश्‍योरेंस कारपोरेशन आफ इण्डिया, द्वारा सेक्रेटरी, जेड0ओ0 लीगल सेल, हजरतगंज, लखनऊ

                      ........................अपीलार्थी/विपक्षी सं01 व 2

बनाम

1. श्रीमती राजबीरी उम्र 51 वर्ष पत्‍नी स्‍व0 लालाराम निवासी-102 यादगारपुर, किला परीक्षितगढ़ रोड, मेरठ

2. श्रीमती रंजना गुप्‍ता पत्‍नी मनीष कुमार गुप्‍ता एजेन्‍ट एल0आई0सी0 आफ इण्डिया ब्रांच नं01-174 सदर बाजार मेरठ कैन्‍ट, निवासी- 56 देवी नगर, सूरज कुण्‍ड रोड, मेरठ

                ...................प्रत्‍यर्थीगण/परिवादिनी व विपक्षी सं03

समक्ष:-

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री वी0एस0 बिसारिया,  

                            विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी सं01/परिवादिनी की ओर से उपस्थित : श्री ओ0पी0 दुवेल,  

                                        विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी सं02 की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।

दिनांक: 29.11.2022

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील अपीलार्थी द्वारा इस न्‍यायालय के सम्‍मुख जिला उपभोक्‍ता आयोग, मेरठ द्वारा परिवाद संख्‍या-58/2020 श्रीमती राजबीरी बनाम भारतीय जीवन बीमा निगम व दो अन्‍य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 07.03.2022 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी है।

प्रश्‍नगत निर्णय और आदेश के द्वारा जिला उपभोक्‍ता आयोग ने उपरोक्‍त परिवाद स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

''परिवादनी का परिवाद विरूद्ध विपक्षी-1 व 2 बीमा निगम स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी-1 व 2 को आदेशित किया जाता है  कि  वे  इस

 

 

-2-

आदेश से दो माह के अंदर प्रश्‍नगत दोनों बीमा पालिसियों के परिप्रेक्ष्‍य में बीमा दावों की कुल धनराशि अंकन-5,00,000(पांच लाख) रूपये मय 7(सात) प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज परिवाद दायरा तिथि ता अंतिम अदायगी तथा अंकन-2,000(दो हजार) रूपये परिवाद व्‍यय परिवा‍दनी को भुगतान करें।''

मेरे द्वारा अपीलार्थी बीमा निगम की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता श्री वी0एस0 बिसारिया एवं प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता श्री ओ0पी0 दुवेल को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादिनी के पति स्‍व0 लालाराम द्वारा बीमा निगम के अभिकर्ता विपक्षी संख्‍या-3 के माध्‍यम से बीमा पालिसी संख्‍या-208752362 बीमाधन 3,00,000/-रू0 एवं पालिसी संख्‍या-208752363 बीमाधन 2,00,000/-रू0 विपक्षी बीमा निगम से ली गयी थी, जिनमें परिवादिनी को नामिनी बनाया गया था तथा बीमा कराते समय परिवादिनी के पति स्‍वस्‍थ थे।

परिवादिनी का कथन है कि उसके पति का देहान्‍त दिनांक 18.12.2018 को अचानक हृदय गति रूक जाने के कारण बेटी के घर पर हो गया था, जिसकी सूचना परिवादिनी द्वारा विपक्षी संख्‍या-2 को दी गयी, जिस पर विपक्षीगण के कर्मचारी द्वारा मृत्‍यु दावे से सम्‍बन्धित प्रपत्र मय मूल पालिसी बाण्‍ड, बैंक पासबुक की छायाप्रति व मृत्‍यु प्रमाण पत्र आदि समस्‍त कागजात दिनांक 12.03.2019 को विपक्षी संख्‍या-2 के कार्यालय में जमा करा दिये। विपक्षीगण द्वारा जांचोपरान्‍त दिनांक 07.06.2019 को पत्र द्वारा परिवादिनी से बीमित मृतक के परिवार रजिस्‍टर की नकल, इलाज के पर्चे व बी0टी0एच0 की मांग की गयी, जिस पर शहर में परिवार रजिस्‍टर न होने के कारण परिवादिनी द्वारा जिलाधिकारी, मेरठ से मृतक का वारिसान प्रमाण पत्र दिनांकित 25.11.2019 बनवाकर विपक्षी संख्‍या-3 के पास जमा करने हेतु गयी तो विपक्षी संख्‍या-3 द्वारा मूल वारिसान प्रमाण पत्र ही ले लिया तथा इलाज आदि  न  होने  के  कारण

 

 

-3-

इलाज के पर्चे आदि प्रस्‍तुत करने का कोई औचित्‍य नहीं था क्‍योंकि परिवादिनी के पति मृत्‍यु से पूर्व बीमार नहीं थे।

परिवादिनी का कथन है कि विपक्षी बीमा निगम द्वारा दिनांक 02.11.2019 को पुन: तंग व परेशान करने की नियत से परिवार रजिस्‍टर की मूल कापी, पुत्री का जन्‍म प्रमाण पत्र तथा आधार कार्ड की प्रति की मांग की गयी, जिस पर परिवादिनी द्वारा दिनांक 25.11.2019 को असल प्रमाण पत्र आदि विपक्षी संख्‍या-2 के कार्यालय में जमा करा दिये गये। परिवादिनी द्वारा कई बार मृत्‍यु दावे की धनराशि दिलाये जाने का अनुरोध किया गया, परन्‍तु विपक्षीगण तंग व परेशान करने की नियत से जानबूझकर अनावश्‍यक कागजात की मांग करते रहे तथा न तो उक्‍त क्‍लेम खण्डित किया गया तथा न ही धनराशि का भुगतान किया गया। परिवादिनी द्वारा दिनांक 13.01.2020 को विपक्षीगण को अधिवक्‍ता के माध्‍यम से पंजीकृत नोटिस प्रेषित किया गया, परन्‍तु बीमा निगम द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी। अत: क्षुब्‍ध होकर परिवादिनी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख परिवाद योजित करते हुए वांछित अनुतोष की मांग की गयी।

विपक्षी संख्‍या-1 व 2 की ओर से जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख वादोत्‍तर प्रस्‍तुत किया गया तथा कथन किया गया कि परिवादिनी द्वारा परिवार रजिस्‍टर की नकल उपलब्‍ध नहीं करायी गयी, जिसके अभाव में बीमा दावे पर निर्णय करना सम्‍भव नहीं है। बीमा दावा विपक्षी संख्‍या-1 व 2 के समक्ष विचाराधीन है, इसलिए वाद का कारण उत्‍पन्‍न नहीं हुआ है। परिवादिनी द्वारा दाखिल किया गया वारिसान प्रमाण पत्र 5,000/-रू0 तक के भुगतान के लिए ही मान्‍य है। इसके विपरीत परिवादिनी द्वारा वाद का मूल्‍यांकन 9,00,000/-रू0 पर किया है। उक्‍त वारिसान प्रमाण पत्र किसी विवाद अथवा सम्‍पत्ति विवाद के लिए वैधानिक रूप से मान्‍य नहीं है। प्रश्‍नगत परिवाद में वारिसान प्रमाण पत्र की कोई उपयोगिता नहीं है। मृतक व उसकी पुत्री की आयु में 12 वर्ष का अन्‍तर है। कम आयु लिखना जोखिम बीमांकन को प्रभावित  करता  है।  विपक्षी

 

 

 

-4-

संख्‍या-1 व 2 द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है। परिवाद निरस्‍त होने योग्‍य है।

विपक्षी संख्‍या-3 की ओर से जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख वादोत्‍तर प्रस्‍तुत किया गया तथा कथन किया गया कि बीमाधारक का प्रस्‍ताव फार्म भरकर उसने विपक्षी संख्‍या-2 के कार्यालय में जमा कराकर बीमा पालिसी बाण्‍ड बीमाधारक को उपलब्‍ध करा दिये थे। बीमा प्रस्‍ताव के समय बीमित स्‍वस्‍थ था। बीमाधारक द्वारा जब बीमा प्रस्‍ताव फार्म पर हस्‍ताक्षर किये थे, उस समय वह अपनी पत्‍नी के साथ अपनी पुत्री के पास रह रहा था। मृत्‍यु दावे की धनराशि का भुगतान करने का दायित्‍व विपक्षी संख्‍या-1 व 2 का है। परिवाद विपक्षी संख्‍या-3 के विरूद्ध निरस्‍त होने योग्‍य है।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों/प्रपत्रों पर विचार करने के उपरान्‍त अपने निर्णय में बिन्‍दुवार सभी तथ्‍यों की विस्‍तृत रूप से विवेचना करते हुए यह निष्‍कर्ष दिया गया कि परिवादिनी की ओर से प्रस्‍तुत किये गये साक्ष्‍य से यह साबित होता है कि परिवादिनी के पति की मृत्‍यु विपक्षी संख्‍या-2 बीमा निगम से बीमित अवधि में होने तथा बिना पर्याप्‍त कारण के विपक्षी को नोटिस दिये जाने के बावजूद उसके बीमा दावों का भुगतान न करके सेवा में कमी कारित की गयी है। तदनुसार विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा प्रश्‍नगत आदेश दिनांक 07.03.2022 पारित किया गया।

सम्‍पूर्ण तथ्‍यों एवं परिस्थितियों पर विचार करते हुए तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध प्रपत्रों एवं जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्‍त मैं इस मत का हूँ कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा समस्‍त तथ्‍यों का सम्‍यक अवलोकन/परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्‍त विधि अनुसार निर्णय पारित किया गया, जिसमें हस्‍तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं हैं, परन्‍तु मेरे विचार से जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा जो बीमा दावों की कुल धनराशि पर 07 (सात) प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज की देयता निर्धारित की है, उसे कम कर 06 (छ:) प्रतिशत वार्षिक किया जाना उचित है।

 

 

-5-

तदनुसार प्रस्‍तुत अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है तथा  जिला उपभोक्‍ता आयोग, मेरठ द्वारा परिवाद संख्‍या-58/2020 श्रीमती राजबीरी बनाम भारतीय जीवन बीमा निगम व दो अन्‍य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 07.03.2022 को संशोधित करते हुए ब्‍याज की देयता 06 (छ:) प्रतिशत वार्षिक निर्धारित की जाती है। जिला उपभोक्‍ता आयोग का शेष आदेश यथावत् रहेगा।

प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित जिला उपभोक्‍ता आयोग को 01 माह में विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

आशुलिपि‍क से अपेक्षा की जाती है कि‍ वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

                           (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)           

                          अध्‍यक्ष            

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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