(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-803/2004
M/S Agrawal Iron Store, Cement Dealer, Kulpahar, Tehsil Kulpahar & others
Versus
Smt. Rajkumari & others
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री वी0पी0 शर्मा, विद्धान अधिवक्ता के
कनिष्ठ अधिवक्ता श्री सत्येन्द्र कुमार
प्रत्यर्थी/परिवादिनी की ओर से उपस्थित: पैरोकार
दिनांक :20.03.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-66/2003, श्रीमती राजकुमारी बनाम मै0 अग्रवाल व अन्य में विद्वान जिला आयोग, महोबा द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 22.03.2004 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता एवं प्रत्यर्थी/परिवादिनी के पैरोकार को सुना गया। प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. निर्णय एवं आदेश के अवलोकन से ज्ञात होता है कि परिवादिनी द्वारा अपने मकान का निर्माण कराने के लिए प्रिज्म सीमेंट क्रय करने की वार्ता अपीलार्थी से की, परंतु अपीलार्थी द्वारा प्रिज्म सीमेंट के स्थान पर प्रिज्म चैम्पियन सीमेंट विक्रय कर दिया गया, जिसका प्रयोग करने के लिए निर्माण विकृत हो गया और लिंटर फट गया, जबकि कारीगरों द्वारा सीमेंट एवं बालू का प्रयोग सही तरीके से किया गया था। कुल 49,614/-रू0 इस निर्माण मे खर्च हुए थे तथा सीमेंट की कीमत 8,120/-रू0 अदा की गयी थी। जिला उपभोक्ता आयोग ने केवल सीमेंट की कीमत 8,120/-रू0 अदा करने का आदेश पारित किया है। इस आदेश को पारित करने से पूर्व ही यह निष्कर्ष दिया गया है कि परिवादी के साथ करार के अनुसार सीमेंट विक्रय नहीं किया गया, प्रिज्म सीमेंट के स्थान पर प्रिज्म चैम्पियन सीमेंट दे दिया गया, जिसके कारण लिंटर खुलने के तुरंत पश्चात टूटकर गिर गया। प्रस्तुत केस में विशेष उल्लेखनीय तथ्य यह है कि जब सीमेंट की जांच करायी गयी तब विपक्षीगण की ओर से कोर्ट में यह उल्लेख किया गया कि सीमेंट का निर्माण हुए काफी दिन हो चुके थे, इसलिए उनकी गुणवत्ता में काफी अंतर आ सकता है, इसलिए जांच का विरोध किया गया। इस प्रकार विपक्षीगण के इस कथन को भी विचार में लिया गया कि उनके द्वारा कथन किया गया था कि सीमेंट का निर्माण हेतु एक अवधि व्यतीत हो चुकी है, जिसके कारण गुणवत्ता में कमी आ सकती है। परिवादी का भी यही कथन रहा है कि जो सीमेंट मांगा गया, वह विक्रय नहीं किया और पुराना रखा हुआ सीमेंट विक्रय कर दिया गया। अत: इस निर्णय/आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई आधार प्रतीत नहीं होता। तदनुसार अपील खारिज होने योग्य है।
आदेश
अपील खारिज की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश की पुष्टि की जाती है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 3