( मौखिक )
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
अपील संख्या:403/2021
(जिला उपभोक्ता आयोग, प्रथम बरेली द्वारा परिवाद संख्या- 120/2020 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 24-04-2021 के विरूद्ध)
- मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लि0 द्वारा चीफ इंजीनियर विद्युत वितरण आफिस, काटजू मार्ग बरेली।
- मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लि0 द्वारा सुप्रीटेंडिंग इंजीनियर विद्युत वितरण मण्डल रूरल एरिया आफिस काटजू मार्ग बरेली।
- मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लि0 द्वारा एक्जीक्यूटिव इंजीनियर, रूरल एरिया, वितरण खण्ड ।।। आफिस, बहेड़ी बरेली।
- मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लि0 द्वारा जुनियर इंजीनियर विद्युत वितरण सब स्टेशन 33 11 के.वी. बहेड़ी बरेली।
- मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लि0 द्वारा डिवीजनल आफिसर विद्युत वितरण खण्ड-। बहेड़ी बरेली
बनाम
- श्रीमती राधारानी पत्नी श्री विरेन्द्र सिंह, निवासी- मकान नं० 334 कानूनगोयान नगर तहसील।
- स्टेट आफ यू०पी० द्वारा डिस्ट्रिक मजिस्ट्रेट बरेली।
प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष :-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य
उपस्थिति :
अपीलार्थीगण की ओर से - विद्वान अधिवक्ता श्री दीपक मेहरोत्रा
प्रत्यर्थी की ओर से - विद्वान अधिवक्ता श्री करन सिंह कनौजिया
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दिनांक :02-02-2023
माननीय सदस्य श्री सुशील कुमार, द्वारा उदघोषित
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थीगण मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लि0 व चार अन्य द्वारा विद्वान जिला आयोग, प्रथम बरेली द्वारा परिवाद संख्या- 120/2020 राधारानी बनाम मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लि0 व अन्य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 24-04-2021 के विरूद्ध उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत इस आयोग के सम्मुख योजित की गयी है।
जिला आयोग द्वारा परिवाद स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया गया:-
परिवादिनी का परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध 7,50,750/-रू० क्षतिपूर्ति के सम्बन्ध में स्वीकार किया जाता है, इसका भुगतान 30 दिन में किया जाएगा। अन्यथा दावे की तिथि से वसूली की तिथि तक 06 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज भी देय होगा। इसके अलावा खर्चा मुकदमा हेतु रू० 4000/-रू० भी विपक्षीगण द्वारा 30 दिन में अदा किया जाएगा।
जिला आयोग द्वारा पारित उपरोक्त आदेश से क्षुब्ध होकर अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा प्रस्तुत अपील योजित की गयी है।
जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गयी है कि विद्वान जिला आयोग द्वारा क्षतिपूर्ति का सही आंकलन नहीं किया गया है। परिवादी ने आग लगने के कारणों का स्पष्ट उल्लेख परिवाद पत्र में नहीं किया है। जांच कराने पर पाया गया
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कि तेज हवाएं चलने के कारण स्पार्क की घटना घटित हुयी तथा चिन्गारी फसल के ऊपर गिर थी। परन्तु जिला उपभोक्ता आयोग ने इस रिपोर्ट को साबित करने के लिए विद्युत विभाग के अधिकारियों को निर्देश नहीं दिया। राम पाल सिंह के खेत में 11 के०वी० के पोल के नीचे फसल रखी गयी थी। इसलिए विद्युत विभाग उत्तरदायी नहीं है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री दीपक मेहरोत्रा उपस्थित हुए। प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री करन सिंह कनौजिया उपस्थित हुए।
उभय-पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ताद्व्य को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का सम्यक रूप से परिशीलन किया गया।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का अवलोकन करने से ज्ञात होता है कि परिवादिनी के नाम गाटा सं. 217/2 रकबई 3.555 हेक्टेयर भूमि है। इस खेत की सिंचाई परिवादिनी विद्युत कनेक्शन जो कि परिवादिनी की बेटी कौशिकी के नाम से है, संचालित बोरिंग से करती है। परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी के खेत में वर्ष 2017 में गन्ना बोया गया था और फसल अच्छी हुयी थी। दिनांक 15-10-2017 को समय लगभग 1.00 बजे विद्युत विभाग के 11.के.वी. लाइन से चिंगारी निकली और सूखी पत्तियों पर गिरी जिससे गन्ने की खड़ी फसल में आग लग गयी और रामपाल सिंह की गन्ने की फसल नष्ट हो गयी, तेज हवा चलने के कारण आग फैलकर परिवादिनी के खेतों में जा पहुंची जिससे परिवादिनी की गन्ने की पूरी फसल बर्बाद हो गयी। परिवादिनी द्वारा किये गये कथन प्रस्तुत साक्ष्य पर आधारित
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हैं। यह सही है कि रामपाल सिंह के खेत में आग लग गयी थी परन्तु इसका तात्पर्य यह नहीं है कि आग लगने के लिए रामपाल सिंह को उत्तरदायी ठहराया जाए।
विद्वान जिला आयोग ने समस्त तथ्यों एवं साक्ष्यों पर विचार करने के उपरान्त 7,50,750/-रू० की क्षतिपूर्ति का आंकलन किया है। जिला आयोग का यह आंकलन अनुमान पर आधारित है। दौरान बहस प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता द्वारा कथन किया गया कि उसने कुल 56 बीघा में गन्ने की फसल बोयी थी, एक बीघे में न्यूनतम 20,000/-रू० मूल्य का गन्ना उत्पादित होता है जबकि प्रत्यर्थी/परिवादिनी की भूमि जिसमें गन्ना बोया गया था वह 56 बीघा थी । यदि 1 बीघा में 20,000/-रू० की दर से भी क्षतिपूर्ति मानी जाए तो लगभग 56 बीघे में 11,20,000/-रू० क्षतिपूर्ति होती है। विद्वान जिला आयोग ने क्षतिपूर्ति का उचित ढंग से आंकलन करते हुए निर्णय एवं आदेश पारित किया है जिसमें हमारे विचार से किसी प्रकार के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं प्रतीत होती है तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 24-04-2021 की पुष्टि की जाती है।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।.
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (सुशील कुमार)
अध्यक्ष सदस्य
कृष्णा–आशु0 कोर्ट नं0 1