Uttar Pradesh

StateCommission

A/580/2019

Ex. Engg. Distribution Division Dakshinanchal Vidyut Vitran nigam Ltd - Complainant(s)

Versus

Smt. Radha Rani - Opp.Party(s)

Isar Husain

01 Nov 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/580/2019
( Date of Filing : 07 May 2019 )
(Arisen out of Order Dated 03/04/2019 in Case No. C/32/2018 of District Kanshiram Nagar)
 
1. Ex. Engg. Distribution Division Dakshinanchal Vidyut Vitran nigam Ltd
Kasganj
...........Appellant(s)
Versus
1. Smt. Radha Rani
W/O Sri Ram Pal Singh R/O Durga Colony Gali No. 2 Radha Rani School Distt. Kasganj
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 01 Nov 2022
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उत्‍तर प्रदेश, लखनऊ।

मौखिक

अपील सं0-५८०/२०१९

(जिला उपभोक्‍ता फोरम/आयोग, कासगंज द्धारा परिवाद सं0-३२/२०१८ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक ०३-०४-२०१९ के विरूद्ध)

एक्‍जक्‍यूटिव इंजीनियर, इलैक्ट्रिसिटी डिस्‍ट्रीबूशन डिवीजन, दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लि0, कासगंज।

........... अपीलार्थी/विपक्षी।

बनाम      

श्रीमती राधा रानी पत्‍नी श्री राम पाल सिंह, निवासी दुर्गा कालोन, गली नं0-२, राधा रानी स्‍कूल, जिला कासगंज।                                …….. प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी।  

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष।                 

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित  :- श्री इसार हुसैन विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित :- कोई नहीं।

 

दिनांक :- ०१-११-२०२२.

 

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

 

निर्णय

 

प्रस्‍तुत अपील, इस आयोग के सम्‍मुख अपीलार्थी विद्युत विभाग द्वारा जिला उपभोक्‍ता फोरम/आयोग, कासगंज द्धारा परिवाद सं0-३२/२०१८ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक ०३-०४-२०१९ के विरूद्ध योजित की गई है, जिसके द्वारा परिवादिनी का परिवाद सव्‍यय आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए विपक्षी द्वारा जारी डिमाण्‍ड नोटिस दिनांकित ०६-०४-२०१८ व ०७-०४-२०१८ मु0 ५०,९५८/- रूपया व १२,९२९/- रू० से सम्‍बन्धित निरस्‍त किए गए तथा मु0 ३,०००/- रू० मानसिक, आर्थिक व शारीरिक क्षति एवं वाद व्‍यय के एवज में ३,०००/- रू० परिवादिनी को अदा किए जाने हेतु विपक्षी को आदेशित किया गया।   

वाद के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादिनी ने अपने घरेलू विद्युत कनेक्‍शन के सम्‍बन्‍ध में दिनांक ०९-०४-२०१८ को बिल २०७०/- रू० का जमा किया फिर

 

 

 

-२-

भी विपक्षी ने दिनांक ०६-०४-२०१८ को गलत डिमाण्‍ड नोटिस मु0 ५०,९५८/- रू० का जारी किया और उसके बाद दिनांक ०७-०४-२०१८ को १२,९५८/- रू० का डिमाण्‍ड नोटिस जारी किया, जो गलत है। यदि कोई अधिभार बढ़ा है तो उसकी सूचना पूर्व से दी जानी चाहिए थी। परिवादिनी ने विपक्षी को नोटिस दिया लेकिन कोई जवाब विपक्षी ने नहीं दिया, जो सेवा में कमी साबित करता है। विपक्षी के इस कृत्‍य से परिवादिनी को मानसिक कष्‍ट पहुँचा। विवश होकर परिवादिनी ने परिवाद विद्वान जिला फोरम के सम्‍मुख प्रस्‍तुत किया।

विपक्षी ने विद्वान जिला फोरम के समक्ष कथन किया कि विद्युत बिल हर माह निर्गत किए जाते हैं। परिवादिनी के परिसर में दिनांक ०९-०२-२०१८ को चेकिंग की गई तथा प्रस्‍तावित निर्धारण करते हुए ५०,९३३/- रू० का बिल प्रेषित किया गया। परिवादिनी द्वारा घरेलू संयोजन का वाणिज्यिक उपयोग किया जा रहा था। नोटिस, चेकिंग रिपोर्ट के आधार पर जारी किया जाता है, जो सही है। स्‍वीकृत भार से अत्‍यधिक उपभोग किया जा रहा था।

उभय पक्ष के कथनों/अभिकथनों तथा साक्ष्‍यों पर विस्‍तार से विचार करते हुए विद्वान जिला आयोग द्वारा अपने निष्‍कर्ष में यह पाया गया कि दिनांक ०९-०२/२०१८ को हुई चेकिंग के सम्‍बन्‍ध में जारी नोटिस दिनांकित ०६-०४-२०१८ के अनुसार परिवादिनी से ५०,९५८/- रू० की डिमाण्‍ड की गई। पुन: डिमाण्‍ड नोटिस दिनांकित ०७-०४-२०१८ द्वारा १२,९५८/- रू० की डिमाण्‍ड परिवादिनी से की गई। डिमाण्‍ड नोटिस के अनुसार दिनांक ०९-०२-२०१८ को चेकिंग की गई तथा विपक्षी का कथन है कि घरेलू संयोजन का उपयोग वाणिज्यिक रूप से किया जा रहा था उसी आधार पर विद्युत मीटर की डिमाण्‍ड के आधार पर भार बढ़ाए जाने हेतु आवश्‍यक राजस्‍व निर्धारण हेतु संस्‍तुति की गई। विपक्षी द्वारा चेकिंग रिपोर्ट प्रस्‍तुत की गई जिस पर उपभोक्‍ता या उसके किसी प्रतिनिधि का हस्‍ताक्षर नहीं है। उ0प्र0 विद्युत प्रदाय संहिता २००५ के खण्‍ड ८.१ का अनुपालन नहीं किया गया है तथा एक ही चेकिंग के आधार पर दो डिमाण्‍ड नोटिस जारी हुए हैं, जिससे ध्‍वनित होता है कि विभाग द्वारा चेकिंग कार्यवाही मनमाने तरीके से सम्‍पादित की गई

 

 

 

-३-

जो सन्‍देहास्‍पद है। इसके अतिरिक्‍त घरेलू संयोजन पर परिवादिनी द्वारा किस प्रकार का  वाणिज्यिक क्रियाकलाप सम्‍पादित किया जा रहा था स्‍पष्‍ट नहीं किया गया है जिससे प्रतीत होता कि चेकिंगकर्तागण मौके पर नहीं गए थे अन्‍यथा वाणिज्यिक विधा को अवश्‍य स्‍पष्‍ट करते जबकि ऐसा नहीं किया गया। स्‍वीकृत भार से अधिक भार का उपभोग किस विधा से किया जा रहा है, इसे भी चेकिंग आख्‍या में स्‍पष्‍ट नहीं किया गया है। चेकिंग रिपोर्ट व डिमाण्‍ड नोटिस में निर्धारित राजस्‍व स्‍वयं में बनावटी व सन्‍देहास्‍पद है इसलिए वाणिज्यिक उपभोग के आधार पर किया गया निर्धारण सेवा में कमी को साबित करता है। तदनुसार विद्वान जिला फोरम/आयोग ने उपरोक्‍त निर्णय पारित किया।

इस निर्णय से क्षुब्‍ध होकर वर्तमान अपील प्रस्‍तुत की गई है।

मेरे द्वारा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री इसार हुसैन को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त अभिलेखों का परिशीलन किया गया। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री इसार हुसैन द्वारा कथन किया गया कि दिनांक ०९-०२-२०१८ को की गई चेकिंग की रिपोर्ट सही है तथा जो राजस्‍व निर्धारण किया गया है वह नियमानुसार किया गया है। श्री इसार हुसैन ने विद्वान जिला फोरम/आयोग द्वारा आदेशित क्षतिपूर्ति व वाद व्‍यय की धनराशि ३,०००/- रू० को निरस्‍त करने की प्रार्थना की।

पत्रावली पर उपलब्‍ध चेकिंग रिपोर्ट व राजस्‍व निर्धारण सम्‍बन्‍धी प्रपत्रों की फोटोकापियों के अवलोकन से स्‍पष्‍ट होता है कि चेकिंग रिपोर्ट पर परिवादिनी अथवा उसके किसी प्रतिनिधि के हस्‍ताक्षर नहीं हैं। घरेलू संयोजन का वाणिज्यिक प्रयोग के सम्‍बन्‍ध में किसी विधा का इसमें कोई उल्‍लेख नहीं है। इसी प्रकार अत्‍यधिक अधिभार का उपभोग करने की भी कोई विधा अंकित नहीं है। ऐसी स्थिति में उपरोक्‍त चेकिंग रिपोर्ट के सन्‍देहास्‍पद होने का विद्वान जिला फोरम/आयोग का निष्‍कर्ष प्रथम दृष्‍ट्या उचित प्रतीत होता है।  

 

 

 

-४-

उपरोक्‍त तथ्‍यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए मेरे विचार से विद्वान जिला फोरम/आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश द्वारा प्रश्‍नगत डिमाण्‍ड नोटिसों को निरस्‍त किया जाना भी न्‍यायोचित प्रतीत होता है परन्‍तु जहॉं तक विद्वान जिला आयोग द्वारा आदेशित ३,०००/- रू० की धनराशि क्षतिपूर्ति व वाद व्‍यय के रूप में परिवादिनी को भुगतान किए जाने का प्रश्‍न है, यह धनराशि मामले के तथ्‍यों एवं परिस्थितियों के आलोक में मेरे विचार से परिवादिनी को दिलाया जाना न्‍यायोचित प्रतीत नहीं होता है अत्एव उक्‍त ३,०००/- रू० की अदायगी का आदेश अपास्‍त किए जाने योग्‍य है। तदनुसार अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है।

आदेश

      प्रस्‍तुत अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। जिला उपभोक्‍ता फोरम/आयोग, कासगंज द्धारा परिवाद सं0-३२/२०१८ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक ०३-०४-२०१९ के अन्‍तर्गत मानसिक, आर्थिक व शारीरिक क्षति तथा वाद व्‍यय के एवज में ३,०००/- रू० परिवादिनी को विपक्षी द्वारा भुगतान किए जाने का आदेश अपास्‍त किया जाता है। शेष निर्णय की पुष्टि की जाती है।

      अपील व्‍यय उभय पक्ष अपना-अपना वहन करेंगे।  

आशुलिपिक/वैयक्तिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

                                    (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                  

                                      अध्‍यक्ष                                                                                                                      

 

प्रमोद कुमार,

वैयक्तिक सहायक ग्रेड-१,

कोर्ट नं0-१. 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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