( मौखिक )
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
अपील संख्या :1043/2022
(जिला उपभोक्ता आयोग, अमरोहा द्वारा परिवाद संख्या-81/2022 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 18-02-2022 के विरूद्ध)
पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, द्वारा अधिशासी अभियन्ता, उपखण्ड अमरोहा कार्यालय, अमरोहा।
अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम्
श्रीमती कमरून्निसा पत्नी स्व0 श्री मेराज खॉं निवासी-मोहल्ला अफगानान, तहसील व जनपद अमरोहा।
प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष :-
1-मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
उपस्थिति :
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित- श्री इसार हुसैन।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित- कोई नहीं।
दिनांक : 12-10-2022
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित निर्णय
परिवाद संख्या-81/2022 श्रीमती कमरून्निसा बनाम पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड में जिला उपभोक्ता आयोग, अमरोहा द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 18-02-2022 के विरूद्ध यह अपील उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-1986 के अन्तर्गत इस न्यायालय के सम्मुख प्रस्तुत की गयी है।
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‘’आक्षेपित निर्णय के द्वारा जिला आयोग ने परिवाद एकपक्षीय रूप से स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है :-
जिला आयोग के आक्षेपित निर्णय व आदेश से क्षुब्ध होकर परिवाद के विपक्षी की ओर से यह अपील प्रस्तुत की है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार है कि परिवादिनी ने नये विद्युत कनेक्शन हेतु दिनांक 06-06-2007 को आवेदन किया। विपक्षी विद्युत विभाग द्वारा जाचोंपरान्त परिवादिनी से मु0 2,238/-रू0 जमा कराकर दो किलोवाट का विद्युत कनेक्शन जारी करने हेतु स्वीकृति प्रदान की गयी तथा दिनांक 24-09-2007 को मीटर लगाकर विद्युत कनेक्शन संख्या-8877/097291 आवंटित किया गया, परिवादिनी उसी समय से विद्युत का उपभोग करती आ रही है। परिवादिनी ने अगस्त, 2020 में उपभोग किये गये विद्युत बिल का भुगतान दिनांक 22-08-2020 को ही अंतिम तिथि से पूर्व कर दिया। दिनांक 13-08-2020 को परिवादिनी के क्षेत्र में विद्युत की चेकिंग की जा रही थी तथा विद्युत विभाग के कर्मचारियों द्वारा परिवादिनी की
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विद्युत लाईन काट दी गयी, परन्तु कोई भी प्रपत्र इस संबंध में उपलब्ध नहीं कराया, न ही विद्युत लाईन काटने का कारण बताया। परिवादिनी पर कोई विद्युत बिल बकाया न होने पर भी विपक्षी द्वारा उसकी विद्युत लाईन काट दी गयी। परिवादिनी एक 65 वर्षीय वृद्ध महिला है और विद्युत लाईन कट जाने से उसे काफी मानसिक कष्ट हुआ और गर्मी के कारण वह बीमार पड़ गयी और उसे अपना इलाज डाक्टर से कराना पड़ा तथा उसे मजबूरन बिजली के लिए 700/-रू0 प्रतिदिन के हिसाब से जनरेटर किराये पर लेना पड़ा। परिवादिनी ने विपक्षी को दिनांक 08-09-2020 को कनेक्शन जोड़ने हेतु प्रार्थना पत्र दिया किन्तु फिर भी विपक्षी द्वारा परिवादिनी का विद्युत कनेक्शन नहीं जोड़ा गया। परिवादिनी बार-बार कनेक्शन जोड़ने ही विपक्षी से आग्रह करती रहीं किन्तु विपक्षी द्वारा उसका कनेक्शन नहीं जोड़ा गया, जो कि विपक्षी के स्तर से सेवा में घोर कमी है अत: विवश होकर उसने परिवाद जिला आयोग के समक्ष योजित किया है।
जिला आयोग के समक्ष विपक्षी की ओर से कागज संख्या-7ग प्रार्थना पत्र इस आशय का दिया गया कि परिवाद में विपक्षी का पता गलत दर्शाया गया है तथा जवाब दाखिल करने हेतु परिवाद पत्र की नकलें दिलाये जाने का अनुरोध किया गया जिसका आदेश दिनांक 08-02-2021 को पारित किया गया और विपक्षी के द्वारा नकलें प्राप्त भी कर ली गयी। इसके बावजूद भी विपक्षी की ओर से कोई जवाबदावा दाखिल नहीं किया गया और न ही कोई उपस्थित आया। अत: जिला आयोग द्वारा दिनांक 15-03-2021 को विपक्षी के विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही का आदेश पारित किया गया।
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विद्धान जिला आयोग द्वारा परिवादिनी को सुनने तथा पत्रावली पर उपलब्ध प्रपत्रों का परिशीलन करने के उपरान्त विपक्षी विद्युत विभाग की सेवा में कमी पाते हुए परिवाद एकपक्षीय रूप से स्वीकार करते हुए निर्णय एवं आदेश पारित किया है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता श्री इसार हुसैन उपस्थित। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
मेरे द्वारा अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता के तर्क को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों एवं जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का अवलोकन किया गया।
अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय साक्ष्य एवं विधि के विरूद्ध है अत: अपील स्वीकार करते हुए जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश निरस्त किया जावे।
अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता को सुनने तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों एवं जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का भली-भॉंति परिशीलन एवं परीक्षण करने के उपरान्त मैं इस मत का हूँ कि विद्धान जिला आयोग द्वारा समस्त तथ्यों पर गहनतापूर्वक विचार करने के उपरान्त विधि अनुसार निर्णय पारित किया गया है जिसमें हस्तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है। तदनुसार अपील अंगीकरण के स्तर पर ही निरस्त किये जाने योग्य है।
आदेश
अपील अंगीकरण के स्तर पर ही निरस्त की जाती है। विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश की पुष्टि जाती है।
अपील में उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
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आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
प्रदीप मिश्रा , आशु0 कोर्ट नं0-1