Uttar Pradesh

StateCommission

A/157/2016

Shriram General Insurance Co. Ltd. - Complainant(s)

Versus

Smt. Pushpa Pandey - Opp.Party(s)

Dinesh Kumar

15 Nov 2018

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/157/2016
( Date of Filing : 27 Jan 2016 )
(Arisen out of Order Dated 10/12/2015 in Case No. C/135/2012 of District Faizabad)
 
1. Shriram General Insurance Co. Ltd.
Lucknow
...........Appellant(s)
Versus
1. Smt. Pushpa Pandey
Faizabad
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 15 Nov 2018
Final Order / Judgement

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(सुरक्षित)                                                                                  

अपील संख्‍या:-157/2016

(जिला फोरम, फैजाबाद द्धारा परिवाद सं0-135/2012 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 10.12.2015 के विरूद्ध)

Shriram General Insurance Company Limited, E-8, EPIP, RIICO Industrial Area, Sitapura, Jaipur (Rajasthan)-302022 Branch Office 16, Chintal House, Station Road, Lucknow through its Manager.

                                                 ........... Appellant/Opp. Party

Versus    

Smt. Pushpa Pandey, W/o Shri Sitaram Pandey, R/o Amethi, Sultanpur at present R/o Village-Basantpur, Serpur, Tehsil- Bikapur, District-Faizabad.

       …….. Respondent/ Complainant

 

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता    : श्री दिनेश कुमार

प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता     : श्री संतोष कुमार पाण्‍डेय

दिनांक :-28.12.2018   

                                      

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय   

परिवाद संख्‍या-135/2012 श्रीमती पुष्‍पा पाण्‍डेय बनाम शाखा प्रबन्‍धक, श्रीराम जनरल इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेड व एक अन्‍य में जिला उपभोक्‍ता प्रतितोष फोरम, फैजाबाद द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 10.12.2015 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्‍तर्गत राज्‍य आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है।

 

-2-

आक्षेपित निर्णय के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद अपीलार्थी/विपक्षीगण के विरूद्ध आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

 “परिवादिनी का परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध आंशिक रूप से स्‍वीकार एवं आंशिक रूप से खारिज किया जाता है। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादिनी को बीमा दावा के मद में रूपये 81,730.00 का भुगतान आदेश की दिनांक से 30 दिन के अन्‍दर करें। विपक्षीगण परिवादिनी को रूपये 81,730.00 पर परिवाद दाखिल करने की दिनांक से तारोज वसूली की दिनांक तक 09 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्‍याज का भी भुगतान करें। विपक्षीगण परिवादिनी को क्षतिपूर्ति के मद में रूपये 3,000.00 तथा परिवाद व्‍यय के मद में रूपये 2,000.00 का भी भुगतान करें।”

 जिला फोरम के निर्णय से क्षुब्‍ध होकर परिवाद के विपक्षी श्रीराम जनरल इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेड ने यह अपील प्रस्‍तुत की है।

अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री दिनेश कुमार तथा प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री संतोष कुमार पाण्‍डेय उपस्थित आये।

मैंने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना है और जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।

 

-3-

उभय पक्ष की ओर से लिखित कथन प्रस्‍तुत किया गया है। मैंने उभय पक्ष की ओर से प्रस्‍तुत लिखित कथन का भी अवलोकन किया है।  

अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है कि वह वाहन सं0-यू.पी.44टी 2041, जिसका इंजन नं0-35446 और चेसिस नं0-71993 है, की पंजीकृत स्‍वामिनी है और उसका यह वाहन अपीलार्थी/विपक्षी की बीमा कम्‍पनी से दिनांक 07.7.2010 से 06.7.2011 तक की अवधि हेतु बीमाकृत था। उसने बीमा प्रीमियम की धनराशि 13,854.00 रू0 अदा किया था। परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी का कथन है कि बीमा अवधि में ही दिनांक 05.9.2010 को उसका यह वाहन दुर्घटनाग्रस्‍त हो गया, जिसकी तत्‍काल शिकायत उसने शिकायत नं0-25499 के माध्‍यम से विपक्षी सं0-1 की बीमा कम्‍पनी के अधीकृत सर्वेयर को उनके मोबाइल नं0-9415046419 पर दिया। इसके साथ ही प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने अपने वाहन के क्षतिग्रस्‍त होने के सूचना विपक्षी सं0-1 की बीमा कम्‍पनी को दिया, तो उसने कम्‍पनी के अधीकृत सर्वेयर से सम्‍यक जॉच करायी और सर्वेयर ने जॉच के उपरांत भुगतान करने का अनुसंशा की, परन्‍तु जब प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी विपक्षी सं0-1 की कम्‍पनी से अग्रिम धनराशि के भुगतान हेतु सम्‍पर्क किया, तो उसके अधिकारी ने उसे आश्‍वासन दिया कि क्‍लेम का भुगतान कर दिया जायेगा, परन्‍तु थोड़ा समय लगेगा। अत: अच्‍छा

-4-

यह होगा कि वह वाहन की मरम्‍मत करा लें। मरम्‍मत में जो खर्च आयेगा सम्‍पूर्ण खर्च का भुगतान कर दिया जायेगा। अत: विपक्षी सं0-1 के अधिकारी के आश्‍वासन पर प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने अपने उपरोक्‍त वाहन की मरम्‍मत अपने खर्च से 1,18,180.00 रू0 अदा कर करायी और विपक्षी सं0-1 के कार्यालय में क्‍लेम के भुगतान हेतु सम्‍पर्क किया तो विपक्षी सं0-1 के अधिकारी उसे बराबर दौड़ाते रहे और उसे मात्र 24,650.00 रू0 का भुगतान किया। जिसे प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने इस विरोध के साथ स्‍वीकार किया कि वह विपक्षीगण से शेष धनराशि को प्राप्‍त करने का अधिकार सुरक्षित रखती है।

परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने विपक्षीगण से वाहन मरम्‍मत की शेष धनराशि प्राप्‍त करने हेतु बार-बार मॉग की, परन्‍तु उन्‍होंने कोई भुगतान नहीं किया। तब उसने अपने अधिवक्‍ता के माध्‍यम से दिनांक 10.4.2012 को नोटिस भेजी, फिर भी उन्‍होंने कोई भुगतान नहीं किया तब वि‍वश होकर उसने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत किया है।

जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से लिखित कथन प्रस्‍तुत किया गया है। जिसमें कहा गया है कि परिवाद गलत कथन के साथ प्रस्‍तुत किया गया है और वास्‍तविक तथ्‍यों को छिपाया गया है। लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से कहा गया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी सर्वेयर द्वारा आंकलित क्षतिपूर्ति की

 

-5-

धनराशि पालिसी के अनुसार पाने की अधिकारी है और उसे उसने प्राप्‍त कर लिया है।

जिला मंच ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों पर विचार करने के उपरांत यह निष्‍कर्ष निकाला है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने प्रश्‍नगत वाहन की मरम्‍मत का जो स्‍टीमेट आथराइज्‍ड सर्विस सेन्‍टर का दिया है, उसकी धनराशि 1,18,180.00 रू0 में 10 प्रतिशत की कटौती कर वाहन की क्षतिपूर्ति की धनराशि 1,06,329.00 रू0 निर्धारित किया जाना उचित है और इस धनराशि से बीमा कम्‍पनी द्वारा अदा की गई धनराशि 24,650.00 रू0 को काटकर शेष धनराशि 81,730.00 रू0 अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी से प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को दिलाया जाना उचित है। अत: जिला फोरम ने तद्नुसार आक्षेपित आदेश पारित किया है, जो ऊपर अंकित किया गया है।

अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम ने सर्वेयर द्वारा आंकलित क्षतिपूर्ति को मान्‍यता न प्रदान कर प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा प्रस्‍तुत स्‍टीमेट पर जो विश्‍वास व्‍यक्‍त किया है, वह उचित नहीं है। सर्वेयर आख्‍या पर विश्‍वास न करने हेतु कोई उचित आधार नहीं है, इसके साथ ही परिवाद पत्र के कथन से यह स्‍पष्‍ट है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने अपने प्रश्‍नगत वाहन की मरम्‍मत अपने खर्च पर करायी है। अत: उसे खर्च के वास्‍तविक भुगतान की गई धनराशि का बिल व बाउचर प्रस्‍तुत करना चाहिए था, परन्‍तु उसने प्रस्‍तुत नहीं किया है। ऐसी स्थिति में

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उसके द्वारा प्रस्‍तुत स्‍टीमेट पर विश्‍वास नहीं किया जा सकता है और यह नहीं कहा जा सकता कि वास्‍तव में उसके द्वारा वाहन की मरम्‍मत में 1,18,180.00 रू0 स्‍टीमेंट में अंकित धनराशि का भुगतान किया गया है।

प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय साक्ष्‍य और विधि के अनुकूल है और उसमें किसी हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है।

मैंने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क पर विचार किया है।

निर्विवाद रूप से अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी ने प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को उसके वाहन की क्षतिपूर्ति हेतु सर्वेयर द्वारा आंकलित क्षतिपूर्ति की धनराशि 24,650.00 रू0 अदा कर दिया है। प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के अनुसार उसने यह धनराशि अवशेष धनराशि की मॉग हेतु अपने अधिकार को सुरक्षित रखते हुए स्‍वीकार की है। जिला फोरम के निर्णय से स्‍पष्‍ट है कि जिला फोरम के समक्ष प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने मात्र मरम्‍मत का स्‍टीमेट प्रस्‍तुत किया है, मरम्‍मत में हुए व्‍यय के भुगतान का वास्‍तविक बिल व बाउचर प्रस्‍तुत नहीं किया है। प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी वाहन की मरम्‍मत में हुए वास्‍तविक व्‍यय की धनराशि तभी पाने की अधिकारी होगी, जब वह बिल व बाउचर प्रस्‍तुत कर प्रमाणित करें कि वास्‍तव में उसने वाहन की मरम्‍मत हेतु यह धनराशि अदा की है, परन्‍तु प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी की ओर से वाहन की मरम्‍मत में हुए व्‍यय का बिल, बाउचर अथवा रसीद प्रस्‍तुत नहीं

-7-

की गई है। अत: मात्र स्‍टीमेट के आधार पर सर्वेयर आख्‍या को अमान्‍य किया जाना उचित नहीं है। अत: जिला फोरम ने बिना कोई उचित आधार दर्शित करते हुए सर्वेयर आख्‍या को अमान्‍य कर प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा प्रस्‍तुत स्‍टीमेट को जो मान्‍यता प्रदान की है, वह साक्ष्‍य और विधि के अनुकूल नहीं है। अत: जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय दोष पूर्ण है और निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

उपरोक्‍त विवरण से स्‍पष्‍ट है कि सर्वेयर द्वारा आंकलित क्षतिपूर्ति की धनराशि का भुगतान अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी की ओर से प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को किया जा चुका है। अत: अब प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को कोई और अनुतोष प्रदान किए जाने हेतु उचित आधार नहीं है।

उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर अपील स्‍वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश अपास्‍त करते हुए परिवाद निरस्‍त किया जाता है।

अपील में उभय पक्ष अपना अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेगें।

धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत अपील में जमा धनराशि 25,000.00 रू0 अर्जित ब्‍याज सहित अपीलार्थी को वापस की जायेगी।

 

                        (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)               

                                  अध्‍यक्ष                           

हरीश आशु.,

कोर्ट सं0-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT

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