Uttar Pradesh

StateCommission

A/1203/2022

M.D. Madhyanchal Vidyut Vitran Nigam Ltd. & Others - Complainant(s)

Versus

Smt. Punam - Opp.Party(s)

Isar Husain

19 Dec 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1203/2022
( Date of Filing : 07 Nov 2022 )
(Arisen out of Order Dated 12/04/2022 in Case No. CC/177/2021 of District Bareilly-I)
 
1. M.D. Madhyanchal Vidyut Vitran Nigam Ltd. & Others
Lucknow
...........Appellant(s)
Versus
1. Smt. Punam
Bareilly
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 19 Dec 2022
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(मौखिक)                                                                                  

अपील संख्‍या:-1203/2022

मैनेजिंग डायरेक्‍टर, मध्‍यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, 4ए गोखले मार्ग, लखनऊ व तीन अन्‍य

                                              ........... अपीलार्थी/विपक्षीगण

बनाम              

श्रीमती पूनम पत्‍नी स्‍व0 संदीप, निवासी ग्राम वरदहा लुछिया, जिला पीलीभीत हाल निवासी नवादा शेखान बरेली व चार अन्‍य।

…….. प्रत्‍यर्थी/परिवादीगण

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष              

अपीलार्थीगण के अधिवक्‍ता      : श्री इसार हुसैन

प्रत्‍यर्थीगण के अधिवक्‍ता        : श्री अखिलेश त्रिवेदी

दिनांक :-19-12-2022

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, अपीलार्थी/ मैनेजिंग डायरेक्‍टर, मध्‍यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड व तीन अन्‍य द्वारा इस न्‍यायालय के सम्‍मुख धारा-41 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अन्‍तर्गत जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम बरेली द्वारा परिवाद सं0-177/2021 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 12.4.2022 के विरूद्ध योजित की गई है।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी किराये के मकान में रहती है एवं उसके घर के ऊपर से 33 हजार एच0टी0 लाईन गुजर रही है। दिनांक 23.6.2021 को प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के पति लगभग 2.00 ए0एम0 पर पेशाब करने के लिए उठे और जैसे ही पेशाब कर वापस जा रहे थे कि तभी एकदम से चिंगारी उठी और पीछे मुडकर देखने पर 33 हजार वोल्‍ट की लाइन ने प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के पति को पकड़/जकड़ लिया, जिससे उनकी मौके पर ही मृत्‍यु हो गई। प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने दुर्घटना की सूचना तुरन्‍त थाना व बिजली विभाग को दी एवं एक प्रार्थना पत्र दिनांकित 22.7.2021 को उपनिदेशक विद्युत सुरक्षा उ0प्र0 शासन, बरेली को घटना

-2-

की जॉच एवं क्षतिपूर्ति के संबंध में दिया, परन्‍तु विभाग द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई, अत्एव विवश होकर परिवाद जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रस्‍तुत किया गया।

अपीलार्थी/विपक्षीगण की ओर से जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख परिवाद पत्र का विरोध करते हुए परिवाद पत्र के कथनों से इंकार किया गया।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍य पर विस्‍तार से विचार करने के उपरांत परिवाद को आंशिक रूप से स्‍वीकार कर निम्‍न आदेश पारित किया गया है:-

''परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध इस प्रकार स्‍वीकार किया जाता है कि विपक्षीगण परिवादी को रू0 4,00,000.00 क्षतिपूर्ति के रूप में अदा करेंगे, जिसमें से परिवादी सं0-1, 2, 3 जोकि मृतक की पत्‍नी व बच्‍चे हैं, प्रत्‍येक को एक-एक लाख दिया जायेगा, शेष 1 लाख में से 50,000/- 50,000/- मृतक के माता पिता परिवादी संख्‍या-4 व 5 को दिया जायेगा। परिवादी सं0-2 व 3 की धनराशि उनके व्‍यस्‍क होने तक राष्‍ट्रीयकृत बैंक में एफ0डी0आर0 के रूप में जमा होगा, जिसकी संरक्षिका उसकी मॉ परिवादिनी संख्‍या-1 होगी, परिवादी संख्‍या-2 व 3 अपने हिस्‍से की धनराशि व्‍यस्‍क होने पर प्राप्‍त कर सकेंगे। आदेश का अनुपालन 30 दिन में किया जायेगा। समय से अनुपालन न करने पर धनराशि पर 07 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्‍याज देय होगा। ब्‍याज की गणना वाद दाखिल करने की तिथि से वसूली की तिथि तक होगी। इसके अलावा 4,000.00 खर्चा मुकदमा के मद में भी दिलाया जाना न्‍यायोचित होगा। समस्‍त धनराशि 30 दिन में अदा की जायेगी।''

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग के प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश से क्षुब्‍ध होकर अपीलार्थी/मैनेजिंग डायरेक्‍टर, मध्‍यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड द्वारा प्रस्‍तुत अपील योजित की गई है।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा कथन किया गया कि जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पूर्णत: तथ्‍य और विधि के विरूद्ध है। यह भी

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कथन किया गया कि अपीलार्थी द्वारा सेवा में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं की गई है। अपीलार्थी की ओर से जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश को अपास्‍त कर अपील को स्‍वीकार किये जाने की प्रार्थना की गई है।

प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा कथन किया गया कि जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पूर्णत: तथ्‍य और विधि के अनुकूल है, जिसमें किसी प्रकार के हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है।

हमारे द्वारा उभय पक्ष की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍तागण को सुना तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का अवलोकन किया।

यद्यपि प्रस्‍तुत अपील विलम्‍ब देरी क्षमा प्रार्थना पत्र के साथ प्रस्‍तुत की गई है

तथा यह कथन किया गया है कि प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश दिनांकित 12.4.2022 की प्रमाणित प्रति उन्‍हें दिनांक 16.04.2022 को प्राप्‍त हुई, तत्‍पश्‍चात प्रकरण को उच्‍च अधिकारियों को निर्णय लिए जाने हेतु प्रेषित किया गया और उसके बाद दिनांक 07.11.2022 को अपील प्रस्‍तुत की गई है। अपीलार्थी की ओर से प्रस्‍तुत विलम्‍ब देरी क्षमा प्रार्थना पत्र में उल्लिखित कारण अपील को ग्रहण किये जाने हेतु पर्याप्‍त एवं उचित प्रतीत नहीं होता है, अत्एव अपील विलम्‍ब से योजित किये जाने में हेतु प्रस्‍तुत प्रार्थना पत्र अस्‍वीकार किया जाता है।

जहॉ तक प्रकरण के गुणदोष का प्रश्‍न है वर्तमान प्रकरण में यह स्‍पष्‍ट रूप से पाया जाता है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के पति की मृत्‍यु विद्युत करेंट के लगने से हुई है, जिसके संबंध में प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा उपनिदेशक विद्युत सुरक्षा को मामले की सूचना दी गई एवं पुलिस को भी सूचना दी गई तथा मृतक के शव का पोस्‍टमार्टम भी कराया गया है, परन्‍तु अपीलार्थी विभाग द्वारा इस सम्‍बन्‍ध में कोई कार्यवाही नहीं की गई। मेरे द्वारा समस्‍त तथ्‍यों के विचारोंपरांत सम्‍पूर्ण लापरवाही के एवज में क्षतिपूर्ति की भरपाई हेतु अपीलार्थी विद्युत विभाग उत्‍तरदायी है। उक्‍त समस्‍त तथ्‍यों पर विस्‍तृत चर्चा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा अपने प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश में की है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित

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निर्णय/आदेश पूर्णत: विधि अनुकूल है, उसमें किसी प्रकार कोई अवैधानिकता अथवा विधिक त्रुटि अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा अपील स्‍तर पर इंगित नहीं की जा सकी है, विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में किसी प्रकार के हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता अपील स्‍तर पर प्रतीत नहीं हो रही है, अत्एव प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

      अपीलार्थी को आदेशित किया जाता है कि वह उपरोक्‍त निर्णय/आदेश का अनुपालन 30 दिन की अवधि में किया जाना सुनिश्चित करें।

उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अन्‍तर्गत अपील में जमा धनराशि मय अर्जित ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला उपभोक्‍ता आयोग को नियमानुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जावे।  

आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

                                        (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                   

                                            अध्‍यक्ष                                                                                                                

 

हरीश सिंह, पी0ए0 ग्रेड-2.,

कोर्ट नं0-1

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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