Uttar Pradesh

StateCommission

A/151/2022

Meerut Development Authority - Complainant(s)

Versus

Smt. Poonam Yadav - Opp.Party(s)

Ramraj And Piyush Mani Tripathi

07 Mar 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/151/2022
( Date of Filing : 03 Mar 2022 )
(Arisen out of Order Dated 07/12/2021 in Case No. C/2015/405 of District Meerut)
 
1. Meerut Development Authority
meerut
...........Appellant(s)
Versus
1. Smt. Poonam Yadav
W/o Late Sri Rajan Yadav R/o 413A Ghosi Mohalla Lalkurti Dist. Meerut
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 07 Mar 2022
Final Order / Judgement

(मौखिक)

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।

 

अपील संख्‍या :151/2022

 

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, मेरठ द्वारा परिवाद संख्‍या-405/2015 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 07-12-2021 के विरूद्ध)

 

मेरठ विकास प्राधिकरण, मेरठ द्वारा उपाध्‍यक्ष।

अपीलार्थी/विपक्षी सं0-2

बनाम्

 

श्रीमी पूनम यादव पत्‍नी स्‍व0 श्री राजन यादव निवासिनी-413-ए, घोसी मोहल्‍ला, लालकुर्ती, जिला-मरेठ।

प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी

     समक्ष  :-

  1. मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार,    अध्‍यक्ष।
  2. मा0 श्री विकास सक्‍सेना,       सदस्‍य।

     उपस्थिति :

     अपीलार्थी की ओर से उपस्थित-        श्री पियूष मणि त्रिपाठी।  

     प्रत्‍यर्थी  की ओर से उपस्थित-            कोई नहीं।

 

दिनांक : 07-03-2022

 

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित निर्णय

 

       परिवाद संख्‍या-405/2015 राजन यादव (मृतक) व अन्‍य बनाम मेरठ विकास प्राधिकरण व एक अन्‍य में जिला उपभोक्‍ता आयोग, मेरठ द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनां‍क 07-12-2021 के विरूद्ध यह अपील धारा-15  उपभोक्‍ता  संरक्षण अधिनियम-1986 के अन्‍तर्गत राज्‍य आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है।

  ‘’आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा विद्धान जिला आयोग ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

-2-

 

‘’ परिवादी का परिवाद विरूद्ध विपक्षीगण स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि विपक्षीगण इस आदेश से दो माह के अंदर अंकन रू0 5,26,000/- मय 07 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज जमा तिथि ता अंतिम अदायगी और अंकन 5,000/-रू0 परिवाद व्‍यय परिवादी को अदा करें।

  विद्धान जिला आयोग के निर्णय एवं आदेश से क्षुब्‍ध होकर परिवाद के विपक्षी मेरठ विकास प्राधिकरण द्वारा उपाध्‍यक्ष की ओर से यह अपील प्रस्‍तुत की गयी है।

  अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादी ने विपक्षीगण द्वारा जारी किये गये विज्ञापन के क्रम में विपक्षीगण की पल्‍लवपुरम फेस-2 आवासीय योजना में एक अल्‍प आय वर्ग श्रेणी का भूखण्‍ड लेने हेतु दिनांक 30-01-2009 को अंकन 43,000/-रू0 डिमाण्‍ड ड्राफ्ट संख्‍या-885167, दिनांकित 28-01-2009 के माध्‍यम से जमा करके पंजीकरण कराया, जिसकी नीलामी दिनांक 27-02-2009 को सम्‍पन्‍न हुई और परिवादी को अल्‍प आय वर्ग श्रेणी में 84 वर्ग मीटर का पॉकेट एमएस में भूखण्‍ड संख्‍या-61 आवंटित किया गया। विपक्षी प्राधिकरण द्वारा भूखण्‍ड की कीमत अंकन 5100/-रू0 प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से अंकन 4,28,400/-रू0 बतायी गयी और इस धनराशि में से पंजीकरण राशि 43,000/-रू0 घटाकर भूखण्‍ड के मूल्‍य की अवशेष राशि अंकन 3,85,400/-रू0 ब्‍याज सहित 08 अर्धवार्षिक किस्‍तों में जमा करने को कहा गया। परिवादी ने विपक्षीगण द्वारा दिये गये शेड्यूल के अनुसार आठ किस्‍तों की धनराशि समय से जमा कर दी, जिसमें कुल अंकन 5,26,000/-रू0 जमा किये गये।

   परिवादी ने उक्‍त आवंटित भूखण्‍ड की रजिस्‍ट्री कराने तथा भूखण्‍ड का साईट प्‍लान उपलब्‍ध कराने हेतु विपक्षीगण को कई पत्र भेजे, लेकिन विपक्षीगण ने कोई ध्‍यान नहीं दिया तो परिवादी ने प्रार्थना पत्र दिनांकित 24-02-2015 विपक्षी को दिया कि या तो उसकी जमा धनराशि शीघ्र वापस  की जावे या किसी अन्‍य योजना में उसे भूखण्‍ड आवंटित किया जावे, जिसके उत्‍तर में विपक्षी ने पत्र दिनांकित 02-03-2015 की प्रति परिवादी को प्रेषित की, जिसमें अधिशासी अभियन्‍ता, पल्‍लवपुरम से भूखण्‍ड का साईट प्‍लान विक्रय विलेख निष्‍पादित किये जाने के लिए मांगा गया था और विपक्षी ने पत्र दिनांकित 14-10-2015 एवं 26-10-2015 से परिवादी को सूचित

 

 

 

-3-

किया कि पल्‍लवपुरम फेस-2 आवासीय योजना में आवंटित अल्‍प आय वर्ग श्रेणी में भूखण्‍ड संख्‍या-एमएच-61 पर अभियन्‍त्रण खण्‍ड की आख्‍या दिनांक 16-09-2015 के अनुसार वर्तमान में अतिक्रमण होने के कारण उक्‍त भूखण्‍ड का साईट प्‍लान उपलब्‍ध कराया जाना सम्‍भव नहीं है। अभियन्‍त्रण खण्‍ड की साईट प्‍लान प्राप्‍त होने पर रजिस्‍ट्री व कब्‍जे की कार्यवाही की सूचना परिवादी को भेज दी जायगी और विपक्षीगण ने परिवादी को आवंटित उक्‍त भूखण्‍ड की रजिस्‍ट्री कराकर उस पर कब्‍जा नहीं दिया तथा विपक्षी ने परिवादी से उक्‍त भूखण्‍ड की कीमत अंकन 5,26,000/-रू0 प्राप्‍त कर ली और विपक्षीगण को ज्ञात था कि उक्‍त भूखण्‍ड पर उसका कब्‍जा नहीं है। परिवादी ने विपक्षी प्राधिकरण से शिकायत की, तो विपक्षी ने उत्‍तर दिया कि अतिक्रमण होने के कारण विक्रय पत्र निष्‍पादित करके कब्‍जा नहीं दिया जा सकता। विपक्षी ने छलपूर्वक उक्‍त प्‍लाट परिवादी को आवंटित किया जब कि विपक्षी का कब्‍जा उक्‍त प्‍लाट पर नहीं था। विपक्षीगण ने परिवादी को आवंटित प्रश्‍नगत भूखण्‍ड का विक्रय पत्र निष्‍पादित कराकर आज तक कब्‍जा न देकर सेवा में कमी कारित की है। इसलिए विवश होकर परिवादी द्वारा यह परिवाद योजित किया गया है।

  विपक्षीगण की ओर से वादोत्‍तर प्रस्‍तुत करते हुए परिवाद के पैरा संख्‍या-3, 4, 5 व 6 को स्‍वीकार किया गया और विपक्षीगण ने स्‍पष्‍ट रूप से कहा कि प्रश्‍नगत भूखण्‍ड पर अतिक्रमण होने के कारण उसका कब्‍जा नहीं दिया जा सकता है तथा यह भी कहा कि  प्रश्‍नगत भूमि में अतिक्रमण समाप्‍त होने और अभियन्‍त्रण खण्‍ड से साईट प्‍लान प्राप्‍त होने पर रजिस्‍ट्री कराकर कब्‍जा दिया जा सकता है। विपक्षीगण ने सेवा में कोई कमी नहीं की है। परिवादी कोई अनुतोष पाने का अधिकारी नहीं है। परिवाद खारिज होने योग्‍य है। 

  विद्धान जिला आयोग ने उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्‍तागण के तर्क को विस्‍तारपूर्वक सुनने के उपरान्‍त अपने निष्‍कर्ष में यह मत अंकित किया है कि विपक्षी द्वारा परिवादी को आवंटित किये गये प्रश्‍नगत भूखण्‍ड संख्‍या-61 क्षेत्रफल 84 वर्ग मीटर स्थित पॉकेट एमएस पल्‍लवपुरम फेस-2 की ब्‍याज सहित सम्‍पूर्ण धनराशि 5,26,000/-रू0 परिवादी द्वारा विपक्षी के यहॉं जमा की गयी है, परन्‍तु उक्‍त भूमि पर अतिक्रमण बताकर विपक्षीगण द्वारा न तो

 

-4-

परिवादी को उक्‍त भूखण्‍ड का साईट प्‍लान उपलब्‍ध कराया गया और न ही परिवादी के पक्ष में विक्रय पत्र निष्‍पादित कराकर उक्‍त प्‍लाट का कब्‍जा परिवादी को दिया गया और नोटिस दिये जाने के बावजूद विपक्षी द्वारा परिवादी की जमा धनराशि वापस नहीं की गयी। जो विपक्षीगण की सेवा में कमी है।

       अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी/परिवादी की ओर से विद्धान अधिवक्‍ता श्री पियूष मणि त्रिपाठी उपस्थित आए। प्रत्‍यर्थी/विपक्षी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।

       अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता का तर्क है विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश विधि विरूद्ध है। अपीलार्थी विकास प्राधिकरण की ओर से सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है।

       हमने अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता के तर्क को सुना है तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का भली-भॉंति परिशीलन एवं परीक्षण किया है।

       पत्रावली के अवलोकन से यह विदित होता है कि विद्धान जिला आयोग द्वारा समस्‍त तथ्‍यों का सम्‍यक अवलोकन एवं परीक्षण करने के उपरान्‍त विधि अनुसार निर्णय पारित किया गया है जिसमें विकास प्राधिकरण के विद्धान अधिवक्‍ता द्वारा कोई भी कमी उद्धत नहीं की गयी अतएव हमारे मत से निर्णय में किसी प्रकार के हस्‍तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है। तदनुसार अपील निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

आदेश

       अपील निरस्‍त की जाती है। विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 07-12-2021 की पुष्टि की जाती है। अपीलार्थी विकास प्राधिकरण को आदेशित किया जाता है कि वह निर्णय एवं आदेश का अनुपालन निर्णय से एक माह की अवधि में किया जाना सुनिश्चित करें।

       अपील में उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

(न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                   ( विकास सक्‍सेना )

       अध्‍यक्ष                                 सदस्‍य

प्रदीप मिश्रा, आशु0 कोर्ट नं0-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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