राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1068/2023
(सुरक्षित)
(जिला उपभोक्ता आयोग-द्वितीय, मुरादाबाद द्वारा परिवाद संख्या 39/2020 में पारित आदेश दिनांक 08.05.2023 के विरूद्ध)
1. लाइफ इंश्योरेंस कारपोरेशन आफ इण्डिया, ब्रांच आफिस-गुरूग्राम, प्लाट नं0 104, सेक्टर-44, गुरूग्राम, हरियाणा द्वारा असिस्टेन्ट सेक्रेटरी (लीगल), जोनल आफिस लीगल सेल, छठवां तल, जीवन भवन फेज II, हजरतगंज, लखनऊ
2. लाइफ इंश्योरेंस कारपोरेशन आफ इण्डिया, ब्रांच आफिस-मुरादाबाद, पीली कोठी, सिविल लाइंस, मुरादाबाद, द्वारा असिस्टेन्ट सेक्रेटरी (लीगल), जोनल आफिस लीगल सेल, छठवां तल, जीवन भवन फेज II, हजरतगंज, लखनऊ
.....................अपीलार्थीगण/विपक्षीगण
बनाम
श्रीमती नीलम, पत्नी स्व0 राजीव कुमार, निवासी-एम0एम0आई0ए0-सी/233, आशियाना फेज I, जिला-मुरादाबाद
............प्रत्यर्थी/परिवादिनी
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री अरविन्द तिलहरी,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी/परिवादिनी की ओर से उपस्थित : श्री एस0पी0 पाण्डेय,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 13.09.2024
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील इस न्यायालय के सम्मुख जिला उपभोक्ता आयोग-द्वितीय, मुरादाबाद द्वारा परिवाद संख्या-39/2020 नीलम बनाम लाइफ इंश्योरेंस कार्पोरेशन ऑफ इंडिया व एक अन्य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 08.05.2023 के विरूद्ध योजित की गयी।
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अपील की अन्तिम सुनवाई की तिथि पर अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री अरविन्द तिलहरी एवं प्रत्यर्थी/परिवादिनी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री एस0पी0 पाण्डेय को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का सम्यक परीक्षण व परिशीलन किया गया।
उभय पक्ष की ओर से लिखित तर्क प्रस्तुत किया गया। मेरे द्वारा उभय पक्ष की ओर से प्रस्तुत लिखित तर्क का भी सम्यक परीक्षण व परिशीलन किया गया।
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादिनी के पति श्री राजीव कुमार आई0आई0टैन में इंजीनियर थे तथा गुड़गांव सिटी में नौकरी करते थे तथा यह कि उनका कोई भी चिकित्सीय इलाज नहीं हुआ तथा न ही किसी प्रकार की कोई बीमारी से वे ग्रसित थे। परिवादिनी के पति द्वारा निवेश की दृष्टि से बीमा पालिसी वर्ष 2010 में विपक्षी संख्या-1 द्वारा प्रस्ताव किए जाने पर प्रथम पालिसी जीवन आनन्द सं0-332943715 प्रारम्भ तिथि 10.01.2010 वार्षिक प्रीमियम 25,804/-रू0 परिपक्वता तिथि 10.01.2030 बीमित धन 5,00,000/-रू0 व दूसरी पालिसी जीवन सरल पालिसी सं0-333214848 प्रारम्भ तिथि 14.12.2010 मासिक किश्त प्रीमियम 2042/-रू0 परिपक्वता तिथि 14.12.2035 समएश्योर्ड 5,00,000/-रू0 के सन्दर्भ में ली गयी थी, जिसमें परिवादिनी को नामिनी नामित किया गया था।
परिवादिनी के पति श्री राजीव कुमार द्वारा वर्ष 2016 में दिनांक 21.12.2016 को एक नई टर्म पालिसी सं0-895824500 प्रारम्भ तिथि 20.12.2016 वार्षिक किश्त प्रीमियम 8,950/-रू0 परिपक्वता तिथि 20.12.2041 तथा समएश्योर्ड राशि 50,00,000/-रू0 ली गयी। उपरोक्त सभी पालिसियों के अन्तर्गत प्रीमियम की अदायगी परिवादिनी के पति द्वारा की जाती रही।
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दिनांक 24.10.2018 को राजीव कुमार को अचानक चेस्ट में दर्द होने पर उन्हें तुरन्त मेदांता अस्पताल गुड़गांव में उसी दिन दिखाया गया, जहॉं उनकी मृत्यु हो गयी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में चिकित्सक द्वारा मृत्यु का कारण अचानक cardiac attack अंकित किया है। परिवादिनी के पति की मृत्यु के उपरान्त परिवादिनी द्वारा विपक्षी को सूचित किया गया तो विपक्षी द्वारा यह कथन किया गया कि अंतिम संस्कार के पश्चात् क्लेम आवेदन करें। उसके कुछ दिनों पश्चात् विपक्षी संख्या-1 के कार्यालय में तीनों पालिसियों के सन्दर्भ में क्लेम आवेदन प्रस्तुत किया गया। परिवादिनी के पति किसी बीमारी से ग्रसित नहीं थे।
विपक्षी जीवन निगम द्वारा पालिसी जीवन आनन्द व पालिसी जीवन सरल के क्लेम का भुगतान कर दिया गया, परन्तु टर्म पालिसी के सन्दर्भ में क्लेम खारिज करते हुए यह अंकित किया गया कि प्रस्तावना फार्म के सभी तथ्य सत्यतापूर्वक अंकित नहीं किए गए थे। पालिसी धारक हृदयघात की बीमारी से ग्रसित थे और उनके द्वारा धोखाधड़ी करके तथ्यों को छिपाकर पालिसी प्राप्त की गयी। उक्त पत्र दिनांक 14.10.2019 को परिवादिनी को विपक्षी संख्या-1 से प्राप्त हुआ तब परिवादिनी द्वारा विपक्षी संख्या-1 के कार्यालय में जाकर अपने आदेश को अवलोकित करने हेतु आवेदन किया क्योंकि परिवादिनी के पति की अचानक हृदयघात से मृत्यु हुई, न कि किसी बीमारी के इलाज के कारण। विपक्षी संख्या-1 के मैनेजर द्वारा उपरोक्त आदेश को पुन: अवलोकित करने का कथन किया व वर्ष 2020 में विपक्षी संख्या-1 द्वारा भी मना करने से रीजनल मैनेजर को आवेदन किया, किन्तु विपक्षी द्वारा दिनांक 20.07.2020 का एक पत्र प्राप्त हुआ कि परिवादिनी की अपील खारिज कर दी गयी है तथा परिवादिनी को 50,00,000/-रू0 की बीमित राशि कथित टर्म पालिसी के अन्तर्गत देने से इन्कार कर
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दिया गया, जो विपक्षीगण की सेवा में कमी है। अत: क्षुब्ध होकर परिवादिनी द्वारा जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद योजित करते हुए वांछित अनुतोष की मांग की गयी।
जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख विपक्षीगण की ओर से जवाब/आपत्ति दाखिल की गयी, जिसमें परिवादिनी द्वारा दिनांक 08.11.2018 को विपक्षीगण को अपने बीमित पति की मृत्यु के संबंध में सूचना दिए जाने के तथ्य को स्वीकार किया गया, साथ ही पालिसी संख्या-895824500 का क्लेम दिनांक 21.07.2020 को खारिज किए जाने के तथ्य को स्वीकार किया।
विपक्षीगण द्वारा कथन किया गया कि चूँकि मृतक द्वारा बीमा की शर्तों का उल्लंघन किया गया, जो कि सदभावना पर आधारित होती है, किन्तु इस सन्दर्भ में फार्म 3816 मेदांता अस्पताल व फार्म 3474 पोस्ट मार्टम रिपोर्ट गुड़गांव से प्राप्त हुआ, जिसमें मृतक के heart as described in PMR से उसकी हृदयगति की स्थिति जिसमें suggestive of long standing cardiac conditions and both main stem coronaries 70% पाया गया तथा ब्लाकेज व खून के थक्के पाए गए, जो यह स्पष्ट करता है कि परिवादिनी के मृतक पति द्वारा पूर्व विद्यमान बीमारी के तथ्यों को छिपाकर उपरोक्त पालिसी ली गयी थी, जिस कारण से क्लेम खारिज किया गया।
पूर्ण प्रस्तावना फार्म दिनांक 01.10.2014 तथा प्रस्तावना फार्म दिनांक 20.12.2016 जिसमें OR due to Non-Disclosure, BP, ECG, 2D-ECHO Normal थे। इस कारण हृदय की स्थिति hence accepted as standard के तौर पर स्वयं प्रपोजल किया गया था, जबकि हृदय की स्थिति उक्त प्रस्तावना फार्म के सन्दर्भ में परिवादिनी के पति को स्पष्ट करनी चाहिए थी, जिसको छिपाया गया व मूलभूत तथ्यों को छिपाकर प्रश्नगत पालिसी ली गयी, जिसे विपक्षी द्वारा खारिज किया गया। इसमें किसी प्रकार की सेवा में कमी नहीं की गयी। प्रश्न सं0-30 व 42 के सन्दर्भ में coronary
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disease बीमित व्यक्ति द्वारा जानकारी नहीं दी गयी, जो कि ई-प्रपोजल फार्म ऑनलाइन भरा गया था। इस कारण परिवाद निरस्त होने योग्य है।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्यों/प्रपत्रों पर विचार करने के उपरान्त समस्त तथ्यों को विस्तार से उल्लिखित करते हुए यह पाया गया कि बीमाधारक को बीमा पालिसी लेने से पूर्व हृदय की बीमारी से ग्रसित होने के संबंध में कोई जानकारी होने सम्बन्धी बीमा निगम द्वारा कोई साक्ष्य/दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया गया, जिससे यह सिद्ध हो सके कि बीमाधारक द्वारा जानबूझकर अपनी पूर्व बीमारी को बीमा प्रस्ताव में छिपाकर प्रश्नगत बीमा पालिसी प्राप्त की गयी।
तदनुसार विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा परिवाद को स्वीकार करते हुए विपक्षीगण को आदेशित किया गया कि टर्म पालिसी सं0-895824500 की क्लेम धनराशि 50,00,000/-रू0 परिवाद योजित करने की तिथि से वास्तविक भुगतान की तिथि तक 06 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ तथा मानसिक, आर्थिक क्षतिपूर्ति के रूप में 50,000/-रू0 एवं वाद व्यय हेतु 10,000/-रू0 एक माह में अदा करें।
उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण को सुनने तथा समस्त तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए तथा जिला उपभोक्ता
आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्त मैं इस मत का हूँ कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा समस्त तथ्यों का सम्यक अवलोकन/परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्त विधि अनुसार समस्त तथ्यों को विस्तार से उल्लिखित करते हुए निर्णय पारित किया, जिसमें मेरे विचार से हस्तक्षेप हेतु किसी भी बिन्दु पर कोई भी आधार नहीं है।
तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
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प्रस्तुत अपील में अपीलार्थीगण द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1