Uttar Pradesh

StateCommission

A/808/2022

G.M. North Central Railways - Complainant(s)

Versus

Smt. Neelam Gupta - Opp.Party(s)

Ganesh Chandra Rai

07 Sep 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/808/2022
( Date of Filing : 22 Aug 2022 )
(Arisen out of Order Dated 24/06/2022 in Case No. Caveat Cases No. C/2012/104 of District Lucknow-II)
 
1. G.M. North Central Railways
Prayagraj
...........Appellant(s)
Versus
1. Smt. Neelam Gupta
Varanasi
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 07 Sep 2022
Final Order / Judgement

 

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।

अपील संख्‍या- 808/2022

 

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, द्धितीय लखनऊ द्वारा परिवाद संख्‍या- 104/2012 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 24-06-2021 के विरूद्ध)

 

1- जनरल मैनेजर, नार्थ सेन्‍ट्रल रेलवे, प्रयागराज।

2- सीनियर सिक्‍योरिटी कमिशनर, रेलवे प्रोटेक्‍शन फोर्स, नार्थ सेन्‍ट्रल रेलवे प्रयागराज।

3- सुप्रीटेंडेंट आफ पुलिस गर्वनमेंट रेलवे पुलिस स्‍टेशन पानदरीबा, चारबाग लखनऊ।

                                                                                                                         .अपीलार्थीगण 

बनाम

नीलम गुप्‍ता पत्‍नी श्री ए०के० गुप्‍ता, निवासी- ए2/2 अनन्‍त कालोनी, नादेसर कैंट 02 वाराणसी। 

                                                                                                                           .प्रत्‍यर्थी                                             

समक्ष  :-

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष

उपस्थिति :

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित-  विद्वान अधिवक्‍ता श्री गणेश चन्‍द्र राय

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित-  कोई उपस्थित नहीं।

 

दिनांक : 07-09-2022

       माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

 निर्णय

       प्रस्‍तुत अपील, अपीलार्थी जनरल मैनेजर, नार्थ सेन्‍ट्रल रेलवे, प्रयागराज व दो अन्‍य द्वारा विद्वान जिला आयोग, द्धितीय लखनऊ द्वारा परिवाद संख्‍या- 104/2012 नीलम गुप्‍ता बनाम जनरल मैनेजर, नार्थ सेंट्रल रेलवे प्रयागराज अन्‍य में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 24-06-2022 के विरूद्ध इस आयोग के समक्ष योजित की गयी है।

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      परिवाद के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादिनी अपने परिवार के साथ दिनांक 07-02-2011 को अपने रिश्‍तेदार की शादी में शामिल होने के बाद ट्रेन संख्‍या- 132406 से आगरा कैण्‍ट से वाराणसी आ रही थी। परिवादिनी व उसके परिवार का सेकेण्‍ड ए०सी० का टिकट था जिसमें सीट संख्‍या-      19, 20, 21, एवं 22 आरक्षित थी। उक्‍त ट्रेन जब कानपुर से लखनऊ के बीच चल रही थी तभी ट्रेन से उसका सूटकेस चोरी हो गया जिसमें कपड़े, साडि़यां, सोने की चेन, नेकलेस, 02 सोने की चूड़ी 04 अंगूठी व अन्‍य सामान जिसकी कीमत 4,00,000/-रू० थी, गायब था। उक्‍त घटना की सूचना परिवादिनी के पति ने दिनांक 08-02-2011 को जी०आर०पी० लखनऊ में दी। परिवादिनी द्वारा कई बार विपक्षी के आफिस में अपने चोरी हुए सामान के सम्‍बन्‍ध में सम्‍पर्क किया गया परन्‍तु चोर पकड़े नहीं गये और परिवादिनी का सामान आज त‍क वापस प्राप्‍त नहीं हुआ जो कि विपक्षीगण की सेवा में कमी है।

    विपक्षी संख्‍या-1 की ओर से प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत किया गया जिसमें कथन किया गया कि परिवादिनी के पति रेलवे के कर्मचारी हैं तथा परिवादिनी अपने परिवार के साथ रेलवे पास से यात्रा कर रही थी, उसका टिकट शून्‍य पैसे पर बना था। रेल प्रशासन ने परिवादिनी से कोई शुल्‍क नहीं लिया है। परिवादिनी ने दिनांक 07-02-2011 को यात्रा की घटना की रिपोर्ट दिनांक 08-03-2011 को लिखायी है ज‍बकि उसे चोरी की सूचना तत्‍काल देना चाहिए था। विपक्षीगण की ओर से सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है। विपक्षी का यह भी कथन है कि रेलवे की धारा- 100 के अनुसार रेल प्रशासन किसी भी सामान की हानि, नुकसान क्षय, अपरिदान के लिए तभी उत्‍तदायी होगा जब किसी रेल सेवक ने सामान बुक किया हो और उसके लिए रसीदें दी हों। इसके अतिरिक्‍त विपक्षी का यह भी कथन है कि रेलवे प्रशासन प्रत्‍येक रेलवे स्‍टेशन पर सूचना

 

3

 

प्रकाशित करवाता है कि प्रत्‍येक यात्री अपने सामान की सुरक्षा स्‍वयं करें। परिवा‍दिनी को अपने बहुमूल्‍य सामान की सुरक्षा हेतु आवश्‍यक भुगतान कर सामान का बीमा करा लेना चाहिए था। परिवा‍दिनी द्वारा अपने कीमती सामान की सुरक्षा हेतु स्‍वयं चूक की गयी है जिसके लिए विपक्षी उत्‍तरदायी नहीं है।

      विपक्षी संख्‍या-3 की ओर से भी प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत किया गया है जिसमें कहा गया है कि यात्रियों को अपने सामान की सुर‍क्षा हेतु सचेत रहना चाहिए। यात्रियों द्वारा बरती गयी लापरवाही का दायित्‍व जी०आर०पी० स्‍काटकर्मी पर नहीं डाला जा सकता है।

     विपक्षी संख्‍या-1 का तर्क है कि उपरोक्‍त वर्णित चोरी की घटना दिनांक 07-02-2011 को घटित हुयी तथा परिवा‍दिनी द्वारा प्रथम सूचना रिपोर्ट दिनांक 08-03-2011 को दर्ज करायी गयी जबकि परिवादि‍नी का कथन है कि प्रथम सूचना रिपोर्ट दिनांक 08-02-2011 को ही दर्ज करायी दी गयी थी।

     विद्वान जिला आयोग ने उभय-पक्ष के तर्क सुनने एवं विचार करने के उपरान्‍त निम्‍न आदेश पारित किया है:-

     परिवा‍दिनी का परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध एक व संयुक्‍त रूप से आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को एकल एवं संयुक्‍त रूप से आदेशित किया जाता है कि वे निर्णय की तिथि से 30 दि‍न के अन्‍दर परिवादिनी को रू० 4,18,000/-रू० (4,00,000/- आभूषण का व 180,000/-रू० नकद) मय 09 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज के साथ परिवाद दाखिल करने की तिथि से वा‍स्‍तविक भुगतान की तिथि तक परिवा‍दिनी को अदा करें। इसके अतिरिक्‍त विपक्षीगण, परिवा‍दिनी को मानसिक कष्‍ट हेतु रू० 10,000/- एवं वाद व्‍यय हेतु एवं 5000/-रू० भी उक्‍त अवधि के भीतर अदा करें। निर्धारित 30 दिन की अवधि में उक्‍त धनराशियां अदा न करने पर विपक्षीगण,

 

4

परिवादिनी को उक्‍त धनराशियों पर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज के साथ भुगतान करने हेतु उत्‍तरदायी होगें।

     अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री गणेश चन्‍द्र राय उपस्थित हुए। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।

    हमने अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता के तर्क को सुना एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त तथ्‍यों एवं साक्ष्‍यों का भली-भांति परिशीलन किया।

    हमने विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश का भी अवलोकन किया।

     विद्वान जिला आयोग द्वारा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों पर विचार करने के उपरान्‍त यह निष्‍कर्ष अंकित किया गया है कि यदि कोई यात्री ट्रेन या बस से यात्रा कर रहा है तो उस दशा में वह उस सामान या बैग को जो कि अनुमन्‍य वजन की सीमा में हो, बिना किसी व्‍यय किये ले जा सकता है। ऐसे सामानों को रेलवे विभाग में बुक कराने की आवश्‍यकता नहीं होती है। ऐसी स्थिति में यदि सामान या बैग यात्रा के दौरान ट्रेन से गायब हो जाता है तो उसके लिए रेलवे विभाग जिम्‍मेदार होगा, परन्‍तु यह भी आवश्‍यक है कि उक्‍त सामान की सम्‍यक देख-रेख की गयी हो।

      परिवादिनी अपने परिवार के साथ ट्रेन में सूटकेस लेकर जा रही थी जिसमें उसका आवश्‍यक सामान था जो चोरी हो गया। पत्रावली पर उपलब्‍ध तथ्‍यों और साक्ष्‍यों से यह स्‍पष्‍ट है कि परिवादिनी ने अपने सामान अर्थात चोरी गये सूटकेस की सम्‍यक सावधानी के साथ देख-रेख की उसके बावजूद उसका सामान चोरी हो गया। ऐसी स्थिति में रेलवे विभाग परिवादिनी को हुयी क्षति के लिए निश्चित रूप से उत्‍तरदायी हैं।

5

     हमारे द्वारा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त साक्ष्‍यों, प्रपत्रों एवं विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का गहनता से परिशीलन करने के उपरान्‍त हम विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश में किसी प्रकार की कोई अवैधानिकता नहीं पाते हैं। जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश विधि अनुसार है, इसमें किसी प्रकार के हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं प्रतीत होती है तदनुसार प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।     

आदेश

      प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है और विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय और आदेश दिनांक- 24-06-2022 की पुष्टि की जाती है।

     आशुलि‍पिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

                (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                           

                              अध्‍यक्ष                                        

 

कृष्‍णा–आशु0 कोर्ट नं0 1

    

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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