Uttar Pradesh

StateCommission

A/1999/2707

General Manager Northern Railway - Complainant(s)

Versus

Smt. Nalini Saxena - Opp.Party(s)

M. H. Khan

18 Dec 2014

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1999/2707
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. General Manager Northern Railway
New Delhi
...........Appellant(s)
Versus
1. Smt. Nalini Saxena
Lucknow
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'ABLE MR. Ashok Kumar Chaudhary PRESIDING MEMBER
 HON'ABLE MR. Sanjay Kumar MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

                      राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग उ0प्र0 लखनऊ।

                                                          (सुरक्षित)

                          अपील सं0-2707/1999

(जिला मंच पौड़ी गढवाल द्वारा परिवाद सं0-२१/१९९८ में पारित आदेश दिनांक ०९/०८/१९९९ के विरूद्ध)

  1. दि जनरल मैनेजर नार्दन रेलवे नई दिल्‍ली।
  2. दि डिवीजनल मैनेजर नार्दन रेलवे नई दिल्‍ली।

 

                                           अपीलार्थीगण/विपक्षीगण

                        बनाम

श्रीमती नलिनी सक्‍सेना पत्‍नी श्री एस0 सक्‍सेना निवासी एमआईजी-ए-३ सेक्‍टर सी अलीगंज लखनऊ।  

                                           प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-

1 मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी, पीठासीन न्‍यायिक सदस्‍य।

2 मा0 श्री संजय कुमार, सदस्‍य।

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित: श्री एमएच खान विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित: श्री विनायक सक्‍सेना विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक: ३१/१२/२०१४

            मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी, पीठासीन न्‍यायिक सदस्‍य  द्वारा उद्घोषित।

                             निर्णय

     प्रस्‍तुत अपील अपीलार्थीगण ने विद्वान जिला मंच पौड़ी गढवाल द्वारा परिवाद सं0-२१/१९९८ श्रीमती नलिनी सक्‍सेना बनाम दि जनरल मैनेजर नार्दन रेलवे नई दिल्‍ली में पारित आदेश दिनांक ०९/०८/१९९९ के विरूद्ध प्रस्‍तुत की है जिसमें विद्वान जिला मंच ने निम्‍न आदेश पारित किया है:-

     ‘’ परिवादी का परिवाद स्‍वीकार किया जाता है। अपीलार्थीगण/विपक्षीगण परिवादी को १००००/-रू0 सेवा में कमी के कारण क्षतिपूर्ति के रूप में अदा करें। विपक्षीगण को यह भी आदेशित किया जाता है कि वह यात्रियों/उपभोक्‍ताओं की संतुष्टि के लिए लखनऊ-कोटद्वार में ट्वाईलेट, सैनीटेशन, बिजली एवं अन्‍य सुविधाएं एवं सेवाओं को सुधारे।’’

     संक्षेप में कथन इस प्रकार हैं कि परिवादिनी ने अपने पती श्री एस0 सक्‍सेना के साथ लखनऊ कोटद्वार गाडी के  सेकेंड क्‍लास थ्री टायर स्‍लीपर एस-१ कोच में दिनांक २१/१/१९९८ को लखनऊ से कोटद्वार यात्रा करने के लिए बर्थ सं0-५७ एवं ५८ आरक्षित कराई थी। यह कोच गाडी सं0-३००९ हावड़ा देहरादून एक्‍सप्रेस में जुडती है जो कि सामान्‍यता हावडा देहरादून एक्‍सप्रेस के नाम से जानी जाती है। यात्रा की तिथि को परिवादिनी लखनऊ रेलवे स्‍टेशन के प्‍लेटफार्म पर दून एक्‍सप्रेस

 

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के निर्धारित  आने के समय पर पहुंची। दून एक्‍सप्रेस का लखनऊ में आगमन का समय  ७ पीएम था एवं प्रस्‍थान का समय ७.१५ पीएम था किन्‍तु गाड़ी २ घण्‍टे १५ मिनट के विलम्‍ब से पहुंची जिससे परिवादिनी एवं अन्‍य यात्रियों को अत्‍यधिक असुविधा का सामना करना पड़ा । इस प्रकार यह रेलवे प्रशासन की सेवा में कमी है। इसके अतिरिक्‍त स्‍लीपर बर्थ में गाडी में ग्‍लास नहीं थे जिसके कारण जनवरी के माह में परिवादिनी को ठण्‍डी हवाओं में यात्रा करनी पड़ी। दून एक्‍सप्रेस का नजीबाबाद में आगमन का समय ३.३० एएम पर था किन्‍तु वह नजीबाबाद ९.३०-१०.३० एएम पर पहुंची। नजीबाबाद पहाड की तलहटी में एक छोटा सा स्‍थान है। नजीबाबाद से ही रेलवे की एक्‍सटेंशन लाईन कोट द्वार तक है जिसमें कि लोकल ट्रेन ४-५ बार दिन में चलती है। कथित कोच दून एक्‍सप्रेस से नजीबाबाद में अलग कर दी जाती है और उसके पश्‍चात उस कोच को नजीबाबाद कोटद्वार लोकल ट्रेन में जोड़ दिया जाता है जो कि अंतिम रूप से अपने गन्‍तव्‍य कोटद्वार पहुंचती है। परिवादिनी का यह भी कथन है कि लखनऊ कोटद्वार कोच जनपद नजीबाबाद में विपक्षीगण द्वारा रोकी गयी जिससे यात्रियों को नजीबाबाद प्‍लेटफार्म पर काफी समय तक रूकना पडा। अपीलाथीगण/विपक्षीगण ने यात्रियों को यह सूचित किया कि कथित कोच द्वारा आगे कोटद्वार जाने की यात्रा नहीं की जाएगी, तब परिवादिनी को अपनी शेष यात्रा के लिए  कोट द्वार जाने के लिए टैक्‍सी की सेवा लेनी पड़ी और टैक्‍सी के किराए का मूल्‍य चुकाना पड़ा।

     अपीलार्थीगण/विपक्षीगण ने जैसा कि निर्णय में उल्‍लेख किया है संयुक्‍त प्रतिवाद पत्र मय शपथपत्र के दाखिल किया और परिवादी के समस्‍त आरोपों से इनकार किया और यह बताया कि रेलवे सदैव सर्वोत्‍तम  सेवा यात्रियों को देती है। अत: परिवाद निरस्‍त किए जाने योग्‍य है किन्‍तु अपीलार्थीगण/विपक्षीगण ने इस बात को स्‍वीकार किया है कि लखनऊ रेलवे स्‍टेशन पर ट्रेन विलम्‍ब से पहुंची थी जिससे कि नजीबाबाद भी यह अगले दिन विलम्‍ब से पहुंची। लखनऊ कोटद्वार कोच वास्‍तव में नजीबाबाद रेलवे स्‍टेशन पर रोक दी गयी और कोच द्वारा कोटद्वार के लिए कोई यात्रा नहीं की गयी। यात्रा का आरक्षण रेलवे विभाग द्वारा किया जाता है और यात्रा का किराया यात्रियों से लिया जाता है जैसाकि परिवादिनी से लखनऊ से कोटद्वार द्वारा के लिए लिया गया। अपीलार्थीगण/विपक्षीगण का यह भी कथन है कि आरक्षण श्रीमती एस0 सक्‍सेना एवं श्री एस0 सक्‍सेना के नाम किया गया था न कि  श्रीमती नलिनी सक्‍सेना के नाम किया गया था । प्रतिवादी द्वारा यह भी कथन किया गया है कि विद्वान जिला मंच को श्रवण का क्षेत्राधिकार नहीं बल्कि विद्वान जिला मंच लखनऊ को श्रवण का क्षेत्राधिकार है।

     अपीलार्थीगण की ओर से श्री एम0एच0 खान तथा प्रत्‍यर्थी की ओर से श्री विनायक सक्‍सेना के तर्कों को सुना गया।  पत्रावली का परिशीलन किया गया।

 

 

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     अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि प्रस्‍तुत प्रकरण में विद्वान जिला मंच पौडी़ गढवाल को श्रवण का क्षेत्राधिकार नहीं था बल्कि लखनऊ स्थित जिला फोरम को श्रवण का क्षेत्राधिकार था। अत: ऐसी परिस्थिति में  विद्वान जिला मंच पौडी गढवाल द्वारा पारित किया गया निर्णय पोषणीय न होने के कारण निरस्‍त किए जाने योग्‍य है।

     अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता का यह भी तर्क है कि  कोई भी आरक्षण नलिनी सक्‍सेना परिवादिनी के नाम से नहीं किया गया था। अत: उनके द्वारा कोई परिवाद प्रस्‍तुत नहीं किया जा सकता था।

     प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि आरक्षण में श्री एवं श्रीमती एस सक्‍सेना पति पत्‍नी के नाम आरक्षण था और उस समय मैन्‍युअल रिजर्वेशन होता था जोकि लखनऊ से अधिकृत व्‍यक्ति ने रिजर्वेशन कराया था। अत: श्रीमती नलिनी सक्‍सेना का नाम अलग से न लिखकर श्री एस सक्‍सेना व श्रीमती एस सक्‍सेना लिखा गया था और यदि आरक्षण चार्ट में श्रीमती एस सक्‍सेना लिखा था तो यह त्रुटि रेलवे की है जिसके लिए परिवादिनी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है।

     प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह भी तर्क है कि  चूंकि परिवादिनी द्वारा आरक्षण लखनऊ से कराया गया था और उसे अपने गन्‍तव्‍य स्‍थान कोटद्वार तक जाना था, अत: ऐसी परिस्थिति में विद्वान जिला मंच पौडी गढवाल को परिवाद के श्रवण का क्षेत्राधिकार प्राप्‍त है एवं विद्वान जिला मंच द्वारा विधि अनुसार निर्णय पारित किया गया है जिसमें हस्‍तक्षेप करने की कोई आवश्‍यकता नहीं है।

     यह तथ्‍य नि‍र्विवाद है कि परिवादिनी द्वारा लखनऊ से अपनी यात्रा दिनांक २१/०१/१९९८ को करने हेतु आरक्षण सेकेंड क्‍लास थ्री टायर स्‍लीपर एस-१ कोच में कराया गया था एवं यह कोच ३००९ हावड़ा देहरादून एक्‍सप्रेस में जोडी गयी थी। अत: ऐसी परिस्थिति में आरक्षण कराए जाने के स्‍थान एवं गन्‍तव्‍य के पहुंचने के स्‍थान पर परिवादिनी द्वारा विद्वान जिला मंच पौडी गढवाल के समक्ष परिवाद प्रस्‍तुत किया जाना पोषणीय है एवं विद्वान जिला मंच पौडी गढवाल को इस परिवाद के श्रवण का क्षेत्राधिकार प्राप्‍त है।

     जहां तक अपीलार्थीगण द्वारा यह प्रश्‍न उठाया गया है कि श्रीमती नलिनी सक्‍सेना के नाम आरक्षण नहीं था, इस संबंध में यह स्‍वत: स्‍पष्‍ट है कि आरक्षण श्री एवं श्रीमती एस सक्‍सेना के नाम  था, जोकि पति पत्‍नी हैं। अत: इस बिन्‍दु पर कि आरक्षण चार्ट में श्रीमती नलिनी सक्‍सेना का नाम यात्री सूची में नहीं है, इस आधार पर विद्वान जिला मंच के निर्णय को दोषपूर्ण नहीं ठहराया जा सकता है, क्‍योंकि यात्रा करते समय  केवल रेलवे विभाग द्वारा यह सुनिश्चित करना

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आवश्‍यक है कि जिस व्‍यक्तिने आरक्षण कराया है वही व्‍यक्ति आरक्षित कोच में यात्रा कर रहा है। प्रस्‍तुत प्रकरण में श्री एवं श्रीमती एस सक्‍सेना के द्वारा आरक्षण कराया गया था। श्रीमती एस सक्‍सेना श्री एस सक्‍सेना की धर्म पत्‍नी हैं और इस बिन्‍दु पर यह पूर्णत: असंदिग्‍ध रूप से सिद्ध है कि श्रीमती एस सक्‍सेना स्‍वयं आरक्षि‍त डिब्‍बे में यात्रा कर रही थीं। अत: परिवादिनी द्वारा श्री एस सक्‍सेना की पत्‍नी होने के नाते परिवाद प्रस्‍तुत किए जाने का पूर्ण अधिकार था और इस आधार पर परिवादिनी का परिवाद पोषणीय है एवं विद्वान जिला मंच को श्रवण का क्षेत्राधिकार है। विद्वान जिला मंच द्वारा विधि अनुसार निर्णय पारित किया गया है जिसमें हस्‍तक्षेप करने की कोई आवश्‍यकता नहीं है। तदनुसार अपील निरस्‍त किए जाने योग्‍य है।

                     आदेश

अपील निरस्त की जाती है। विद्वान जिला मंच पौड़ी गढवाल द्वारा परिवाद सं0-२१/१९९८ श्रीमती नलिनी सक्‍सेना बनाम दि जनरल मैनेजर नार्दन रेलवे नई दिल्‍ली में पारित आदेश दिनांक ०९/०८/१९९९ की पुष्टि की जाती है।

     उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।                                                                                                                                                                                                                

     उभयपक्ष को इस निर्णय की प्रति नियमानुसार नि:शुल्‍क उपलब्‍ध करायी जाए।

 

(अशोक कुमार चौधरी)                               (संजय कुमार)

   पीठा0सदस्‍य                                      सदस्‍य

सत्‍येन्‍द्र कोर्ट0 ३

 

      

 

 

 

 
 
[HON'ABLE MR. Ashok Kumar Chaudhary]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'ABLE MR. Sanjay Kumar]
MEMBER

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