Uttar Pradesh

StateCommission

A/922/2022

Pachimanchal Vidyut Vitran Nigam Ltd - Complainant(s)

Versus

Smt. Mumtaz - Opp.Party(s)

Isar Husain

28 Sep 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/922/2022
( Date of Filing : 08 Sep 2022 )
(Arisen out of Order Dated 21/07/2022 in Case No. C/2018/42 of District Bijnor)
 
1. Pachimanchal Vidyut Vitran Nigam Ltd
EDD I Bijnor
...........Appellant(s)
Versus
1. Smt. Mumtaz
W/o Shakil Ahmad R/o Mohalla Sadat Kasba Jhalu Dist. Bijnor
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 HON'BLE MR. Rajendra Singh JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 28 Sep 2022
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(मौखिक)                                                                                  

अपील संख्‍या:-922/2022

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, बिजनौर द्धारा परिवाद सं0-42/2018 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 21.7.2022 के विरूद्ध)

पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लि0, द्वारा अधिशासी अभियंता, ईडीडी1, बिजनौर।

                                             .......... अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम          

श्रीमती मुमताज पत्‍नी शकील अहमद, ½  मो0 सुलेमान, 1/3 मो0 उसमान, ¼ मो सुभान, 1/5 इमरान, 1/6 इकबाल, 1/7 इरफान, 1/8 गुलजार पुत्रगण स्‍व0 शकील अहमद, निवासी मोहल्‍ला सादात कस्‍बा झालू परगना दारानगर, जिला बिजनौर।

…….. प्रत्‍यर्थी/परिवादीगण

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष

मा0 श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य                      

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता        : श्री इसार हुसैन

प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता          : कोई नहीं।

दिनांक :-28-9-2022           

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा इस आयोग के सम्‍मुख धारा-41 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अन्‍तर्गत जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, बिजनौर द्वारा परिवाद सं0-42/2018 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 21.7.2022 के विरूद्ध योजित की गई है।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा कथन किया गया कि जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा मात्र प्रत्‍यर्थी की ओर से प्रस्‍तुत अभिकथनों के आधार पर निर्णय पारित किया गया है, जो कि विधि सम्‍मत नहीं है। यह भी कथन किया गया कि प्रत्‍यर्थी द्वारा अपने मकान में ही सड़क पर पक्‍की दुकान बनाकर उसमें टेलरिंग का कार्य किया जा रहा था, जो कि व्‍यवसायिक गतिविधियों के

-2-

अन्‍तर्गत आता है एवं प्रत्‍यर्थी को घरेलू विद्युत कनेक्‍शन प्रदान किया गया था, जिसका उपयोग उसके द्वारा कामर्शियल रूप से किया जा रहा था।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह भी कथन किया गया कि दिनांक 12.01.2018 को प्रत्‍यर्थी अपने आवास पर ही टेलर की दुकान चला रहा था, जिसकी चैकिंग करने पर अंकन 82,313 रू0 का राजस्‍व निर्धारण किया गया, किन्‍तु प्रत्‍यर्थी द्वारा कोई शुल्‍क जमा नहीं किया गया है। यह भी कथन किया गया कि यदि इस संबंध में प्रत्‍यर्थी को कोई आपत्ति थी तो उसे सक्षम अधिकारी के समक्ष आपत्ति प्रस्‍तुत करनी चाहिए थी, परन्‍तु प्रत्‍यर्थी द्वारा जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख परिवाद प्रस्‍तुत किया गया, जो कि अनुचित है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश को अपास्‍त कर अपील स्‍वीकार करने की भी प्रार्थना की गई है।

हमारे द्वारा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।

वर्तमान प्रकरण में यह पाया जाता है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अपीलार्थी से घरेलू उपयोग हेतु 02 किलोवाट का घरेलू विद्युत कनेक्‍शन प्राप्‍त किया गया था, जिसके सम्‍बन्‍ध में अपीलार्थी विद्युत विभाग जॉच करने पर संयोजन विच्‍छेदन रिपोर्ट दिनांकित 19.5.2018 में प्रत्‍यर्थी के घरेलू कनेक्‍शन को वाणिज्‍यक कनेक्‍शन में नियम विरूद्ध परिवर्तित कर निर्धारण राशि रू0 1,00,695.00 की अनुचित मॉग प्रत्‍यर्थी/परिवादी से की गई तथा अपीलार्थी द्वारा दिनांक 12.01.2018 को संदिग्‍ध पायी गई चैकिंग रिपोर्ट, जिसमें किसी भी उपकरण व उसके लोड का उल्‍लेख नहीं है, को आधार बनाकर मनमाने ढंग से निर्धारण कर बकाया रू0 1,00,695.00 संयोजन विच्‍छेदन रिपोर्ट में दर्शित करना अपने आप में उपभोक्‍ता प्रत्‍यर्थी/परिवादी के प्रति उनके असाम्यिक आचरण का

 

-3-

परिचायक है, साथ ही अपीलार्थी द्वारा उपभोक्‍ता को देय सेवा में कमी को स्‍पष्‍ट रूप से दर्शाता है और इस सम्‍बन्‍ध में विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा अपने निर्णय में जो निष्‍कर्ष अंकित किया गया है, वह तथ्‍य और विधि के अनुकूल है, उसमें किसी प्रकार की कोई अवैधानिकता अथवा विधिक त्रुटि अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा अपील स्‍तर पर इंगित नहीं की जा सकी है, तद्नुसार प्रस्‍तुत अपील बलहीन होने के कारण निरस्‍त की जाती है।

उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अन्‍तर्गत अपील में जमा धनराशि मय अर्जित ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला उपभोक्‍ता आयोग को नियमानुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जावे।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की बेवसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

         (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                      (राजेन्‍द्र सिंह)        

             अध्‍यक्ष                                              सदस्‍य                                                                        

हरीश आशु.,

कोर्ट नं0-1

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
JUDICIAL MEMBER
 

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