(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-175/2005
भारतीय जीवन बीमा निगम
बनाम
श्रीमती मोहनी देवी पांडेय
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री पवन कुमार श्रीवास्तव,
विद्धान अधिवक्ता
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: श्री अरूण टंडन, विद्धान अधिवक्ता
दिनांक :21.02.2024
माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या– 109/2003, श्रीमती मोहनी देवी बनाम भारतीय जीवन बीमा निगम व अन्य में जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 28.12.2004 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गयी है। अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता श्री पवन कुमार श्रीवास्तव तथा प्रत्यर्थी के विद्धान अधिवक्ता श्री अरूण टंडन उपस्थित है। उभय पक्ष के विद्धान अधिवक्तागण को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. विद्धान जिला उपभोक्ता आयोग ने बीमा धनराशि अंकन 50,000.00 रू0 09 प्रतिशत ब्याज के साथ अदा करने का आदेश पारित किया है।
3. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादिनी के पति पूरन चन्द पांडेय ने विपक्षी से एक पालिसी दिनांक 28.02.2000 को बीमाराशि दुर्घटना हित लाभ सहित अंकन 25,000.00 हेतु कराई थी। पूरन चन्द पांडेय की मृत्यु दिनांक 19.03.2002 को हो गई। बीमा पालिसी के भुगतान हेतु विपक्षी के कार्यालय में आवेदन किया। विपक्षी ने स्वास्थ्य के तथ्य को छिपाने के आधार पर बीमा धन देने से इंकार कर दिया। इस लिये विद्धान जिला उपभोक्ता आयोग द्धारा बीमा धनराशि दुर्घटना हित लाभ सहित अंकन 50,000.00 प्रदान करने का आदेश दिया है। इस आदेश में कोई अवैधानिकता नहीं है, परन्तु ब्याज दर उच्च श्रेणी से अधिरोपित की गई है। अत: ब्याज दर 09 प्रतिशत के स्थान पर 07 प्रतिशत किया जाना उचित है। तद्नुसार प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। विद्धान जिला उपभोक्ता आयोग द्धारा पारित निर्णय/आदेश इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि परिवादी को देय धनराशि अंकन 50,000.00 रूपये पर ब्याज 09 प्रतिशत के स्थान पर 07 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्याज देय होगा। शेष निर्णय एवं आदेश पुष्ट किया जाता है।
पक्षकार अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
रंजीत, पी0 ए0,
कोर्ट नं0 3