Uttar Pradesh

StateCommission

A/1465/2018

Central Bank Of India - Complainant(s)

Versus

Smt. Mjveen - Opp.Party(s)

Zafar Aziz

16 Mar 2021

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1465/2018
( Date of Filing : 13 Aug 2018 )
(Arisen out of Order Dated 10/04/2018 in Case No. C/09/2016 of District Maharajganj)
 
1. Central Bank Of India
Maharajganj
...........Appellant(s)
Versus
1. Smt. Mjveen
Maharajganj
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 HON'BLE MR. Gobardhan Yadav MEMBER
 HON'BLE MR. Rajendra Singh JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 16 Mar 2021
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

                                                                        सुरक्षित   

अपील सं0-१२९३/२०१८

(जिला आयोग, महराजगंज द्वारा परिवाद संख्‍या-०९/२०१६ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश दिनांक १०-०४-२०१८ के विरूद्ध)

जिला ग्रामोद्योग बोर्ड अधिकारी महराजगंज।        .............            अपीलार्थी/विपक्षी।  

बनाम

श्रीमती मोजवीन पत्‍नी श्री जालिम अली, साकिन मौजा भिठौरा, पोस्‍ट भिठौरा, तहसील-निचलौल, जिला महराजगंज।                             .............            प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी।

अपील सं0-१४६५/२०१८

(जिला आयोग, महराजगंज द्वारा परिवाद संख्‍या-०९/२०१६ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश दिनांक १०-०४-२०१८ के विरूद्ध)

सेण्‍ट्रल बैंक आफ इण्डिया ब्रान्‍च मिठौरा, जिला महराजगंज द्वारा ब्रान्‍च मैनेजर।

                                             .............           अपीलार्थी/विपक्षी।  

बनाम

१. श्रीमती मोजवीन पत्‍नी श्री जालिम अली, निवासी मिठौरा, तहसील-निचलौल, जिला महराजगंज।                                    .............          प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी।

२. जिला ग्रमोद्योग बोर्ड अधिकारी, जिला महराजगंज।  .............            प्रत्‍यर्थी/विपक्षी।  

समक्ष:-

१.  मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार अध्‍यक्ष।

२-  मा0 श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्‍य।

३-  मा0 श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।

अपील सं0-१२९३/२०१८ के अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री अनुराग सिंह विद्वान अधिवक्‍ता।

अपील सं0-१४६५/२०१८ के अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री जफर अजीज विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री आर0के0 मिश्रा विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक :- १६-०४-२०२१.

मा0 श्री राजेन्‍द्र सिंह सदस्‍य द्वारा उदघोषित

 

निर्णय

वर्तमान दोनों अपीलें, जिला आयोग, महराजगंज द्वारा परिवाद संख्‍या-१९/२०१६ श्रीमती मोजवीन बनाम शाखा प्रबन्‍धक सेण्‍ट्रल बैंक आफ इण्डिया व अन्‍य में पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश दिनांक १०-०४-२०१८ के विरूद्ध उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम १९८६ के अन्‍तर्गत प्रस्‍तुत की गई हैं। चूँकि दोनों अपीलें एक ही निर्णय के विरूद्ध योजित की गईं हैं, अत: इनका निस्‍तारण साथ-साथ संयुक्‍त रूप से किया जा रहा है। इस निर्णय हेतु अपील सं0-१२९३/२०१८ अग्रणी अपील होगी।

हमने उपस्थित अधिवक्‍तागण को सुना तथा दोनों पत्रावलियों का अवलोकन किया।    इस मामले में जिला आयोग महराजगंज के समक्ष सेण्‍ट्रल बैंक आफ इण्डिया पक्षकार था परन्‍तु

 

-२-

अपील में अपीलार्थी द्वारा उपरोक्‍त सेण्‍ट्रल बैंक आफ इण्डिया को पक्षकार न बनाए जाने का दोष है।

अपीलार्थी द्वारा अपील प्रस्‍तुत करने में हुए विलम्‍ब क्षमा करने के आशय से एक प्रार्थना पत्र दिनांकित ०९-०७-२०१८ मय शपथ पत्र प्रस्‍तुत किया गया है। शपथ पत्र में शपथी ने कहा है कि जिला ग्रामोद्योग अधिकारी ने पत्र सं0-३६ दिनांक २४-०४-२०१८ द्वारा जो विधि अनुभाग में दिनांक २६-०४-२०१८ को प्राप्‍त हुआ, परिवाद सं0-०९/२०१६ श्रीमती मोजवीन बनाम खादी बोर्ड में जिला उपभोक्‍ता संरक्षण महराजगंज द्वारा पारित आदेश दिनांक १०-०४-२०१८ द्वारा राज्‍य आयोग लखनऊ में अपील किए जाने का अनुरोध किया। दिनांक २६-०४-२०१८ को बोर्ड के विधि परामर्शी से विधिक राय हेतु मामला सन्‍दर्भित किया गया, जिन्‍होंने राज्‍य आयोग में अपील प्रस्‍तुत करने का परामर्श दिया। दिनांक २७-०४-२०१८ को अपील प्रस्‍तुत करने हेतु मुख्‍य कार्यपालक अधिकारी से स्‍वीकृति प्राप्‍त करने हेतु पत्रावली उप मुख्‍य कार्यपालक अधिकारी (विधि) के समक्ष प्रस्‍तुत की गई जिन्‍होंने अपील का आधार स्‍पष्‍ट करने का निर्देश दिया। दिनांक २७-०४-२०१८ को अपील का आधार स्‍पष्‍ट करते हुए अपील प्रस्‍तुत करने हेतु स्‍वीकृति प्रदान करने का अनुरोध किया गया। दिनांक ०३-०५-२०१८ को पत्रावली पर अपील दायर करने की स्‍वीकृति प्रदान की गई। कार्यालय पत्र सं0-५८-२९ दिनांक ०७-०५-२०१८ द्वारा जिला ग्रामोद्योग अधिकारी महराजगंज को अपील तैयार करने हेतु अधिवक्‍ता श्री अनुराग सिंह से सम्‍पर्क करने हेतु निर्देशित किया गया। अधिवक्‍ता महोदय ने पत्र दिनांक ०८-०५-२०१८ द्वारा २५,०००/- रू० का बैंक ड्राफ्ट राज्‍य आयोग के नाम से उपलब्‍ध कराने का अनुरोध किया। २५,०००/- रू० के लिए बजट आदि के सम्‍बन्‍ध में पत्राचार हुआ और दिनांक ०४-०६-२०१८ को बजट आबंटित हुआ जिसके पश्‍चात् दिनांक ०४-०६-२०१८ को जांच हेतु पुन: पत्रावली वित्‍तीय सलाहकार को भेजी गई। इसके पश्‍चात् दिनांक ११-०६-२०१८ के आदेश का परीक्षण कर पत्रावली स्‍वीकृति आदेश पर हस्‍ताक्षर हेतु भेजी गई। दिनांक ११-०६-२०१८ को मुख्‍य कार्यपालक अधिकारी के स्‍तर से हस्‍ताक्षर उपरान्‍त पत्रावली दिनांक १४-०६-२०१८ को वापस प्राप्‍त हुई। इस बीच धनराशि उपलब्‍ध कराने के सम्‍बन्‍ध में कार्यवाही होती रही और अन्‍तत: दिनांक २९-०६-२०१८ को अधिवक्‍ता महोदय को यह ड्राफ्ट भेजा गया। अपील दाखिल करने में हुए विलम्‍ब को यदि क्षमा नहीं किया गया तो शपथी को अपूर्णनीय क्षति होगी।

जिला आयोग, महराजगंज द्वारा निम्‍नलिखित आदेश पारित किया गया है :-

-३-

‘’ प्रस्‍तुत परिवाद, विपक्षीण के विरूद्ध अंशत: सव्‍यय स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षीगण सं0-१ व २ को यह आदेशित किया जाता है कि वे आज की तिथि से पैंतालीस दिवसों के अन्‍दर परिवादिनी को ब्‍याज की धनराशि मु0 २४४२०८.५० (दो लाख चौवालीस हजार दो सौ आठ रूपये पचास पैसे) व इस धनराशि पर वसूली की तिथि से आज की तिथि तक ६ (छ:) प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज की, अदायगी कर दे। विपक्षी सं0-३ को यह आदेशित किया जाता है कि वह विपक्षीगण सं0-१ व २ को, परिवादिनी को अदा की गयी सम्‍पूर्ण धनराशि, मय ब्‍याज की अदायगी परिवादिनी को अदा होने के एक माह के अन्‍दर कर दे। विपक्षी सं0-३ को यह भी आदेशित किया जाता है कि वह आज की तिथि से पैंतालीस दिवसों के अन्‍दर परिवादिनी को हुए मानसिक, शारीरिक कष्‍ट एवं आर्थिक क्षति हेतु मु0-२००००/- (बीस हजार)रूपये व वाद व्‍यय मु0-३०००/- (तीन हजार) रूपये की अदायगी भी कर दे। ‘’         

इस निर्णय की नकल दिनांक १३-०४-२०१८ को निर्गत हुई और वर्तमान अपील ११-०७-२०१८ को प्रस्‍तुत की गई। स्‍पष्‍ट है कि इस मामले में विलम्‍ब न तो नैसर्गिक कारण से हुआ है और न ही ऐसे किसी कारण से हुआ है जो अपीलार्थी के वश में न हो, मात्र सरकारी तन्‍त्र की तकनीकियों में उलझाते हुए विलम्‍ब कारित किया गया है जो क्षमा किए जाने योग्‍य नहीं है।

अपील सं0-१४६५/२०१८ में अपीलार्थी सेण्‍ट्रल बैंक आफ इण्डिया द्वारा विलम्‍ब क्षमा करने का प्रार्थना पत्रदिनांकित १३-०८-२०१८ मय शपथ पत्र प्रस्‍तुत किया गया है। शपथ पत्र में शपथी ने कहा है कि वह दिनांक २०-०५-२०१८ को शहर से बाहर चला गया था और दिनांक ३०-०५-२०१८ को लौटा। अपीलार्थी के वकील ने अधिवक्‍ता कक्ष दिनांक १०-०६-२०१८ को मा0 उच्‍च न्‍यायालय में स्‍थानान्‍तरित कर दिया जिससे अपील प्रस्‍तुत करने में विलम्‍ब हुआ। अपीलार्थी/शपथी द्वारा अत्‍यधिक सावधानी बरती गई कि अपील समय से प्रस्‍तुत किन्‍तु जो विलम्‍ब हुआ वह जानबूझकर व साशय नहीं किया गया। अत: मा0 न्‍यायालय से अनुरोध है कि विलम्‍ब क्षमा करने की कृपा की जाए। प्रस्‍तुत अपील में भी अपीलार्थी द्वारा विलम्‍ब का कोई सन्‍तोषजनक स्‍पष्‍टीकरण प्रस्‍तुत नहीं किया गया है, अत: अपील कालबाधित होने के कारण निरस्‍त किए जाने योग्‍य है।   

ये दोनों अपीलें लगभग चार-चार माह विलम्‍ब से प्रस्‍तुत की गई हैं। विलम्‍ब को शमन कराने के लिए प्रत्‍येक दिवस का कारण प्रस्‍तुत करना चाहिए। विलम्‍ब से अपील प्रस्‍तुत करने के

-४-

सम्‍बन्‍ध में यह तथ्‍य स्‍पष्‍ट है कि अत्‍यधिक समय के पश्‍चात् ये अपीलें प्रस्‍तुत की गईं जबकि अपीलार्थी द्वय को इस मामले की पूरी जानकारी थी। कानून सब के लिए समान है। यदि ऐसे कार्य में राज्‍य लापरवाही दर्शाता है तब उसका प्रतिफल राज्‍य को भुगतना होगा। ऐसी कोई व्‍यवस्‍था नहीं है कि सरकारी या अर्द्ध सरकारी विभाग जब चाहें तब अपील अथवा परिवाद प्रस्‍तुत करें। उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम का पालन करना सभी का दायित्‍व है।

इस सम्‍बन्‍ध में निम्‍नलिखित न्‍यायिक दृष्‍टान्‍त महत्‍वपूर्ण हैं:-

      महिन्‍द्रा व महिन्‍द्रा फाइनेंशियल सर्विसेज लि0 बनाम नरेश सिंह, I (2013) CPJ 407 (NC) के मामले में माननीय राष्‍ट्रीय आयोग ने कहा कि विलम्‍ब को क्षमा करने का कोई रोजमर्रा का कार्य नहीं है तथा याची को प्रत्‍येक दिवस के विलम्‍ब का उचित स्‍पष्‍टीकरण देना होगा। चूँकि उक्‍त मामले में 71 दिन के विलम्‍ब का वह कोई उचित और संतोषजनक स्‍पष्‍टीकरण नहीं दे सका, इसलिए उसे कालबाधित माना गया।

      यू0पी0 आवास एवं विकास परिषद बनाम बृज किशोर पाण्‍डेय, IV (2009) CPJ 217 (NC) के मामले में 84 दिवस का विलम्‍ब था और माननीय राष्‍ट्रीय आयोग ने कहा कि यह अपने आप में यह दर्शित करने के लिए पर्याप्‍त है कि‍ इस विलम्‍ब का कोई कारण नहीं है और ऐसा कोई भी कारण नहीं दिखाया गया, जो निश्‍चयात्‍मक तर्कों पर आधारित हो। अत: विलम्‍ब क्षमा योग्‍य नहीं है।

      अंशुल अग्रवाल बनाम नोएडा, IV (2011) CPJ 63 (SC) के पैरा-7 में लिखा है कि न्‍यायालय को  विलम्‍ब  क्षमा  करने  के प्रार्थना पत्र पर विचार करते समय यह तथ्‍य ध्‍यान में रखना चाहिए कि उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत विशेष अवधि निश्‍चित की गयी है, जो अपील और पुनरी‍क्षण याचिका प्रस्‍तुत करने के सम्‍बन्‍ध में है, जिसका उद्देश्‍य ऐसे मामलों के यथाशीघ्र निस्‍तारण का है। यदि न्‍यायालय ऐसे विलम्‍ब को, जो काफी समय से है, क्षमा करेंगे तब उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम का मूल उद्देश्‍य असफल हो जायेगा। अपील प्रस्‍तुत करने की अवधि 30 दिन की है।

      I (2013) CPJ 460 (NC), IV (2009) CPJ 217 (NC), IV (2011) CPJ 155 (NC) न्‍यायिक दृष्‍टान्‍तों एवं माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा अंशुल अग्रवाल बनाम नोएडा में दी गयी न्‍याय व्‍यवस्‍था को देखते हुए हम इस विचार के हैं कि वर्तमान अपील कालबाधित है और विलम्‍ब क्षमा करने का कोई पर्याप्‍त आधार नहीं है।

हम लोग इस मत के हैं कि इस मामले में अपीलें दाखिल करने में लगभग ०४ माह का विलम्‍ब हुआ है, जिसका कोई सन्‍तोषजनक स्‍पष्‍टीकरण अपीलार्थी ने नहीं दिया है, अत: अपीलार्थी द्वय द्वारा प्रस्‍तुत विलम्‍ब क्षमा किए जाने सम्‍बन्‍धी प्रार्थना निरस्‍त होने योग्‍य हैं।

 

-५-

तद्नुसार दोनों अपीलें कालबाधित होने के कारण अंगीकरण के स्‍तर पर निरस्‍त किए जाने योग्‍य हैं।

आदेश

प्रस्‍तुत अपील सं0-१२९३/२०१८ एवं अपील सं0-१४६५/२०१८ अंगीकरण के स्‍तर पर कालबाधन के आधार पर निरस्‍त की जाती हैं।

अपील व्‍यय उभय पक्ष पर।

इस निर्णय की मूल प्रति अग्रणी अपील सं0-१२९३/२०१८ में रखी जाए तथा एक प्रमाणित प्रतिलिपि अपील सं0-१४६५/२०१८ में भी रखी जाए।

उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाय।

 

         (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)   (गोवर्द्धन यादव)      (राजेन्‍द्र सिंह)

               अध्‍यक्ष                सदस्‍य            सदस्‍य                 

 

निर्णय आज खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।

 

 

         (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)   (गोवर्द्धन यादव)      (राजेन्‍द्र सिंह)

               अध्‍यक्ष                सदस्‍य            सदस्‍य                 

 

 

 

 

प्रमोद कुमार,

वैय0सहा0ग्रेड-१,

कोर्ट-१. 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. Gobardhan Yadav]
MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
JUDICIAL MEMBER
 

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