राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील सं0-११०२/२०१९
(जिला उपभोक्ता मंच/आयोग, कासगंज द्वारा परिवाद सं0-९४/२०१८ में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक ०८-०५-२०१९ के विरूद्ध)
एक्जक्यूटिव इंजीनियर दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लि0, इलैक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीबूशन डिवीजन, कासगंज, जिला कासगंज।
................. अपीलार्थी/विपक्षी।
बनाम्
श्रीमती ममता पत्नी श्री राजीव कुमार निवासी दुर्गा कालोनी, बिरला गेट, कासगंज।
............... प्रत्यर्थी/परिवादिनी।
समक्ष:-
१. मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
२- मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित :- श्री इसार हुसैन विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित :- कोई नहीं।
दिनांक : २३-०९-२०२२.
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
जिला उपभोक्ता मंच/आयोग, कासगंज द्वारा परिवाद सं0-९४/२०१८ श्रीमती ममता बनाम अधिशासी अभियन्ता दक्षिणांचल विद्युत वितरण खण्ड में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक ०८-०५-२०१९ के विरूद्ध अपीलार्थी द्वारा यह अपील इस आधार पर प्रस्तुत की गई है कि जिला आयोग ने अवैधानिक रूप से अंकन १,२१,३४४/- रू० का विद्युत बिल निरस्त किया है तथा यह भी आदेश अवैधानिक रूप से पारित किया है कि एक माह के अन्दर परिवादिनी से बकाया धनराशि १३८५३/- रू० प्राप्त करके एवं सिक्योरिटी रकम से स्थायी विच्छेदन शुल्क की कटौती करते हुए विद्यु कनेक्शन विच्छेदित किया जाए।
हमने केवल अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री इसार हुसैन को सुना। पत्रावली
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का परिशीलन किया। प्रत्यर्थी/परिवादिनी पर नोटिस की तामीली पर्याप्त मानी गई परन्तु प्रत्यर्थी/परिवादिनी की ओर से बहस करने के लिए कोई उपस्थित नहीं हुआ।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि कभी भी विद्युत कनेक्शन विच्छेदन करने के लिए आवेदन नहीं दिया गया और न ही शुल्क जमा किया गया। विद्यु उपभोक्ता पर १,२१,३४४/- रू० विद्युत शुल्क बकाया है। बकाया के कारण अस्थायी रूप से विद्युत कनेक्शन काटा गया है। जब तक स्थायी रूप से विद्युत कनेक्शन नहीं काटा जाता है तब तक उपभोक्ता विद्युत शुल्क अदा करने के लिए बाध्य है।
परिवाद पत्र में स्वयं उल्लेख है कि विद्युत कनेक्शन सं0-९८४४०४ पर विद्युत शुल्क बकाया होने के कारण दिनांक २७-११-२०१३ को विद्युत कनेक्शन विच्छेदित कर दिया गया। इसी दिन स्थायी रूप से विच्छेदन करने का आवेदन भी परिवादिनी द्वारा दिया गया। परिवादिनी पर विद्युत बकाया राशि का कारण यह रहा है कि परिवादिनी द्वारा ०१ किलोवाट का विद्युत कनेक्शन स्वीकृत कराया गया था लेकिन विपक्षी द्वारा ०२ किलोवाट दर्ज कर अधिक विद्युत बिल भेजा गया। इस प्रकार स्वयं परिवाद पत्र में वर्णित तथ्यों से यह स्थिति स्पष्ट होती है कि परिवादिनी पर विद्युत शुल्क बकाया है। उसके द्वारा कभी भी स्थायी रूप से विद्युत कनेक्शन विच्छेदन करने के लिए वांछित शुल्क जमा नहीं किया गया। विद्युत विभाग के समक्ष इस आशय की कोई शिकायत नहीं की गई कि ०१ किलोवाट के बजाय ०२ किलोवाट का विद्युत कनेक्शन स्थापित कर दिया गया। इसलिए उपभोक्ता परिवाद प्रस्तुत करने का कोई वाद कारण उत्पन्न नहीं हुआ। परिवादिनी स्वयं डिफाल्टर है। इसके बाबजूद भी जिला उपभोक्ता मंच/आयोग ने विद्युत बिल निरस्त कर दिया जो अवैधानिक आदेश है। तद्नुसार अपील स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
अपील स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच/आयोग, कासगंज द्वारा परिवाद सं0-९४/२०१८ में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक ०८-०५-२०१९ अपास्त किया
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जाता है। संधारणीय न होने के कारण परिवाद खारिज किया जाता है।
अपील व्यय उभय पक्ष अपना-अपना वहन करेंगे।
वैयक्तिक सहायक/आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायूमूर्ति अशोक कुमार) (सुशील कुमार)
अध्यक्ष सदस्य
निर्णय आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।
(न्यायूमूर्ति अशोक कुमार) (सुशील कुमार)
अध्यक्ष सदस्य
प्रमोद कुमार,
वैय0सहा0ग्रेड-१,
कोर्ट-१.