राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
(मौखिक)
अपील सं0- 1236/2015
Prabandh Nideshak, Dakshidanchal Vidyut Vitran Nigam, Karyalaya Gailani Road, Near Amar Ujala Press, Agra and another.
…………Appellants
V/s
Smt. Manti Devi Wife of Sri. Ramnath, Resident of Village Simdhari Chirgaon, Tehsil Month, District Jhansi.
…….Respondent
समक्ष:-
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री दीपक मेहरोत्रा के सहयोगी
अधिवक्ता श्री मनोज कुमार।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक:- 25.11.2022
माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद सं0- 137/2010 श्रीमती मंती देवी बनाम प्रबंध निदेशक, दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम व एक अन्य में जिला उपभोक्ता आयोग, झांसी द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दि0 05.09.2014 के विरुद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है।
2. विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने अपीलार्थीगण/विपक्षीगण द्वारा त्रुटिपूर्ण बिल जारी करने के कारण अंकन 10,000/-रू0 आर्थिक क्षति के रूप में, अंकन 2,000/-रू0 मानसिक व शारीरिक क्षति के रूप में और 2,000/-रू0 वाद व्यय के रूप में अदा करने का आदेश दिया है।
3. हमने अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री दीपक मेहरोत्रा के सहयोगी अधिवक्ता श्री मनोज कुमार को सुना। प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का सम्यक परिशीलन किया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
4. अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता ने इस तथ्य को स्वीकार किया है कि लिपिकीय त्रुटिवश त्रुटि बिल जारी हो गया था जिसे वापस लेकर नया बिल जारी कर दिया गया है। लिपिकीय त्रुटि किसी भी स्तर से कारित हो सकती है। यदि अपीलार्थीगण/विपक्षीगण द्वारा त्रुटि बिल को दुरुस्त कर दिया गया है तब आर्थिक क्षति के रूप में आदेशित अंकन 10,000/-रू0 अपास्त होने योग्य है, परन्तु वाद व्यय एवं मानसिक व शारीरिक क्षति के रूप में जो धनराशि अधिरोपित की गई है वह पुष्ट होने योग्य है। तदनुसार अपील आंशिक रूप से स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
5. अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय व आदेश इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि आर्थिक क्षति के रूप में आदेशित धनराशि अंकन 10,000/-रू0 अपास्त की जाती है, परन्तु वाद व्यय एवं मानसिक व शारीरिक क्षति के रूप में अधिरोपित धनराशि अपीलार्थीगण/विपक्षीगण द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादिनी को देय होगी। शेष निर्णय व आदेश अपास्त किया जाता है।
अपील में उभयपक्ष अपना-अपना व्यय स्वयं वहन करेंगे।
अपील में धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत अपीलार्थीगण द्वारा जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित इस निर्णय एवं आदेश के अनुसार जिला उपभोक्ता आयोग को निस्तारण हेतु प्रेषित किया जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
शेर सिंह, आशु0,
कोर्ट नं0- 2