Uttar Pradesh

StateCommission

A/2001/2773

U. P. State Electricity Board - Complainant(s)

Versus

Smt. Lalmati Devi - Opp.Party(s)

Isar Husain

14 Jul 2015

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2001/2773
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. U. P. State Electricity Board
Gorakhpur
...........Appellant(s)
Versus
1. Smt. Lalmati Devi
Gorakhpur
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Jitendra Nath Sinha PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Jugul Kishor MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

                                                         मौखिक

अपील संख्‍या-2773/2001

 

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, गोरखपुर द्वारा परिवाद संख्‍या-360/1997 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 28.09.1998 के विरूद्ध)

 

यू0पी0 स्‍टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड (नाउ यू0पी0 पावर कारपोरेशन लि0), द्वारा एग्‍जीक्‍यूटिव इंजीनियर, इलेक्ट्रिसिटी डिस्‍ट्रीब्‍यूशन डिवीजन द्वितीय, मोहद्दीपुर, गोरखपुर।

      अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम्~

श्रीमती लालमती देवी पत्‍नी जगजीवन प्रसाद, निवासी ग्राम महोपार तप्‍पा गुरमही, परगना मौआपार, पोस्‍ट कौरिराम, जिला गोरखपुर।

प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी

समक्ष:-

1. माननीय श्री जितेन्‍द्र नाथ सिन्‍हा, पीठासीन सदस्‍य।

2. माननीय श्री जुगुल किशोर, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित  : श्री इसार हुसैन, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित    : कोई नहीं।

दिनांक 14.07.2015

माननीय श्री जितेन्‍द्र नाथ सिन्‍हा, पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

मुकदमा पुकारा गया। वर्तमान अपील, विपक्षी/अपीलार्थी की ओर से परिवाद संख्‍या-360/1997, लालमती बनाम उत्‍तर प्रदेश राज्‍य विद्युत परिषद में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 28.09.1998, जिसके माध्‍यम से जिला फोरम द्वारा निम्‍नवत् आदेश पारित किया गया है :-

'' हम विपक्षी को आदेश देते हैं कि वादिनी को उससे वसूला गया अतिरिक्‍त धन रू0 1750/- दि0 19.05.1997 से मय 12 प्रतिशत ब्‍याज अदा करें। बतौर आर्थिक मानसिक क्षतिपूर्ति रू0 10,000/- भी वादिनी को अदा करें।

यदि आदेश का अनुपालन एक माह में न किया जाये तो ब्‍याज की दर 18 प्रतिशत लागू होगी। ''

अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री इसार हुसैन उपस्थित हैं। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। प्रत्‍यर्थी को पंजीकृत डाक के माध्‍यम से नोटिस निर्गत किया गया था, परन्‍तु उसके बावजूद भी वह उपस्थित नहीं है। अत: प्रत्‍यर्थी पर सूचना पर्याप्‍त मानते हुए विद्वान अधिवक्‍ता अपीलार्थी को विस्‍तार से सुना गया एवं प्रश्‍नगत निर्णय एवं अभिलेख का गम्‍भीरता से परिशीलन किया गया।

प्रकरण के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादिनी/प्रत्‍यर्थी विपक्षी/अपीलार्थी की दिनांक 30.05.1986 तक उपभोक्‍ता थी। परिवादिनी को स्‍वीकृत विद्युत कनेक्‍शन का मीटर

 

-2-

जुलाई 1985 में तकनीकी खराबी के कारण बंद हो गया तथा जुलाई 1985 से रीडिंग आनी बंद हो गयी। मई 1986 तक परिवादिनी के अथक प्रयास के बावजूद न तो मीटर बदला गया और न ही कोई बिल भेजा गया। परिवादिनी ने दिनांक 12.05.1986 को विद्युत कनेक्‍शन को स्‍थायी रूप से विच्‍छेदित कराने हेतु प्रार्थना पत्र दिया तथा दिनांक 30.05.1986 को कनेक्‍शन विच्‍छेदित कर दिया गया। परिवादिनी के जिम्‍मे जुलाई 1985 से मई 1986 का विद्युत बिल बकाया है, जो बिल न आने के कारण जमा नहीं किया जा सका। परिवादिनी को 1996 में रू0 1,56,476.80 का गलत बिल बकाया की आर0सी0 विपक्षी ने भेज दी उसकी वसूली हेतु परिवादिनी का ट्रैक्‍टर तहसीलदार बांसगांव दिनांक 05.12.1996 को खिंचवा ले गये। परिवादिनी की शिकायत पर अधीक्षण अभियन्‍ता ने दिनांक 17.03.1997 को अधिशासी अभियन्‍ता को आदेशित किया कि आर0सी0 वापस ले ली जाये तथा परिवादिनी को सही बिल प्रेषित किया जाये। विपक्षी ने दिनांक 27.03.1997 को बिल न प्रेषित कर आर0सी0 को संशोधित कर रू0 10,649.43 हेतु दूसरी आर0सी0 जारी कर दी, जिससे क्षुब्‍ध होकर जिला फोरम के समक्ष प्रश्‍नगत परिवाद योजित किया गया।

विपक्षी/अपीलार्थी को जिला फोरम द्वारा पंजीकृत नोटिस जारी की गयी, जिस पर उपस्थित हुए और विभिन्‍न तिथियों पर स्‍थगन प्रार्थना पत्र प्रस्‍तुत किया गया और लिखित अभिकथन प्रस्‍तुत नहीं किया गया। अत: उनके विरूद्ध एक पक्षीय सुनवाई करते हुए जिला फोरम द्वारा उपरोक्‍त निर्णय एवं आदेश पारित किया गया।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा उपरोक्‍त निर्णय एवं ओदश से क्षुब्‍ध होकर वर्तमान अपील योजित की गयी है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा मुख्‍य रूप से यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि वर्तमान प्रकरण में अर्बनडाइजेशन हो जाने के कारण पत्रावली उपलब्‍ध नहीं हो रही थी इस कारण जिला फोरम के समक्ष वह अपना पक्ष नहीं रख सके, परन्‍तु प्रश्‍नगत निर्णय के परिशीलन से प्रकट होता है कि जिला मंच के समक्ष पर्याप्‍त अवसर प्रदान किये जाने के बावजूद भी लिखित कथन प्रस्‍तुत नहीं किया गया। ऐसा कोई अभिलेख प्रस्‍तुत नहीं है, जिससे अपीलार्थी के उक्‍त कथन का समर्थन हो सके। ऐसी स्थिति में अपीलार्थी के अधिवक्‍ता के तर्क में बल नहीं पाया जाता है। अपीलार्थी द्वारा यह भी तर्क किया गया कि प्रकरण 1986 का है और परिवाद 1997 में योजित किया गया है। अत: परिवाद कालबाधित है। इस सन्‍दर्भ में इतना कहना ही पर्याप्‍त है कि जिला मंच के समक्ष लिखित कथन प्रस्‍तुत नहीं किया गया है। अत: इस सन्‍दर्भ में इस स्‍तर पर आपत्‍ति‍ उठाये जाने का कोई औचित्‍य नहीं है। इस सन्‍दर्भ में इतना कहना ही पर्याप्‍त है कि प्रश्‍नगत धनराशि का रिकवरी सर्टिफिकेट सन 1997 में जारी किया गया है। ऐसी स्थिति में परिवाद कालबाधित होना स्‍वीकार योग्‍य नहीं है।

जिला मंच द्वारा वर्तमान प्रकरण में यह पाया गया कि दिनांक 30.05.1986 को अन्तिम  रूप  से  विद्युत  कनेक्‍शन  विच्‍छेदित कर दिया गया था उस समय विद्युत देय

 

-3-

लगभग 3000/- बकाया था एवं आर0सी0 संशोधित करके आर0सी0 जारी की गयी, जिससे प्रताडि़त होकर परिवादिनी ने रू0 5000/- भी जमा किया एवं जिला मंच द्वारा इस सन्‍दर्भ में विस्‍तार से विचार किया गया और पाया गया कि रू0 1750/- की धनराशि परिवादिनी विपक्षी से पाने की अधिकारिणी है। जिला मंच के उक्‍त निष्‍कर्ष में किसी प्रकार की कोई त्रुटि होना नहीं पायी जाती है, परन्‍तु वर्तमान प्रकरण में जिला मंच द्वारा रू0 10,000/- की क्षतिपूर्ति हेतु जो आदेश पारित किया गया है वह मुकदमें की सम्‍पूर्ण परिस्थितियों को देखते हुए न्‍यायसंगत प्रतीत नहीं होता है। अत: प्रस्‍तुत अपील अंशत: स्‍वीकार होने योग्‍य है।

आदेश

अपील अंशत: स्‍वीकार की जाती है। जिला फोरम, गोरखपुर द्वारा परिवाद संख्‍या-360/1997, लालमती बनाम उत्‍तर प्रदेश राज्‍य विद्युत परिषद में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 28.09.1998 के अन्‍तर्गत आदेशित आर्थिक मानसिक क्ष‍तिपूर्ति रू0 10,000/- का आदेश अपास्‍त किया जाता है। शेष आदेश की पुष्टि की जाती है।

 

 

            (जितेन्‍द्र नाथ सिन्‍हा)                      (जुगुल किशोर)

               पीठासीन सदस्‍य                               सदस्‍य

लक्ष्‍मन, आशु0

   कोर्ट-3

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Jitendra Nath Sinha]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Jugul Kishor]
MEMBER

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