(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-426/2019
कानपुर नगर निगम
बनाम
श्रीमती कृष्णा देवी (मृतक) प्रतिस्थापित विधिक वारिसान संतोष शुक्ला व अन्य
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री एन.सी. उपाध्याय, विद्वान
अधिवक्ता।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री सुशील कुमार मिश्रा, विद्वान
अधिवक्ता।
दिनांक : 24.05.2023
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, इस न्यायालय के सम्मुख विद्वान जिला आयोग, कानपुर नगर द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 5.12.2017 के विरूद्ध योजित की गई है, जिसके द्वारा विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद संख्या-482/2009 को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए निम्नलिखित आदेश पारित किया गया :-
'' परिवादिनी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षी के विरूद्ध आंशिक रूप से इस आशय से स्वीकार किया जाता है प्रस्तुत निर्णय पारित करने के 30 दिन के अंदर विपक्षी, परिवादिनी को, प्रश्नगत भूखण्ड सं0-75 को हाई टेंशन लाईन के नीचे से हटाकर महाबलीपुरम आवासीय योजना में ही 24 मीटर रोड पर, बिना कोई अतिरिक्त ब्याज लगाये शेष बकाया किश्तें प्राप्त करके, निमयानुसार कहीं अन्यत्र आवंटित करे तथा मानसिक, आर्थिक व शारीरिक क्षतिपूर्ति हेतु रू0 20000.00 (बीस हजार रूपये) तथा रू0 5000.00 परिवाद व्यय भी अदा करें। ''
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वाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादिनी को 112.50 वर्गमीटर का भूखण्ड संख्या-75 आवंटित किया गया, जिसकी किश्तें समय-समय पर परिवादिनी द्वारा अदा की जा रही हैं। परिवादिनी को प्रश्नगत भूखण्ड विपक्षी द्वारा 33000 वोल्ट हाईटेंशन लाइन के नीचे आवंटित किया गया है, जिस पर मकान निर्माण करवाना असंभव है। परिवादिनी द्वारा अनेकों तिथियों को पत्र के माध्यम से विपक्षी से अनुरोध किया गया कि उनको आवंटित भूखण्ड हाईटेंशन लाइन के नीचे से हटाकर किसी अन्य जगह आवंटित किया जाए तथा यह भी लिखा गया कि जब तक विपक्षी द्वारा परिवादिनी को अन्यत्र भूखण्ड आवंटित नहीं किया जाता है तब तक परिवादिनी द्वारा अवशेष धनराशि जमा नहीं की जाएगी, किंतु विपक्षी द्वारा इस पर कोई कार्यवाही नहीं की गई, इसलिए परिवाद प्रस्तुत किया गया।
विपक्षी ने वादोत्तर दाखिल करते हुए परिवाद का विरोध किया और कथन किया कि नगर निगम की कार्यकारिणी बैठक में यह निश्चित किया गया कि हाईटेंशन लाइन से 5.60 मीटर छोड़कर प्लाट आवंटित किए जाए साथ ही जिनके भी हाईटेंशन लाइन के नीचे प्लाट आवंटित हों गए हैं, उनको वैकल्पिक व्यवस्था होने पर परिवर्तन करने अथवा आवंटियों द्वारा जमा धनराशि वापस किए जाने का प्रस्ताव, सर्वसम्मत से पारित किया गया। विपक्षी द्वारा जानबूझकर कोई त्रुटि नहीं की गई है। परिवाद खारिज होने योग्य है।
विद्वान जिला आयोग ने उभय पक्ष द्वारा प्रस्तुत की गई साक्ष्य पर विचार करने के उपरांत उपरोक्त वर्णित निर्णय एवं आदेश पारित किया गया।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री एन0सी0 उपाध्याय तथा प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री सुशील कुमार मिश्रा को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया।
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पत्रावली के अवलोकन से स्पष्ट होता है कि प्रस्तुत अपील प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 5.12.2017 के विरूद्ध दिनांक 28.3.2019 को प्रस्तुत की गई है, जो कि अत्यधिक विलम्ब से योजित की गई है। विलम्ब के विरूद्ध प्रस्तुत की गई आपत्ति में यह कथन किया गया है कि विद्वान जिला आयोग के समक्ष विपक्षी/अपीलार्थी उपस्थित हुए थे और उनके द्वारा प्रतिवाद पत्र भी प्रस्तुत किया गया था, उसके बावजूद प्रस्तुत अपील विलम्ब से योजित की गई है।
अत: समस्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए हमारे विचार से प्रस्तुत अपील विलम्ब के आधार पर ही निरस्त होने योग्य है। इसके अतिरिक्त हमारे द्वारा गुणदोष पर भी विचार किया गया, जिसमें पाया गया कि परिवादिनी को प्रश्नगत भूखण्ड हाईटेंशन लाइन के नीचे आवंटित कर दिया गया है, जो स्पष्टया विपक्षी की सेवा में कमी को दर्शित करता है। अत: विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश में किसी प्रकार के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त होने योग्य है।
प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-1