राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील संख्या-1213/2019
(जिला उपभोक्ता फोरम, अयोध्या/फैजाबाद द्वारा परिवाद संख्या-249/2015 में पारित निर्णय दिनांक 23.07.2019 के विरूद्ध)
भारती ए.एक्स.ए. जनरल इंश्योरेंस कं0लि0। .........अपीलार्थी@विपक्षी
बनाम
1.श्रीमती कृष्णा देवी पत्नी स्व0 राम गोपाल निवासी ग्राम उदाखेर
बसंतपुरा पोस्ट खजुरहट थाना कोतवाली बीकापुर जिला फैजाबाद।
2.बड़ौदा पूवी यू0पी0 ग्रामीण बैंक, ब्रांच गोलाबाजार फैजाबाद।
.......प्रत्यर्थीगण/परिवादिनी
समक्ष:-
1. मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
2. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री दिनेश कुमार, विद्वान
अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री अमित त्रिपाठी, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक 02.08.2022
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या 249/2015 श्रीमती कृष्णा देवी बनाम एरिया मैनेजर(नार्थ रूरल इंश्योरेंस) भारती ए0एक्स0ए0 जनरल व एक अन्य में पारित निर्णय/आदेश दि. 23.07.2019 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है। जिला उपभोक्ता मंच ने परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए अंकन रू. 50000/- बीमित धन अदा करने का आदेश दिया है।
2. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादिनी के पति का विपक्षी संख्या 2 के यहां किसान क्रेडिट कार्ड खाता संख्या 5521732 दि. 14.11.08 से संचालित है, जिसकी नामिनी कृष्णा देवी हैं। सामूहिक व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा राज्य सरकार द्वारा विपक्षी संख्या 1 से कराया गया है, जिसकी राशि रू. 50000/- है। बीमित अवधि के दौरान परिवादिनी
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के पति राम गोपाल की मृत्यु वाहन संख्या आर.जे.14जी.डी.-2306 के टक्क्र मारने के कारण हो गई, जिसकी रिपोर्ट दर्ज कराई गई, पोस्ट मार्टम हुआ, बीमा क्लेम प्रस्तुत किया गया, परन्तु बीमा की राशि अदा नहीं की गई। बीमा कंपनी का कथन है कि विलम्ब से सूचना दी गई है, इसलिए बीमा क्लेम देय नहीं है।
3. दोनों पक्षकारों के साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात जिला उपभोक्ता मंच ने यह निष्कर्ष दिया कि चूंकि परिवादिनी के पति सामूहिक बीमा योजना के सदस्य थे, उनकी दुर्घटना में मृत्यु हो चुकी है, इसलिए बीमा क्लेम परिवादिनी को देय है, जो उनकी नामिनी है।
4. इस निर्णय व आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि जिला उपभोक्ता मंच ने तथ्य एवं विधि/साक्ष्य के विपरीत निर्णय पारित किया है, क्योंकि मृतक की मृत्यु की सूचना तुरंत नहीं दी गई, इसलिए बीमा पालिसी की शर्तों का उल्लंघन किया गया, तदनुसार बीमा क्लेम देय नहीं था।
5. दोनों पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ताओं को सुना। प्रश्नगत निर्णय/आदेश व पत्रावली का अवलोकन किया गया।
6. पत्रावली में मौजूद दस्तावेज संख्या 29 है, जिसमें परिवादिया का पति सामूहिक बीमा योजना का सदस्य है। परिवादी द्वारा श-शपथ साबित है कि दुर्घटना में उसकी मृत्यु हो चुकी है, पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी पत्रावली पर मौजूद है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का केवल यह तर्क है कि मृत्यु की सूचना देरी से दी गई है। इस संबंध में विधि की स्थिति स्पष्ट है कि बीमित व्यक्ति की मृत्यु की सूचना देरी से देने मात्र से बीमा क्लेम नकारा नहीं जा सकता, इसलिए जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश में
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हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं है। तदनुसार अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
अपील निरस्त की जाती है।
अपीलार्थी द्वारा धारा-15 के अंतर्गत जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित जिला उपभोक्ता आयोग को निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (सुशील कुमार) अध्यक्ष सदस्य
राकेश, पी0ए0-2
कोर्ट-1