(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या- 1142/2002
बरेली डेवलमपेंट अथारिटी बनाम श्रीमती कलावती
दिनांक: 13.04.2023
माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्या द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी बरेली डेवलपमेंट अथारिटी की ओर से विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग, प्रथम बरेली द्वारा परिवाद संख्या- 100/97 श्रीमती कलावती बनाम सचिव, बरेली विकास प्राधिकरण नैनीताल रोड, बरेली में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 05.04.2002 के विरूद्ध योजित की गयी है।
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री वी०पी० श्रीवास्तव उपस्थित हुए। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है। केवल अपीलार्थी विद्वान अधिवक्ता के तर्क को विस्तारपूर्वक सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का सम्यक परिशीलन किया गया।
जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद आज्ञप्त करते हुए निम्न आदेश पारित किया है:
" परिवादिनी का परिवाद आज्ञप्त किया जाता है। विपक्षी को निर्देश दिया जाता है कि वह परिवादिनी को आवंटित मकान ब्लाक संख्या-1 भवन संख्या-7 स्थित करगना आवासीय योजना का कब्जा परिवादिनी को आदेश के एक माह के अन्दर दिलाएं तथा 5000/-रू० की धनराशि मानसिक एवं आर्थिक क्षतिपूर्ति के रूप में आदेश के एक माह के अन्दर अदा करें। यदि नियत अवधि में धनराशि अदा नहीं की जाती है तो विपक्षी उस पर 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी अदा करेंगे। परिवादिनी विपक्षी से 1000/-रू० वाद व्यय भी प्राप्त करने का अधिकारी है।"
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जिला आयोग द्वारा पारित उपरोक्त निर्णय एवं आदेश से क्षुब्ध होकर परिवाद के विपक्षी बरेली डेवलपमेंट अथारिटी द्वारा प्रस्तुत अपील योजित की गयी है।
पत्रावली के परिशीलन से स्पष्ट होता है कि प्रश्नगत मकान प्रारम्भ में संजीव कुमार यादव को आवंटित किया गया था। इस आवंटन को निरस्त करते हुए यह मकान श्रीमती कलावती को आवंटित किया गया है परन्तु श्री संजीव कुमार यादव ने इस निरस्तीकरण के विरूद्ध माननीय उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दाखिल की जिसमें यह कहा गया है कि संजीव कुमार का आवंटन पुन: स्थापित किया जाए। इसलिए कलावली के पक्ष में आवंटन निष्पादित नहीं किया जा रहा है।
समस्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि समस्त जमा धनराशि जमा की तिथि से भुगतान की तिथि तक 07 प्रतिशत ब्याज के साथ 30 दिन के अन्दर वापस लौटायी जाए। यदि यह राशि 30 दिन की अवधि में वापस नहीं लौटायी जाती है तब उस स्थिति में 12 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज भी देय होगा।
यहॉं पर यह भी स्पष्ट किया जाता है कि क्षतिपूर्ति के रूप में जो 5000/-रू० अदा किये जाने हेतु आदेशित किया गया है वह यथावत रहेगा। क्षतिपूर्ति की धनराशि रू० 5000/- भी उपरोक्त अवधि में अदा की जाए। वाद व्यय के रूप में आदेशित रू० 1000/- की धनराशि अदा करने हेतु जो आदेशित किया गया है उसे अपास्त किया जाता है। प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।
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आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(सुशील कुमार) (सुधा उपाध्याय)
सदस्य सदस्य
कृष्णा–आशु0 कोर्ट नं0 3