(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-620/2023
(जिला आयोग, द्वितीय लखनऊ द्वारा परिवाद संख्या-134/2021 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 04.02.2023 के विरूद्ध)
केनरा बैंक, फार्मली सिण्डीकेट बैंक, ब्रांच एड्रेस सी-362, ब्रांच अरावली मार्ग, इन्दिरा नगर लखनऊ द्वारा ब्रांच मैनेजर।
अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
श्रीमती जया मिश्रा पत्नी स्व0 वाचस्पति मिश्रा, निवासिनी 40/01 मालवीय नगर न्यू एशबाग लखनऊ, पूर्व पता 18/319, इन्दिरा नगर, लखनऊ।
प्रत्यर्थी/परिवादिनी
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री नितिन खन्ना।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री न्यूटन किशोर सक्सेना।
दिनांक: 22.07.2024
माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
विद्वान जिला आयोग, द्वितयी लखनऊ द्वारा परिवाद संख्या-134/2021, श्रीमती जया मिश्रा बनाम केनरा बैंक (पूर्ववर्ती बैंक सिण्डीकेट बैंक) में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 04.02.2023 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है।
परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादिनी का खाता संख्या-84822200025814 विपक्षी बैंक की शाखा अरावली मार्ग, इन्दिरा नगर, लखनऊ में संचालित है। परिवादिनी के पति की मृत्यु दिनांक 06.07.2018 को हो गई थी और उसके पति की ग्रेच्युटी अंकन 2,00,000/-रू0 दिनांक 31.10.2018 को परिवादिनी के उपरोक्त खाते में अंतरित हुई। परिवादिनी के ससुर श्री सुधाकर मिश्रा व अन्य ससुराल के लोगों ने षड़यंत्र के तहत परिवादिनी से कुछ ब्लैंक चेक हस्ताक्षरित करवा लिए। परिवादिनी को जब उनके इस षड़यंत्र का पता चला तब उसने विपक्षी बैंक में अपने खाते के समस्त चेकों को कैंसिल/स्टॉप पेमेंट करवाने हेतु दिनांक 12.03.2019 को प्रार्थना पत्र दिया, जिस पर विपक्षी बैंक ने दिनांक 12.03.2019 को अंकन 3,54/-रू0, अंकन 2,36/-रू0 व अंकन 3,54/-रू0 चेक कैंसिल करने के चार्जेज काटे, परन्तु इसके बावजूद दिनांक 14.03.2019 को विपक्षी बैंक ने परिवादिनी के खाते से चेक संख्या-35621940 के द्वारा अंकन 1,86,000/-रू0 पशुपति मिश्रा के पक्ष में भुगतान कर दिया, इसके अतिरिक्त दिनांक 15.03.2019 को चेक संख्या-35621939, अंकन 50,000/-रू0 दुर्गावती मिश्रा के नाम से विपक्षी बैंक में लगाया गया, जिसके संबंध में विपक्षी बैंक ने स्टॉप पेमेंट न दर्शाते हुए No Funds Available दर्शाया व दिनांक 15.03.2019 को ही अंकन 1,00,000/-रू0 चेक संख्या-35261938 परिवादिनी के ससुर श्री सुधाकर मिश्रा द्वारा भुगतान हेतु विपक्षी बैंक में लगाया गया, जिस पर विपक्षी बैंक द्वारा स्टॉप पेमेंट का कोई निर्देश अंकित नहीं किया गया, जिसकी शिकायत परिवादिनी द्वारा दिनांक 10.07.2020 को बैंकिंग लोकपाल को की गई, परन्तु उनके द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई। परिवादिनी का कथन है कि चेकों के स्टॉप पेमेंट के बावजूद भी विपक्षी बैंक द्वारा परिवादिनी के खाते से चेकों का भुगतान किया गया, जिसके संबंध में परिवादिनी द्वारा जन सूचना अधिकार अधिनियम के अंतर्गत बैंक से सूचना मांगी गई, परन्तु कोई सूचना नहीं दी गई। ऐसा करके विपक्षी बैंक ने परिवादिनी के प्रति सेवा में कमी की है, जिससे क्षुब्ध होकर उपभोक्ता परिवाद प्रस्तुत किया गया।
विपक्षी बैंक ने कोई लिखित कथन प्रस्तुत नहीं किया। अत: उनके विरूद्ध एक पक्षीय कार्यवाही करते विद्वान जिला आयोग द्वारा निम्नलिखित आदेश पारित किया गया :-
'' परिवादिनी का परिवाद, विपक्षी के विरूद्ध आंशिक रूप से एकपक्षीय स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह निर्णय की तिथि से 30 दिन के भीतर परिवादिनी को उसकी धनराशि रू. 1,86,000/- मय 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ वाद संस्थित करने की तिथि से वास्तविक भुगतान की तिथि तक अदा करे। इसके अतिरिक्त विपक्षी, परिवादिनी को मानसिक कष्ट हेतु रू. 2,00,000/- व वाद-व्यय हेतु रू. 10,000/- भी उक्त अवधि में अदा करे। निर्धारित 30 दिन की अवधि में उक्त धनराशियॉं अदा न करने पर विपक्षी, परिवादिनी को उक्त धनराशियों पर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ भुगतान करने का दायी होगा।
प्रतिलिपि पक्षकार को नियमानुसार उपलब्ध करायी जाये। ''
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता तथा प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता की बहस सुनी गई तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का मुख्य तर्क यह है कि प्रश्नगत निर्णय/आदेश पूर्णतया अवैध, अविधिक, मनमाना तथा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में निहित प्रावधानों के विपरीत है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह भी तर्क किया गया कि उसे नोटिस प्राप्त नहीं हुई, परन्तु अपीलार्थी द्वारा दस्तावेज संख्या-27 ट्रैक कंसाइनमेंट प्रस्तुत किया गया है, जिसके अवलोकन से जाहिर होता है कि दिनांक 19.06.2021 को Item Delivery Confirmed अंकित है। उक्त नोटिस अपीलार्थी बैंक को दिनांक 19.06.2021 को प्राप्त हो चुकी थी, क्योंकि उक्त नोटिस प्रेषक को वापस प्राप्त नहीं हुई और न ही प्रेषक को उक्त नोटिस वापस करने का कोई कारण/टिप्पणी ट्रैकिंग रिपोर्ट पर अंकित है, जिससे विदित होता है कि अपीलार्थी बैंक जानबुझकर विद्वान जिला आयोग के समक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिए उपस्थित नहीं हुए।
पत्रावली के समयक् अवलोकन से स्पष्ट होता है कि परिवादिनी द्वारा अपने बैंक में चेक द्वारा कोई पैसा पास न करने हेतु प्रार्थना पत्र बैंक को दिनांकित 12.03.2019 को दिया गया था, जिसके अवलोकन से स्पष्ट है कि परिवादिनी द्वारा अपने खाता संख्या-84822200025814 से किसी भी चेक के द्वारा पैसा न दिए जाने हेतु प्रार्थना की थी। परिवादिनी द्वारा स्टॉप पेमेंट का प्रार्थना पत्र दिए जाने के बावजूद विपक्षी बैंक द्वारा अंकन 1,86,000/-रू0 का पेमेंट चेक के माध्यम से दिया गया, जिसके एवज में दिनांक 12.03.2019 को अंकन 3,54/-रू0, अंकन 2,36/-रू0 व अंकन 3,54/-रू0 भुगतान रोके जाने हेतु चेक कैंसिल करने के चार्जेज काटे गए थे, जो कि प्रत्यर्थी द्वारा प्रस्तुत आपत्ति विरूद्ध अपील के साथ Statement of Account से समर्थित होता है। विपक्षी बैंक द्वारा चेक संख्या-35621939 दिनांकित 15.03.2019 पर No Funds Available व चेक संख्या-35261938 दिनांक 15.03.2019 पर Present Again इंडोर्स किया गया, जबकि उक्त दोनों चेकों पर No Payment इंडोर्स किया जाना चाहिए था, जिसकी पुष्टि प्रत्यर्थी द्वारा प्रस्तु स्टेटमेंट आफ अकाउण्ट से होती है।
इस प्रकार उपरोक्त विवेचना से स्पष्ट हो रहा है कि परिवादिनी द्वारा चेकों के स्टॉप पेमेंट हेतु विपक्षी बैंक को प्रार्थना पत्र दिया गया, जिस हेतु बैंक द्वारा चेकों के भुगतान को रोकने हेतु शुल्क भी काटे गए, इसके बावजूद विपक्षी बैंक ने परिवादिनी के खाते से उपरोक्त चेक संख्या-35621940 द्वारा अंकन 1,86,000/-रू0 का भुगतान कर दिया गया और शेष दो चेक प्रस्तुत करने पर In Sufficient Balance दर्शाया गया, जबकि No Payment इंडोर्स किया जाना चाहिए था। अत: प्रत्यर्थी/परिवादिनी अपने तथ्यों को साक्ष्यों के माध्यम से साबित करने में सफल रही है कि बैंक द्वारा सेवा में कमी की गई है। अपीलार्थी द्वारा निर्णय के विरूद्ध जो तथ्य प्रस्तुत किए गए हैं, उसमें बल नहीं है। निर्णय उचित प्रकार से एवं तथ्यों को विश्लेषित करते हुए दिया गया है, परन्तु विद्वान जिला आयोग ने उपरोक्त चेक संख्या-35621940 की राशि अंकन 1,86,000/-रू0 9 प्रतिशत ब्याज के साथ अदा करने के लिए विपक्षी बैंक को आदेशित किया है, जो अधिक प्रतीत हो रही है। अत: इसे 07 प्रतिशत किया जाना उचित है। इसी प्रकार मानसिक कष्ट के रूप में अंकन 2,00,000/-रू0 के स्थान पर अंकन 50,000/-रू0 दिलाया जाना विधिसम्मत है और परिवाद व्यय के रूप में अंकन 10,000/-रू0 हेतु पारित आदेश पुष्ट होने और शेष आदेश अपास्त होने योग्य है। तदनुसार प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 04.02.2023 इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि अंकन 1,86,000/-रू0 (एक लाख छियासी हजार रूपये) 07 प्रतिशत प्रतिवर्ष साधारण ब्याज के साथ परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक अदा किया जाए तथा मानसिक प्रताड़ना की मद में अंकन 50,000/-रू0 (पचास हजार रूपये) व परिवाद व्यय के रूप में अंकन 10,000/-रू0 (दस हजार रूपये) भी एक माह की अवधि में अदा किया जाए। आदेश का शेष भाग अपास्त किया जाता है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (सुधा उपाध्याय)
अध्यक्ष सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-1