राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
पुनरीक्षण संख्या-45/2017
(मौखिक)
(जिला उपभोक्ता फोरम, फिरोजाबाद द्वारा परिवाद संख्या 107/2015 में पारित आदेश दिनांक 18.03.2017 के विरूद्ध)
1. श्रीमती अनुपमा शर्मा, निदेशक/प्रधानाचार्य अमरदीप स्कूल विभव
नगर फिरोजाबाद।
2. अमरदीप स्कूल, विभव नगर फिरोजाबाद द्वारा
निदेशक/प्रबन्धक/प्रधानाचार्य।
...................पुनरीक्षणकर्तागण
बनाम
1. श्रीमती गीता नागर पत्नी श्री सुनील कुमार नागर, निवासी गली
नं010, मकान नं0 429, महावीर नगर थाना फिरोजाबाद दक्षिण
डाकखाना, शहर व जिला फिरोजाबाद।
2. रीजनल आफीसर, सी0बी0एस0ई0, 35-बी, एम0जी0मार्ग, सिविल
लाइन, इलाहाबाद-211001
3. कन्ट्रोलर (एक्जामिनेशन), सी0बी0एस0ई0 2 कम्यूनिटी सेन्टर
प्रीति बिहार-दिल्ली। 110301 ...................विपक्षीगण
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
पुनरीक्षणकर्ता की ओर से उपस्थित : श्री आर0डी0 क्रान्ति,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षी सं01 की ओर से उपस्थित : श्री सुशील कुमार मिश्रा,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षीगण सं0 2 व 3 की ओर से उपस्थित : श्री राकेश कुमार
मिश्रा, विद्वान
अधिवक्ता।
दिनांक: 07-07-2017
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या-107/2015 श्रीमती गीता नागर बनाम श्रीमती अनुपमा शर्मा आदि में जिला फोरम, फिरोजाबाद द्वारा पारित आदेश दिनांक 18.03.2017 के विरूद्ध यह पुनरीक्षण याचिका
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धारा-17 (1) (बी) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत उपरोक्त परिवाद के विपक्षीगण श्रीमती अनुपमा शर्मा व एक अन्य की ओर से आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गयी है।
आक्षेपित आदेश के द्वारा जिला फोरम ने पुनरीक्षणकर्ता/विपक्षीगण का स्थगन प्रार्थना पत्र 10,000/-रू0 हर्जे पर स्वीकार करते हुए उन्हें साक्ष्य प्रस्तुत करने हेतु दिनांक 25.03.2017 तिथि निश्चित की है।
पुनरीक्षणकर्ता की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री आर0डी0 क्रान्ति, विपक्षी संख्या-1 की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री सुशील कुमार मिश्रा और विपक्षीगण संख्या-2 व 3 की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री राकेश कुमार मिश्रा उपस्थित आए हैं।
मैंने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित आदेश तथा सम्पूर्ण तथ्यों पर विचार किया है।
स्थगन प्रार्थना पत्र जिला फोरम द्वारा हर्जे पर स्वीकार किया जाना न ही अवैधानिक है और न ही जिला फोरम द्वारा अधिकारिता के प्रयोग में त्रुटि कही जा सकती है, परन्तु परिवाद की प्रकृति आदि पर विचार करते हुए 10,000/-रू0 हर्जे की धनराशि अधिक प्रतीत होती है। अत: पुनरीक्षण याचिका आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए जिला फोरम द्वारा लगाए गए हर्जे की धनराशि 10,000/-रू0 (दस हजार रूपए मात्र) को कम कर 2000/-रू0 (दो हजार रूपए मात्र) इस शर्त पर निर्धारित की जाती है कि पुनरीक्षणकर्ता/विपक्षीगण निश्चित तिथि पर जिला फोरम के समक्ष उपस्थित होकर हर्जे की धनराशि
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2000/-रू0 (दो हजार रूपए मात्र) की अदायगी परिवादिनी को करेंगे और अपना सम्पूर्ण साक्ष्य उसी दिन जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत करेंगे। यदि निश्चित तिथि पर पुनरीक्षणकर्ता/विपक्षीगण द्वारा हर्जे की उक्त धनराशि अदा नहीं की जाती है और साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया जाता है तो यह आदेश निष्प्रभावी माना जाएगा।
उभय पक्ष दिनांक 10.08.2017 को जिला फोरम के समक्ष उपस्थित हों और उसी दिन पुनरीक्षणकर्ता/विपक्षीगण उपरोक्त प्रकार से हर्जे की अदायगी कर अपना साक्ष्य जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत करेंगे।
यदि निश्चित तिथि पर हर्जा लेने हेतु परिवादिनी या उसके विद्वान अधिवक्ता उपलब्ध नहीं होते हैं तो हर्जे की धनराशि पुनरीक्षणकर्ता/विपक्षीगण जिला फोरम में जमा करेंगे।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1