सुरक्षित
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ
(जिला उपभोक्ता आयोग, मेरठ द्वारा परिवाद संख्या 244 सन 2013 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 16.10.2016 के विरूद्ध)
अपील संख्या 2926 सन 2016
मुख्य कार्यकारी अधिकारी, फीडरल बैंक लि0 रजि0 आफिस, आलुआ केरल एवं अन्य ।
.......अपीलार्थी/प्रत्यर्थी
-बनाम-
श्रीमती दयावती पत्नी श्री मदन लाल निवासी मकान नम्बर 16, नया पुरवा, संजय नगर, मेरठ ।
. .........प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
मा0 श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्य ।
मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता - कोई नहीं ।
प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता - श्री उमेश शर्मा।
दिनांक:-12-08-2021
श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, जिला उपभोक्ता आयोग, मेरठ द्वारा परिवाद संख्या 244 सन 2013 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 16.10.2016 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी है ।
संक्षेप में, प्रकरण के आवश्यक तथ्य इस प्रकार हैं परिवादिनी ने अपीलार्थी फेडरल बैंक लि0 से 7,31,000.00 रू0 गृह ऋण प्राप्त कर एक आवासीय भवन संख्या बी-3, नंगला बट्टू यादगारपुर, मेरठ शहर में क्रय किया। दुर्घटना के कारण किश्तों का भुगतान करने में असमर्थ रहने पर अपीलार्थी फेडरल बैंक लि0 ने सरफेसी एक्ट के तहत कार्यवाही करते हुए उसका मकान 15,05,000.00 रू0 में विक्रीत कर दिया और उसमें से ऋण की धनराशि समायोजित कर ली। परिवादिनी द्वारा समायोजन के पश्चात शेष धनराशि की मांग करने पर अपीलार्थी द्वारा उससे दुर्ववहार किया गया और बैंक स्टेटमेंट में विभिन्न मदों में व्यय बढा चढ़ा कर अंकित किया गया। परिवादिनी द्वारा इस संबंध में नोटिस दिए जाने पर बैंक द्वारा देय धनराशि 2,45,583.00 रू0 का स्टेटमेंट दिया गया जबकि पासबुक के अनुसार शेष धनराशि 3,69,884.00 रू0 प्रदर्शित की गयी थी । इस प्रकार बैंक द्वारा 1,24,301.00 रू0 की कटौती मनमाने आधार पर परिवादिनी को आर्थिक क्षति व मानसिक पीडा पहुंचाई गई। इसके अतिरिक्त कथित आवासीय भवन का बाजारी मूल्य 30 लाख रू0 है जिसे कम मूल्य पर बिक्रय किया गया है।
विपक्षी की ओर से जिला मंच के समक्ष अपना वादोत्तर प्रस्तुत कर उल्लिखित किया गया कि आवासीय ऋण का भुगतान न करने के कारण सरफेसी एक्ट के तहत कार्यवाही करते हुए ऋण की वसूली की गयी। परिवादिनी के विरूद्ध वाजिब ऋण धनराशि को काटकर शेष धनराशि अंकन 2,45,583.00 रू0 विक्रय प्रतिफल विपक्षीगण बैंक के पास जमा है, जिसे वह देने के लिए तत्पर है।
जिला मंच ने उभय पक्ष के साक्ष्य एवं अभिवचनों के आधार पर निम्न आदेश पारित किया :-
'' परिवादिनी द्वारा प्रस्तुत परिवाद आंशिक रूप से स्वकृत किया जाता है। विपक्षी बैंक को निर्देशित किया जाता है कि वह परिवादिनी को अधिक जमा धनराशि अंकन 3,69,884.00 रू0 मय 09 प्रतिशत वाषिर्ज्ञक साधारण ब्याज दिनांक 04.06.2013 से भुगतान की तिथि तक अंकन 20 हजार मानसिक व शारीरिक कष्ट के संबंध में क्षति धनराशि तथा अंकन 5000.00 परिवाद निर्णय के दिनांक से एक माह के अन्दर अदा करे। ऐसा न करने की तिथिति में परिवादिनी 09 प्रतिशत वाष्र्ज्ञिक साधारण ब्याज के स्थान पर 12 प्रतिशत वार्षिक साधारण बयाज भुगतान की तिथि तक प्राप्त करने की अधिकारिणी होगी। ''
उक्त आदेश से क्षुब्ध होकर प्रस्तुत अपील फेडरल बैंक लि0 द्वारा योजित की गयी है।
अपील के आधारों में कहा गया है कि जिला आयोग का निर्णय साक्ष्य एवं विधि के विरूद्ध है और दोषपूर्ण है। अपील स्वीकार कर जिला आयोग का निर्णय व आदेश समाप्त करते हुए परिवाद निरस्त किया जाए ।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला आयोग का निर्णय व आदेश उचित है। अपील बलरहित है और निरस्त किए जाने योग्य है।
हमने प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता के तर्क विस्तारपूर्वक सुने एवं पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों का सम्यक अवलोकन किया। बहस हेतु अपीलकर्ता की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।
पत्रावली का अवलोकन करने से स्पष्ट होता है कि परिवादिनी फेडरल बैंक लि0 से 7,31,000.00 रू0 गृह ऋण प्राप्त कर एक आवासीय भवन क्रय किया। किश्तों का भुगतान करने में असमर्थ रहने पर अपीलार्थी ने सरफेसी एक्ट के तहत कार्यवाही करते हुए उसका मकान 15,05,000.00 रू0 में विक्रीत कर दिया और उसमें से ऋण की धनराशि समायोजित कर ली और समायोजन के पश्चात देय धनराशि 2,45,583.00 रू0 का स्टेटमेंट दिया गया। जबकि विपक्षी/अपीलार्थी की ओर से उल्लिखित किया गया कि आवासीय ऋण का भुगतान न करने के कारण सरफेसी एक्ट के तहत कार्यवाही करते हुए ऋण की वसूली की गयी। परिवादिनी के विरूद्ध वाजिब ऋण धनराशि को काटकर शेष धनराशि अंकन 2,45,583.00 रू0 विक्रय प्रतिफल विपक्षीगण बैंक के पास जमा है, जिसे वह देने के लिए तत्पर है।
विद्वान जिला मंच ने अपने विवेच्य निर्णय में यह अवधारित किया है कि होम लोन स्टेटमेंट दिनांक 04.06.2013 से स्पष्ट है कि गृह ऋण समायोजन के पश्चात बैंक के पास 3,69,884.00 रू0 अधिक जमा थे। अपीलार्थी बैंक द्वारा इस स्टेटमेंट को चुनौती नही दी गयी। उक्त जमा धनराशि के विरूद्ध बैंक द्वारा मात्र 2,45,503.00 परिवादिनी के खाते में किस प्रकार दिखाए गए इसका भी कोई विवरण प्रस्तुत नहीं किए गए । बैंक द्वारा मनमाने ढंग से धनराशि की कटौती कर और काटी गई धनराशि का समुचित उत्तर न देकर सेवा में कमी की गयी है।
पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्य एवं अभिलेख का भलीभांति परिशीलन करने के पश्चात हम यह पाते हैं कि जिला मंच द्वारा साक्ष्यों की पूर्ण विवेचना करते हुए प्रश्नगत परिवाद में विवेच्य निर्णय पारित किया है, जो कि विधिसम्मत है एवं उसमें हस्तक्षेप करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
तद्नुसार, प्रस्तुत अपील खारिज किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील खारिज की जाती है।
उभय पक्ष इस अपील का अपना अपना व्यय स्वयं वहन करेंगे।
धारा 15, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत अपील में जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित जिला फोरम को इस निर्णय के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाएगी ।
आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(गोवर्धन यादव) (विकास सक्सेना)
सदस्य सदस्य
सुबोल श्रीवास्तव
पी0ए0(कोर्ट नं0-2)