Uttar Pradesh

StateCommission

A/1997/610

Sipani Automobiles Ltd. - Complainant(s)

Versus

Smt. Dayawati Yadav - Opp.Party(s)

Arun Tandan

21 Aug 2017

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1997/610
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Sipani Automobiles Ltd.
A
...........Appellant(s)
Versus
1. Smt. Dayawati Yadav
A
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. Smt Balkumari MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 21 Aug 2017
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

                                                         सुरक्षित     

अपील सं0-५५४/१९९७

(जिला मंच, सहारनपुर द्वारा परिवाद सं0-९४/१९९४ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक १४-०३-१९९७ के विरूद्ध)

मै0 स्‍वाति आटोमोबाइल्‍स, दिल्‍ली रोड, सहारनपुर द्वारा मैनेजिंग पार्टनर श्री वी0के0 जैन।                                     .............    अपीलार्थी/विपक्षी सं0-२.

बनाम

१. श्रीमती दयावती यादव पत्‍नी श्री जय भगवान सिंह निवासी ग्राम व पोस्‍ट बालेनी, जिला मेरठ।                               ............         प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी।

२. सिपानी आटोमोबाइल्‍स लि0, २५/२६, इण्‍डस्ट्रियल सुबर्ब, सेकण्‍ड स्‍टेज, टुम्‍कुर रोड, बंग्‍लौर।                                   .............      प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-१.

अपील सं0-६१०/१९९७

(जिला मंच, सहारनपुर द्वारा परिवाद सं0-९४/१९९४ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक १४-०३-१९९७ के विरूद्ध)

२. सिपानी आटोमोबाइल्‍स लि0, २५/२६, इण्‍डस्ट्रियल सुबर्ब, सेकण्‍ड स्‍टेज, टुम्‍कुर रोड, बंग्‍लौर।                                   .............    अपीलार्थी/विपक्षी सं0-१.                            

बनाम

१. श्रीमती दयावती यादव पत्‍नी श्री जय भगवान सिंह निवासी ग्राम व पोस्‍ट बालेनी, जिला मेरठ।                               ............         प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी।

२. मै0 स्‍वाति आटोमोबाइल्‍स, दिल्‍ली रोड, सहारनपुर द्वारा मैनेजिंग पार्टनर श्री वी0के0 जैन।                                     .............      प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-२.

अपील सं0-५७१/१९९७

(जिला मंच, सहारनपुर द्वारा परिवाद सं0-९४/१९९४ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक १४-०३-१९९७ के विरूद्ध)

श्रीमती दयावती यादव पत्‍नी श्री जय भगवान सिंह यादव निवासी ग्राम व पोस्‍ट बालेनी, जिला मेरठ द्वारा श्री जय भगवान सिंह यादव पति खुद हाल पता १६४/८, महावीर नगर, बागपत रोड, मेरठ।                        ............         अपीलार्थी/परिवादिनी।

बनाम

१. सिपानी आटोमोबाइल्‍स लि0, २५/२६, इण्‍डस्ट्रियल सुबर्ब, सेकण्‍ड स्‍टेज, टुम्‍कुर रोड, बंग्‍लौर।                                   .............      प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-१.                            

२. मै0 स्‍वाति आटोमोबाइल्‍स, दिल्‍ली रोड, सहारनपुर द्वारा श्री वी0के0 जैन मैनेजिंग पार्टनर ।                                  .............      प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-२.

समक्ष:-

१-  मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य।

२-  मा0 श्रीमती बाल कुमारी , सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित         : श्री अरूण टण्‍डन विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी की ओर से उपस्थित  : श्री आर0के0 गुप्‍ता विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक :-  २१-०९-२०१७.                                                                                                                                                                                             

मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

 

-२-

प्रस्‍तुत अपीलें, जिला मंच, सहारनपुर द्वारा परिवाद सं0-९४/१९९४ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक १४-०३-१९९७ के विरूद्ध योजित की गयी हैं। तीनों अपीलें एक ही निर्णय के विरूद्ध योजित की गई हैं, अत: इन अपीलों का निस्‍तारण साथ-साथ किया जा रहा है। अपील सं0-५५४/१९९७ अग्रणी होगी।

पक्षकारों द्वारा प्रश्‍नगत प्रकरण से सम्‍बन्धित परिवाद पत्र एवं प्रतिवाद पत्र की प्रतियॉं दाखिल नहीं की गई हैं। अत: अपील मेमो के अभिकथनों एवं प्रश्‍नगत निर्णय के अवलोकन से संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार हैं, अपीलार्थी मै0 स्‍वाति आटोमोबाइल्‍स लि0 सहारनपुर के कथनानुसार वह गाड़ी की मरम्‍मत का व्‍यवसाय करता है। उसने मोण्‍टेना कार जिसका निर्माण प्रत्‍यर्थी सं0-२ सिपानी आटोमोबाइल्‍स लि0 द्वारा किया गया, की एजेन्‍सी ले रखी थी। प्रश्‍नगत कार सं0-के0आर0 ०४/एम-२११४ प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने १,२५,०२४.०० रू० में प्रत्‍यर्थी सं0-२ से दिनांक २९-०३-१९९१ को क्रय की। प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने अपीलार्थी को प्रश्‍नगत कार की डिलीवरी प्रत्‍यर्थी सं0-२ से प्राप्‍त करने हेतु अधिकृत किया। अत: कार की डिलीवरी अपीलार्थी द्वारा प्राप्‍त की गई तथा अपीलार्थी के माध्‍यम से प्रत्‍यर्थी सं0-१ द्वारा प्राप्‍त की गई। प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के कथनानुसार प्रश्‍नगत कार क्रय किए जाने के उपरान्‍त १५ दिन के अन्‍दर ही ठीक से कार्य न करने लगी तब परिवादिनी ने अपीलार्थी स्‍वाति आटामोबाइल्‍स लि0 से सम्‍पर्क किया। उसने कार में आयी त्रुटि को ठीक करने का हर सम्‍भव प्रयास किया किन्‍तु त्रुटि दूर नहीं हुई। कार अधिक मोबिल खाती रही। तब अपीलार्थी स्‍वाति आटामोबाइल्‍स द्वारा कार का इंजन की रिंग बदल दिया गया फिर भी कोई लाभ नहीं हुआ। परिवादिनी के पति ने दिनांक ११-०८-१९९१ को अपीलार्थी एवं प्रत्‍यर्थी सं0-२ को इस सम्‍बन्‍ध में लिखित सूचना दी। इसके पश्‍चात् कार के कुछ पुर्जे अपीलार्थी द्वारा बदले गये फिर भी कार उचित कार्य नहीं कर सकी। दिनांक १४-०२-१९९२ को अपीलार्थी ने कार की पुन: मरम्‍मत की तथा मरम्‍मत का भुगतान प्राप्‍त किया। प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के कथनानुसार मरम्‍मत के कार्य हेतु गेयर व इंजन कई बार खोले गये किन्‍तु कोई सुधार नहीं हुआ। परिवादिनी के कथनानुसार उसके पति ने निर्माता कम्‍पनी प्रत्‍यर्थी सं0-२ को कई पत्र लिखे। बाद में कार का इंजन बर्स्‍ट कर गया। तब से कार निष्क्रिय पड़ी है। प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी        के कथनानुसार कार में निर्माण सम्‍बन्‍धी त्रुटि होने के कारण कार चलाने योग्‍य नहीं थी,

 

 

-३-

अत: परिवाद कार का मूल्‍य प्राप्‍त करने तथा रजिस्‍ट्रेशन आदि के खर्चों में हुए व्‍यय का भुगतान तथा मरम्‍मत व आने जाने में हुए खर्च का भुगतान कराए जाने एवं शारीरिक व मानसिक प्रताड़ना के कारण क्षतिपूर्ति की अदायगी हेतु परिवाद इस आयोग में योजित किया गया किन्‍तु जिला मंच के क्षेत्राधिकार का विस्‍तार ०१.०० लाख रू० के स्‍थान पर ०५.०० लाख रू० हो जाने के कारण परिवाद सुनवाई हेतु जिला मंच मेरठ को तथा जिला मंच मेरठ से जिला मंच सहारनपुर को स्‍थानान्‍तरित किया गया।

अपीलार्थी एवं निर्माता कम्‍पनी प्रत्‍यर्थी सं0-२ ने प्रश्‍नगत कार में निर्माण सम्‍बन्‍धी कोई त्रुटि होने से इन्‍कार किया। अपीलार्थी एवं प्रत्‍यर्थी सं0-२ के कथनानुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के पति द्वारा कार को अत्‍यधिक लापरवाहीपूर्वक चलाए जाने के बाबजूद उसमें मरम्‍मत का कार्य वारण्‍टी अवधि के मध्‍य एवं वारण्‍टी अवधि के बाद भी प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी की सन्‍तुष्टि के अनुसार किया गया। अपीलार्थी का यह भी कथन है कि प्रश्‍नगत कार तीन बार दुर्घटनाग्रस्‍त हुई और दुर्घटना के उपरान्‍त बीमा दावा बीमा कम्‍पनी द्वारा स्‍वीकार किया गया। प्रश्‍नगत वाहन के सन्‍दर्भ में निर्माता द्वारा ०६ माह की वारण्‍टी दी गई थी। वारण्‍टी की शर्तों के अनुसार वाहन के दुर्घटनाग्रस्‍त होने पर वारण्‍टी प्रभावी नहीं होगी। वारण्‍टी अवधि बीत जाने के उपरान्‍त निर्माता का दायत्वि प्रश्‍नगत वाहन के सन्‍दर्भ में क्षतिपूर्ति का नहीं माना जा सकता।

विद्वान जिला मंच ने प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी का परिवाद स्‍वीकार करते हुए अपीलार्थी एवं प्रत्‍यर्थी सं0-२ निर्माता कम्‍पनी को संयुक्‍त रूप से तथा पृथक-पृथक उत्‍तरदायी मानते हुए कार का मूल्‍य १,२५,०००/- रू० तथा क्षतिपूर्ति राशि २५,०००/- रू० कुल १,५०,०००/- रू० तथा इस पर दिनांक ०६-११-१९९२ से निर्णय की तिथि तक १२ प्रतिशत की दर से साधारण वार्षिक ब्‍याज एवं २०००/- रू० परिवाद व्‍यय के रूप में निर्णय की तिथि के एक माह के अन्‍दर उनके द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को अदा करने हेतु निर्देशित किया गया।

इस निर्णय से क्षुब्‍ध होकर मै0 स्‍वाति आटोमोबाइल्‍स द्वारा अपील सं0-५५४/१९९७, कार निर्माता कम्‍पनी द्वारा अपील सं0-६१०/१९९७ एवं प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा अपील सं0-५७१/१९९७ योजित की गईं।

 

 

 

 

-४-

हमने अपीलार्थीगण मै0 स्‍वाति आटोमोबाइल्‍स एवं सिपानी आटोमोबाइल्‍स लि0 की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री अरूण टण्‍डन तथा प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री आर0के0 गुप्‍ता के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि प्रश्‍नगत वाहन का उपयोग प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा स्‍वयं नहीं किया जा रहा था बल्कि उसके पति श्री जय भगवान सिंह यादव द्वारा अपने भट्टे के सन्‍दर्भ में किया जा रहा था प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के पति का भट्टा दूरस्‍थ गॉंव में था जहॉं सड़क की स्‍िथति अच्‍छी नहीं थी। प्रश्‍नगत वाहन की डिलीवरी दिनांक २९-०३-१९९१ को प्राप्‍त की गई। डिलीवरी के ०९ दिन पश्‍चात् पहली नि:शुल्‍क सर्विस के लिए प्रश्‍नगत वाहन लाया गया। इस समय रीडिंग १२०० थी। कार की डिलीवरी के समय रीडिंग ३१० थी। इस प्रकार ०९ दिन में लगभग ९०० कि0मी0 प्रश्‍नगत वाहन प्रतिदिन लगभग १०० कि0मी0 की दर से चल चुका था। वाहन की उपयुक्‍त सर्विस की गई। तदोपरान्‍त प्रश्‍नगत कार दिनांक १४-०४-१९९१ को दुर्घटनाग्रस्‍त हो गई। अपीलार्थी के वर्कशॉप में मरम्‍मत हेतु दिनांक १५-०४-१९९१ को लाई गई। सम्‍बन्धित बीमा कम्‍पनी द्वारा इस दुर्घटना के सन्‍दर्भ में ३७५/- रू० की क्षतिपूर्ति प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी से कराई गई। दिनांक १५-०४-१९९१ को प्रश्‍नगत वाहन ४,२०० कि0मी0 चल चुका था। कार की मरम्‍मत प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के पति की सन्‍तुष्टि में कराई गई। तदोपरान्‍त दिनांक २०-०४-१९९१ को कार प्रत्‍यर्थी के वर्कशाप से पुन: द्वितीय नि:शुल्‍क सर्विस हेतु लाई गई। उस समय मीटर रीडिंग ४३४० थी तथा मीटर चेन विच्‍छेदित थी। उक्‍त तिथि पर कुछ मामूली मरम्‍मत का कार्य किया गया तथा दिनांक २५-०४-१९९१ को प्रत्‍यर्थी सं0-१ परिवादिनी के पति को कार चालू हालत में वापस की गई। तदोपरान्‍त प्रश्‍नगत वाहन दिनांक ०५-०७-१९९१ एवं १०-०७-१९९१ को पुन: दुर्घटनाग्रस्‍त हुआ और सम्‍बन्धित बीमा कम्‍पनी द्वारा क्रमश: २,५००/- रू० एवं २,८००/- रू० क्षतिपूर्ति की अदायगी की गई। कार मरम्‍मत हेतु दिनांक २६-०७-१९९१ को लाई गई एवं प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के पति की सन्‍तुष्टि के अनुसार मरम्‍मत का कार्य किया गया। दिनांक १४-०८-१९९१ को कार तृतीय नि:शुल्‍क सर्विस हेतु लाई गई। उस समय भी    कार के माइनर डिफेक्‍ट दूर किए गये। कार में निर्माण सम्‍बन्‍धी कोई त्रुटि नहीं पाई गई।

 

 

 

-५-

दिनांक १६-०९-१९९१ को कार पुन: अपीलार्थी के वर्कशाप में लाई गई। उस समय मीटर रीडिंग ७३६६ थी। इस प्रकार दिनांक १४-०८-१९९१ से १६-०९-१९९१ के मध्‍य कार ३१६६ कि0मी0 चल चुकी थी। कार में कोई निर्माण सम्‍बन्‍धी त्रुटि नहीं पाई गई। कार के चलने के मध्‍य उत्‍पन्‍न त्रुटियों का निराकरण किया गया। क्‍योंकि यह नि:शुल्‍क सर्विस नहीं थी, अत: १,२०६/- रू० परिवादिनी से प्राप्‍त किया गया। प्रश्‍नगत कार के सम्‍बन्‍ध में निर्माता द्वारा ०६ माह की वारण्‍टी दी गई थी जो दिनांक ०६-०९-१९९१ को समाप्‍त हो गई। दिनांक ०५-१२-१९९१ को कार सर्विसिंग हेतु पुन: लाई गई तथा प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी की पूर्ण सन्‍तुष्टि में सर्विस के बाद कार वापस की गई। दिनांक २२-०१-१९९२ को कार अपीलार्थी के वर्कशॉप पर पुन: आयी। कुछ पार्ट कार चलने के कारण खराब हो जाने के कारण बदले गये। क्‍योंकि वाहन की वारण्‍टी अवधि समाप्‍त हो गई थी, अत: ३,५००/- रू० का भुगतान प्राप्‍त किया गया। सर्विसिंग के उपरान्‍त दिनांक १४-०२-१९९२ को कार की डिलीवरी प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी की पूर्ण सन्‍तुष्टि पर दी गई। प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने कार का इंजन बर्स्‍ट हो जाना अभिकथित करते हुए गलत तथ्‍यों के आधार पर परिवाद योजित किया। वारण्‍टी अवधि के मध्‍य प्रत्‍यर्थी/परिवादी की सन्‍तुष्टि में अपीलार्थी द्वारा सेवाऐं प्रदान की गईं। प्रश्‍नगत वाहन में निर्माण सम्‍बन्‍धी कोई त्रुटि प्रमाणित न होने के बाबजूद जिला मंच द्वारा प्रश्‍नगत परिवाद स्‍वीकार किया गया।

प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि प्रश्‍नगत वाहन में निर्माण सम्‍बन्‍धी त्रुटि होने के कारण वाहन क्रय किए जाने के उपरान्‍त बार-बार मरम्‍मत हेतु अपीलार्थी के वर्कशॉप में लाया जाता रहा। प्रश्‍नगत वाहन दिनांक २९-०३-१९९१ को क्रय किया गया। अन्‍तत: लगभग ०१ वर्ष की अवधि में दिनांक २८-०३-१९९२ को प्रश्‍नगत वाहन का इंजन बर्स्‍ट हो गया। प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को निर्माण सम्‍बन्‍धी त्रुटि सहित प्रश्‍नगत वाहन बेचकर अपीलार्थी द्वारा सेवा में त्रुटि की गई है। यद्यपि विद्वान जिला मंच ने पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍य का अवलोकन करते हुए त्रुटिपूर्ण वाहन की आपूर्ति किया जाना स्‍वीकार किया है किन्‍तु क्षतिपूर्ति की पूर्ण अदायगी हेतु आदेशित न करते हुए त्रुटि की गई है।

जहॉं तक अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता के इस तर्क का प्रश्‍न है कि प्रश्‍नगत

 

 

 

-६-

वाहन ०३ बार दुर्घटनाग्रस्‍त हुआ। वारण्‍टी की शर्तों के अनुसार दुर्घटनाग्रस्‍त होने पर वारण्‍टी प्रभावी नहीं होगी। इस सन्‍दर्भ में अपीलार्थी द्वारा अपील के साथ दाखिल संलग्‍नक १३ वारण्‍टी कार्ड के पृष्‍ठ की फोटोप्रति के अवलोकन से यह विदित होता है कि वारण्‍टी प्रभावी न होने के सन्‍दर्भ में उल्लिखित शर्त सं0-६(डी) के अनुसार – Non-applicability :

The warranty is not applicable to :

  1. Any vehicle used for any purpose other than private use.
  2. Where speedometer cable as been tampered with.
  3. Glasses, rubber parts, and houns wiring, lasher units and other minor electrical components.
  4. Any part of the vehicle which falls or malfunctions as a result of improper conversion, misuse, accident or lack of performance of normal maintenance services.

इस शर्त के अनुसार दुर्घटना के कारण वाहन के किसी भाग में खराबी आने पर वारण्‍टी प्रभावी नहीं होगी। इस प्रकार इस शर्त के अनुसार दुर्घटना के कारण वाहन का कोई पार्ट यदि क्षतिग्रस्‍त होता है तब उस पार्ट के सन्‍दर्भ में वारण्‍टी प्रभावी नहीं होगी किन्‍तु जहॉं तक प्रस्‍तुत मामले का प्रश्‍न है निर्विवाद रूप से प्रश्‍नगत वाहन दुर्घटनाग्रस्‍त हुआ एवं दुर्घटना के उपरान्‍त बदले गये पार्टों के मूल्‍य की अदायगी सम्‍बन्धित बीमा कम्‍पनी द्वारा की गई। वारण्‍टी की शर्तों से यह निष्‍कर्ष नहीं निकाला जा सकता कि वाहन के दुर्घटनाग्रस्‍त होन पर वाहन की वारण्‍टी समाप्‍त हो जायेगी। जहॉं तक अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता के इस तर्क का प्रश्‍न हे कि वाहन का अत्‍यधिक उपयोग किया गया। उल्‍लेखनीय है कि स्‍वयं अपीलार्थी का यह कथन है कि वारण्‍टी की अवधि वाहन बिक्री की तिथि से ०६ माह अथवा ८००० कि0मी0 तक वाहन संचालन में से जो पहले होगा तब तक प्रभावी होगी। इस प्रकार स्‍वयं निर्माता कम्‍पनी से वाहन क्रय की तिथि से ०६ माह की अवधि में या उससे पहले भी ८००० कि0मी0 तक वाहन संचालन की अपेक्षा की है। अत: यह नहीं कहा जा सकता कि यह वाहन अत्‍यधिक संचालित किया गया।

 

 

-७-

स्‍वयं अपीलार्थी द्वारा दाखिल जॉब कार्ड की प्रति दिनांकित १५-०४-१९९१ संलग्‍नक-३ के अवलोकन से यह विदित होता है कि वाहन क्रय किए जाने के लगभग १५ दिन बाद ही वाहन में इंजन ऑयल की खपत ज्‍याद होना, इंजन गर्म होना, तीसरे गेयर में स्लिप होना, दूसरे एवं चौथे गेयर में शोर होना, पहले गेयर से इंजन में शोर होना, डीजल टैंक के हॉज पाइप में लीकेज होना आदि त्रुटि इंगित की गईं। स्‍वयं अपीलार्थी यह स्‍वीकार करता है कि प्रश्‍नगत वाहन क्रय किए जाने के उपरान्‍त ०३ फ्री सर्विस की अवधि में विभिन्‍न तिथियों में लाया गया। अपीलार्थी द्वारा प्रस्‍तुत किए गये जॉब कार्ड के अवलोकन से यह विदित होता है कि सर्विसिंग हेतु वाहन लाए जाने पर उसमें इंजन सहित अनेक गम्‍भीर त्रुटि पाई गईं। अन्‍त: प्रश्‍नगत वाहन का इंजन दिनांक २८-०३-१९९१ को बर्स्‍ट हो गया जिसके सम्‍बन्‍ध में शपथ पत्र जिला मंच के समक्ष परिवादिनी द्वारा प्रस्‍तुत किया गया।

प्रश्‍नगत निर्णय के अवलोकन से यह भी विदित होता है कि जिला मंच सहारनपुर के समक्ष लगभग ९० मामले प्रश्‍नगत वाहन की बुकिंग से सम्‍बन्धित जमा की गई धनराशि को वापस किए जाने हेतु लम्बित थे। यह तथ्‍य निर्विवाद है कि प्रश्‍नगत वाहन सम्‍बन्धित निर्माता कम्‍पनी ने प्रश्‍नगत वाहन का निर्माण बन्‍द कर दिया है। यद्यपि प्रश्‍नगत कार में निर्माण सम्‍बन्‍धी त्रुटि पर स्‍वतन्‍त्र रूप से विचार किया गया है किन्‍तु यह परिस्थितियॉं भी प्रश्‍नगत कार की निर्माण सम्‍बन्‍धी त्रुटि को बल प्रदान करती है। ऐसी परिस्थिति में प्रश्‍नगत कार की निर्माण सम्‍बन्‍धी त्रुटि के सन्‍दर्भ में res ipsa loquiter का सिद्धान्‍त प्रभावी है, अत: विद्वान जिला मंच का यह निष्‍कर्ष कि प्रश्‍नगत वाहन में निर्माण सम्‍बन्‍धी त्रुटि थी, हमारे विचार से त्रुटिपूर्ण नहीं है। विद्वान जिला मंच ने प्रश्‍नगत निर्णय द्वारा वाहन का क्रय मूल्‍य १,२५,०००/- रू० तथा क्षतिपूर्ति के रूप में २५,०००/- रू० दिलाए जाने हेतु आदेशित किया है। मामले के तथ्‍यों एवं परिस्‍ि‍थतियों के आलोक में हमारे विचार से यह धनराशि पर्याप्‍त है।

प्रश्‍नगत निर्णय द्वारा विद्वान जिला मंच ने इस धनराशि की अदायगी हेतु वाहन निर्माता कम्‍पनी सिपानी आटोमोबाइल्‍स लि0 एवं सर्विस सेण्‍टर स्‍वाति आटोमोबाइल्‍स को

 

 

 

 

-८-

संयुक्‍त रूप से उत्‍तरदायी होना माना है। यह तथ्‍य निर्विवाद है कि प्रश्‍नगत वाहन निर्माता कम्‍पनी प्रत्‍यर्थी सं0-२ सिपानी आटोमोबाइल्‍स थी। स्‍वयं प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी का यह कथन है कि निर्माता कम्‍पनी के अधिकृत सर्विस सेण्‍टर अपीलार्थी मै0 स्‍वाति आटोमोबाइल्‍स लि0 द्वारा प्रश्‍नगत वाहन की मरम्‍मत यथा सम्‍भव की गई। निर्विवाद रूप से अपीलार्थी द्वारा वारण्‍टी अवधि के मध्‍य नि:शुल्‍क सर्विसिंग का कार्य सम्‍पादित किया गया एवं वारण्‍टी अवधि के बाद शुल्‍क प्राप्‍त करके परिवादिनी की सन्‍तुष्टि के अनुसार मरम्‍मत एवं सर्विसिंग का कार्य किया गया। प्रश्‍नगत वाहन में निर्माण सम्‍बन्‍धी त्रुटि के लिए सर्विस सेण्‍टर अपीलार्थी मै0 स्‍वाति आटोमोबाइल्‍स लि0 को उत्‍तरदायी नहीं ठहराया जा सकता। ऐसी परिस्‍ि‍थति में हमारे विचार से विद्वान जिला मंच ने उक्‍त धनराशि की अदायगी हेतु अपीलार्थी स्‍वाति आटोमोबाइल्‍स लि0 को निर्माता कम्‍पनी के साथ उत्‍तरदायी मानकर त्रुटि की हे। इस धनराशि की अदायगी हेतु मात्र निर्माता कम्‍पनी को ही उत्‍तरदायी माना जा सकता है।

निर्माता कम्‍पनी सिपानी आटोमोबाइल्‍स लि0 की ओर से यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि निर्माता कम्‍पनी के वाइडिंग अप हेतु प्रार्थना पत्र प्रस्‍तुत किया गया जिसे मा0 कर्नाटक उच्‍च न्‍यायालय ने दिनांक २८-०२-२००६ को निर्णीत किया है। सिक इण्‍डस्ट्रियल कम्‍पनीज एक्‍ट की धारा-२२ के अनुसार कम्‍पनी के विरूद्ध बकाया धनराशि की बसूली हेतु कोई विधिक कार्यवाही नहीं की जा सकती। निर्माता कम्‍पनी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि अपील को स्‍वीकार करते हुए प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को बी0आई0एफ0आर0 में धनराशि के भुगतान हेतु आवेदन प्रस्‍तुत करने की स्‍वतन्‍त्रता प्रदान की जा सकती है। उल्‍लेखनीय है कि बी0आई0एफ0आर0 तथा कम्‍पनी लॉ बोर्ड का अस्तित्‍व समाप्‍त हो चुका है। नेशनल कम्‍पनी लॉ ट्रिबुनल का सृजन किया जा चुका है। अपीलार्थी निर्माता कम्‍पनी ने मामले से सम्‍बन्धित अद्यतन स्थिति प्रस्‍तुत नहीं की है। अपीलार्थी निर्माता कम्‍पनी प्रश्‍नगत निर्णय के निष्‍पादन की कार्यवाही के मध्‍य अपना पक्ष रखते हुए अद्यतन स्थिति प्रस्‍तुत कर सकती है। निष्‍पादन मंच को विधि अनुसार आदेश पारित करने की स्‍वतन्‍त्रता होगी।

उपरोक्‍त तथ्‍यों के आलोक में हमारे विचार से अपील सं0-५५४/१९९७ स्‍वीकार किए

 

 

 

-९-

जाने योग्‍य है तथा अपील सं0-५७१/१९९७ एवं अपील सं0-६१०/१९९७ निरस्‍त किए जाने योग्‍य हैं।   

आदेश

अपील सं0-५५४/१९९७ स्‍वीकार की जाती है तथा अपील सं0-६१०/१९९७ एवं अपील सं0-५७१/१९९७ निरस्‍त की जाती हैं। जिला मंच, सहारनपुर द्वारा परिवाद सं0-९४/१९९४ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक १४-०३-१९९७ अपीलार्थी मै0 स्‍वाति आटोमोबाइल्‍स के विरूद्ध अपास्‍त किया जाता है। प्रश्‍नगत निर्णय में उल्लिखित धनराशि की अदायगी निर्माता कम्‍पनी मै0 सिपानी आटोमोबाइल्‍स लि0 द्वारा निर्णय में उल्लिखित निर्देशों के अनुसार की जायेगी।

इस निर्णय की मूल प्रति अपील सं0-५५४/१९९७ में रखी जाय तथा एक प्रमाणित प्रतिलिपि अपील सं0-६१०/१९९७ एवं अपील सं0-५७१/१९९७ में रखी जाय।   

      इन अपीलों का व्‍यय-भार उभय पक्ष अपना-अपना स्‍वयं वहन करेंगे।

      उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाय।

 

                                    

                                                (उदय शंकर अवस्‍थी)

                                                  पीठासीन सदस्‍य

 

 

                                                   (बाल कुमारी)

                                                      सदस्‍य

 

 

 

 

प्रमोद कुमार

वैय0सहा0ग्रेड-१,

कोर्ट नं.-२.  

 

 
 
[HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MRS. Smt Balkumari]
MEMBER

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