Uttar Pradesh

StateCommission

A/139/2022

Prop. Hansa Nursing Home - Complainant(s)

Versus

Smt. Bindu Tiwari ANd Another - Opp.Party(s)

Sanjay Kumar Verma

26 Sep 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/139/2022
( Date of Filing : 28 Feb 2022 )
(Arisen out of Order Dated 12/01/2022 in Case No. C/2012/207 of District Sultanpur)
 
1. Prop. Hansa Nursing Home
1992 Navipur Near Ara Machine Loharmau Road Dist. Sultanpur
...........Appellant(s)
Versus
1. Smt. Bindu Tiwari ANd Another
W/o Shiv Pujan R/o Vill. Pratappur Bhandra Poat Bhandra Dist. Sultanpur
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 HON'BLE MR. Rajendra Singh JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 26 Sep 2022
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(मौखिक)                                                                                  

अपील संख्‍या:-139/2022

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, सुलतानपुर द्धारा परिवाद सं0-207/2012 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 12.01.2022 के विरूद्ध)

प्रोप्राइटर हंसा नर्सिंग होम 1992, नवीपुर निकट आरा मशीन, लोहरामउ रोड, जपनद सुलतानपुर।

                                             .......... अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1

बनाम          

1-   बिन्‍दु तिवारी उम्र लगभग 28 साल पत्‍नी शिवपूजन, निवासी ग्राम प्रतापपुर भण्‍डरा पोस्‍ट भण्‍डरा थाना कुडवार जनपद सुलतानपुर।

…….. प्रत्‍यर्थी/परिवादी 

2-   मुख्‍य चिकित्‍साधिकारी, जनपद सुलतानपुर।

…….. प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-2 

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष

मा0 श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य                   

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता      : श्री संजय कुमार वर्मा

प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता        : श्री राम कुशल तिवारी

दिनांक :-26-9-2022         

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय    

प्रस्‍तुत अपील, अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1 द्वारा इस आयोग के सम्‍मुख धारा-41 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अन्‍तर्गत जिला उपभोक्‍ता आयोग, सुलतानपुर द्वारा परिवाद सं0-207/2012 में पारित निम्‍न निर्णय/आदेश दिनांक 12.01.2022 के विरूद्ध योजित की गई है:- 

''परिवाद, विपक्षी सं0-1 के विरूद्ध स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी सं0-1 को निर्देशित किया जाता है कि वह परिवादिनी को निर्णय की तिथि से एक माह के अन्‍दर इलाज में व्‍यय हुई धनराशि मु0-एक लाख रूपये अदा करे।

-2-

इसके अतिरिक्‍त शारीरिक, मानसिक कष्‍ट के लिए पचास हजार रूपये व वाद व्‍यय के लिए दस हजार रूपये अदा करे। यदि उपरोक्‍त इलाज में व्‍यय धनराशि नियत अवधि के अन्‍दर अदा नहीं की गयी तो उस पर दावा दाखिल करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक सात प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज देय होगा।''

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री संजय कुमार वर्मा तथा प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री राम कुशल तिवारी को सुना तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का अवलोकन किया।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा कथन किया गया कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को नार्मल डिलीवरी से बच्‍चा पैदा हुआ था तथा डिलीवरी हेतु जिस वाहन से प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को अस्‍पताल लाया गया था, उसी वाहन में हुई थी एवं मात्र अस्‍पताल द्वारा बच्‍चे की नाल काटकर अगल किया गया था तथा बेहतर चिकित्‍सीय सुविधा हेतु प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को जिला महिला चिकित्‍सालय सुलतानपुर को रेफर कर दिया था। यह भी कथन किया गया कि अपीलार्थी द्वारा चिकित्‍सा में कोई लापरवाही नहीं बरती गई है, न ही सेवा में कोई कमी की गई है।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह भी कथन किया गया कि अपीलार्थी/विपक्षी के नर्सिंग होम की जॉच डा0 बी0के0 सिंह अपर मुख्‍य चिकित्‍साधिकारी द्वारा की गई और प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी उनके समक्ष कभी भी उपस्थित नहीं हुई, न ही कोई प्रपत्र/अभिलेख ही उनके समक्ष प्रस्‍तुत किया। परिवाद अनुचित लाभ प्राप्‍त करने के उद्देश्‍य से प्रस्‍तुत किया गया है।

जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश के परिपेक्ष्‍य में अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह भी कथन किया गया कि जिला

-3-

उपभोक्‍ता आयोग के आदेशानुसार जिस धनराशि के भुगतान हेतु अपीलार्थी/विपक्षी को निर्देशित किया गया है, वह अत्‍याधिक है और अनुचित है। यह भी कथन किया गया कि उपरोक्‍त आदेश में क्षतिपूर्ति एवं वाद व्‍यय हेतु भी जो धनराशि के भुगतान हेतु आदेशित किया गया है, वह भी अनुचित है।

     प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता के इस कथन पर सहर्ष स्‍वीकृति प्रदान की गई कि क्षतिपूर्ति एवं वाद व्‍यय हेतु जिस धनराशि के भुगतान हेतु जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा आदेशित किया गया है, वह बहुत अधिक है और वे इस धनराशि को कम किये जाने पर सहमत है।

हमारे द्वारा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍ता द्व्‍य को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का परिशीलन किया गया।

समस्‍त तथ्‍यों को दृष्टिगत रखते हुए तथा विशेष रूप से उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍ता द्व्‍य के कथनों एवं सहमति पर विचार करने के उपरांत न्‍यायहित में हम जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश को निम्‍नवत संशोधित किया जाना उपयुक्‍त पाते हैं, तद्नुसार आदेशित किया जाता है कि जिला उपभोक्‍ता आयोग के आदेश में उल्लिखित यह अंश कि ''परिवादिनी को निर्णय की तिथि से एक माह के अन्‍दर इलाज में व्‍यय हुई धनराशि रू0 एक लाख अदा करे'' यथावत कायम रहेगा तथा उपरोक्‍त आदेश में जो शारीरिक, मानसिक कष्‍ट के लिए पचास हजार रूपये व वाद व्‍यय के लिए दस हजार रूपये अदा करने हेतु अपीलार्थी/विपक्षी को आदेशित किया गया है, उसे अपास्‍त किया जाता है, तद्नुसार प्रस्‍तु‍त अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए निस्‍तारित की जाती है।

 

-4-

अपीलार्थी/विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह उपरोक्‍त निर्णय/आदेश का अनुपालन 30 दिन की अवधि में किया जाना सुनिश्चित करें।

अपील में जमा धनराशि मय अर्जित ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला उपभोक्‍ता आयोग को नियमानुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाये।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की बेवसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

                 (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                    (राजेन्‍द्र सिंह)       

                  अध्‍यक्ष                                              सदस्‍य                                                                  

हरीश आशु.,

कोर्ट नं0-1

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
JUDICIAL MEMBER
 

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