(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1082/2014
(जिला आयोग, वाराणसी द्वारा परिवाद संख्या-312/2011 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 11.4.2014 के विरूद्ध)
लाइफ इंश्योरेंस कारपोरेशन आफ इण्डिया, डिवीजनल आफिस, वाराणसी, द्वारा असिस्टण्ट सेक्रेटरी, जेड. ओ. लीगल सेल, लाइफ इंश्योरेंस कारपोरेशन आफ इण्डिया, हजरतगंज, लखनऊ।
अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1
बनाम
1. श्रीमती बीना देवी पत्नी स्व0 श्री संतोष कुमार गुप्ता।
2. कु0 जया प्रिया पुत्री स्व0 श्री संतोष कुमार गुप्ता।
3. सागर गुप्ता पुत्र स्व0 श्री संतोष कुमार गुप्ता।
प्रत्यर्थी सं0 2 त 3 द्वारा प्रत्यर्थी सं0-1।
4. श्रीमती उर्मिला देवी पत्नी स्व0 श्री लक्ष्मी नारायण गुप्ता
5. कु0 श्रिया गुप्ता पुत्री स्व0 श्री संतोष कुमार गुप्ता।
समस्त निवासीगण मकान नं0 डी-10/24, मोहल्ला साक्षी विनायक, विश्वनाथ गली, वाराणसी।
प्रत्यर्थीगण/परिवादीगण/विपक्षी सं0-2 व 3
समक्ष:-
1. माननीय श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : वी.एस. बिसारिया, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 20.06.2023
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-312/2011, श्रीमती वीना गुप्ता तथा दो अन्य बनाम भारतीय जीवन बीमा निगम तथा दो अन्य में विद्वान जिला आयोग, वाराणसी द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 11.4.2014 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है। इस निर्णय एवं आदेश द्वारा विद्वान जिला आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए बीमा क्लेम राशि अंकन 05 लाख रूपये एवं मानसिक प्रताड़ना की मद में अंकन 10 हजार रूपये तथा परिवाद व्यय के रूप में अंकन 02 हजार रूपये एक माह के अंदर अदा करने का आदेश दिया है। एक माह के अंदर अदा न करने पर इस राशि पर 7 प्रतिशत की दर से ब्याज भी देय होगा।
2. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी संख्या-1 के पति, 2 व 3 के पिता द्वारा अपने जीवन काल में एक बीमा पालिसी संख्या 283578611 दिनांक 25.3.2003 को अंकन 05 लाख रूपये कीमत की प्राप्त की गई थी। पालिसी अवधि के दोरान दिनांक 11.3.2006 को बीमाधारक का स्वर्गवास हो गया। बीमा क्लेम प्रस्तुत किया गया, जो इस आधार पर नकार दिया गया कि बीमा प्रस्ताव भरते समय स्वास्थ्य संबंधी जानकारियों को छिपाया गया। बीमा पालिसी जारी करने से पूर्व बीमाधारक का चिकित्सीय परीक्षण भी विपक्षी सं0-1 द्वारा कराया गया था, जिनके द्वारा स्वास्थ प्रमाण पत्र जारी किया गया था, परन्तु अवैध रूप से बीमा क्लेम नकार दिया गया, इसलिए परिवाद प्रस्तुत किया गया।
3. बीमा निगम का कथन है कि बीमाधारक ने बीमा लेते समय गंभीर बीमारी को छिपाया और स्वास्थ्य संबंधी प्रश्नों का गलत उत्तर दिया। बीमाधारक 11 वर्ष से टाईप-2 डी.एम. (डाईबिटीज) से पीडित था तथा 5 वर्ष से टी.वी. से भी ग्रसित था। एसजीपीजीआई की मृत्यु रिपोर्ट से इस तथ्य की पुष्टि होती है, इसलिए बीमारी के तथ्य को छिपाने के कारण बीमा क्लेम देय नहीं है।
4. विद्वान जिला आयोग ने दोनों पक्ष की साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात बीमा क्लेम अदा करने का आदेश पारित किया है।
5. इस निर्णय एवं आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय अवैधानिक है। बीमा क्लेम विधिक आधार पर नकारा गया है, क्योंकि बीमारी के तथ्य को छिपाया गया।
6. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्यर्थीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।
7. बीमा निगम के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि मृत्यु रिपोर्ट से यह तथ्य स्थापित होता है कि बीमाधारक पहले से ही डाइबिटीज तथा टी.वी. की बीमारी से ग्रसित था और इस तथ्य को छिपाया गया। यथार्थ में पत्रावली पर इस आशय का कोई सबूत मौजूद नहीं है, जिसके आधार पर यह साबित हो सके कि बीमाधारक प्रस्ताव भरते समय किसी बीमारी को जानता था। उसके द्वारा प्रस्ताव भरने से पूर्व टी.वी. या डाइबिटीज की बीमारी का इलाज कराया गया। मृत्यु रिपोर्ट के उल्लेख मात्र से यह निष्कर्ष दिया जाना संभव नहीं है कि बीमाधारक को बीमा प्रस्ताव भरते समय बीमारी का ज्ञान था और उसने आश्यपूर्वक बीमारी के तथ्य को छिपाया हो, इसलिए विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश में हस्तक्षेप का कोई उचित आधार नहीं है। तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
8. प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
पक्षकार व्यय भार स्वंय अपना-अपना वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
निर्णय एवं आदेश आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2