सुरक्षित
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ
(जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, फरूखाबाद द्वारा परिवाद संख्या 581/96 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 08.01.2002 के विरूद्ध)
अपील संख्या 289 सन 2002
प्रिंसपल आर्मी स्कूल फतेहगढ़ एवं अन्य । ............अपीलार्थी
बनाम
श्रीमती अर्चना शुक्ला पुत्री श्री सतीश चन्द्र शर्मा निवासी 02/203, न्यू सैनिक कालोनी, नगला दीना फतेहगढ, जिला फरूखाबाद । . .............प्रत्यर्थी
समक्ष:-
1 मा0 श्री आर0सी0 चौधरी, पीठासीन सदस्य।
2 मा0 श्री राज कमल गुप्ता, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता - कोई नहीं ।
प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता - कोई नहीं ।
दिनांक: 06;07;2016
श्री राज कमल गुप्ता, सदस्य द्वारा उदघोषित ।
निर्णय
प्रस्तुत अपील, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, फरूखाबाद द्वारा परिवाद संख्या 581/96 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 08.01.2002 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी है । जिसके अन्तर्गत जिला मंच ने निम्नांकित आदेश पारित किया है:-
'' उपरोक्ता याचिका संख्या 581/96 एक पक्षीय आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। विपक्षीगण को निर्देशित किया जाता है कि वे इस निर्णय तिथि से एक माह के अन्तर्गत परिवादिनी को उसकी प्रतिभूति धनराशि 5000.00 रू0 एवं उसके वेतन से प्रतिमाह काटी गयी सी0पी0एफ0 की धनराशि जो नियमानुसार जमा हो पर दिनांक 12.8.91 से 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज लगाकर भुगतान करना सुनिश्चित करें। विपक्षीगण उपरोक्त समयान्तर्गत परिवादिनी को 2000.00 रू0 क्षतिपूर्ति के रूप में भुगतान करना सुनिश्चित करें। यदि विपक्षीगण द्वारा उक्त आदेश का अनुपालन इस निर्णय तिथि से एक माह के अन्तर्गत नहीं किया जाता है तो वे इस निर्णय तिथि से उपरोक्त धनराशि भुगतान होने की तिथि तक 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज देय होगा। इस निर्णय की एक प्रति परिवादिनी विपक्षीगण को एक सप्ताह के अन्तर्गत जरिए पंजीकृत डाक से भेजना सुनिश्चित करें । ''
संक्षेप में, तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादिनी के अनुसार उसकी नियुक्ति विपक्षीगण के आर्मी आफ स्कूल फतेहगढ़ में दिनांक 10, अगस्त 1991 को पी0ई0टी0/पी0आर0टी0 के पद के लिए की गयी थी। 05 वर्ष की सेवा के उपरांत बिना कोई कारण बताए दिनांक 17.8.96 को यह कहते हुए कि सेवा की आवश्यकता नहीं है, उसे सेवा से प्रथक कर दिया गया । परिवादिनी ने अपनी नियुक्ति के उपरांत 5000.00 रू0 प्रतिभूति धनराशि जमा की थी और उसकी प्रतिमाह सी0पी0एफ0 की भी कटौती होती थी। परिवादिनी के अनुसार उसको बिना कारण बताए सेवा से प्रथक करने से उसे शारीरिक एवं मानसिक कष्ट हुआ है। प्रतिभूति की धनराशि एवं सी0पी0एफ0 पर उसे कोई ब्याज भी नहीं दिया गया है।
विपक्षीगण द्वारा जिला मंच के समक्ष अपना प्रतिवाद प्रस्तुत करके परिवाद का प्रतिवाद किया गया। विपक्षीगण द्वारा यह कहा गया कि सेवा समाप्ति के विरूद्ध परिवादिनी ने उच्च न्यायालय में याचिका प्रस्तुत की है, जो विचाराधीन है। परिवादिनी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आती है। परिवादिनी स्थायी सेवा में नहीं थी। स्थाई कर्मचारियों का ही सी0पी0एफ0 काटे जाने का प्राविधान नियमों में है।
जिला मंच ने दोनों पक्षों को सुनने के उपरांत उपरोक्त आदेश पारित किया।
अपीलार्थी ने अपने अपील आधार में कहा है कि आर्मी स्कूल, वेलफेयर एसोसिएशन आफ आर्मी द्वारा संचालित है। प्रत्यर्थिनी श्रीमती अर्चना शुक्ला को आर्मी स्कूल में तदर्थ टीचर के रूप में नियुक्त किया गया था। उनकी नियुक्ति संविदा के आधार पर पी0टी0 टीचर के रूप में निर्धारित नियमों के अन्तर्गत की गयी थी और नियमों से प्रत्यर्थिनी श्रीमती अर्चना शुक्ला को अवगत करा दिया गया था । प्रत्यर्थिनी की सेवा आर्मी स्कूल के नियमों के अन्तर्गत ही समाप्त की गयी थी। प्रत्यर्थिनी की जो देय धनराशि थी, उसका भुगतान किया जा चुका है। आर्मी स्कूल के नियमों के अन्तर्गत सी0पी0एफ0 पर कोई ब्याज देय नहीं था। 5000.00 रू0 की प्रतिभूति की धनराशि परिवादिनी/प्रत्यर्थिनी को भुगतान की जा चुकी है।
पीठ के समक्ष दिनांक 12.05.2016 को पत्रावली प्रस्तुत हुयी । उभय पक्ष की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। चूंकि प्रकरण काफी पुराना है, अत: पीठ द्वारा यह निर्णय लिया गया कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 30 (डी) की उपधारा (2) एवं उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1987 के नियम 8 के उपनियम (6) में उल्लिखित प्राविधानों के अन्तर्गत अपील का निस्तारण गुण-दोष के आधार पर कर दिया जाए।
यह तथ्य निर्विवाद है कि परिवादिनी की नियुक्ति आर्मी स्कूल में पी0टी0 टीचर के रूप में तदर्थ रूप से की गयी थी । आर्मी स्कूल में 05 वर्ष की सेवा के उपरांत उसे सेवा से प्रथक कर दिया गया । यह स्थापित नियम है कि सेवा संबंधी मामले उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की परिधि में नहीं आते हैं और अध्यापक को उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है। यह भी नहीं कहा जा सकता है कि अध्यापक ने स्कूल से कोई सेवा किराए पर ली है। चूंकि प्रत्यर्थिनी की नियुक्ति तदर्थ टीचर के रूप में आर्मी स्कूल में हुयी थी और आवश्यकता न होने पर अपीलार्थी द्वारा उसे सेवा से प्रथक किया गया। उसको देय भुगतान भी किया जा चुका है ऐसी स्थिति में प्रत्यर्थिनी का परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 02(डी) की परिधि में नहीं आता है, अत: जिला मंच का प्रश्नगत निर्णय निरस्त किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील स्वीकार करते हुए जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, फरूखाबाद द्वारा परिवाद संख्या 581/96 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 08.01.2002 एवं संबंधित परिवाद खण्डित किया जाता है।
उभय पक्ष इस अपील का अपना-अपना व्यय स्वयं वहन करेंगे।
इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि पक्षकारों को नियमानुसार नि:शुल्क उपलब्ध करा दी जाए।
(आर0सी0 चौधरी) (राज कमल गुप्ता)
पीठासीन सदस्य सदस्य
कोर्ट- 3
(S.K.Srivastav,PA)