Uttar Pradesh

StateCommission

A/2002/1391

Bajaj Auto Ltd - Complainant(s)

Versus

Smt Tabassum - Opp.Party(s)

Shishir Tiwari

24 Aug 2017

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2002/1391
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District )
 
1. Bajaj Auto Ltd
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Smt Tabassum
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. Smt Balkumari MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 24 Aug 2017
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील सं0-१३९१/२००२

(जिला मंच, गोरखपुर द्वारा परिवाद सं0-१६०/२००१ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक २४-०४-२००२ के विरूद्ध)

१. बजाज आटो लि0, अकुर्दी, पुणे द्वारा डिप्‍टी जनरल मैनेजर (सर्विस)।

२. मै0 हिमालय स्‍कूटर्स, रेलवे स्‍टेशन रोड, आजमगढ़ द्वारा प्रौपराइटर सैयद शमशाद अहमद, पुत्र स्‍व0 इसार हुसैन, रेलवे स्‍टेशन रोड, सरफुद्दीनपुर, आजमगढ़।

                                      .............      अपीलार्थीगण/विपक्षीगण।

बनाम

श्रीमती तबस्‍सुम पत्‍नी श्री इरशाद अहमद, ६०-ए, न्‍यू कालोनी, चिलमपुर, जिला गोरखपुर।                           ............               प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी।

समक्ष:-

१-  मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य।

२-  मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित  : श्री बदरूल हसन विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी की ओर से उपस्थित : डॉ0 उदयवीर विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक :- २७-०९-२०१७.

 

मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित

 

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, जिला मंच, गोरखपुर द्वारा परिवाद सं0-१६०/२००१ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक २४-०४-२००२ के विरूद्ध योजित की गयी है।

संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार हैं प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के कथनानुसार परिवादिनी ने बजाज कैलिवर मोटरसाईकिल नं0-यू0पी0 ५० ई ८३२३ दिनांक ०४-०५-२००० को अपीलार्थी सं0-१ के डीलर अपीलार्थी सं0-२ से ४३,००४/- रू० में क्रय की थी। तदोपरान्‍त परिवादिनी का विवाह जनपद गोरखपुर में हो गया और वह अपने पति के साथ गोरखपुर में रहने लगी। परिवादिनी की उक्‍त मोटरसाईकिल के हैण्डिल में कम्‍पन दोष था जिसकी शिकायत परिवादिनी के पति ने अपीलार्थी सं0-१ के जनपद गोरखपुर स्‍िथत सर्विस सेण्‍टर मूल परिवाद के विपक्षी सं0-३ से की तथा उनकी कार्यशाला में प्रथम सर्विस दिनांक ०१-०६-२००० को कराई। परिवादिनी के पति ने अपीलार्थी सं0-१ जनपद गोरखपुर स्थि‍त सर्विस सेण्‍टर (मूल परिवाद के विपक्षी सं0-३) की कार्यशाला में दिनांक १०-०७-२००० को द्वितीय सर्विसिंग तथा क्रमश: दिनांक १४-१०-२०००, ०८-१२-२०००, ०२-०२-२००१, २१-०४-२००१  एवं दिनांक २५-०४-२००१ को विभिन्‍न तिथियों में सर्विस कराई। प्रत्‍येक सर्विस में वाहन

 

-२-

के हैण्डिल में कम्‍पन के विषय में शिकायत दर्ज करायी तथा कम्‍पन के दोष को दूर करने का अनुरोध करता रहा। अपीलार्थीगण द्वारा आयोजित दिनांक १६-०१-२००१ को फ्री सर्विस कैम्‍प गोरखपुर में भी परिवादिनी के पति द्वारा कम्‍पनी के स्‍थानीय अभियन्‍ता एवं बाहर से आये कई अभियन्‍ताओं से भी कम्‍पन के विषय में शिकायत की। कम्‍पनी द्वारा आयोजित उपभोक्‍ता मीट में भी शिकायत के सम्‍बन्‍ध में अपीलार्थीगण के अधिकारियों को बताया गया किन्‍तु झूठा आश्‍वासन ही दिया जाता रहा। फ्री सर्विसिंग के अतिरिक्‍त विभिन्‍न तिथियों में लगभग दस-बारह बार वाहन की खराबी ठीक कराने के लिए दिया जाता रहा। कम्‍पनी के अभियन्‍ताओं द्वारा वाहन बार-बार चेक भी किया गया कि‍न्‍तु समस्‍या दूर नहीं की जा सकी। परिवादिनी ने समस्‍या के बारे में अवगत कराने के उद्देश्‍य से दिनांक ०३-११-२००० को अपीलार्थी सं0-१ एवं एरिया सर्विस मैनेजर बजाज आटो लि0 लखनऊ को भी फैक्‍स भेजकर सूचित किया गया किन्‍तु कोई ध्‍यान नहीं दिया गया। अत: परिवादिनी ने अपने अधिवक्‍ता के माध्‍यम से दिनांक २२-०३-२००१ को नोटिस भी भेजी किन्‍तु अपीलार्थीगण द्वारा कोई ध्‍यान नहीं दिया गया।

परिवादिनी ने प्रश्‍नगत वाहन को बदलकर उसके स्‍थान पर नया वाहन दिलाए जाने अथवा उक्‍त वाहन की कीमत ४३,००४/- रू० १८ प्रतिशत ब्‍याज की दर से दिनांक ०४-०५-२००० से वास्‍तविक भुगतान की तिथि कि दिलाए जाने हेतु तथा १५,०००/- रू० क्षतिपूर्ति के रूप में तथा १०,०००/- रू० वाद व्‍यय के रूप में दिलाए जाने हेतु परिवाद जिला मंच के समक्ष निर्माता कम्‍पनी एवं प्रश्‍नगत वाहन के जनपद आजमगढ़ स्थित डीलर जहॉं से प्रश्‍नगत वाहन क्रय किया गया तथा प्रश्‍नगत वाहन के जनपद गोरखपुर स्थित सर्विस सेण्‍टर मै0 सुभाष ट्रैक्‍टर्स के विरूद्ध योजित किया।

अपीलार्थी सं0-२ द्वारा प्रतिवाद पत्र जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत किया गया। वाहन निर्माता कम्‍पनी अपीलार्थी सं0-१ की ओर से जिला मंच के समक्ष कोई उपस्थित नहीं हुआ। जनपद गोरखपुर स्थित सर्विस सेण्‍टर मै0 सुभाष ट्रैक्‍टर्स की ओर से भी प्रतिवाद पत्र जिला मंच के समक्ष प्रेषित किया गया।

अपीलार्थी सं0-२ ने जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत अपने प्रतिवाद पत्र में प्रश्‍नगत वाहन को परिवादिनी को दिनांक ०४-०५-२००० को बेचा जाना स्‍वीकार किया। अपीलार्थी

 

-३-

सं0-२ के कथनानुसार परिवादिनी ने प्रश्‍नगत वाहन पूर्ण सन्‍तुष्टि में क्रय किया था। वाहन क्रय किए जाते समय वाहन में कोई त्रुटि नहीं थी। अपीलार्थी सं0-२ का यह भी कथन है कि कम्‍पनी के नियमानुसार क्रेता द्वारा खरीदी गई गाड़ी कम्‍पनी के किसी अधिकृत सर्विस सेण्‍टर के समक्ष प्रस्‍तुत की जा सकती है और वह सर्विस सेण्‍टर शिकायत को दूर करेगा। अपीलार्थी सं0-२ का यह भी कथन है कि परिवादिनी उसके सर्विस सेण्‍टर पर आ सकती है और उसकी शिकायत दूर करने को वह तैयार है।

प्रश्‍नगत वाहन के जनपद गोरखपुर स्थित सर्विस सेण्‍टर मूल परिवाद के विपक्षी सं0-३ मै0 सुभाष ट्रैक्‍टर्स के कथनानुसार परिवादिनी ने उसके द्वारा की गई सर्विसिंग के सन्‍दर्भ में कोई शिकायत नहीं की है बल्कि मोटरसाईकिल के क्रय किए जाने की तिथि से हैण्डिल में कम्‍पन का दोष बताया है जो उत्‍पादन दोष हो सकता है।

विद्वान जिला मंच ने प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी का परिवाद अपीलार्थीगण के विरूद्ध स्‍वीकार करते हुए उन्‍हें निर्देशित किया गया कि वे ४३,००४/- रू० दिनांक ०४-०५-२००० से १८ प्रतिशत ब्‍याज लगाकर भुगतान करें।

इस निर्णय से क्षुब्‍ध होकर यह अपील योजित की गयी।

हमने अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री बदरूल हसन तथा प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता डॉ0 उदयवीर सिंह के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि प्रश्‍नगत वाहन जनपद आजमगढ़ में क्रय किया गया। अत: परिवाद जनपद गोरखपुर में पोषणीय नहीं था। प्रश्‍नगत निर्णय क्षेत्राधिकार के अभाव में पारित होने के कारण अपास्‍त किए जाने योग्‍य है।

उल्‍लेखनीय है कि उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम की धारा-११ के अनुसार –

११. जिला फोरम की अधिकारिता-(१) इस अधिनियम के अन्‍य उपबंधों के अधीन रहते हुए, जिला पीठ को ऐसे परिवादों को ग्रहण करने की अधिकारिता होगी जहॉं माल या सेवा का मूल्‍य और दावा प्रतिकर, यदि कोई हो बीस लाख रूपये से अधिक नहीं होता है।

 

 

-४-

       (२) परिवाद किसी ऐसे जिला पीठ में संस्थित किया जाएगा जिसकी अधिकारिता की स्‍थानीय सीमाओं के भीतर-

(क)   विरोधी पक्षकार या जहॉं एक से अधिक विरोधी पक्षकार हों, वहॉं उनमें से   

      प्रत्‍येक परिवाद के संस्थित किये जाने के समय वस्‍तुत: और स्‍वेच्‍छापूर्वक निवास करता है या कारबार चलाता है या शाखा कार्यालय है या व्‍यक्तिगत रूप से अधिलाभ के लिए कार्य करता है, या

       (ख्‍ा)  जहॉं एक से अधिक  विरोधी पक्षकार हैं वहॉं वाद विरोधी पक्षकारों में से कोई भी विरोधी पक्षकार परिवाद के संस्थित किए जाने के समय वास्‍तव में और स्‍वेच्‍छा से निवास करता है या कारबार करता है अथवा शाखा कार्यालय में है या अभिलाभ के लिए स्‍वयं काम करता है, परन्‍तु यह तब जबकि ऐसी अवस्‍था में या तो जिला पीठ की इजाजत दे दी गयी है या जो विरोधी पक्षकार पूर्वोक्‍त रूप में निवास नहीं करते या कारबार नहीं करते या अधिलाभ के लिए स्‍वयं काम नहीं करते, वे ऐसे संस्थित किए जाने के लिए उपमत हो गये हैं, अथवा

  1. वाद-हेतुक पूर्णत: या भागत: पैदा होता है।

प्रस्‍तुत प्रकरण के सम्‍बन्‍ध में निर्विवाद रूप से प्रश्‍नगत वाहन जनपद आजमगढ़

में क्रय किया गया। परिवादिनी का यह कथन है कि प्रश्‍नगत वाहन क्रय किए जाने के उपरान्‍त उसका विवाह जनपद गोरखपुर में होने के कारण वह जनपद गोरखपुर में रहने लगी। वाहन के हैण्डिल में कम्‍पन की शिकायत उसने प्रश्‍नगत वाहन के जनपद गोरखपुर स्थित अधिकृत सर्विस सेण्‍टर मै0 सुभाष ट्रैक्‍टर्स से की थी। यह तथ्‍य निर्विवाद है कि मै0 सुभाष ट्रैक्‍टर्स (मूल परिवाद का विपक्षी सं0-३) प्रश्‍नगत वाहन का जनपद गोरखपुर स्थित अधिकृत सर्विस सेण्‍टर है। प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के कथनानुसार बार-बार शिकायत दूर करने का प्रयास किए जाने के बाबजूद मूल परिवाद के विपक्षी सं0-३ मै0 सुभाष ट्रैक्‍टर्स द्वारा वाहन के हैण्डिल के कम्‍पन की शिकायत दूर नहीं की जा सकी। यह तथ्‍य भी निर्विवाद है कि कम्‍पनी के नियमानुसार क्रेता, कम्‍पनी के अधिकृत सर्विस सेण्‍टर     में, वाहन की शिकायत के निराकरण हेतु वाहन प्रस्‍तुत कर सकता है। ऐसी परिस्थिति में

 

-५-

प्रस्‍तुत प्रकरण के सन्‍दर्भ में वाद कारण जनपद गोरखपुर में भी उत्‍पन्‍न होना माना जायेगा। ऐसी परिस्थिति में अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क स्‍वीकार किए जाने योग्‍य नहीं है कि जिला मंच गोरखपुर को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्‍त नहीं था।

        अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने प्रश्‍नगत वाहन में निर्माण सम्‍बन्‍धी त्रुटि अभिकथित की है किन्‍तु कोई विशेषज्ञ आख्‍या प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत नहीं की गई।

        उल्‍लेखनीय है कि परिवादिनी ने परिवाद के अभिकथनों में यह स्‍पष्‍ट रूप से अभिकथित किया है कि प्रश्‍नगत वाहन की प्रथम सर्विस की तिथि दिनांक ०१-०६-२००० को ही उसेन वाहन के हैण्डिल में कम्‍पन की शिकायत दर्ज कराई थी। तदोपरान्‍त दिनांक २०-०७-२००० को द्वितीय सर्विसिंग के समय, इसके उपरान्‍त दिनांक १४-१०-२०००, ०८-१२-२०००, ०२-०२-२००१, २१-०४-२००१ एवं दिनांक २५-०४-२००१ को विभिन्‍त तिथियों में वाहन सर्विसिंग हेतु परिवादिनी के पति लाते रहे एवं वाहन के हैण्डिल में कम्‍पन की शिकायत दर्ज कराते रहे किन्‍तु शिकायत दूर नहीं हुई। परिवादिनी का यह भी कथन है कि कम्‍पनी के सर्विसिंग अभियन्‍ता श्री पी0के0 शुक्‍ला, श्री पंकज आर0 भट्ट तथा श्री ओ0पी0 सिंह एवं श्री यू0 आर0 सिंह से भी वाहन चेक कराया किन्‍तु त्रुटि निवारण नहीं किया जा सका। गोरखपुर स्थित सर्विस सेण्‍टर द्वारा बाल सेट परिवर्तित किए पर वाहन के शोर की समस्‍या दूर हुई किन्‍तु हैण्डिल के कम्‍पन की समस्‍या दूर नहीं हुई। यह भी उल्‍लेखनीय है कि प्रश्‍नगत वाहन के जनपद गोरखपुर स्थित सर्विस सेण्‍टर (मूल परिवाद के विपक्षी सं0-३) मै0 सुभाष ट्रैक्‍टर्स द्वारा प्रस्‍तुत प्रतिवाद पत्र में यह स्‍वीकार किया गया कि मोटरसाईकिल क्रय किए जाने की तिथि से ही हैण्डिल में कम्‍पनी का दोष बताया जो उत्‍पादन दोष हो सकता है। इसके लिए वह उत्‍तरदायी नहीं है। विपक्षी सं0-३ ने अपने प्रतिवाद पत्र में प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के विभिन्‍न तिथियों में हैण्डिल में कम्‍पन की शिकायत को दूर करने हेतु वाहन उसके वर्कशॉप में प्रस्‍तुत किए जाने के कथन एवं यह शिकायत दूर न हो पाने के कथन को अस्‍वीकार नहीं किया है। उपरोक्‍त परिस्थितियों    में यह प्रत्‍यक्षत: प्रमाणित करता है कि प्रश्‍नगत वाहन के हैण्डिल में कम्‍पन निर्माण

 

-६-

सम्‍बन्‍धी दोष के कारण दूर नहीं हो सका। परिवादिनी का यह कथन है कि विपक्षी सं0-३ के वर्कशॉप में कम्‍पनी के अभियन्‍ताओं द्वारा जांच के बाबजूद हैण्डिल का कम्‍पन दूर नहीं हो सका। ऐसी परिस्थिति में प्रश्‍नगत वाहन हैण्डिल में कम्‍पन के निर्माण सम्‍बन्‍धी दोष को प्रमाणित करने हेतु अलग से किसी विशेषज्ञ की आख्‍या प्राप्‍त करने का कोई औचित्‍य नहीं रह जाता।

        अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि विद्वान जिला मंच ने प्रश्‍नगत निर्णय द्वारा प्रश्‍नगत वाहन का सम्‍पूर्ण क्रय मूल्‍य ४३,००४/- रू० परिवादिनी को मय ब्‍याज वापस किए जाने हेतु निर्देशित किया है। वाहन के किसी एक भाग में त्रुटि के कारण सम्‍पूर्ण वाहन त्रुटिपूर्ण नहीं माना जा सकता। स्‍वयं परिवादिनी ने वाहन के इंजन में कोई त्रुटि होना अभिकथित नहीं किया है। अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता के इस तर्क में बल है। निर्विवाद रूप से परिवादिनी ने प्रश्‍नगत वाहन के हैण्डिल में कम्‍पन की त्रुटि अभिकथित की है। अत: वारण्‍टी की शर्तों के अन्‍तर्गत परिवादिनी इस त्रुटि के निराकरण हेतु त्रुटि से सम्‍बन्धित पार्ट्स को नि:शुल्‍क बदलवाने की अधिकारिणी मानी जा सकती है। अपीलार्थी सं0-१ निर्विवाद रूप से प्रश्‍नगत वाहन की निर्माता कम्‍पनी है। वाहन में निर्माण सम्‍बन्‍धी त्रुटि के सन्‍दर्भ में निर्माता कम्‍पनी ही उत्‍तरदायी मानी जा सकती है, सर्विस सेण्‍टर नहीं। यह भी उल्‍लेखनीय है कि स्‍वयं परिवादिनी ने जनपद गोरखपुर स्थित सर्विस सेण्‍टर द्वारा सर्विसिंग के सम्‍बन्‍ध में कोई शिकायत नहीं की है। अपीलार्थी सं0-२ के समक्ष सर्विसिंग हेतु वाहन प्रस्‍तुत    किया जाना परिवादिनी ने अभिकथित नहीं किया है। ऐसी परिस्थिति में हमारे विचार परिवादिनी प्रश्‍नगत वाहन की निर्माता कम्‍पनी अपीलार्थी सं0-१ के विरूद्ध ही अनुतोष प्राप्‍त करने की अधिकारिणी मानी जा सकती है।

        उल्‍लेखनीय है कि प्रश्‍नगत वाहन जून वर्ष २००० में क्रय किया जाना बताया गया है। लगभग १७ वर्ष की अवधि बीत चुकी है। ऐसी परिस्‍िथति में अब प्रश्‍नगत वाहन के त्रुटिपूर्ण भाग को बदलवाने हेतु निर्देशित किए जाने का कोई औचित्‍य प्रतीत नहीं होता। नि:सन्‍देह प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी अपने नये वाहन के सुरक्षित एवं सुविधाजनक उपयोग से इस अवधि के मध्‍य वंचित रही। ऐसी परिस्थिति में प्रश्‍नगत वाहन की त्रुटि निवारण

 

-७-

एवं परिवादिनी के शारीरिक एवं मानसिक उत्‍पीड़न के सन्‍दर्भ में परिवादिनी को २०,०००/- रू० दिलाया जाना न्‍यायसंगत होगा। इसके अतिरिक्‍त १,०००/- रू० वाद व्‍यय के रूप में भी दिलाया जाना न्‍यायसंगत होगा। अपील तद्नुसार स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है।  

आदेश

    अपील स्‍वीकार की जाती है। जिला मंच, गोरखपुर द्वारा परिवाद सं0-१६०/२००१ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक २४-०४-२००२ अपास्‍त किया जाता है। परिवाद अपीलार्थी सं0-१ के विरूद्ध आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है। अपीलार्थी सं0-१ को निर्देशित किया जाता है कि वह निर्णय की प्रति प्राप्‍त करने के डेढ़ माह की अवधि के अन्‍दर प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को २०,०००/- रू० वाहन की त्रुटि निवारण एवं क्षतिपूर्ति के रूप में अदा करे। इसके अतिरिक्‍त १,०००/- रू० वाद व्‍यय के रूप में भी अदा करे। निर्धारित अवधि के अन्‍दर उपरोक्‍त धनराशि अदा न करने की स्थिति में प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी इस धनराशि पर ०९ प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज भी प्राप्‍त करने की अधिकारिणी होगी। परिवाद अपीलार्थी सं0-२ के विरूद्ध निरस्‍त किया जाता है।

      इस अपील का व्‍यय-भार उभय पक्ष अपना-अपना स्‍वयं वहन करेंगे।

      उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाय।

 

                                     

                                    (उदय शंकर अवस्‍थी)

                                                  पीठासीन सदस्‍य

 

 

 

                                                   (बाल कुमारी)

                                                      सदस्‍य

 

 

 

 

प्रमोद कुमार

वैय0सहा0ग्रेड-१,

कोर्ट नं.-२.   

 
 
[HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MRS. Smt Balkumari]
MEMBER

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