( ओरल )
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
अपील संख्या :2077/2010
न्यू ओखला इण्डस्ट्रीयल विकास प्राधिकरण व अन्य बनाम श्रीमती सुशीला गुप्ता
दिनांक : 17-11-2022
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित निर्णय
अपीलार्थी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री अशोक शुक्ला उपस्थित। प्रत्यर्थी/परिवादिनी स्वयं अपने पुत्र श्री सुमित कुमार गुप्ता के साथ उपस्थित आईं।
प्रस्तुत अपील में यद्धपि विगत 12 वर्षों से अनेकों तिथियों पर सुनवाई हुई एवं पिछली अनेकों तिथियों पर यथासम्भव अपीलार्थी प्राधिकरण को इस न्यायालय द्वारा अनेकों अवसर प्रदान किये जाते रहे, परन्तु उन अवसरों का सदुपयोग न करते हुए प्राधिकरण द्वारा हठधर्मिता अपनाई गयी जिसके कारण अन्ततोगत्वा दिनांक 03-11-2022 को पूर्व आदेशों को उल्लिखित करते हुए इस न्यायालय द्वारा निम्न विस्तृत आदेश पारित किया गया :-
03-11-2022
The instant appeal is pending before this Court since last 12 years.
In brief the opposite party Smt. Sushila Gupta, W/o Late Sri R K Gupta was allotted a plot being Plot No. 18/C-153 at Sectior-19, Gautam Budh Nagar. The lease deed has been executed by the appellant Authority in favour of the complainant/opposite party long back on 16-07-2081. After the said registration the construction was carried out on the said plot by the allottee, the opposite party and the same was given on rent to Bharat Sanchar Nigam Limited.
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The Development Authority has issued the notice on the basis of the fact that the allottee has misused the conditions stipulated in the agreement and has rented the building to Bharat Sanchar Nigam Limited for commercial purpose. The litigation started on the basis of the said dispute and based on that a notice issued by the Authority for cancellation of the lease deed issued in favour of the allottee therefore a complaint has been lodged by the allottee before the District Consumer Commission, Gautam Budh Nagar which has been registered as Complaint Case No. 406/2007.
After hearing the parties the learned District Consumer Commission, Noida has allowed the complaint filed by the allottee, the opposite party vide judgment and order dated 15-12-2008.
Aggrieved by the said order passed by the District Consumer Commission an appeal has been filed by the appellant Development Authority before the State Commission which was dismissed by this Commission vide judgment and order dated 23-07-2009. A recall application was moved by the Development Authority before the State Commission to recall the order dated 23-07-2009 which too was rejected by the State Commission vide order dated 12-11-2010.
Aggrieved by the said orders dated 23-07-2009 and 12-11-2010 the Development Authority/appellant has filed a revision before the Hon’ble National Commission which has been registered as Revision Petition No. 4554 of 2010. The Hon’ble National Commission has entertained the revision and has passed an interim order in favour of the Development Authority, however, the said revision was subsequently dismissed in default vide order dated 09-08-2012 which was recalled and the revision was restored by the Hon’ble National Commission vide oder dated 20-09-
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2013. Finally the Development Authority itself has got the said revision dismissed as not pressed which has been dismissed as not pressed by the Hon’ble National Commission vide order dated 02-05-2014.
During the period of dismissal of the revision in default and submission of the restoration application an office order dated 22-07-2013 being Order No. 7093 has been issued by the Desk Officer one Sri P D Sharma. The contents of the said office order are relevant to be reproduced hereinbelow:-
“OFFICE ORDER
Smt. Sushila Gupta w/o Shri R.K.Gupta was allotted Plot No. C-153, Sector 19, NOIDA, which comes under the limit of the notified and declared area of the Noida Authority and the lease deed was executed and registered in the office of the Sub-Registrar, Noida on 16-07-1981.
The Authority published the Public information through various National Newspapers on 21 and 27-03-2002 and also issued Show Cause notice vide letter dated 24-03-2002 as per section 11(H) of the Lease Deed to the Allottee for use of the said premises for commercial purposes by giving it to the B.S.N.L. But no reply is given by the allottee. The said premises was also inspected on 19-10-2002 and it was found that the premises built on the said residential plot was used by Bharat Sanchar Nigam Limited. Accordingly, by exercising the powers as prescribed in the provisions of the lease deed and U.P. Industrial Development Act, 1976, the Lease Deed was canceled and the amount deposited in respect of the said plot no. C-153, Sector 19, Noida was forfeited vide order no. Noida/AGM@119 dated 01-11-2002.
In view of the order dated 15-12-2008 passed by the District Consumer Forum, Gautam Budh Nagar, allotment in respect of plot no. C-153 Sector 19, NOIDA, is
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hereby restored without charges under protest subject to the condition that final decision of the National Consumer Forum, New Delhi in the appeal no. 4554/10 Noida v/s Smt. Sushil Gupta shall be binding on Allottee.
This order is being issued with the approval of the Competent Authority.”
Learned Counsel for the Development Authority has also placed reliance of another letter being Letter No. 1774 dated 28-02-2014 which is also the office order (Karyalaya Aadesh) issued and signed by the same Desk Officer Sri P D Sharma. The contents of the said office dorder dated 28-02-2014 are reproduced hereinbelow:-
“कार्यालय आदेश
श्री/श्रीमति/म0/कु0 SUSHILA GUPTA पुत्र/पुत्री/पत्नी/श्री R.K. GUPTA का आवंटित भूखंड/फ्लैट सं0 19/सी-153 जो कि नोएडा प्राधिकरण के अधिसूचित एवं विकसित क्षेत्र की सीमा मे है, का उप पट्टा प्रलेख निष्पादन एवं पंजीकरण उप निबंधक कार्यालय नोएडा में दिनांक को प्रलेख सं0 316-3162 पर किया गया।
उक्त भूखंड/फ्लैट के आवंटी द्वारा उक्त भवन का उपयोग व्यावसायिक उद्देश्य तथा BHARAT SANCHAR NIGAM LTD के रूप में करने के कारण प्राधिकरण द्वारा पट्टा प्रलेख की धारा II (H) के अंतर्गत विभिन्न राष्ट्रीय समाचार पत्रों के माध्यम से दिनांक 21 एवं 27 मार्च 2002 को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था जिसका आवंटी द्वारा कोई उत्तर नहीं दिया गया है। साथ ही पुन: दिनांक 19.10.2002 को उक्त भूखंड पर निर्मित भवन का निरीक्षण किया गया तथा पाया गया कि उक्त आवासीय भूखंड पर निर्मित भवन का BHARAT SANCHAR NIGAM LTD के रूप में वर्तमान में उपयोग किया जा रहा है।
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उपरोक्त भूखंड/फ्लैट के पट्टा प्रलेख में निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए तथा उत्तर प्रदेश औद्योगिक क्रय अधिनियम 1976 के उपबंधों के अधीन भूखंड/फ्लैट सं0 सी-153, सेक्टर 19 नोएडा के पट्टा प्रलेख/हस्तांतरण प्रलेख कार्यालय आदेश सं0 119 दिनांक 15.11.2002 द्वारा पर्यावसान किया गया तथा उक्त भूखंड के मद में जमा धनराशि नियमानुसार प्राधिकरण के पक्ष में जब्त की गई।
आवंटी द्वारा भूखंड पर व्यवसायिक गतिविधियां बंद करने के पश्चात पुर्नस्थापन संबंधी कार्यवाही के क्रम में ..... न्यायिक लाभ शुल्क सहित कुल शुल्क रू. 373600/- की मांग पत्र सं0 नोएडा/आ0भू0/2007/8450 दिनांक 07.11.2007 शुरू की गई गई। आवंटी द्वारा National Consumer Disupte Redressal Commission New Delhi के समक्ष वाद योजित किया गया। आवंटी के द्वारा प्रस्तुत सभी तथ्यों एवं तर्कों के आधार पर सक्षम स्तर से निर्णय लिया गया है कि आवासीय भूखंड सं0 सी-153 सेक्टर 19 में जारी निरस्तीकरण आदेश सं0 नोएडा/स0महा0प्र0-आ0भू0/2002/119 दिनांक 1.11.2002 का निशुल्क वापिस लेते हुए तत्काल प्रभाव से निरस्तीकरण पुर्नस्थापित किया जाता है।
यह आदेश समक्ष स्तर से अनुमोदनोपरान्त जारी किया जा रहा है।“
Learned Counsel for the Development Authority has accepted the error and defect mentioned in the said office order dated 28-02-2014 particularly in the last paragraph of the said letter.
On the previous date when the matter was heard learned Counsel for the Development Authority was asked by this Court to produce the document showing the dispatch of the said letters issued by the Development Authority to the allottee/the opposite party/the complainant. No such evidence has been adduced by the
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learned Counsel for the Development Authority and he has, therefore, prayed for grant of two weeks’ time to produce the relevant documents including the postal receipt of the dispatch of the aforesaid letters by the Authority to the complainant.
This Court has passed a detailed order on 07-09-2022 which reads as follows:-
“07-9-2022
पुकार की गई। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री अशोक कुमार शुक्ला प्रस्तुत अपील की सुनवाई प्रारम्भ होने के पश्चात उपस्थित हुए, जिनके द्वारा दिनांक 11.5.2022 को पारित निम्न आदेश के परिशीलन हेतु समय प्रदान किये जाने की प्रार्थना की।
'पुकार की गई। अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री अशोक शुक्ला उपस्थित। आदेश दिनांक 26.7.2018 का अनुपालन नहीं किया गया है। अत: अपीलार्थी को आदेशित किया जाता है कि प्रत्यर्थी पर नोटिस की तामीला हेतु पैरवी 03 दिन में करें। तदोपरांत नोटिस जारी हो। पत्रावली वास्ते सुनवाई हेतु दिनांक 07.9.2022 को सूचीबद्ध हो।''
उपरोक्त आदेश दिनांक 11.5.2022 के अनुपालन में प्रत्यर्थी/परिवादिनी/डिक्रीदार श्रीमती सुशीला गुप्ता पत्नी श्री राज कुमार गुप्ता अपने पुत्र श्री सुमित कुमार गुप्ता के साथ इस न्यायालय के सम्मुख उपस्थित हैं। प्रत्यर्थी/परिवादिनी/डिक्रीदार श्रीमती सुशीला गुप्ता वर्तमान में लगभग 75 वर्ष की आयु में इस न्यायालय के सम्मुख उपस्थित हुई है, जिनके द्वारा यह कथन किया गया कि अपील एवं अपील से सम्बन्धित विवाद में उनको लगभग 11 तिथियों पर अनायास ही उनको उपस्थित होना पड़ा है जबकि उनके पक्ष में जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा वर्ष-2008 में निर्णय/आदेश पारित किया गया था, जो अंततोगत्वा राज्य आयोग एवं मा0 राष्ट्रीय आयोग द्वारा भी उनके पक्ष में निर्णीत किया गया
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है, फिर भी अपीलार्थी द्वारा जिला उपभोक्ता आयोग/राज्य उपभोक्ता आयोग एवं मा0 राष्ट्रीय आयोग द्वारा पारित आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित नहीं किया गया है।
प्रस्तुत अपील विगत 12 वर्षों से अधिक समय से लम्बित है, जिसमें जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित आदेश दिनांक 07.12.2010 के क्रियान्वयन को इस न्यायालय द्वारा पारित अंतरिम आदेश दिनांक 13.12.2010 के द्वारा स्थगित किया गया था, जो अगली निश्चित तिथि दिनांक 25.02.2011 तक प्रभावी था। दिनांक 25.02.2011 को पुन: सुनवाई हुई, तदोपरांत यह तथ्य अपीलार्थी द्वारा अवगत कराया गया कि अपीलार्थी द्वारा मा0 राष्ट्रीय आयोग के सम्मुख एक पुनरीक्षण याचिका सं0-4554/2010 प्रस्तुत की गई है, जिसकी सुनवाई अपेक्षित है, तद्नुसार प्रस्तुत अपील को स्थगित करते हुए दिनांक 14.7.2011 को सूचीबद्ध किये जाने का आदेश पारित किया गया था। अंतरिम आदेश अगली तिथि तक जारी रखने का भी आदेश पारित किया गया, तदोपरांत दिनांक 24.7.2011 को प्रस्तुत अपील पर सुनवाई हुई, जिसके पश्चात अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता एवं प्रत्यर्थी/परिवादिनी/डिक्रीदार श्रीमती सुशीला गुप्ता को सुनने के उपरांत समस्त तथ्यों को उल्लिखित करते हुए विस्तृत आदेश पारित किया गया एवं अगली तिथि दिनांक 31.7.2013 नियत की गई। अगली तिथि पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता की प्रार्थना पर अंतरिम आदेश बढाये जाने को दृष्टिगत रखते हुए अंतरिम आदेश अगली निश्चित तिथि दिनांक 16.8.2013 तक प्रभावी किया गया, जो अगली तिथि पर भी प्रभावी रहा, परन्तु आदेश फलक के परिशीलन से यह स्पष्ट पाया गया कि अंतरिम आदेश दिनांक 17.11.2014 को अगली निश्चित तिथि दिनांक 11.02.2015 तक ही प्रभावी रहा। उसके पश्चात अनेकों तिथियों पर यद्यपि अपील सूचीबद्ध हुई, परन्तु अंतरिम आदेश का क्रियान्वयन बढाया नहीं गया अर्थात अंतरिम आदेश दिनांक 11.02.2015 तक ही प्रभावी था।
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प्रत्यर्थी/परिवादिनी/डिक्रीदार श्रीमती सुशीला गुप्ता आज पुन: उपस्थित है जबकि अपीलार्थी के अधिवक्ता श्री अशोक कुमार शुक्ला द्वारा आज पुन: वाद स्थगित किये जाने की प्रार्थना की तथा यह प्रार्थना की कि वे एक सप्ताह में अपीलार्थी से प्रस्तुत अपील के सम्बन्ध में समस्त जानकारी प्राप्त कर सशपथपत्र इस न्यायालय के सम्मुख प्रत्यर्थी को प्राप्त कराकर प्रस्तुत करेंगे तथा इस तथ्य से भी अवगत करायेंगे कि जब अंतरिम आदेश दिनांक 11.02.2015 के बाद प्रभावी नहीं रहा तब उस दशा में जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित आदेश दिनांक 07.12.2010 इजराय वाद सं0-22/2009 का अनुपालन अपीलार्थी/ आदेशित अधिकारी द्वारा आज दिनांक तक सुनिश्चित क्यों नहीं किया गया तथा क्यों न उनके विरूद्ध विधि के अनुसार समुचित आदेश पारित किया जावे।
समस्त तथ्यों को दृष्टगत रखते हुए अगली निश्चित तिथि पर समस्त तथ्यों को उल्लिखित करते हुए शपथपत्र प्रस्तुत किये जाने की प्रार्थना को स्वीकार किया जाता है तथा आदेशित किया जाता है कि प्रस्तुत अपील से सम्बन्धित उत्तरदायी अधिकारी द्वारा ही शपथपत्र प्रस्तुत किया जावे, साथ ही उत्तरदायी अधिकारी की उपस्थिति भी सुनिश्चित किये जाने हेतु आदेशित किया जाता है तथा प्रत्यर्थी/परिवादिनी/डिक्रीदार श्रीमती सुशीला गुप्ता जो 75 वर्षीय वृद्ध महिला है, को हुई शारीरिक, मानसिक परेशानी एवं कठिनाई को दृष्टिगत रखते हुए अपीलार्थी/ न्यू ओखला इण्डस्ट्रीयल डेवलपमेंट अथॉरिटी को आदेशित किया जाता है कि प्रत्यर्थी/परिवादिनी/डिक्रीदार श्रीमती सुशीला गुप्ता के पक्ष में 1,00,000.00 रू0 हर्जाना द्वारा डिमाण्ड ड्राफ्ट अगली निश्चित तिथि पर प्रस्तुत किया जावे। तद्नुसार उभय पक्ष की सहमति से प्रस्तुत अपील को दिनांक 27.9.2022 को 2.00 बजे सुनवाई हेतु सूचीबद्ध किया जावे। “
From the perusal of the said order the cost was imposed upon the Authority to the tune of Rs.1,00,000/- which was supposed to be paid by the Authority to the complainant/opposite party by the next date fixed which was fixed with the consent of the parties being 27-09-
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2022. On 27-09-2022 when the case was heard and it is found that the order dated 07-09-2022 has not been complied with by the appellant Development Authority, the following detailed order has been passed and the further cost of Rs.1,00,000/- was imposed and the date was fixed being 11-10-2022.
27-9-2022
पुकार की गई। प्रस्तुत अपील जो विगत 12 वर्षों से लम्बित है, में पूर्व में दर्जनों तिथियों पर अनेकों विस्तृत आदेश पारित किये जाते रहे, परन्तु यह खेद का विषय है कि अपीलार्थी द्वारा उपरोक्त आदेशों का अनुपालन आज दिनांक तक सुनिश्चित नहीं किया गया। पिछली तिथि दिनांक 07.9.2022 को निम्न विस्तृत आदेश पारित किया गया:-
''पुकार की गई। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री अशोक कुमार शुक्ला प्रस्तुत अपील की सुनवाई प्रारम्भ होने के पश्चात उपस्थित हुए, जिनके द्वारा दिनांक 11.5.2022 को पारित निम्न आदेश के परिशीलन हेतु समय प्रदान किये जाने की प्रार्थना की।
''पुकार की गई। अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री अशोक शुक्ला उपस्थित। आदेश दिनांक 26.7.2018 का अनुपालन नहीं किया गया है। अत: अपीलार्थी को आदेशित किया जाता है कि प्रत्यर्थी पर नोटिस की तामीला हेतु पैरवी 03 दिन में करें। तदोपरांत नोटिस जारी हो। पत्रावली वास्ते सुनवाई हेतु दिनांक 07.9.2022 को सूचीबद्ध हो।''
उपरोक्त आदेश दिनांक 11.5.2022 के अनुपालन में प्रत्यर्थी/ परिवादिनी/डिक्रीदार श्रीमती सुशीला गुप्ता पत्नी श्री राज कुमार गुप्ता अपने पुत्र श्री सुमित कुमार गुप्ता के साथ इस न्यायालय के सम्मुख उपस्थित हैं। प्रत्यर्थी/परिवादिनी/डिक्रीदार श्रीमती सुशीला गुप्ता वर्तमान में लगभग 75 वर्ष की आयु में इस न्यायालय के सम्मुख उपस्थित हुई है, जिनके द्वारा यह कथन किया
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गया कि अपील एवं अपील से सम्बन्धित विवाद में उनको लगभग 11 तिथियों पर अनायास ही उनको उपस्थित होना पड़ा है जबकि उनके पक्ष में जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा वर्ष-2008 में निर्णय/आदेश पारित किया गया था, जो अंततोगत्वा राज्य आयोग एवं मा0 राष्ट्रीय आयोग द्वारा भी उनके पक्ष में निर्णीत किया गया है, फिर भी अपीलार्थी द्वारा जिला उपभोक्ता आयोग/राज्य उपभोक्ता आयोग एवं मा0 राष्ट्रीय आयोग द्वारा पारित आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित नहीं किया गया है।
प्रस्तुत अपील विगत 12 वर्षों से अधिक समय से लम्बित है, जिसमें जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित आदेश दिनांक 07.12.2010 के क्रियान्वयन को इस न्यायालय द्वारा पारित अंतरिम आदेश दिनांक 13.12.2010 के द्वारा स्थगित किया गया था, जो अगली निश्चित तिथि दिनांक 25.02.2011 तक प्रभावी था। दिनांक 25.02.2011 को पुन: सुनवाई हुई, तदोपरांत यह तथ्य अपीलार्थी द्वारा अवगत कराया गया कि अपीलार्थी द्वारा मा0 राष्ट्रीय आयोग के सम्मुख एक पुनरीक्षण याचिका सं0-4554/2010 प्रस्तुत की गई है, जिसकी सुनवाई अपेक्षित है, तद्नुसार प्रस्तुत अपील को स्थगित करते हुए दिनांक 14.7.2011 को सूचीबद्ध किये जाने का आदेश पारित किया गया था। अंतरिम आदेश अगली तिथि तक जारी रखने का भी आदेश पारित किया गया, तदोपरांत दिनांक 24.7.2011 को प्रस्तुत अपील पर सुनवाई हुई, जिसके पश्चात अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता एवं प्रत्यर्थी/परिवादिनी/डिक्रीदार श्रीमती सुशीला गुप्ता को सुनने के उपरांत समस्त तथ्यों को उल्लिखित करते हुए विस्तृत आदेश पारित किया गया एवं अगली तिथि दिनांक 31.7.2013 नियत की गई। अगली तिथि पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता की प्रार्थना पर अंतरिम आदेश बढाये जाने को दृष्टिगत रखते हुए अंतरिम आदेश अगली निश्चित तिथि दिनांक 16.8.2013 तक प्रभावी किया गया, जो अगली तिथि पर भी प्रभावी रहा, परन्तु आदेश फलक के परिशीलन से यह स्पष्ट
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पाया गया कि अंतरिम आदेश दिनांक 17.11.2014 को अगली निश्चित तिथि दिनांक 11.02.2015 तक ही प्रभावी रहा। उसके पश्चात अनेकों तिथियों पर यद्यपि अपील सूचीबद्ध हुई, परन्तु अंतरिम आदेश का क्रियान्वयन बढाया नहीं गया अर्थात अंतरिम आदेश दिनांक 11.02.2015 तक ही प्रभावी था।
प्रत्यर्थी/परिवादिनी/डिक्रीदार श्रीमती सुशीला गुप्ता आज पुन: उपस्थित है जबकि अपीलार्थी के अधिवक्ता श्री अशोक कुमार शुक्ला द्वारा आज पुन: वाद स्थगित किये जाने की प्रार्थना की तथा यह प्रार्थना की कि वे एक सप्ताह में अपीलार्थी से प्रस्तुत अपील के सम्बन्ध में समस्त जानकारी प्राप्त कर सशपथपत्र इस न्यायालय के सम्मुख प्रत्यर्थी को प्राप्त कराकर प्रस्तुत करेंगे तथा इस तथ्य से भी अवगत करायेंगे कि जब अंतरिम आदेश दिनांक 11.02.2015 के बाद प्रभावी नहीं रहा तब उस दशा में जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित आदेश दिनांक 07.12.2010 इजराय वाद सं0-22/2009 का अनुपालन अपीलार्थी/आदेशित अधिकारी द्वारा आज दिनांक तक सुनिश्चित क्यों नहीं किया गया तथा क्यों न उनके विरूद्ध विधि के अनुसार समुचित आदेश पारित किया जावे।
समस्त तथ्यों को दृष्टगत रखते हुए अगली निश्चित तिथि पर समस्त तथ्यों को उल्लिखित करते हुए शपथपत्र प्रस्तुत किये जाने की प्रार्थना को स्वीकार किया जाता है तथा आदेशित किया जाता है कि प्रस्तुत अपील से सम्बन्धित उत्तरदायी अधिकारी द्वारा ही शपथपत्र प्रस्तुत किया जावे, साथ ही उत्तरदायी अधिकारी की उपस्थिति भी सुनिश्चित किये जाने हेतु आदेशित किया जाता है तथा प्रत्यर्थी/परिवादिनी/डिक्रीदार श्रीमती सुशीला गुप्ता जो 75 वर्षीय वृद्ध महिला है, को हुई शारीरिक, मानसिक परेशानी एवं कठिनाई को दृष्टिगत रखते हुए अपीलार्थी/ न्यू ओखला इण्डस्ट्रीयल डेवलपमेंट अथॉरिटी को आदेशित किया जाता है कि प्रत्यर्थी/परिवादिनी/डिक्रीदार श्रीमती सुशीला गुप्ता के पक्ष
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में 1,00,000.00 रू0 हर्जाना द्वारा डिमाण्ड ड्राफ्ट अगली निश्चित तिथि पर प्रस्तुत किया जावे। तद्नुसार उभय पक्ष की सहमति से प्रस्तुत अपील को दिनांक 27.9.2022 को 2.00 बजे सुनवाई हेतु सूचीबद्ध किया जावे।''
उक्त आदेश में स्पष्ट रूप से यह आदेशित किया गया था कि अगली निश्चित तिथि को अपीलार्थी प्राधिकरण की ओर से उत्तरदायी अधिकारी द्वारा शपथपत्र प्रस्तुत किया जावेगा, साथ ही उपरोक्त उत्तरदायी अधिकारी/शपथकर्ता स्वयं भी इस न्यायालय में उपस्थित होकर न्यायालय को यथोचित सहयोग प्रदान करेंगे। न्यायालय को ऐसा प्रतीत होता है कि न सिर्फ प्राधिकरण के अधिकारीगण वरन प्राधिकरण के अधिवक्ता महोदय द्वारा भी प्रस्तुत अपील में न्यायालय द्वारा पारित आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित नहीं कराया जा रहा है, जिसके सम्बन्ध में अगली निश्चित तिथि पर समुचित आदेश पारित किया जावेगा।
जहॉ तक आदेशित शपथपत्र का प्रश्न है, अपीलार्थी प्राधिकरण के अधिवक्ता श्री अशोक कुमार शुक्ला द्वारा न्यायालय के सम्मुख यह कथन किया गया कि उनके द्वारा एक शपथपत्र श्री अनिल कुमार सिंह, शपथकर्ता अपर महाप्रबंधक अपीलार्थी प्राधिकरण द्वारा दिनांक 20.9.2022 को तैयार किया गया एवं उसी तिथि पर नोटरी द्वारा शपथपत्र पर अपेक्षित समस्त विवरण अंकित किया गया, परन्तु आश्चर्य का विशष है कि उपरोक्त शपथपत्र अपीलार्थी प्राधिकरण के अधिवक्ता द्वारा उनके कथनानुसार इस न्यायालय के कार्यालय में कल (दिनांक 26.9.2022) दोपहर में प्रस्तुत किया गया, जो निश्चित रूप से पत्रावली पर उपलब्ध नहीं हो सकता था, यह प्रक्रिया जानबूझकर प्रथम दृष्टया पायी जाती है कि किसी तरह से अपील को स्थगित कराया जाये, जबकि प्रत्यर्थी श्रीमती सुशीला गुप्ता, जिनके सम्बन्ध में आदेश दिनांक 07.9.2022 को विस्तृत रूप से इस न्यायालय द्वारा अंकित किया गया, स्वयं आज पुन: उपस्थित है।
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आदेश दिनांक 07.9.2022 के अनुपालन में प्रत्यर्थी/परिवादिनी/डिक्रीदार श्रीमती सुशीला गुप्ता को अपीलार्थी द्वारा हर्जाने की धनराशि रू0 1,00,000.00 भी प्राप्त नहीं करायी जानी थी। श्री अशोक कुमार शुक्ला प्राधिकरण के अधिवक्ता द्वारा यह कथन किया गया कि उनके द्वारा शपथपत्र की प्रति पंजीकृत डाक से प्रत्यर्थी को दिनांक 24.9.2022 को प्रेषित की गई है, परन्तु उक्त पंजीकरण से सम्बन्धित रसीद प्रस्तुत करने में प्राधिकरण के अधिवक्ता असफल रहे है।
उपरोक्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए तथा विशेष रूप से इस तथ्य को दृष्टिगत रखते हुए कि इस न्यायालय द्वारा पारित पूर्व आदेशों तथा दिनांक 07.9.2022 को पारित आदेश का अनुपालन प्राधिकरण द्वारा सुनिश्चित नहीं किया गया है, अत्एव प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, मुख्य अधिशासी अधिकारी को आदेशित किया जाता है कि वे अगली निश्चित तिथि पर इस न्यायालय के सम्मुख उपस्थित होकर अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत करें, साथ ही प्रत्यर्थी/परिवादिनी/डिक्रीदार श्रीमती सुशीला गुप्ता के पक्ष में हर्जाने की अंकित धनराशि आदेश दिनांक 07.9.2022 के अनुसार रू0 1,00,000.00 का डिमाण्ड ड्राफ्ट व आज के आदेशानुसार 1,00,000.00 रू0 का अन्य डिमाण्ड ड्राफ्ट अर्थात कुल 2,00,000.00 रू0 का डिमाण्ड ड्राफ्ट भी प्रस्तुत करे।
प्रस्तुत अपील को पुन: दिनांक 11-10.2022 को 12.45 बजे सुनवाई हेतु सूचीबद्ध किया जावे।“
Before the order passed on 27-09-2022 an application alongwith an affidavit dated 24-09-2022 received in the office on 26-09-2022 dispatched by the authority to the complainant vide registered post on 24-09-2022 was filed, however, the same was not available on the record on the date fixed i.e. on 27-09-2022.
On the next date fixed i.e. on 11-10-2022 Sri Rakesh Bajpai, learned Counsel assisted by Sri Ashok Kumar
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Shukla, learned Counsel for the Development Authority appeared and has submitted that the aforesaid application for recall of the order dated 07-09-2022 has been filed. Since the said application was not available on record as the same has been filed admittedly a day before the date fixed, no order could be passed and after hearing the parties at length fresh order dated 11-10-2022 has been passed in which the previous order dated 27-09-2022 was incorporated.
Another application has been filed by the Development Authority dated 06-10-2022 supported by an affidavit in which in para 35 the following contents are mentioned.
“That on being taken up the matter on 27-09-2022 counsel for the Authority informed the Hon’ble Commission that an application for recall of order dated 07-09-2022 has been filed bringing the correct facts on record. Since the application for recall of the order dated 07-09-2022 was not on record, although the Commission could have summoned it from the office, the Hon’ble Commission got annoyed for not complying with the order dated 07-09-2022 and imposed another cost of Rs.1,00,000/- and also directed the CEO to appear before it on 11-10-2022 and to submit a demand draft of Rs.2,00,000/- on the next date fixed i.e. 11-10-2022. Copy of order dated 27-09-2022 is being annexed as Annexure No.16 to this affidavit.”
In the said application dated 06-10-2022 no specific prayer has been made either for exemption of the personal appearance of the authorities or for exemption of the cost imposed by this Court. In para 38 of the affidavit filed in support of the said application for recall of the order dated 27-09-2022, the affidavit filed by Sri Anil Kumar Singh, AGM Noida authortiy, Gautam Budh Nagar the following contents are mentioned:-
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“That in view of the aforesaid facts and circumstances it is expedient in the interest of justice that the order dated 27-09-2022, as well as order dated 07-09-2022 passed by the Hon’ble Commission, are recalled and the instant appeal be disposed of in view of the facts that ijudgment/order dated 15-12-2008 passed by the learned District Commission, Gautam Budh Nagar has already been complied with and nothing remains to be adjudicated.”
The contents of para 38 mentioend hereinabove clearly indicates that the Authority itself has exempted the personal appearance of the officials and the cost imposed by this Court. Let Sri Anil Kumar Singh, AGM Noida Authority, Gautam Budh Nagar appear and explain about the same before this Court.
In view of the aforesaid, so far as the cost is concerned the prayer is rejected and it is hereby directed that the appellant Authority will pay the cost imposed by this Court vide orders dated 07-09-2022 and 27-09-2022 to the complainant/opposite party on or sbefore 14-11-2022.
So far as the personal appearance of the officials are concerned, the officials are directed to file their affidavit as to why they disobeyed the orders passed by this Court and failed to appear before this Court.
List this case again on 17-11-2022 at 02.00 P.M.
In the meantime the appellant is directed to file the reply to the affidavit filed by the complainant/opposite party in the registry of this Commission by 15-11-2022.
अत्यन्त हर्ष का विषय है कि अपीलार्थी प्राधिकरण द्वारा पूर्व आदेशों एवं ऊपर उल्लिखित आदेश दिनांक 03-11-2022 का शत-प्रतिशत अनुपालन सुनिश्चित करते हुए प्रत्यर्थी/परिवादिनी श्रीमती सुशीला गुप्ता को इस न्यायालय द्वारा आदेशित धनराशि भी हर्जाने के रूप में प्राप्त करायी गयी है
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जिसकी सहमति/स्वीकृति श्रीमती सुशीला गुप्ता एवं उनके पुत्र श्री सुमित कुमार गुप्ता जो इस न्यायालय के सम्मुख उपस्थित हैं, के द्वारा की गयी।
समस्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए अन्ततोगत्वा प्रस्तुत अपील अब निष्प्रयोज्य हो चुकी है क्योंकि समस्त आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित किया जा चुका है। तदनुसार प्रस्तुत अपील अंतिम रूप से निस्तारित की जाती है साथ ही इस अपील से संबंधित विविध वाद संख्या-313/2022 भी अंतिम रूप से निस्तारित किया जाता है। इस निर्णय की एक प्रति संबंधित विविध वाद संख्या-313/2022 की पत्रावली में सुरक्षित रखी जावे।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
प्रदीप मिश्रा , आशु0 कोर्ट नं0-1