Uttar Pradesh

StateCommission

A/835/2019

Ex.Engg. E.D.D. I Dakshinanchal Vidyut Vitran Nigam Ltd - Complainant(s)

Versus

Smt Sushila Devi - Opp.Party(s)

Isar Husain

03 Mar 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/835/2019
( Date of Filing : 05 Jul 2019 )
(Arisen out of Order Dated 25/04/2019 in Case No. C/221/2018 of District Etawah)
 
1. Ex.Engg. E.D.D. I Dakshinanchal Vidyut Vitran Nigam Ltd
Distt. Etawah UPPCL EDD Urban Distt. Hamirpur
...........Appellant(s)
Versus
1. Smt Sushila Devi
W/O Sri Ram Swaroop Verma R/O Teela Mevati Tola Distt. Etawah
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 03 Mar 2023
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग उ0प्र0, लखनऊ

 (सुरक्षित)

अपील सं0- 835/2019

(जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, इटावा द्वारा परिवाद सं0- 221/2018 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 25.04.2019 के विरुद्ध)

1. एक्‍जीक्‍यूटिव इंजीनियर, ई0डी0डी0 प्रथम, दक्षिणां‍चल विद्युत वितरण निगम लि0, जिला- इटावा, यू0पी0पी0सी0एल0, ई0डी0डी0 अर्बन, जिला- हमीरपुर।

2. दक्षिणां‍चल विद्युत वितरण निगम लि0 ई0डी0डी0 प्रथम इटावा, द्वारा एक्‍जीक्‍यूटिव इंजीनियर।

                                                   .........अपीलार्थीगण

बनाम

श्रीमती सुशीला देवी पत्‍नी श्री राम स्‍वरूप वर्मा, निवासी टीला मेवाती टोला, जिला-इटावा।

                                                   ................प्रत्‍यर्थी

समक्ष:-

   माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष।

   माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

 

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री इसार हुसैन, विद्वान अधिवक्‍ता।                           

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।

                       

दिनांक:- 14.03.2023

माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य द्वारा उद्घोषित

 

निर्णय

1.          परिवाद सं0- 221/2018 श्रीमती सुशीला देवी बनाम अधिशासी अभियंता, विद्युत वितरण खण्‍ड-प्रथम, दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लि0 व एक अन्‍य में जिला उपभोक्‍ता आयोग, इटावा द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दि0 25.04.2019 के विरुद्ध यह अपील प्रस्‍तुत की गई है।

2.          प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी का परिवाद पत्र में संक्षेप में कथन इस प्रकार है कि उसके आवास पर एक विद्युत कनेक्‍शन सं0- 7749292000 लगा हुआ है जिसका स्‍वीकृत भार दो किलोवाट है और वह उसका नियमित विद्युत विपत्र की धनराशि को जमा करती रही है। उसने दि0 24.07.2018 को माह जून व जुलाई, 2018 तक का विद्युत विपत्र की धनराशि रू0 11,931/- जमा की जो कि मनमाना और गलत तरीके बनाया गया है। दि0 09.05.2018 से दि0 09.06.2018 तक का विद्युत विपत्र 45 यूनिट का दिया गया था जिसमें अंकित धनराशि 926/-रू0 जमा कर दी गई और पुन: दि0 09.06.2018 से दि0 13.07.2018 तक का कथित विपत्र 1582 यूनिट का दिया गया है। इस सम्‍बन्‍ध में प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने कई बार अपीलार्थी/विपक्षी बिजली विभाग के अधिकारियों से शिकायत की और बिल संशोधित करने को कहा। दि0 29.03.2018 को प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के परिसर की चेकिंग की गई और पुराना मीटर उतार कर नया मीटर लगाया गया तथा पुराने मीटर को सील किया गया एवं प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी से पुराने मीटर की जांच के लिए दि0 04.04.2018 को सुन्‍दरपुर विद्युत परीक्षण प्रयोगशाला आने के लिए कहा गया तब प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी दि0 04.04.2018 को वहां उपस्थित हुई, किन्‍तु उसके सामने उक्‍त मीटर की जांच नहीं की गई और कहा गया कि बाद में जांच की जायेगी तथा लिखित रूप से सूचित किया जायेगा, परन्‍तु उसे कोई सूचना नहीं दी गई और उसकी अनुपस्थिति में मनमाने तरीके से दि0 04.05.2018 को उसका सील्‍ड पुराना मीटर की जांच की गई तथा उसको टैम्‍पर्ड घोषित कर दिया गया जो कि एकतरफा, मनमाना व गलत है। कथित रूप से टैम्‍पर्ड मीटर के आधार पर विभाग ने राजस्‍व निर्धारण कर प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के जिम्‍मे दि0 13.07.2018 से दि0 10.08.2018 तक का बिल 54,104/-रू0 मनमाने तरीके के दे दिया गया है और उसे जमा करने के लिए दबाव डाल रहे हैं। प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने उसे कई बार ठीक करने के लिए कहा, परन्‍तु कोई ध्‍यान नहीं दिया गया और दि0 20.08.2018 को कोई कार्यवाही करने से इंकार कर दिया गया। तत्पश्‍चात यह परिवाद योजित किया गया।

3.          अपीलार्थीगण/विपक्षीगण की ओर से जिला उपभोक्‍ता आयोग के समक्ष न तो कोई प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत किया गया और न ही कोई अभिसाक्ष्‍य ही दाखिल किया गया।         

4.          अपील मुख्‍य रूप से इस आधार पर प्रस्‍तुत की गई है कि प्रश्‍नगत निर्णय पूर्णत: अवैध, अविधिक एवं मनमाना पारित किया गया है जो वास्‍तव में आधारविहीन आदेश है तथा उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के प्रावधानों के विपरीत है। प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी का कथन है कि उसको गलत रूप से बिजली चोरी के केस में फंसाया गया है उसके विरुद्ध जो 51,090/-रू0 का निर्धारण हुआ है उस कार्यवाही में उसे भाग लेने का मौका नहीं मिला था। प्रश्‍नगत मीटर की जांच प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी की उपस्थिति में नहीं किया गया है जब कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को निर्धारण नोटिस दिनांकित 13.07.2018 को पत्र सं0- 2462 के माध्‍यम से प्रेषित किया गया था। निर्धारित समय पर प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के मीटर को चेक किया गया और वह टैम्‍पर्ड पाया गया। जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा विभाग पर लगाया गया क्षतिपूर्ति आंशिक एवं अधिक है। इन आधारों पर अपील प्रस्‍तुत की गई है।

5.          हमने अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता श्री इसार हुसैन को सुना। प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों का सम्‍यक परिशीलन किया। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।

  1. , चूँकि पूर्व में मीटर का उतारा जाना तथा इससे सम्‍बन्धित दस्‍तावेज विश्‍वसनीय नहीं है, अत: अपीलार्थीगण का पक्ष साक्ष्‍य के आधार पर‍ सबल प्रतीत नहीं होता है। अतएव इस साक्ष्‍य पर विश्‍वास करते हुए प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश को अपास्‍त किया जाना उचित प्रतीत होता है। जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा इस प्रयोगशाला जांच रिपोर्ट के आधार पर 54,104/-रू0 आदेशित करना उचित नहीं पाया। अत: प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश में हस्‍तक्षेप करना उचित प्रतीत नहीं होता है, परन्‍तु जिला उपभोक्‍ता आयोग ने वाद व्‍यय हेतु 5,000/-रू0 आदेशित किया है जिसे अपास्‍त किया जाना उचित प्रतीत होता है। तदनुसार अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है।   ‍         

आदेश

7.          अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश परिवर्तित करते हुए वाद व्‍यय के रूप में आदेशित धनराशि 5,000/-रू0 अपास्‍त की जाती है। शेष निर्णय एवं आदेश की पुष्टि की जाती है।

            अपील में उभयपक्ष अपना-अपना व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

            अपील में धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत अपीलार्थीगण द्वारा जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित इस निर्णय एवं आदेश के अनुसार जिला उपभोक्‍ता आयोग को निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जावे।

            आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।  

 

     (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                         (विकास सक्‍सेना)

              अध्‍यक्ष                                   सदस्‍य                                

 

शेर सिंह, आशु0,

कोर्ट नं0- 1

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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