Uttar Pradesh

StateCommission

A/2010/179

Kanpur Development Authority - Complainant(s)

Versus

Smt Sudarshana Devi - Opp.Party(s)

Pratul Srivastava

04 Feb 2015

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2010/179
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Kanpur Development Authority
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Smt Sudarshana Devi
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'ABLE MR. Ram Charan Chaudhary PRESIDING MEMBER
 HON'ABLE MR. Sanjay Kumar MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, 0 प्र0 लखनऊ

                   अपील संख्‍या  179  सन्  2010

सुरक्षित

 (जिला उपभोक्‍ता फोरम, कानपुर नगर के द्वारा  परिवाद केस संख्‍या- 576/2006 में  पारित निर्णय/आदेश दिनांक- 14-10-2009 के विरूद्ध)

कानपुर डेव्‍लपमेंट अथारिटी, कानपुर नगर, द्वारा वाइस चेयरमैन, मोतीझील, कानपुर।

                                               ...अपीलार्थी/विपक्षी

                             बनाम

श्रीमती सुदर्शन देवी पत्‍नी श्री कुलदीप सिंह निवासी  मकान नं0-78 एम. आई.जी. डब्‍लू ब्‍लाक जूहू, कानपुर, नगर।                                                     

                                             ....प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण

समक्ष:-

1-मा0 श्री आर0सी0 चौधरी, पीठासीन सदस्‍य।

2-मा0 संजय कुमार, सदस्‍य।                                

अधिवक्‍ता  अपीलार्थी :  श्री एन0सी0 उपाध्‍याय, विद्वान अधिवक्‍ता।

अधिवक्‍ता प्रत्‍यर्थी   :   टी0एच0 नकवी, विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक- 06-02-2015

मा0 श्री आर0सी0 चौधरी, पीठासीन सदस्‍य, द्वारा उदघोषित।

                                निर्णय

मौजूदा अपील जिला उपभोक्‍ता फोरम कानपुर नगर के द्वारा  परिवाद केस संख्‍या- 576/2006 में  पारित निर्णय/आदेश दिनांक- 14-10-2009 के विरूद्ध प्रस्‍तुत किया गया है। उपरोक्‍त निर्णय में यह आदेश किया गया है कि वाद स्‍वीकार किया जाता है दिनांक 04-03-1999 में ओ.टी.एस. शुल्‍क जमा होने के बाद विपक्षी द्वारा मांगी गई अवशेष समस्‍त धनराशि निरस्‍त की जाती है। विपक्षी को आदेश दिया जाता है कि निर्णय के 30 दिन के अन्‍दर ओ.टी.एस. में जमा शुल्‍क की तिथि से भवन के मद में अवशेष धनराशि की नियमानुसार गणना करें। वादनी उसे जमा करें। तत्‍पश्‍चात विपक्षी 30 दिन के अंदर रजिस्‍ट्री वादनी के हक में निष्‍पादित करें। वाद व्‍यय में रूपया 1000-00 दें, उसे भी अवशेष धनराशि में समायोजित करें। व्‍यक्तिक्रम की दशा में वादनी द्वारा समस्‍त जमा धनराशि पर जमा तिथि से रजिस्‍ट्री के निष्‍पादन की तिथि तक 10 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज विपक्षी द्वारा देय होगा।

 

(2)

संक्षेप में केस के तथ्‍य इस प्रकार से है कि दिनांक 10-05-1984 को रूपया 15000-00 का ड्राफ्ट सं0-902281 बनवाकर भवन आवंटन हेतु विपक्षी  विभाग में जमा किया था, जिसके तहत दिनांक 16-04-1985 को गुलमोहर बिहार स्‍वयं वित्‍त पोषित योजना में भवन सं0-सी-1-20  का आवंटन किया गया था, वादिनी को अनुमानित मूल्‍य 115000-00 रूपया बताया गया था, जिसे विपक्षीगण के कार्यालय में निम्‍न प्रकार से क्रमश: जमा किया था। बैंकर्स चेक/ ड्राफ्ट सं0-902281 से दिनांक 28-04-1984 को रूपया 15,000-00, 942010 से दिनांक 06-05-1985 को 25,000-00 रूपये, 902692 से दिनांक 21-08-1985 को रूपया 25000-00 रूपये, 831583 से दिनांक 09-06-1988 को रूपया 25000-00, 497413 से दिनांक 18-04-1992 को रूपया 25,000-00 तथा दिनांक 21-08-1985 को रूपया 470-00 नकद बिलम्‍ब शुल्‍क जमा किया था। इसके पश्‍चात उपरोक्‍त भवन की रजिस्‍ट्री कराने हेतु विपक्षी से सम्‍पर्क किया, लेकिन किसी प्रकार का जवाब नहीं दिया गया। पुन: विपक्षीगण द्वारा रूपया  25,443-00 जमा करने हेतु कहा गया। दिनांक 10-12-1998 को वादिनी ने एक पत्र प्रेषित किया, परन्‍तु विपक्षी द्वारा कोई उत्‍तर नहीं दिया गया, बल्कि अवैध रूप से विपक्षी ने गोदाम बनाकर कब्‍जा कर लिया, रजिस्‍ट्री नहीं की गई। वादिनी ने दिनांक04-03-1999 को स्‍वैच्छिक समाधान योजना के अर्न्‍तगत रूपया-1000-00 रसीद सं0-99 द्वारा जमा किया तथा मानचित्र शुल्‍क भी रूपया 800-00 रूपया दिनांक 08-04-1999 को जमा किया, परन्‍तु कोई कार्यवाही नहीं की गई। दिनांक 06-06-2005 को विपक्षीगण ने विधि विरूद्ध रूप से 1,99,946-00 रूपये की मांग की गई। वादिनी ने दिनांक 08-05-2006 को पत्र प्रेषित किया, जिसके उत्‍तर में विपक्षी ने रूपया 2,10,079-49 पैसे की मांग किया, जो सर्वधा विधि विरूद्ध है। विपक्षी की लापरवाही व सेवा में कमी है। वादी ने अपने उपशम में भवन सं0-सी-1/20 गुलमोहर बिहार में भवन सं0-सी-1/13, सी.1/35, सी.1/50 की तरह निस्‍तारित कराने की भी मांग किया है, क्षतिपूर्ति बतौर हर्जे-खर्चे में रूपया 55000-00 की मांग किया है।

विपक्षी ने अपने प्रतिवाद पत्र में यह उल्लिखित किया है कि वादनी के हक में स्‍वयं वित्‍त पोषित योजना के तहत भवन सं0-सी/120  गुलमोहर बिहार में दिनांक 09-04-1984 को आवंटित किया गया था। आवंटन पत्र में स्‍पष्‍ट रूप से अंकित था कि

(3)

भवन की अनुमानित कीमत रूपया 1,15,000-00 है, जो घट-बढ़ सकती है। पत्र प्राप्‍त होने के 30 दिन के अन्‍दर 25000-00 रूपये जमा करना था, द्वितीय किश्‍त दो माह बाद 25000-00 रूपया जमा करना है। रूपया 25000-00 तृतीय किश्‍त अगले दो माह में जमा  करना था। चतुर्थ किश्‍त भी इसी तरह दो माह में 25000-00 रूपये जमा करना है। बढ़ी हुई राशि कब्‍जा व निबन्‍धन के पूर्व जमा करना है। वादिनी ने समय से किश्‍ते जमा नहीं कर सकी है। दिनांक 18-11-1991 को अंतिम सूचना प्रेषित की गई। एक सप्‍ताह का पुन: मौका दिया गया। फिर भी नजर अंदाज किया। दिनांक-13-08-1993 को एक पत्र वादिनी ने प्रेषित किया कि घर पर चोरी हो जाने के कारण समय से धन जमा नहीं कर सकी, वह रजिस्‍ट्री कराना चाहती है। विपक्षी द्वारा पुन: पत्र द्वारा सूचित किया गया कि 15 दिन के अन्‍दर समस्‍त धन जमा की मूल रसीदें लेकर कार्यालय में उपस्थित हो, लेकिन कोई प्रयास नहीं किया गया। दिनांक-08-05-2006 को पत्र प्रेषित किये गये, लेकिन अवशेष धन नहीं जमा किया गया। उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम की धारा-24 ए के तहत परिवाद कालबाधित है। अत: वाद निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

      इस सम्‍बन्‍ध में अपील के आधार का अवलोकन किया गया तथा जिला उपभोक्‍ता फोरम के निर्णय/आदेश दिनांकित-14-10-2009 का अवलोकन किया गया। अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्‍ता श्री एन.सी. उपाध्‍याय तथा प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री टी.एच. नकवी की बहस को सुना गया।

      जिला उपभोक्‍ता फोरम ने अपने आदेश में यह कहा है कि विपक्षी विभाग से आवंटन फाइल गायब होना, ठेकेदारों द्वारा भवन पर कब्‍जा होना, भवन की स्थिति खराब  होना, संयुक्‍त सचिव द्वारा 15000-00 रूपये की छूट का आदेश पारित होना, वादिनी व विपक्षी के मध्‍य विवाद की स्थिति बन गयी। उपरोक्‍त विन्‍दुओं के निस्‍तारण में विपक्षी ने कोई ध्‍यान नहीं दिया, बल्कि  अपने जवाबदावे के पैरा-23 में यह उल्लिखित किया है कि वादनी को क्रमश: दिनांक 13-12-1997, 27-09-1997 व 14-08-1998 को पत्र प्रेषित किये गये थे। इन पत्रों के  समर्थन में रिकार्ड  विपक्षी के डिस्‍पैच रजिस्‍टर में होता है। आवंटन प्रतियां पत्रावली में भी रखी जाती है। विपक्षी ने कोई साक्ष्‍य नहीं दाखिल किया। दिनांक 11-09-2008 से बराबर समयावेदन दिया, लेकिन

(4)

सी.ए. दाखिल नहीं किया गया, क्‍या वजह थी कि विपक्षी ने सी.ए. दाखिल नहीं किया। उपरोक्‍त तथ्‍यों से यह स्‍पष्‍ट होता है कि आवं‍टन पत्रावली विपक्षी विभाग में उचित स्‍थान पर नहीं है। विपक्षी द्वारा ब्‍याज की वॉछित धनराशि न बताने पर वादिनी ने दिनांक-04-03-1999 में स्‍वैच्छिक जमा योजना( ओ.टी.एस.) में रूपया 1000-00 का भुगतान किया जो दाखिल रसीद से स्‍पष्‍ट है। विपक्षी ने ओ.टी.एस. धनराशि प्राप्‍त करने के पश्‍चात भी जमा किये जाने हेतु धनराशि को अवगत नहीं कराया, जबकि वादिनी 17 प्रार्थना पत्र प्रेषित कर चुकी थी। विपक्षी का यह कृत्‍य सेवा में कमी की ओर इंगित करता है।

      विपक्षी का यह सेवाकार्य था कि ओ.टी.एस. के मद में दिनांक 04-03-1999 को रूपया 1000-00 शुल्‍क जमा होने पर 30 दिन के अन्‍दर वादिनी को जमा किये जाने योग्‍य धनराशि को अवगत कराना चाहिए था, लेकिन विपक्षी ने लापरवाही किया, स्‍वयं जिम्‍मेदार है। सेवा में कमी किया। वाद धारा-24 ए के अर्न्‍तगत नहीं है, क्‍योंकि दिनांक 08-05-2006 को विपक्षी द्वारा धन की मांग की गई है।

      केस के तथ्‍यों परिस्थितियों में एवं दोनों पक्षकारों के विद्वान अधिवक्‍ता को सुनने के उपरान्‍त हम यह पाते है कि जिला उपभोक्‍ता फोरम द्वारा जो निर्णय/आदेश दिनांकित-14-10-2009 को पारित किया गया है, वह विधि सम्‍मत है, उसमें हस्‍तक्षेप किये जाने की कोई गुंजाइश नहीं है। अपीलकर्ता की अपील खारिज होने योग्‍य है।

आदेश

       अपीलकर्ता की अपील खारिज की जाती है तथा जिला उपभोक्‍ता फोरम कानपुर नगर के द्वारा  परिवाद केस संख्‍या- 576/2006 में  पारित निर्णय/आदेश दिनांक- 14-10-2009 की पुष्टि की जाती है।

उभय पक्ष अपना-अपना अपील व्‍यय स्‍वयं वहन करेगें।

 

     ( आर0सी0 चौधरी )                        ( संजय कुमार )                 

       पीठासीन सदस्‍य                               सदस्‍य                         

आर0सी0वर्मा आशु0-ग्रेड-2

कोर्ट नं. 5

 

 

 
 
[HON'ABLE MR. Ram Charan Chaudhary]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'ABLE MR. Sanjay Kumar]
MEMBER

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