राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील संख्या-2062/2003
(जिला उपभोक्ता फोरम, ज्योतिबा फूले नगर द्वारा परिवाद संख्या-16/2000 में पारित
प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 12.07.2002 के विरूद्ध)
1. एग्जीक्यूटिव इंजीनियर (प्रेस्क्राइब्ड अर्थारिटी) इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन डिवीजन, अमरोहा, जिला जे0पी0 नगर।
2. सब डिवीजनल आफिसर (देहात) यू0पी0 पावर कारपोरेशन लि0, इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन सब डिवीजन, अमरोहा, जे0पी0 नगर।
......अपीलार्थीगण/विपक्षीगण
बनाम्~
श्रीमती शिवानी पत्नी स्व0 धर्मपाल सिंह, निवासिनी ग्राम जामापुर, तहसील व परगना
अमरोहा, पोस्ट आफिस अतरासी कलां, जिला जे0पी0 नगर।
.................प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. माननीय श्री जितेन्द्र नाथ सिन्हा, पीठासीन सदस्य।
2. माननीय श्री जुगुल किशोर, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री इसार हुसैन, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री आर0के0 गुप्ता, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक 16.04.2015
माननीय श्री जुगुल किशोर, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह अपील सुनवाई हेतु ली गयी। अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री इसार हुसैन तथा प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री आर0के0 गुप्ता उपस्थित हैं। तदनुसार पक्षकारान के विद्वान अधिवक्तागण को विस्तार से सुना एवं पत्रावली का परिशीलन किया गया और समीचीन पाया गया कि इस अपील का निस्तारण कर दिया जाये।
संक्षेप में प्रकरण के तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादिनी का कथन है कि विवादित विद्युत कनेक्शन उनके पति धर्मपाल सिंह के नाम था। परिवादिनी के पति की मृत्यु दिनांक 12.01.1995 को हो गयी थी, परन्तु अपीलार्थीगण/विपक्षीगण विद्युत विभाग उसके पति की मृत्यु के बाद भी बिल भेजते रहे, जबकि संविदा उसके पति और विपक्षीगण के मध्य थी, जो कि उनके पति की मृत्यु के बाद समाप्त हो गयी है। विवादित ट्यूबवेल कनेक्शन परिवादिनी के पति की मृत्यु के बाद से ही बन्द पड़ा है। अत: परिवादिनी ने विवादित बिल समाप्त किये जाने हेतु परिवाद जिला फोरम में योजित किया।
विपक्षीगण जिला फोरम के समक्ष उपस्थित हुए दौरान सुनवाई अनुपस्थित हो गये। तत्पश्चात विपक्षीगण ने एक पक्षीय आदेश को अपास्त करने हेतु प्रार्थना पत्र दिया, जो
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स्वीकार कर लिया गया। उसके बावजूद भी वह अनुपस्थित हो गये। इस कारण वाद की सुनवाई एक पक्षीय की गयी। जिला फोरम ने पत्रावली का अवलोकन किया और पाया कि विपक्षीगण की ओर से कोई ऐसा तथ्य प्रस्तुत नहीं किया गया, जिसके आधार पर परिवादिनी के कथन को चुनौती दी जा सके। अत: जिला फोरम द्वारा वाद एक पक्षीय रूप से स्वीकार करते हुए विपक्षीगण को आदेशित किया गया कि वह परिवादिनी के विरूद्ध जारी बिल दिनांक 23.10.1999 पत्रांक सं0 4280 को इस आदेश के तीन दिन के अन्दर निरस्त करें।
उपरोक्त आदेश से क्षुब्ध होकर यह अपील योजित है। हमने दोनों पक्षकारों को सुनने एवं जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का अवलोकन किया और पाया कि जिला फोरम ने विपक्षीगण/अपीलार्थीगण को अपना कथन प्रस्तुत करने हेतु समुचित अवसर प्रदान नहीं किया है। ऐसी स्थिति में प्रश्नगत प्रकरण जिला फोरम पुन: निस्तारण हेतु प्रतिप्रेषित किया जाना न्यायोचित होगा। तदनुसार प्रस्तुत अपील स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
यह अपील स्वीकार की जाती है। जिला फोरम, ज्योतिबा फूले नगर द्वारा परिवाद संख्या-16/2000 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 12.07.2002 अपास्त किया जाता है तथा जिला फोरम को निर्देश दिया जाता है कि वह दोनों पक्षों को साक्ष्य एवं सुनवाई का समुचित अवसर प्रदान करते हुए प्रश्नगत परिवाद का निस्तारण गुणदोष के आधार पर यथाशीघ्र करना सुनिश्चित करें।
इस निर्णय/आदेश की सत्य प्रतिलिपि उभय पक्ष को नियमानुसार उपलब्ध करा दी जाये।
(जितेन्द्र नाथ सिन्हा) (जुगुल किशोर)
पीठासीन सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0
कोर्ट-3