(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-533/2006
दि ओरियण्टल इंश्योरेंस कं0लि0, जीवन भवन, IIIrd फ्लोर, 43 हजरतगंज, लखनऊ द्वारा डिप्टी मैनेजर
बनाम
श्रीमती शान्ती देवी पत्नी श्री राम लाल, निवासिनी ग्राम शिवदीन खेरा, पोस्ट हरौनी, थाना बंथरा, लखनऊ तथा एक अन्य
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री बी.पी. दुबे।
प्रत्यर्थी सं0-1 की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
प्रत्यर्थी सं0-2 की ओर से उपस्थित : श्री राजेश चड्ढा।
दिनांक : 11.06.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-39/2001, श्रीमती शान्ती देवी बनाम शाखा प्रबंधक दि ओरियण्टल इं0कं0लि0 व अन्य में विद्वान जिला आयोग, द्वितीय लखनऊ द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 1.7.2005 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री बी.पी. दुबे तथा प्रत्यर्थी सं0-2 के विद्वान अधिवक्ता श्री राजेश चड्ढा को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्यर्थी सं0-1 की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
2. विद्वान जिला आयोग ने बीमित भैंस की मृत्यु दिनांक 22.1.1999 को होने के आधार पर बीमा क्लेम की राशि अंकन 7500/-रू0 9 प्रतिशत ब्याज के साथ अदा करने का आदेश पारित किया है।
3. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि विद्वान जिला आयोग का आशय विपक्षी सं0-2 के विरूद्ध क्षतिपूर्ति का आदेश देने का था, जबकि यह आदेश विपक्षी सं0-1 के विरूद्ध दिया गया है। यह भी बहस की गई कि विद्वान जिला आयोग ने परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध स्वीकार
-2-
किया है और यह स्पष्ट नहीं किया है कि यथार्थ में किस राशि को अदा करने के लिए कौन उत्तरदायी है।
4. पत्रावली के अवलोकन से ज्ञात होता है कि परिवादी द्वारा सर्वप्रथम बैंक को सूचना दी गई और बैंक द्वारा बीमा कंपनी को भैंस की मृत्यु की सूचना दी गई। बैंक द्वारा परिवादी को भैंस क्रय करने के लिए ऋण दिया गया और बीमा कराया गया। चूंकि बीमित भैंस की मृत्यु होने पर बीमा धन अदा करने का उत्तरदायितव बीमा कंपनी का है न कि ऋण प्रदत्त करने वाले बैंक का। अत: यह अपील निरस्त होने योग्य है, परन्तु इस पीठ में निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए निर्णय/आदेश इस प्रकार परिवर्तित होने योग्य है कि बीमा धन की अदायगी का दायित्व केवल बीमा कंपनी का होगा। यद्यपि कोई पीनल इन्ट्रेस्ट देय नहीं होगा और ब्याज 9 प्रतिशत के स्थान पर 7 प्रतिशत की दर से देय होगा।
आदेश
5. प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है। पीठ में निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए निर्णय/आदेश दिनांक 1.7.2005 इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि बीमा धन की अदायगी का दायित्व केवल बीमा कंपनी का होगा। यद्यपि कोई पीनल इन्ट्रेस्ट देय नहीं होगा और ब्याज 9 प्रतिशत के स्थान पर 7 प्रतिशत की दर से देय होगा।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-2