Uttar Pradesh

StateCommission

A/2007/754

L I C - Complainant(s)

Versus

Smt Shanti Devi Mishra - Opp.Party(s)

Arvind Tilahari

18 Oct 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2007/754
( Date of Filing : 09 Apr 2007 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. L I C
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Smt Shanti Devi Mishra
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 18 Oct 2024
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-754/2007

Life Insurance Corporation of India

Versus  

Smt. Shanti Devi Mishra

समक्ष:-                                                            

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

उपस्थिति:-

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री अरविन्‍द तिलहरी, विद्धान अधिवक्‍ता

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित:- श्री ए0के0 मिश्रा, विद्धान अधिवक्‍ता

दिनांक :18.10.2024 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

  1.            परिवाद संख्‍या-17/2004, श्रीमती शांती देवी मिश्रा बनाम ब्रांच मैनेजर, लाईफ इंश्‍योरेंश कारपोरेशन आफ इण्डिया में विद्वान जिला आयोग, कानपुर नगर द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश दिनांक 02.03.2007 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी अपील पर दोनों पक्षकारों के विद्धान अधिवक्‍तागण  के तर्क को सुना गया। प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
  2.          जिला उपभोक्‍ता मंच ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए दुर्घटना हित लाभ प्रदान करने का आदेश पारित किया है।
  3.          परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार बीमा धारक की मृत्‍यु दिनांक 17.03.1999 को होने के पश्‍चात बीमा कम्‍पनी द्वारा अंकन 1,99,400/-रू0 का भुगतान किया जा चुका है। इसके पश्‍चात परिवादी द्वारा दिनांक 03.01.2004 को दुर्घटना हित लाभ प्राप्‍त करने के लिए परिवाद प्रस्‍तुत किया गया।
  4.         प्रस्‍तुत केस में बीमा राशि अंकन 55,503/-रू0 बीमाधारक को दिनांक 25.11.1999 को प्राप्‍त कराया जा चुका है। दिनांक 25.11.1999 के पश्‍चात यदि किसी राशि के लिए परिवाद प्रस्‍तुत किया जाना था तब उसकी अवधि 2 वर्ष थी, जैसा कि उपभोक्‍ता सरंक्षण अधिनियम 1986 की धारा 24 (ए) में व्‍यवस्‍था दी गयी है, परंतु यह परिवाद दिनांक 03.01.2004 को प्रस्‍तुत किया गया, जो विशुद्ध रूप से समयावधि से बाधित है। जिला उपभोक्‍ता आयोग ने समयावधि से बाधित परिवाद पर अपना आदेश पारित किया है जबकि धारा 24 (क) के प्रावधान आज्ञात्‍मक हैं। समयावधि से बाधित परिवाद को ग्रहण करने का अधिकार जिला उपभोक्‍ता आयोग को प्राप्‍त नहीं था। अत: इसी आधार पर परिवाद खारिज होने योग्‍य है।
  5.          अब इस बिन्‍दु पर भी विचार किया जाता है कि क्‍या  परिवादी की मृत्‍यु वास्‍तव में दुर्घटना के कारण हुई है? इस प्रश्‍न का उत्‍तर नकारात्‍मक है क्‍योंकि डेथ सर्टिफिकेट के अनुसार बीमाधारक की मृत्‍यु कार्डियक अरेस्‍ट के कारण हुई है, जो कदाचित दुर्घटना की श्रेणी में नहीं आता है। तदनुसार अपील स्‍वीकार होने योग्‍य है।

आदेश

        अपील स्‍वीकार की जाती है। जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश अपास्‍त किया जाता है।

           उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय भार स्‍वंय वहन करेंगे।

प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि मय अर्जित ब्‍याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।

    आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

         

(सुधा उपाध्‍याय)(सुशील कुमार)

सदस्‍य सदस्‍य

 

 

      संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2

  

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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