(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-677/2010
(जिला आयोग, हमीरपुर द्वारा परिवाद संख्या-83/2004 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 23.9.2009 के विरूद्ध)
नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लि0, आफिस कलेक्ट्रेट कम्पाउंड, हमीरपुर, सीरियल नं0-108817 ट्रैक्टर महेन्द्रा 265 डीआई व्हीकिल नं0-यू.पी. 91 ए. 4656 वैलिडिटी आफ इंश्योरेंस 1.4.2003 से 31.8.2004 ।
अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1
बनाम
1. श्रीमती सावित्री देवी पत्नी श्री कटोरे लाल, निवासी मोहल्ला नौबस्ता अमन, शहीद हमीरपुर, थाना कोतवाली शहर, जिला हमीरपुर।
2. राज कुमार पुत्र श्री राम नाथ विश्वकर्मा, निवासी 133/292 ट्रांसपोर्ट नगर, कानपुर नगर (ट्रक ओनर)।
प्रत्यर्थीगण/परिवादी/विपक्षी सं0-2
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री देवेश कुमार।
प्रत्यर्थी सं0-1 की ओर से उपस्थित : श्री शोभित कान्त।
प्रत्यर्थी सं0-2 की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 03.09.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-83/2004, श्रीमती सावित्री देवी बनाम दि नेशनल इंश्योरेंस कं0लि0 तथा एक अन्य में विद्वान जिला आयोग, हमीरपुर द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 23.9.2009 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर अपीलार्थी तथा प्रत्यर्थी सं0-1 के विद्वान अधिवक्ता को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. विद्वान जिला आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए विपक्षी सं0-1 बीमा कंपनी के विरूद्ध अंकन 90,500/-रू0 की राशि क्षतिपूर्ति अदा करने के लिए आदेशित किया है, इस राशि पर 9 प्रतिशत ब्याज के लिए भी आदेशित किया है तथा अंकन 15,000/-रू0 कृषि कार्य में हुए नुकसान की मद में भी अदा करने के लिए आदेशित किया है।
3. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादिनी ने ट्रैक्टर संख्या-यू.पी. 91 ए. 4656 महेन्द्रा 265 डी. आई. के लिए एक बीमा पालिसी प्राप्त की थी। बीमा अवधि के दौरान कानपुर से आते समय दुर्घटना के कारण ट्रैक्टर क्षतिग्रस्त हो गया, परन्तु बीमा कंपनी द्वारा कोई क्लेम नहीं दिया गया, इसलिए उपभोक्ता परिवाद प्रस्तुत किया गया।
4. बीमा कंपनी द्वारा बीमा पालिसी जारी करना स्वीकार किया गया, परन्तु कथन किया गया कि दिनांक 7.4.2002 को वाहन संख्या-यू.पी. एन. 8481 के चालक की लापरवाही के कारण ट्रैक्टर में टक्कर मार दी, परन्तु परिवादिनी ने कोई कार्यवाही नहीं की। ट्रैक्टर की मरम्मत के भी कोई बिल दाखिल नहीं किए, इसलिए बीमा क्लेम नहीं दिया गया।
5. विद्वान जिला आयोग ने पक्षकारों की साक्ष्य पर विचार करते हुए उपरोक्त वर्णित निर्णय/आदेश पारित किया है।
6. अपील के ज्ञापन एवं अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता के मौखिक तर्कों का सार यह है कि विद्वान जिला आयोग ने केवल कही सुनी साक्ष्य पर विचार किया है। वाहन का पालिसी के विपरीत दुरूपयोग किया जा रहा था। इस पालिसी के अनुसार वाहन कृषि कार्य के लिए बीमित किया गया था, जिसकी अवधि दिनांक 16.8.2001 से दिनांक 15.8.2002 तक थी। दिनांक 7.4.2002 को इस वाहन का प्रयोग कृषि कार्य के अलावा अन्य कार्यों के लिए किया जा रहा था, इसलिए बीमा क्लेम देय नहीं था।
7. प्रस्तुत अपील के विनिश्चय के लिए एक मात्र विनिश्चायक बिन्दु यह उत्पन्न होता है कि क्या वाहन का प्रयोग व्यावसायिक उद्देश्य के लिए किया जा रहा था ? विद्वान जिला आयोग ने ट्रैक्टर की मरम्मत में खर्च की गई राशि की रसीदों के आधार पर क्षतिपूर्ति का आदेश पारित किया है। अत: चूंकि व्यावसायिक दुरूपयोग साबित नहीं है। ट्रैक्टर मरम्मत में खर्च हुई राशि की रसीदें विद्वान जिला आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गई हैं, जिनके आधार पर क्षतिपूर्ति की राशि सुनिश्चित की गई है। अत: निर्णय/आदेश में हस्तक्षेप का कोई आधार नहीं है। तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
8. प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2