(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-152/2007
Life Insurance Corporation of India
Versus
Smt. Sapna Pandey wife of Amitanshu Pandey
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री संजय जायसवाल, विद्धान अधिवक्ता
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: कोई नहीं
दिनांक :05.02.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-160/2004, चन्द्र सेन चौबे व अन्य बनाम भारतीय जीवन बीमा निगम में विद्वान जिला आयोग, उन्नाव द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 15.12.2006 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर केवल अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता के तर्क को सुना गया। प्रत्यर्थी तामीला के बावजूद उपस्थित नहीं है। प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. जिला उपभोक्ता मंच ने बीमित राशि अंकन 75,682/-रू0 अदा करने के बाद अंकन 15,136/-रू0 ब्याज की राशि 12 प्रतिशत की दर से अदा करने का आदेश पारित किया है तथा यह निष्कर्ष दिया है कि बीमा कम्पनी ने 20 माह के पश्चात बीमा क्लेम का निस्तारण किया है इसलिए इस अवधि के लिए ब्याज अदा किया जाना चाहिए तदनुसार अंकन 15,136/-रू0 ब्याज अदा करने का आदेश पारित किया है।
3. अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का यह तर्क है कि नामिनी की मृत्यु बीमा धारक से पूर्व हो चुकी थी इसलिए वारिसान प्रमाण पत्र की मांग की गयी थी। यह वारिसान प्रमाण पत्र के प्राप्त होने के 6 दिन के अंदर भुगतान कर दिया गया है। उनके स्तर से कोई विलम्ब नहीं किया गया है। दस्तावेज सं0 39 पर मौजूद एक पत्र दिनांक 24.02.2005 को लिखा गया है। इस पत्र के द्वारा उत्तराधिकार प्रमाण पत्र की मांग की गयी है। दिनांक 09.03.2005 को लिखे गये पत्र में उत्तराधिकार प्रमाण पत्र संलग्न किये जाने का कथन किया गया है। अत: दिनांक 09.03.2005 से पूर्व वारिसान प्रमाण पत्र उपलब्ध करा दिया गया है। ऐसा सबूत पत्रावली पर मौजूद है। दस्तावेज सं0 40 पर पत्र बीमा धारक के वारिसान द्वारा एल0आई0सी0 को संबोधित किया गया है, उस पत्र में भी यह उल्लेख नहीं है कि मृत्यु प्रमाण पत्र पूर्व मे उपलब्ध करा दिया गया है, इसलिए वारिसान प्रमाण पत्र प्राप्त होने के पश्चात बीमा क्लेम अदा करने पर बीमा कम्पनी द्वारा कोई अवैधानिकता कारित नहीं हुई है यद्यपि क्लेम स्वीकार करने में देरी हुई है, परंतु इस देरी का कारण वारिसान प्रमाण पत्र का बीमा कम्पनी को देरी से प्राप्त कराना रहा है, इसलिए इस अवधि के लिए बीमा कम्पनी ब्याज अदा करने के लिए उत्तरदायी नहीं है। तदनुसार अपील आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
अपील आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए अपीलार्थी बीमा कम्पनी पर ब्याज की देयता अंकन 15,136/-रू0 समाप्त की जाती है। शेष निर्णय/आदेश पुष्ट किया जाता है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 3