Uttar Pradesh

StateCommission

A/1516/2017

Kavindra Pal Singh Contractor - Complainant(s)

Versus

Smt Santosh - Opp.Party(s)

Sachin Kumar

11 Nov 2021

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1516/2017
( Date of Filing : 25 Aug 2017 )
(Arisen out of Order Dated 07/07/2017 in Case No. C/150/2015 of District Bareilly-II)
 
1. Kavindra Pal Singh Contractor
S/O Sri Prem Pal Singh R/O 142 Gopal Hagar Near Hukum Singh Dhan Singh Mill Sanjay Nagar Thana Baradari Tahsil and Distt. Bareilly
...........Appellant(s)
Versus
1. Smt Santosh
W/O Sri Shanti Prasad R/O Mohalla Faltunganj Kalibari Thana Baradari Bareilly
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 11 Nov 2021
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, 0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील सं0-१५१६/२०१७

 

(जिला फोरम/आयोग (द्वितीय), बरेली  द्वारा परिवाद सं0-१५०/२०१५ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक ०७-०७-२०१७ के विरूद्ध)

 

कवीन्‍द्र पाल सिंह ठेकेदार पुत्र श्री प्रेम पाल सिंह निवासी १४२, गोपाल नगर, निकट हुकुम सिंह धान मिल संजय नगर थाना बारादरी तहसील व जिला बरेली।

                                                    ...........अपीलार्थी/विपक्षी।    

बनाम

श्रीमती सन्‍तोष पत्‍नी श्री शान्‍ती प्रसाद निवासी मोहल्‍ला फाल्‍तूगंज कालीबाड़ी थाना बारादरी, बरेली।

...........प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी।

समक्ष:-

१-  मा0 श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।

२-  मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित  : श्री सचिन कुमार विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित   : श्री सुशील कुमार शर्मा विद्वान अधिवक्‍ता।

 

दिनांक :- २३-११-२०२१.    

 

मा0 श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

 

निर्णय

यह अपील, उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम १९८६ के अन्‍तर्गत जिला फोरम/आयोग (द्वितीय), बरेली  द्वारा परिवाद सं0-१५०/२०१५ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक ०७-०७-२०१७ के विरूद्ध योजित की गयी है।

संक्षेप में अपीलार्थी का कथन है कि मौखिक इकरानामा (ठेका) पर प्रत्‍यर्थी के एक भूखण्‍ड क्षेत्रफल १०० वर्ग गज स्थित मोहल्‍ला फाल्‍तूगंज, कालीबाड़ी, थाना बारादरी, बरेली पर दिनांक ३१०-०३-२०१५ को निर्माण कार्य शुरू हुआ। आपस में यह व्‍यवस्‍था की गई कि सीढ़ी और ममटी के निर्माण पर होने वाला खर्च प्रत्‍यर्थी द्वारा अदा किया जाएगा जो उपरोक्‍त धनराशि के अतिरिक्‍त होगा। कुल अनुमानित लागत १६,४०,१६०/- रू० की थी जिसमें सीढ़ी और ममटी का खर्च प्रत्‍यर्थी को देना था किन्‍तु प्रत्‍यर्थी ने मात्र ०४.००

 

 

 

-२-

लाख रू० अदा किए जबकि ९५ प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है। अपीलार्थी ने शेष धनराशि १२,४१,६००/- रू० की मांग प्रत्‍यर्थी से की किन्‍तु बार-बार मांगने के उपरान्‍त भी प्रत्‍यर्थी ने इसे अदा नहीं किया और दिनांक २१-१०-२०१५ को दिन में ०१.०० बजे जब अपीलार्थी ने पुन: उक्‍त धनराशि की मांग की तब उन लोगों ने उसके ऊपर हमला किया जिसके सम्‍बन्‍ध में एक वाद ए0सी0जे0एम0 प्रथम, बरेली के न्‍यायालय में प्रस्‍तुत किया। यह घटना स्‍थापित करती है कि प्रत्‍यर्थी शेष धनराशि अदा नहीं करना चाहती है। प्रत्‍यर्थी ने विद्वान जिला फोरम (द्वितीय) बरेली में झूठे और बनावटी आधार पर एक वाद प्रस्‍तुत किया और विद्वान जिला फोरम ने बिना तथ्‍यों की तह में गए दिनांक ०७-०७-२०१७ को निर्णय पारित किया। प्रश्‍नगत निर्णय त्रुटिपूर्ण, तथ्‍यों के विपरीत, विधि विरूद्ध और मनमाना है।

प्रत्‍यर्थी को अपना वाद स्‍वयं द्वारा सिद्ध करना है न कि अपीलार्थी की कमियों के आधार पर। प्रत्‍यर्थी ने यह कहा कि निर्माण में प्रयुक्‍त होने वाली सामग्री अपीलार्थी को क्रय करनी थी जिसका अर्थ हुआ कि प्रत्‍यर्थी को कोई सामग्री नहीं खरीदनी थी किन्‍तु इसके उपरान्‍त प्रत्‍यर्थी ने कहा कि उसने स्‍वयं सारी निर्माण सामग्री क्रय की। पक्षकारों के बीच कोई लिखित संविदा नहीं थी। अपीलार्थी को छलने के लिए प्रत्‍यर्थी ने झूठा और बनावटी वाद बनाया। प्रत्‍यर्थी किसी भी अभिलेख को प्रस्‍तुत करने में असफल रही। अभिकथनों के आधार पर विद्वान जिला फोरम को यह तय करना था कि क्‍या कथित ठेका ७,२५,०००/- रू० में तय किया गया जैसा कि प्रत्‍यर्थी ने कहा है अथवा १६,४१,६१०/- रू० में तय किया गया जैसा कि अपीलार्थी ने कहा है, किन्‍तु जिला फोरम ने इस तथ्‍य पर ध्‍यान नहीं दिया।  

विद्वान जिला फोरम ने गलत निष्‍कर्ष दिया कि कथित ठेका ७,२५,०००/- रू० के लिए था और इसका पूर्ण भुगतान प्रत्‍यर्थी द्वारा कर दिया गया जबकि प्रत्‍यर्थी ने अपने अभिकथन में कहा है कि उसने केवल ६,८०,०००/- रू० अदा किया है। प्रत्‍यर्थी ने अपने अभिकथन में कहा कि उसने ६,८०,०००/- रू० नकद धनराशि के रूप में दिया और ५०,९०६/- रू० की निर्माण सामग्री दी अर्थात् उसने कुल ७,३०,९०६/- रू० अदा किया किन्‍तु विद्वान जिला फोरम ने इस पर विश्‍वास नहीं किया।

 

-३-

विद्वान जिला फोरम ने २,५०,०००/- रू० प्रत्‍यर्थी को देने का अवार्ड किया किन्‍तु कभी यह जानने की कोशिश नहीं की कि तत्‍कालीन निर्माण का मूल्‍य क्‍या है। कथित इकरारनामा या ठेका जो प्रत्‍यर्थी ने प्रस्‍तुत किया उसे अपीलार्थी ने स्‍वीकार नहीं किया और न ही प्रत्‍यर्थी ने इसे सिद्ध किया क्‍योंकि अभिलेख झूठे और बनावटी थे। अपीलार्थी को इससे अत्‍यधिक मानसिक और शारीरिक सन्‍ताप हुआ। विद्वान जिला फोरम द्वारा दिया गया निर्णय विधि विरूद्ध और मनमाना होने के कारण अपास्‍त होने योग्‍य है तथा वर्तमान अपील स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है।     

      हमने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री सचिन कुमार एवं प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री सुशील कुमार शर्मा की बहस सुनी तथा पत्रावली का सम्‍यक रूप से परिशीलन किया।

हमने प्रश्‍नगत निर्णय का अवलोकन किया। विद्वान जिला फोरम ने अपने निष्‍कर्ष में कहा है कि स्‍थल की वास्‍तविक स्थिति मंगाए जाने हेतु फोरम द्वारा दिनांक २५-०७-२०१६ को संजय कुमार वर्मा एडवोकेट को स्‍थल निरीक्षण हेतु आयुक्‍त नियुक्‍त किया गया। श्री वर्मा ने अपनी आख्‍या का0सं0 १७/१ प्रस्‍तुत की है। उपरोक्‍त आख्‍या को इस फोरम द्वारा दिनांक ३०-०१-२०१७ को स्‍वीकार किया गया।

विद्वान जिला फोरम ने अपने निष्‍कर्ष में यह भी कहा है कि परिवादिनी द्वारा परिवाद में अभिकथित वह कार्य जिसको प्रतिपक्षी द्वारा पूर्ण नहीं किया गया है की पुष्टि परिवादिनी के भवन के स्‍थल निरीक्षण के आधार पर अधिवक्‍ता आयुक्‍त श्री संजय कुमार वर्मा द्वारा दी गई आख्‍या का0सं0 १७/१ से होती है। ज्ञातव्‍य है कि उपरोक्‍त आख्‍या के सम्‍बन्‍ध में उभय पक्षों की ओर से दिनांक ३०-०१-२०१७ को यह कथन किया गया गया था कि उक्‍त आख्‍या स्‍थल के अनुसार है जिसके आधार पर उक्‍त आख्‍या को स्‍वीकार किया गया था।

सम्‍पूर्ण अभिकथनों एवं साक्ष्‍यों का विस्‍तृत रूप से विश्‍लेषण करने के उपरान्‍त  विद्वान जिला फोरम ने कहा कि पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍य से यह सिद्ध हो गया है   कि परिवादिनी द्वारा प्रतिपक्षी को ७,२५,०००/- रू० में ठेका दिया गया था तथा उपरोक्‍त

 

 

 

 

-४-

सम्‍पूर्ण धनराशि का परिवादिनी द्वारा प्रतिपक्षी को भुगतान किया जा चुका है तथा परिवादिनी के भवन के अवशेष कार्य में रू० २,५०,०००/- व्‍यय होंगे। 

विद्वान जिला फोरम ने मौके पर एडवोकेट कमिश्‍नर को भेज कर आख्‍या भी मंगाई है जो दिनांक ३०-०१-२०१७ को विद्वान जिला फोरम ने स्‍वीकार की। हमने पत्रावली का अवलोकन भलीभांति किया और इस निष्‍कर्ष पर पहुँचते हैं कि विद्वान जिला फोरम द्वारा दिया गया उपरोक्‍त निर्णय विधि सम्‍मत है और उसमें किसी प्रकार के हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है क्‍योंकि विद्वान जिला फोरम ने प्रत्‍येक बिन्‍दु पर अपना सुविचार और विश्‍लेषण व्‍यक्‍त किया है। तद्नुसार यह अपील निरस्‍त किए जाने योग्‍य है।

आदेश

वर्तमान अपील निरस्‍त की जाती है। जिला फोरम/आयोग (द्वितीय), बरेली  द्वारा परिवाद सं0-१५०/२०१५ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक ०७-०७-२०१७  की पुष्टि की जाती है।

अपील व्‍यय उभय पक्ष पर।

      उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाय।

      वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

                        (राजेन्‍द्र सिंह)                            (सुशील कुमार)

                            सदस्‍य                                        सदस्‍य              

निर्णय आज खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।

 

                        (राजेन्‍द्र सिंह)                            (सुशील कुमार)

                           सदस्‍य                                         सदस्‍य                   

 

 

प्रमोद कुमार, 

वैय0सहा0ग्रेड-१,

कोर्ट नं.-२.     

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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