(मौखिक)
राष्ट्रीय लोक अदालत
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
अपील संख्या- 1380/2006
(जिला उपभोक्ता आयोग, द्धितीय लखनऊ द्वारा परिवाद संख्या- 499/2002 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 05-05-2006 के विरूद्ध)
नेशनल इंश्योरेंश कम्पनी लि0, शोभित कामर्शियल काम्पलेक्स, अमीनाबाद थाना, अमीनाबाद लखनऊ द्वारा इट्स ब्रांच मैनेजर व अन्य।
बनाम
श्रीमती रीना सिंह, पत्नी श्री जय प्रकाश सिंह, निवासी- 151 एल०आई०जी० सेक्टर-सी जानकीपुरम, लखनऊ।
समक्ष :-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
उपस्थिति :
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित- कोई उपस्थित नहीं
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित- विद्वान अधिवक्ता श्री आर०के० कटियार
दिनांक : 12-11-2022
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी नेशनल इंश्योरेंश कम्पनी लि0, द्वारा विद्वान जिला आयोग द्धितीय लखनऊ द्वारा परिवाद संख्या- 499/2002 श्रीमती रीना सिंह बनाम शाखा प्रबन्धक, नेशनल इंश्योरेंश कम्पनी लि0 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 05-05-2006 के विरूद्ध इस आयोग के समक्ष योजित की गयी है।.
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संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादिनी ने अपने जीविकोपार्जन हेतु टाटा फाइनेंस लि0 से वर्ष 2001 में ऋण लेकर एक मिनी ट्रक क्रय किया था जिसका बीमा विपक्षी बीमा कम्पनी से दिनांक 18-01-2001 को कराया गया तथा प्रीमियम की धनराशि का भुगतान भी किया गया। परिवादिनी द्वारा उक्त मिनी ट्रक संचालन हेतु श्री विजय कुमार मिश्रा को दिनांक 21-03-2001 से 20,000/-रू० मासिक किराए पर दिया गया। श्री दल बहादुर सिंह श्री विजय कुमार के निर्देशन में ट्रांसपोर्ट द्वारा बुक किये गये घरेलू सामान को लेकर बरेली से जम्मू जा रहा था तभी रास्ते में दिनांक 02-09-2001 को जनपद खीरी के राजमार्ग पर परिवादिनी के ट्रक पर पीछे से आ रहे ट्रक ने टक्कर मार दी जिससे उसका ट्रक दुर्घटनाग्रस्त हो गया। चालक द्वारा घटना की सूचना थाने पर दी गयी। ट्रक अधिकृत सर्विस सेन्टर पर ले जाया गया तथा बीमा कम्पनी को भी सूचना दी गयी तथा इस्टीमेट बीमा कम्पनी के समक्ष प्रस्तुत किया गया। किन्तु बीमा कम्पनी द्वारा बीमित धनराशि का भुगतान नहीं किया गया। अत: विवश होकर परिवादिनी ने परिवाद जिला आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से परिवाद पत्र में कहे गये कथनों का खण्डन किया गया और कहा गया कि ट्रक को विजय कुमार वर्मा चला रहे थे और उन्हीं द्वारा एफ०आई०आर० लिखायी गयी है जो वैध नहीं है। बीमा पालिसी की शर्तों के अनुसार वैध ड्राइविंग लाइसेंस न होने के कारण बीमा क्लेम निरस्त किया गया है। उनकी ओर से सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है।
प्रस्तुत अपील 16 वर्ष से लम्बित चल रही है। प्रस्तुत अपील इस न्यायालय के सम्मुख आज राष्ट्रीय लोक अदालत की कार्यवाही के अन्तर्गत सूचीबद्ध है। अपीलार्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री आर०के० कटियार उपस्थित हुए, उन्हें विस्तार से सुना गया।
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निर्विवाद रूप से परिवादिनी का ट्रक अपीलार्थी बीमा कम्पनी द्वारा बीमित था। बीमा अवधि दिनांक 18-01-2001 से दिनांक- 17-01-2002 तक वैध थी। ट्रक दिनांक 02-09-2001 को दुर्घटनाग्रस्त हुआ। दुर्घटना निर्विवाद रूप से बीमा कम्पनी द्वारा स्वीकार की गयी। ट्रक मरम्मत हेतु दिनांक 08-09-2001 को अधिकृत शॉप पर पहॅुचाया गया जिसके द्वारा ट्रक की मरम्मत करके अंतिम रूप से तीन बिल कुल रू० 01,06,272/-रू० जारी किया गया। समस्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए जिला आयोग द्वारा निम्न आदेश पारित किया गया:-
" परिवाद पत्र स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेश दिया जाता है कि इस आदेश के एक माह के अन्दर ट्रक में हुए व्यय रू० 01,06,272/- मय 06 प्रतिशत साधारण ब्याज परिवाद दाखिल करने की तिथि 20-06-2002 से अदायगी तक अदा करें तथा वाद व्यय रू० 1000/- विपक्षी परिवादिनी को अदा करें। शेष अनुतोष अस्वीकार किये जाते हैं। आदेश का अनुपालन न करने पर उक्त समस्त धनराशि पर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज देय होगा।"
मेरे द्वारा जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का सम्यक रूप से परीक्षण एवं परिशीलन किया गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध प्रपत्रों का परीक्षण करने के उपरान्त यह स्पष्ट रूप से पाया गया कि प्रस्तुत अपील इंगित करते समय इस न्यायालय द्वारा 75,000/-रू० अपीलार्थी बीमा कम्पनी द्वारा जमा कराए जाने हेतु आदेशित किया गया है।
समस्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए प्रस्तुत अपील बलहीन प्रतीत होती है। जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश पूर्णत: विधि अनुसार
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एवं उचित है जिसमें किसी प्रकार के हस्तक्षेप की कोई आवश्यकता प्रतीत नहीं होती है। जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 05-05-2006 का समर्थन किया जाता है। प्रस्तुत अपील निरस्त किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक- 05-05-2006 की पुष्टि की जाती है।
अपीलार्थी बीमा कम्पनी जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का अनुपालन 02 माह की अवधि में करना सुनिश्चित करें अन्यथा की स्थिति में 06 प्रतिशत के स्थान पर 12 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज, अर्थात जिला आयोग द्वारा पारित आदेश के अनुसार ही देय होगा।
अपील में उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।..
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
कृष्णा–आशु0
कोर्ट नं0 1