राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
अपील संख्या:-343/2024
दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड द्वारा चीफ इंजीनियर आगरा एवं खण्ड अभियंता, फतेहाबाद आगरा।
...........अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
श्रीमती रज्जो देवी पत्नी श्री प्रमोद कुमार, निवासी जाटवान कलॉ फतेहाबाद, थाना फतेहाबाद, जिला आगरा।
.............प्रत्यर्थी/परिवादिनी
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
अपीलार्थी के अधिवक्ता : श्री इसार हुसैन
प्रत्यर्थी के अधिवक्ता : कोई नहीं।
दिनांक :-14.3.2024
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी/विद्युत विभाग द्वारा इस आयोग के सम्मुख धारा-41 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अन्तर्गत जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, द्विवतीय आगरा द्वारा परिवाद सं0-84/2017 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 23.9.2023 के विरूद्ध योजित की गई है।
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार है कि प्रत्यर्थी/परिवादिनी विपक्षी सं0-1 व 2 की उपभोक्ता है एवं प्रत्यर्थी/परिवादिनी का विद्युत कनेक्शन नं0-802463 मीटर संख्या-एफ0वी0/1 है, जिससे विधिवत विद्युत उपभोग कर समयान्तर्गत विद्युत भुगतान कर रही है।
प्रत्यर्थी/परिवादिनी का बिल भुगतान आज तक का पूर्ण जमा है तथा प्रत्यर्थी/परिवादिनी कभी भी डिफाल्टर नहीं रही है और न डिफाल्टर घोषित की गयी है।
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प्रत्यर्थी/परिवादिनी का कनैक्शन धरेलू है जिसे वह केवल घरेलू उपयोग में प्रयोग कर रही है। प्रत्यर्थी/परिवादिनी ने कभी भी विद्युत की चोरी नहीं की है। विद्युत कनैक्शन के अलावा प्रत्यर्थी/परिवादिनी के मकान में सोलर सिस्टम भी लगा हुआ है जिसका आर्टीकल सोलर पैनल पौली ब्राण्ड इनौवा 7.5 किलोवाट जिसका सीरियल नं0 आर0एम0 17005100195 वी0ए0ए0 कीमत 5200/- रू० तथा जम्बो बैटरी चाचा बैटरी हाऊस जमुना गली फतेहाबाद कीमत रू0 7,000.00 लगी हुई है उससे भी प्रत्यर्थी/परिवादिनी प्राकृतिक विद्युत का उपयोग करती है।
बावजूद समयान्तर्गत भुगतान के प्रत्यर्थी/परिवादिनी के विरूद्ध बिना किसी कारण एवं बिना अतिरिक्त विद्युत उपयोग के रू0 1,20,000.00 की रिकवरी तहसील द्वारा भेज दी गयी, जिसकी न तो कभी सूचना दी गई और न ही कोई नोटिस दिया गया, न कोई कारण बताया गया कि प्रत्यर्थी/परिवादिनी के विरुद्ध किस बात की रिकवरी भेजी गयी। उक्त रिकवरी की जानकारी प्रत्यर्थी/परिवादिनी को संग्रह अमीन द्वारा विद्युत बकाया की रिकवरी लेकर आने एवं पैसा माँगने पर दिनांक 22-02-2017 को ज्ञात हुई और तहसील अमीन द्वारा दिनांक 22-02-2017 को रू0 4100/- एवं दिनांक 02-3-2017 को रु0 3000/- रिकवरी के विरूद्ध वसूल लिए गये।
विद्युत उपखण्ड कार्यालय पर जानकारी करने पर भी नहीं बताया गया कि प्रत्यर्थी/परिवादिनी के विरूद्ध किस बात के लिए रिकवरी भेजी गयी है। प्रत्यर्थी/परिवादिनी द्वारा बार-बार पूंछने पर भी जानकारी नहीं दी गयी केवल यह कह कर वापस कर दिया जाता रहा कि तहसील के संग्रह अमीन से जानकारी करें, जोकि उपभोक्ता के प्रति गैर जिम्मेदारी एवं सेवा में सरासर अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1
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व 2 की ओर से कमी है अत्एव क्षुब्ध होकर परिवाद जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख प्रस्तुत किया गया।
अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत कर यह कथन किया गया कि प्रत्यर्थी/परिवादिनी को विद्युत संयोजन नम्बर-6141/862463 केवल घरेलू उपयोग हेतु दिया गया है। यह तथ्य स्वीकार नहीं कि उसके द्वारा विद्युत का उपयोग घरेलू रूप में किया जा रहा है बल्कि दिनांक 09-07-2016 को विभागीय प्रवर्तन दल द्वारा आकस्मिक चैकिंग की गयी तो पाया गया कि इसी संयोजन के द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादिनी द्वारा अपनी दुकान वर्मा खाद व वर्मा रेडीमेड सेण्टर पर व्यवसायिक रूप से भी उसका उपयोग किया जा रहा है, जो धारा-126 के आधीन आता है तथा विद्युत चोरी के रूप में परिभाषित किया गया है।
प्रत्यर्थी/परिवादिनी के संयोजन स्थल पर चैकिंग दल द्वारा चैकिंग की गयी थी तथा घरेलू कनैक्शन पर व्यवसायिक उपयोग करते हुये पाया गया। प्रवर्तन दल द्वारा 126 धारा के अन्तर्गत राजस्व निर्धारण की संस्तुति की गयी थी, इसके आधार पर दिनांक 22-12-2016 की धारा-3 के अंतर्गत रू0 1,09,218.00 रू० का डिमाण्ड नोटिस भेजा गया था इससे पहले प्रत्यर्थी/परिवादिनी को दिनांक 29-07-2016 को नोटिस भेजा गया था, जिसका जवाब दिनांक 13-08-2016 को प्रत्यर्थी/परिवादिनी द्वारा दिया जाना था लेकिन उसके द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया था। इस पर उसे धारा-5 का नोटिस प्रेषित किया गया था। यह भी कथन किया गया कि प्रत्यर्थी/परिवादिनी को इस बात का ज्ञान था कि उसके परिसर में विद्युत चैकिंग दल ने छापा मारकर घरेलू कनैक्शन पर व्यवसायिक उपयोग पकड़ा है, जिस संबंध में उसे नोटिस भी दिया
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था। इस प्रकार अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा अपनी सेवा में कोई कमी नहीं की गई है।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्य पर विस्तार से विचार करने के उपरांत परिवाद को स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है:-
"परिवादिनी का परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि आदेश की तिथि से 30 दिन के अन्दर परिवादिनी के विरूद्ध जारी प्रश्नगत रिकवरी निरस्त की जावे। इसके अतिरिक्त मानसिक शोषण, आर्थिक क्षति की क्षतिपूर्ति एवं वाद व्यय के रूप में समेकित रूप से अंकन 25,000.00 रू0 विपक्षीगण, परिवादिनी को अदा करना सुनिश्चित करें।''
जिला उपभोक्ता आयोग के प्रश्नगत निर्णय/आदेश से क्षुब्ध होकर अपीलार्थी/विद्युत विभाग की ओर से प्रस्तुत अपील योजित की गई है।
मेरे द्वारा अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता को विस्तार पूर्वक सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं समस्त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।
मेरे द्वारा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता के कथनों को सुना गया तथा विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिलेखों के परिशीलनोंपरांत यह पाया गया कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश विधि सम्मत है, परन्तु जहॉ तक विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा अपने प्रश्नगत आदेश में जो अपीलार्थीगण/विद्युत विभाग के विरूद्ध मानसिक शोषण, आर्थिक
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क्षति की क्षतिपूर्ति एवं वाद व्यय के रूप में समेकित रूप से रू0 25,000.00 (रू0 पच्चीस हजार) की देयता निर्धारित की गई है, वह वाद के सम्पूर्ण तथ्यों एवं परिस्थितियों तथा अपीलार्थी के अधिवक्ता के कथन को दृष्टिगत रखते हुए अधिक प्रतीत हो रही है, तद्नुसार उपरोक्त रू0 25,000.00 (रू0 पच्चीस हजार) की देयता को रू0 10,000.00 (रू0 दस हजार) में परिवर्तित किया जाना उचित पाया जाता है। तद्नुसार प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। निर्णय/आदेश का शेष भाग यथावत कायम रहेगा।
अपीलार्थी को आदेशित किया जाता है कि वह उपरोक्त आदेश का अनुपालन 45 दिन की अवधि़ में किया जाना सुनिश्चित करें।
प्रस्तुत अपील को योजित करते समय यदि कोई धनराशि अपीलार्थी द्वारा जमा की गयी हो, तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
हरीश सिंह
वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2.,
कोर्ट नं0-1